Pushkar City Hindi : पुष्कर शहर , संस्कृति और बुद्धि का शहर, पुष्कर हिंदुओं  और सिखों का एक प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है। पुष्कर अपने मंदिरों और घाटों के लिए जाना जाता है।  पुष्कर मेला पुष्कर शहर का एक बड़ा आकर्षण है जिसने पुष्कर को दुनिया के नक़्शे पर एक ख़ास जगह दिलाई है। संस्कृति और धार्मिक एकता के मेले का  शहर पुष्कर पुराणों में भी इसका खास महत्त्व है। पुष्कर अजमेर शहर से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। पुष्कर शहर अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है और हिंदुओं के लिए एक प्रसिद्द तीर्थ है।

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पुष्कर शहर – Pushkar City Hindi

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पुष्कर शहर – एक पौराणिक शहर | Ancient City – Pushkar City Hindi

पुष्कर काष्ठ (लकड़ी  के क्राफ्ट ) चित्रकला और पशुओं के व्यापार के लिए प्रसिद्ध है।  पवित्र पुष्कर झील, ब्रह्मा मंदिर और गुरु नानक देव को समर्पित सिख गुरुद्वारा इस शहर को पर्यटकों के लिए एक राजस्थान का एक मुख्य आकर्षण बनाते हैं। पुष्कर शहर का ब्रह्मा मंदिर, पूरे भारत में  एक अकेला मंदिर है जो भगवन ब्रह्मा को समर्पित है।   पुष्कर में 5 कुंड हैं जिन्हे अपने अज्ञातवास में पांडवों ने बनाया था। 

हिंदू महाकाव्यों और पौराणिक ग्रंथों में पुष्कर शहर का उल्लेख किया गया है। पुष्कर में स्थित पुष्कर झील किस तरह से बनी इसे ले कर भी पौराणिक कहानी बताई जाती है। पुष्कर झील को भगवान ब्रह्मा द्वारा बनाया गया माना जाता है। ब्रह्मा की यज्ञ भूमि के रूप में भी पुष्कर की पहचान है।

महाकाव्य महाभारत में भी पुष्कर के बारे में कहा गया है कि यह एक आदि तीर्थ है। इसे भगवान विष्णु से सम्बंधित भी माना गया है। पुष्कर झील का भी विशेष महत्त्व है। यहाँ पर भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर स्थित है।

पुष्कर का पौराणिक महत्त्व | Importance – Pushkar City Hindi

पुष्कर का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है।  पुष्कर शहर एक पौराणिक कालीन शहर है , रामायण और महाभारत के समय भी पुष्कर का वर्णन मिलता है।

पौराणिक कहानी के अनुसार भगवन शिव ने ब्रह्मा को श्राप दिया था कि उनको बाकि देवताओं के तरह हिन्दू पूजा अनुष्ठानों में नहीं पूजा जायेगा। इसीलिए भारत में कहीं भी ब्रह्मा का कोई मंदिर नहीं है।

भगवान ब्रह्मा से जुडी कहानी के अनुसार एक बार राक्षस वज्रनाभ ने ब्रह्मा के बच्चों को मारने की कोशिश की और आस पास के लोगों को काफी परेशान किया था। उस राक्षस के अत्याचार देखकर ब्रह्मा को बहुत गुस्सा आया। भगवान ब्रह्मा ने अपने हाथ में धारण कमल की टहनी के वार से उस राक्षस को मार गिराया। इसी के दौरान उनके कमल फूल की पत्तियां गिर गयी। कमल फूल के पत्तियां जहाँ जहाँ गिरी , वहां पर झीलें बन गयी। इन झीलों को नाम दिया गया “ज्येष्ठा “, “मध्यमा” और ‘कनिष्ठा” | बाद में जब ब्रह्मा ने वो झील देखी जिसमें उनके कमल की पत्तियां गिरीं , उन्होंने उसे पुष्कर नाम दिया और इस तरह इसका नाम पुष्कर शहर हुआ।

Pushkar City Hindi
Pushkar City Hindi

एक और पौराणिक कहानी के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने यहाँ पर यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवों को भी आमंत्रित किया। यज्ञ के आयोजन के समय पर उनकी पत्नी वहां समय पर नहीं पहुंच सकी। धार्मिक परंपरा के अनुसार यज्ञ में पत्नी के साथ ही बैठना था और उनके समय पर न पहुंचने के कारण अन्य देवों के कहने पर ब्रह्मा को उसी समय विवाह करने के सलाह दी गयी। ब्रह्मा ने उसी जगह पहले गायत्री से विवाह किया और उन्हें यज्ञ में अपनी पत्नी की जगह पर बिठाया। इस तरह से यज्ञ शुरू हुआ।

