Konark Surya Mandir in Hindi : कोणार्क सूर्य मंदिर एक 13वीं शताब्दी में बना हुआ सूर्य मंदिर है। सन 1250 में इस सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ था। कोणार्क का सूर्य मंदिर गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर बंगाल की खाड़ी के तट पर ये सूर्य मंदिर आज भी पर्यटकों के लिए ओडिशा में एक मुख्या आकर्षण है। सन 1250 में बने कोणार्क सूर्य मंदिर अब अपने प्रारंभिक रूप में तो नहीं है लेकिन फिर भी इसे देख कर उस काल से परिचय हो जाता है।
कोणार्क सूर्य मंदिर | Konark Surya Mandir in Hindi
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कोणार्क सूर्य मंदिर – संरचना | Architecture – Konark Surya Mandir in Hindi
मंदिर को पहली नजर में देख कर लगता है ये एक रथ के रूप में बना हुआ है। सूर्य को समर्पित ये मंदिर , जो की अब कुछ अवशेषों के रूप में है , सूर्य के रथ के रूप में ही प्रतीत होता है। लगभग 30 मीटर ऊंचे इस निर्माण में रथ की ही तरह पहिये और घोड़े भी है।

आश्चर्य होता है कि अब से लगभग 700 साल पहले इंजीनियरिंग और तकनीक इतनी कुशल थी कि पत्थरों को तराश कर इस तरह से आकृतियां बनाई गयी थी। मंदिर के अवशेष इस बात का आभास देते है कि जब कोणार्क सूर्य मंदिर अपने पूर्ण रूप में होगा तो कितना जादुई , कितना विस्मित करने वाला लगता होगा। कभी मंदिर की संरचना अभी के मंदिर कि तुलना में इसकी दोगुनी होती थी , लगभग 60 मीटर। पुरातत्व विदो के अनुसार कोणार्क में सूर्य मंदिर की ऊंचाई लगभग 227 फीट रही होगी।
227 फ़ीट का ये मंदिर देश में सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक होगा।
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कोणार्क का सूर्य मंदिर आज भी कलिंग वास्तुकला का जीता जागता उदाहरण है। अभी जो अवशेष है वो नाट्य मंडप का भाग है। मंदिर सूर्य भगवान के रथ के रूप में है जो चौबीस सुंदर पहियों पर चलाया जाता था। इस रथ को सूर्य के सात घोड़ो द्वारा खींचा जाता था। सूर्य के रथ के पहिये इस तरह से है कि पहियों कि स्पोक से बनी छाया को देख कर दिन के उस टाइम का अनुमान लगाया जा सकता है।
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रथ के बारह जोड़ी पहिये हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों को दर्शाते है। हर एक पहियों कि जोड़ी महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष को दर्शाती है। पत्थर से बने ये पहिये लगभग 12 फ़ीट के है। कहा जाता है कि पहले ये मंदिर समुद्र के अंदर था लेकिन प्रक्त्रिक घटनाओं के कारण अब ये मंदिर पानी से बाहर बंगाल कि खाड़ी के है ।
हालाँकि मंदिर के मुख्य हिस्से देवालय और गर्भ गृह अब अवशेषात्मक रूप में भी न के बराबर बचे है लेकिन अवशेषों को देखकर मंदिर का जो खाका दिमाग में बनता है उसी से मंदिर कि भव्यता का अंदाजा लग जाता है।
कोणार्क का अर्थ | Meaning of name – Konark Surya Mandir in Hindi
कोणार्क नाम बना है संस्कृत के कोण और अर्का से। कोण जिसे अंग्रेजी में एंगल कहते है। अर्क का मतलब है सूर्य 🌞। कोणार्क का सूर्य मंदिर, पुरी जगन्नाथ मंदिर और भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर एक ट्राइंगल बनाते हैं। इसे ओडिशा का गोल्डन ट्राइंगल कहा जाता है।
कोणार्क सूर्य मंदिर – इतिहास | History – Konark Surya Mandir in Hindi
कोणार्क मंदिर प्राकृतिक आपदाओं से काफी क्षत विक्षत हुआ। ऐसा भी कहा जाता है जब 15वे से 17 वे सदी के बीच भारत पर बहरी आक्रमण हो रहे थे , उस समय मंदिर को अक्रान्ताओ द्वारा काफी नुक्सान पहुंचाया गया। उन आक्रांताओं में से काला पहाड़, जो कि बंगाल कि मुस्लिम सल्तनत के सेना का एक जनरल था , भी एक था।
ब्लैक पैगोडा | Black Pagoda – Konark Surya Mandir in Hindi

