हिमालय की तलहटी में असम हर साल बढ़ का सामना करता है और हर साल असम में बाढ़ और भी ज्यादा नुकसान दायक होती जा रही है। आखिर असम में बाढ़ हर साल आती क्यों है , इसका क्या कारण है ? इस आर्टिकल में हम यही जानेंगे की आखिर असम में बाढ़ का कारण क्या है !
असम में बाढ़
भौगोलिक स्थिति :
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असम |
असम हिमालय की तलहटी में स्थित है। अरुणाचल प्रदेश से आकर ब्रह्मपुत्र नदी जब असम में पहुँचती है तो वहां ब्रह्मपुत्र नदी की चौड़ाई काफी बढ़ जाती है क्योकि असम के मुकाबले अरुणाचल प्रदेश ऊँचाई पर है। ब्रह्मपुत्र नदी जो की काफी तेज़ बहाव के साथ यहाँ पहुँचती है , उसका बहाव कम होने से नदी के बहाव के साथ आयी मिटटी इसकी ताली में बैठने लगती है। इसकी वजह से नदी चौड़ाई में बढ़ने लगती है और इस तरह से ब्रह्मपुत्र नदी का मैदान बनता है।
असम का लगभग ४० % एरिया , जो की ३१ लाख हेक्टेयर है , बाढ़ से प्रभावित होता है।
असम में बाढ़ : नदियां

नेशनल कमीशन ऑन फ्लड के अनुसार बाढ़ से प्रभावित होने वाले भारत के कुल एरिया में से १० % एरिया असम में ही है। ब्रह्मपुत्र और बराक असम को दो मुख्य नदियाँ है। इसके अलावा असम में २० और छोटी बड़ी नदियाँ है और उनकी ५० और सहायक नदियाँ हैं। असम को हम पूर्वोत्तर भारत का पानी का कटोरा भी कह सकते हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी असम की मुख्य नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश से असम की ओर आती है। असम में ब्रह्मपुत्र नदी की लम्बाई लगभग ६५० किलोमीटर और लगभग ५. ५ किलोमीटर चौड़ाई है। ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय के कैलाश रीजन से निकलती है। ब्रह्मपुत्र नदी अपने तेज़ बहाव के लिए जानी जाती है। पहाड़ो से तेज़ बहाव से आती ब्रह्मपुत्र नदी जब असम पहुँचती है तो अपने साथ काफी मिटटी पानी के साथ बहा लाती है। क्योंकि असम में नदी का बहाव धीमा होता है तो नदी का पानी पहाड़ो से लायी प्रचुर मिट्टी को छोड़ने लगती है और ये मिट्टी नदी के तली में जमा होने लगता है। इसे सेडीमेंटशन कहा जाता है।
सेडीमेंटशन के कारण नदी की चौड़ाई बढ़ने लगती है और मई से अक्टूबर तक जब असम में काफी रेनफॉल होता है , सेडीमेंटशन के कारण नदी का बहाव तेज़ होने लगता है और किनारों से बाहर बहने लगता है और बाढ़ का कारण बनता है।
गर्मियों में जब पहाड़ों में बर्फ पिघलती है उस समय पर सेडीमेंटशन काफी ज्यादा होता है और उसके बाद आने वाला मानसून बाढ़ का कारण होता है।
असम में बाढ़ : एम्बार्कमेंट्स की स्थिति
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एम्बार्कमेंट |
असम में एम्बार्कमेंट्स 1960 से 1970 के दशक में बनाये गए थे। एम्बार्कमेंट बनाने के लिए नदी के किनारों के एरिया को उठा दिया जाता है। इसके लिए मिट्टी या फिर कंक्रीट के प्लेटफार्म भी बना दिए जाते है। 1960 के दशक में बने ये एम्बार्कमेंट अब काफी पुराने हो चुके है और इन्हे काफी मेंटेनेंस की जरूरत है। पर एम्बार्कमेंट्स भी एक टेम्पररी उपाय है। ब्रह्मपुत्र नदी के तेज़ बहाव से उसके किनारों की मिट्टी पानी के साथ हर साल बह जाती है और इस वजह से नदी की चौड़ाई लगभग हर साल बढ़ती जाती है।
असम में बाढ़ : डेफोरेस्टशन
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डेफोरेस्टशन |
असम अपने जंगल , सैंक्चुअरी और नेशनल पार्क्स से लिए सरे दुनिया में जाना जाता है। काजीरंगा नेशनल पार्क दुनिया भर के प्रकृति प्रेमियों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। यहाँ की जलवायु इस धरती को हरा भरा बनाने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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असम में हो रहा शहरीकरण या फिर कहें कि कंस्ट्रक्शन और माइनिंग इस राज्य में डेफोरेस्टशन का कारण है। डेवलपमेंट या शहरीकरण के लिए हम जंगलों को ख़त्म करते जा रहे हैं और इसका असर असम की बाढ़ पर भी दिखाई देता है। हर साल ब्रह्मपुत्र की बाढ़ से होने वाला नुक्सान बढ़ता जा रहा है और डेफोरेस्टशन इसका एक बड़ा कारण है।
असम में बाढ़ : जलवायु परिवर्तन / क्लाइमेट चेंज
बढ़ता हुआ पृथ्वी का तापमान जिसे की हम ग्लोबल वार्मिंग के नाम से ज्यादा जानते है , मौसम में काफी अनिश्चितता पैदा करता है। कभी बारिश का न होना , कभी बारिश का बहुत ज्यादा होने , गर्मी का हर साल पिछले सालों से ज्यादा होना , ये सब क्लाइमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन के कारण ही है। भारत और भारत की जलवायु भी इससे अछूती नहीं है। असम के इस वार्षिक बाढ़ में जलवायु परिवर्तन का भी योगदान है।
असम की दो मुख्य नदियाँ कौन सी है ?
ब्रह्मपुत्र और बराक
असम के पारम्परिक डांस / नृत्य को क्या कहा जाता है ?
बिहू
असम का मुख्य पहनावा क्या है ?
महिलाएं मेखला चादर / असमी साड़ी और पुरुष सुरिआ / धोती पहनते हैं।