इसी दौरान ब्रह्मा की पत्नी वहां पर पहुंच गयी और उन्होंने देखा कि ब्रह्मा अपनी दूसरी पत्नी के साथ यज्ञ में बैठे हैं। यह देख कर उन्हें बहुत गुस्सा आया और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि इस स्थान के अलावा कहीं भी उनका मंदिर नहीं होगा।

ब्रह्मा की पत्नी गायत्री का मंदिर यहाँ पर हैं। ब्रह्मा मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि ब्रह्मा की दूसरी पत्नी गायत्री ने अपना मंदिर बनाने से तब तक मना कर दिया जब तक की वहां पर ब्रह्मा का मंदिर न हो। तब यहाँ पर ब्रह्मा का भी एक मंदिर बनाया गया।

इसी लिए पुष्कर शहर में ब्रह्मा का एक मंदिर है।

पुष्कर झील | Pushkar Lake – Pushkar City Hindi

Pushkar Lake – Pushkar City Hindi

कमल की पत्तियां गिरने से बनी झीलें “ज्येष्ठा  ” , “मध्यमा” और “कनिष्ठा” हैं। पुष्कर झील, जिसे पुष्कर सरोवर के नाम से भी जाना जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक अत्यंत महत्वपूर्ण झील है। इसे भारत की सबसे पवित्र झीलों में से एक माना जाता है। पुष्कर झील या पुष्कर सरोवर को तीर्थ-गुरु कहा जाता है।

पुष्कर झील को उतना ही पुराना माना जाता है जितना पुराना सृष्टि को। हिंदू पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में में पंच सरोवरों यानी पांच झीलों के सम्बन्ध में वर्णन है जिनमें मान सरोवर, बिंदु सरोवर, नारायण सरोवर, पंपा सरोवर और पुष्कर सरोवर शामिल हैं। इनमें से पुष्कर झील को सबसे पवित्र माना जाता है।

धार्मिक दृष्टि से पुष्कर झील का इतना महत्त्व होने का कारण यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं और सरोवर में स्नान करते हैं। यह पुष्कर झील 52 घाटों और लगभग 300 मंदिरों से घिरी हुई है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब यहाँ प्रसिद्द मेला लगता है , उस दिन सुबह सुबह पुष्कर झील में स्नान करना बहुत अच्छा माना जाता है।

 पुष्कर का इतिहास | History – Pushkar City Hindi

पुष्कर भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। हालाँकि यह कितना पुराना शहर में कुछ सही सही जानकारी नहीं है। पुष्कर शहर महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान के राज्य का भाग भी रहा है। उनके बाद ये शहर मुग़लों के अधिपत्य में रहा। जहांगीर और औरंगज़ेब ने इस शहर और यहाँ के धार्मिक महत्त्व के स्थानों को काफी नुक्सान पहुंचाया। वराह मंदिर और बाकि कई मंदिर उनके शासन में तोड़ दिए गए थे लेकिन बाद में इन मंदिरों का पुनः निर्माण करवाया गया।

पुष्कर इतिहास में एक व्यापारिक केंद्र रहा है। यहाँ का पशु व्यापर मेला पुष्कर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत समय पहले स्थापित कर चुका है। यहाँ के पशु व्यापर मेले में अफ़ग़ानिस्तान से बड़ी संख्या में व्यापारी आते थे और ऊंटों की खरीद फरोख्त करते थे।

11वीं सदी के प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान अलबरूनी ने पुष्कर का जिक्र एक धार्मिक नगरी के रूप में किया है। 

पुष्कर मेला | Festivals – Pushkar City Hindi

पुष्कर मेले का अपना अलग ही महत्व है।  यह मेला हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है जिसमें बहुत बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।  ये मेला अक्टूबर नवंबर के महीने में लगता है।  पुष्कर मेले का आयोजन प्रशासन द्वारा किया जाता है।  इस मेले में कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 

पशु मेला पुष्कर मेले का मुख्य आकर्षण होता है और मेले में ऊंट की सवारी और ऊंटों का व्यापार होता है।  मेले को देखने के लिए पुष्कर में बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं। 

पुष्कर शहर टूरिस्ट्स प्लेस  | Tourist Attractions – Pushkar City Hindi

भगवान ब्रह्मा की नगरी पुष्कर शहर में हर गली कूचे में मंदिर है। पुष्कर शहर को तीर्थों का तीर्थ माना जाता है और हिन्दू पुराणों के अनुसार हर व्यक्ति को अपने जीवन में काम से काम एक बार पुष्कर की यात्रा जरूर करनी चाहिए। पुष्कर आज भी अपनी इसी पहचान को कायम किये हुए है। पुष्कर के मुख्य टूरिस्ट प्लेस के बारे में यहाँ जान सकते हैं। 