कोणार्क का सूर्य मंदिर इतिहास में ब्लैक पैगोडा नाम से भी जाना जाता है। ब्लैक पैगोडा का मतलब है एक मंदिर जैस आकृति जिसमे कई मंजिल बनी हुई हो। इस तरह के मंदिर खास कर ईस्ट एशियाई देशों में होते है। बंगाल कि खाड़ी से हो कर गुजरने वाले यूरोपियन यात्री इस मंदिर को ब्लैक पैगोडा नाम से जानते थे। मंदिर एक काले टावर के शेप में दिखाई देता था इसीलिए इसे ब्लैक पैगोडा कहा जाता था।
1984 में यूनेस्को ने कोणार्क सूर्य मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स कि लिस्ट में शामिल किया था।
कोणार्क सूर्य मंदिर – मेला | Festival – Konark Surya Mandir in Hindi
यहाँ हर साल फरवरी के महीने में चंद्रभागा मेला लगता है और दूर दूर से लोग इसमें शामिल होने के लिए आते है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ये मेला माघ महीने के सातवें दिन मनाया जाता है और इसीलिए इसे माघ सप्तमी मेला भी कहा जाता है। इस मेले में शामिल होने आये लोग मंदिर के पास ही चन्द्रभाग नदी में नहाने के बाद सूर्य देव कि पूजा करते है।
कोणार्क सूर्य मंदिर – कहानियाँ | Stories – Konark Surya Mandir in Hindi
चंद्रभाग मेले कि एक कहानी भी ओडिशा में काफी सुनी जाती है। कहा जाता है भगवन कृष्णा के पुत्र ने यहाँ चन्द्रभाग नदी में 12 साल तक रोज स्नान किया था और और सूर्य कि पूजा की थी। इस तरह से अपने कुष्ठ रोग का निवारण किया था। यहाँ आकर चन्द्रभाग नदी में नहाने का ये भी एक उद्देशय होता है। कहा जाता ही कि इस नदी के पानी में रोगों को ठीक करने कि क्षमता है।

कोणार्क मंदिर से जुड़े हुए कई रोचक तथ्य और कहानिया है। कहा जाता है कि मंदिर के अंदर दो चुम्बक जिनका वजन लगभग ५ टन था जो कि बंगाल कि खाड़ी में इसके पास के तट से गुजरने वाले जहाजों के कंपास को ठीक से काम नहीं करने देती थे । इधर से गुजरने वाले जहाज , मंदिर कि तरफ ही खींचने लगते थे। इस चुम्बक के कारण राजा का सिंहासन भी हवा में रहता था।
ऐसा कहा जाता है कि सूर्य देव की मूर्ति जो कि अष्ट धातु से बनी थी ,चुम्बकों के कारण हवा में बैलेंस रहती थी।
12 एकड़ में फैले कोणार्क मंदिर को बनाने में 1,200 मजदूरों ने 12 साल तक मेहनत की थी। इस बारे में भी एक कहानी काफी प्रचलित है। राजा नरसिंहदेव ने मंदिर के निर्माण के लिए एक समय सीमा दी थी और कहा था कि अगर मंदिर इस समय तक बन कर तैयार नहीं हुआ तो सरे कामगारों का सर काट दिया जायेगा। मंदिर तो बन कर तैयार हो गया था लेकिन अभी मदिर का शीर्ष मुकुट नहीं लगा था। जो मुख्य वास्तुकार था वो इस वजह से काफी परेशान था। 12 साल के एक लड़के , जिसका नाम धर्मपद था , उसने वास्तुकार की मदद करनी चाही।
आखिरकार उसकी मदद से मंदिर का मुकुट तैयार हुआ। अब सभी को डर था कि अगर राजा को पता चलेगा कि ये काम एक छोटे लड़के ने किया है तो वो उन्हें मार डालेगा। इस वजह से धर्मपद ने मंदिर के ऊपर से चन्द्रभाग नदी में छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से मंदिर अपवित्र हो गया और फिर वहां कभी सूर्य देव की पूजा नहीं की गयी।
कोणार्क मंदिर कैसे पहुंच सकते है। How to reach Konark Surya Mandir
अगर आप हवाई यात्रा कर रहे ही तो सबसे पास भुबनेश्वर हवाई अड्डा है। भुबनेश्वर से पुरी तक रेल यात्रा की जा सकती है और वहां से टैक्सी ले कर कोणार्क सूर्य मंदिर पंहुचा जा सकता है। सीधे भुबनेश्वर हवाई अड्डे से भी टैक्सी ले कर कोणार्क मंदिर पंहुचा जा सकता है।
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FAQ
प्रश्न 1. कोणार्क सूर्य मदिर कहा पर है?
पुरी, ओडिशा
प्रश्न 2. कोणार्क मंदिर किस राजा ने बनवाया था ?
राजा नरसिंहदेव प्रथम ने
प्रश्न 3. कोणार्क मंदिर का मेला किस नदी पर लगता है ?
चन्द्रभाग नदी
प्रश्न 4. कोणार्क मंदिर की कुल ऊँचाई कितनी थी ?
२२७ फ़ीट
प्रश्न 5. कोणार्क मंदिर में किस देवता की पूजा होती है?
सूर्य देव
प्रश्न 6. कोणार्क मंदिर के पहिये क्या दर्शाते है ?
ये सूर्य के रथ के पहिये है जो संख्या में कुल २४ है। पहियों की हर जोड़ी हिन्दू कैलेंडर के एक महीने को दर्शाती है।
प्रश्न 7. कोणार्क मंदिर कब बनाया गया था ?
सन १२५०
प्रश्न 8. कोणार्क मंदिर को अपवित्र क्यों कहा गया ?
क्योकि यहाँ मुख्य वास्तुकार के पुत्र धर्मपद ने नदी में कूद कर आत्महत्या कर ली थी , इसीलिए इसे अपवित्र कहे गया और यहाँ पूजा नहीं की गयी।