पुष्कर झील – पुष्कर शहर | Pushkar Jheel – Pushkar City Hindi

पुष्कर झील पुष्कर शहर का मुख्य आकर्षण है। लगभग 52 से भी ज्यादा घाटों से घिरी और अनेकों मंदिरों से घिरी पुष्कर झील अपने आप में एक अद्भुत जगह है। धार्मिक भावना और उद्देश्य से यहाँ लाखों श्रद्धालु पूरे साल आते हैं। सनराइज और सनसेट पॉइंट के लिए भी पुष्कर झील एक बड़ा टूरिस्ट पॉइंट है।   

ब्रह्मा मंदिर – पुष्कर शहर | Brahma Mandir – Pushkar City Hindi 

पुष्कर स्थित भगवान ब्रह्मा मंदिर का निर्माण ऋषि विश्वामित्र द्वारा किया गया था। अभी जो ब्रह्मा मंदिर की संरचना है उसका निर्माण 14 वीं शताब्दी में कराया गया था। इस मंदिर का निर्माण रतलाम के राजा जयवत द्वारा कराया गया था। यह मंदिर संगमरमर पत्थर से बनी एक सुन्दर संरचना है।

ब्रह्मा मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। ब्रह्मा मंदिर जाने से पहले श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में स्नान करते हैं। हिन्दू धर्म अनुयायियों के लिए यह मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ है।

 ब्रह्मा मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ विशेष नियम हैं। मंदिर में स्थित गर्भ गृह में विवाहित पुरुषों को प्रवेश नहीं मिलता है। 

पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर दुनिया में भगवान ब्रह्मा का सबसे पुराना और एकमात्र मंदिर है। ब्रह्मा जी का यह मंदिर लगभग 2000 साल से भी पुराना स्थापत्य है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कहानी के अनुसार पुष्कर में इसी स्थान पर भगवान ब्रह्मा ने यज्ञ किया था। माना जाता है कि ब्रह्मा मंदिर के लिए स्थान खुद भगवान ब्रह्मा ने चुना था।

मान महल – पुष्कर शहर | Man Mahal – Pushkar City Hindi 

Man Palace – Pushkar City Hindi

मान महल पुष्कर में स्थित एक ऐतिहासिक महल है। मान महल का निर्माण 16 वीं शताब्दी में आमेर के राजा मान सिंह प्रथम द्वारा कराया गया था। मान महल अक्सर राजा के पुष्कर आने पर उनके रहने के लिए इस्तेमाल होता था। यह महल राजस्थानी आर्किटेक्चर का एक शानदार नमूना है।

पुष्कर झील के किनारे पर बना मान महल यहाँ आये टूरिस्ट्स के लिए एक मुख्य आकर्षण है। मान महल पुष्कर में स्थित सबसे बड़ा महल है। वर्तमान में मान महल को एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है।

वराह मंदिर – पुष्कर शहर | Varah Mandir – Pushkar City Hindi 

Varah Mandir – Pushkar City

वराह मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह (जंगली सूअर) को समर्पित है। वराह मंदिर पुष्कर शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बना माना जाता है। वराह मंदिर का निर्माण प्रसिद्द योद्धा राजा पृथ्वीराज चौहान के दादा राजा अनाजी चौहान द्वारा करवाया गया था।

मुहम्मद गोरी से ले कर औरंगजेब के समय तक कई बार इस मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश की गयी थी लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण यहाँ के शासकों द्वारा कराया जाता रहा। यह मंदिर पुष्कर झील के पास ही स्थित है। दूर दूर से आये टूरिस्ट्स इस मंदिर के वास्तुकला से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। भगवन विष्णु के वराह रूप में यहाँ लगभग 2 फुट ऊंची सफेद मूर्ति इस मंदिर में स्थापित है। मंदिर का वर्तमान स्वरुप 18 वें सदी में राजा सवाई मान सिंह द्वारा बनवाया गया था।

रंगजी मंदिर – पुष्कर शहर | Rangji Mandir – Pushkar City Hindi

रंगजी मंदिर पुष्कर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार रंगजी को समर्पित है। रंग जी मंदिर के वर्तमान स्वरुप का निर्माण हैदराबाद के एक सेठ ने सन 1844 में कराया था। रंग जी मंदिर में भगवान कृष्ण और रंगनाथ, देवी लक्ष्मी, गोड्डामाजी और श्री रामानुजाचार्य की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह मंदिर पुष्कर में दक्षिण भारतीय मंदिर शैली , द्रविड़ आर्किटेक्चर में बना है। रंग जी मंदिर पुष्कर सरोवर के पास ही स्थित है। रंगजी मंदिर सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।

पुष्कर गुरुद्वारा – पुष्कर शहर | Pushkar Gurudwara – Pushkar City Hindi

Pushkar Gurudwara

पुष्कर शहर को सिक्खों के पहले गुरु श्री गुरु  नानक देव और श्री गुरु गोबिंद सिंह ने भी अपनी जीवन यात्रा में स्थान दिया।  जिस जगह पर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी रुके , उस जगह को गोबिन्द घाट  नाम दिया गया।  यहाँ पर आज भी वो भोजपत्र है जिसे खुद श्री गुरु गोबिंद सिंह ने लिखा था और यहाँ के पुजारी को दिया था। 

गुरुद्वारा सिंह सभा एक प्रसिद्ध सिख तीर्थ है। इस गुरूद्वारे के स्थापना 20 वीं सदी की शुरुआत में हुई थी। यह गुरुद्वारा अपने खूबसूरतआर्किटेक्चर और वातावरण के लिए जाना जाता है। गुरुद्वारा सिंह सभा में एक विशाल हॉल और एक लंगर हॉल है। यह गुरुद्वारा सुबह से देर शाम तक खुला रहता है।

पुष्कर बाजार | Market – Pushkar City Hindi

पुष्कर शहर का एक प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस पुष्कर का बाजार है। छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़ी से बड़ी चीज टूरिस्ट यहाँ से ले सकते हैं। हेंडीक्राफ्ट के आइटम , हैंडमेड पर्स और बैग , राजस्थानी स्टाइल ड्रेस और अन्य शो पीस अक्सर टूरिस्ट्स से खरीदते हुए देखे जा सकते हैं। 

पुष्कर बाजार में ऐसे कई मिठाई और राजस्थानी खाने के दुकानें हैं जो यहाँ बार बार आने वाले टूरिस्ट्स को बहुत पसंद हैं। पुष्कर की मालपुआ मिठाई खास तौर पर टूरिट्स को बहुत पसंद आती है। 

 पुष्कर कैसे जाएं | How to reach Pushkar City 

 फ्लाइट से –  

पुष्कर के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है जो कि यहां से 140 किलोमीटर दूर है।  यह एयरपोर्ट सभी बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई , कोलकाता से कनेक्टेड है। 

 ट्रेन से पहुंचा जा सकता है : 

ट्रेन से जाने के लिए ट्रेन द्वारा अजमेर रेलवे स्टेशन पहुंचा जाता है।  अजमेर रेलवे स्टेशन भारत के बड़े शहरों से कनेक्टेड है और अजमेर से पुष्कर की दूरी १४ किलोमीटर है।  

बस से कैसे जाएं : 

देश की राजधानी दिल्ली से अजमेर तक बस सुविधा उपलब्ध है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।  

पुष्कर में खाना और होटल | Stay and Food in Pushkar City 

वैसे तो पुष्कर में सभी जगह पर स्थानीय और अलग अलग तरह और पसंद का खाना मिल जाता है लेकिन जब हम पुष्कर, राजस्थान में हैं तो वहां पर स्थानीय भोजन का मजा तो लेना ही चाहिए।  स्थानीय राजस्थानी खाने में दाल बाटी – चूरमा, दाल चाट , तो विश्व प्रसिद्ध ही है, साथ में पुष्कर का प्रसिद्ध पकवान मालपुआ होता है। पुष्कर थाली को बहुत लोग खाना पसंद करते हैं ।  

पुष्कर एक धार्मिक तीर्थ स्थल है इसलिए यहां पर मांस और मदिरा पर प्रतिबंध है ! 

पुष्कर आने का सही समय क्या है ? 

अक्टूबर-नवंबर मेले का समय 

पुष्कर में कहां रुक सकते हैं ?

यहां पर बहुत सारे रिसॉर्ट और पैलेस हैं जैसे कि प्रताप पैलेस , पुष्कर बाग, भंवर सिंह पैलेस और भी बहुत सारे होटल यहाँ पर हैं।  

पुष्कर का क्या मतलब है ?

पुष्कर का अर्थ होता है कमल। 

पुष्कर झील का निर्माण किसने करवाया था ?

स्वयं भगवान ब्रह्मा ने 

पुष्कर नाम क्यों पड़ा ?

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने ब्रिज नाशक नाम राक्षस का वध किया था उसी समय ३ कमल उनके हाथों से जहां गिरे वहां झील बन गए इसलिए इसका नाम पुष्कर  हुआ। 

Beatific Uttarakhand !