Kunjapuri Devi Mandir Hindi : कुंजापुरी देवी मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है। ऋषिकेश से इसकी दूरी केवल 31 किलोमीटर है इसीलिए ऋषिकेश हरिद्वार की यात्रा पर आने वाले टूरिस्ट्स अपने प्लान में कुंजापुरी देवी मंदिर को शामिल करना नहीं भूलते हैं। समुद्र तल से 1670 मीटर के ऊँचाई पर स्थित यह देवी मंदिर कुंजापुरी पहाड़ी पर स्थित है। टिहरी गढ़वाल जिले के सबसे प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस में से एक कुंजापुरी देवी मंदिर पूरा साल श्रद्धालुओं को अपनी और आकर्षित करता है।

कुंजापुरी देवी मंदिर | Kunjapuri Devi Mandir Hindi
कुंजापुरी देवी मंदिर हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व का पवित्र मंदिर है। कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर के बाहर से ही श्रद्धालु पूजा का सामान खरीद कर मंदिर में पूजा कर सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 300 सीढ़ीयां हैं। ये सीढ़ियां दोनों तरफ से जाली से ढकी हैं जिससे की श्रद्धालु जंगली जानवरों से सुरक्षित रह सकें। सीढ़ियां चढ़ते समय जगह जगह पर रुक कर आराम करने के लिए प्लेटफार्म भी बनाये गए हैं।
यह मंदिर एक सुन्दर व्यू पॉइंट भी है जहाँ टूरिस्ट्स अक्सर सनराइज और सनसेट देखने के लिए आते हैं। यहाँ से हिमालय के बर्फ से ढकी चोटियां भी देखी जा सकती हैं। इतनी ऊँचाई पर आने पर बादल अपने आस पास ही घूमते लगते हैं। चारो तरफ बादल पहाड़ों के चोटियों को ढके से लगते हैं।
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कुंजापुरी देवी नाम क्यों पड़ा ? | Why Name Kunjapuri ?
कुंजापुरी देवी मंदिर आराध्य देवी दुर्गा के सती रूप को समर्पित है। यहाँ एक पिंडी के रूप में देवी शक्ति की पूजा की जाती है। सम्बंधित प्रचलित पौराणिक कहानी के अनुसार यहाँ पर देवी सती के जले हुए मृत शरीर का वक्ष स्थल गिरा था और इसीलिए जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है इसे कुंजापुरी पहाड़ी कहा जाता है। कुंजापुरी पहाड़ी पर स्थित होने के कारण इस देवी मंदिर को कुंजापुरी देवी मंदिर कहा जाता है।
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कुंजापुरी देवी मंदिर कहाँ स्थित है ? | Location – Kunjapuri Devi Mandir
कुंजापुरी देवी मंदिर ऋषिकेश से 31 किलोमीटर के दूरी पर है। यह स्थान टिहरी गढ़वाल जिले में पड़ता है लेकिन ऋषिकेश और हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु अक्सर इसे अपनी यात्रा का हिस्सा बनाते हैं। ऋषिकेश से नरेंद्र नगर होते हुए कुंजापुरी देवी मंदिर तक पंहुचा जा सकता है।

कुंजापुरी देवी मंदिर – पौराणिक कथा, इतिहास | Mythology, History – Kunjapuri Devi Mandir Hindi
कुंजापुरी की कथा भगवान् शिव और देवी सती से सम्बंधित है। कहा जाता है कि देवी सती ने अपने पिता के मना करने और बहुत समझाने के बावजूद भगवान् शिव से विवाह किया था। उनके पिता राजा दक्ष ने एक बार जब अपने राज्य में यज्ञ का आयोजन किया तो उसमे सभी देवी और देवताओं को बुलाया लेकिन अपनी बेटी सती को आमंत्रित नहीं किया। आमंत्रित न किये जाने पर भी सती ज़िद कर यज्ञ में शामिल होने के लिए गयी और वहाँ उन्हें पिता द्वारा अपमानित किया जाने पर यज्ञ कुंड में जल कर अपनी जान दे दी।
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इस सब का पता जब भगवन शिव को चला तो उन्होंने सती के जले शरीर को अपने कंधे पर डाला और अंतिम संस्कारों को करने से मना कर दिया और वह गहन शोक में चले गए। यह देख कर भगवन विष्णु ने उन्हें समझाने के प्रयास किये पर सफलता नहीं मिली। फिर उन्होंने अपने चक्र से सती के जले शरीर के टुकड़े कर दिए जो अलग अलग 52 जगहों पर जा कर गिरे। माना जाता ही कि कुंजापुरी पहाड़ी पर वक्ष गिरा था। ये 52 स्थान ही शक्तिपीठ के रूप में जाने जाते हैं।
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12 वें सदी में अदि गुरु शंकराचार्य जब हिन्दू धर्म के उत्थान और संगठन के लिए भारत भ्रमण कर रहे थे उस समय उन्होंने इन स्थानों की भी यात्रा की थी। उस यात्रा के दौरान उन्होंने इन स्थानों के पुष्टि की मंदिरों के स्थापना की थी। कुंजापुरी देवी मंदिर की स्थापना उस समय आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। बाद में सन 1960 में उनके द्वारा स्थापित मंदिर का बिरला परिवार द्वारा जीर्णोद्धार किया गया।
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कुंजापुरी देवी मंदिर में पूजा | Worship – Kunjapuri Devi Mandir Hindi
कुंजापुरी देवी मंदिर पूरे साल ही श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सुबह 5 बजे शाम के साढ़े पांच बजे तक खुला रहता है। मंदिर के बाहर ही कई दुकानें हैं जहाँ पर श्रद्धालु पूजा के लिए सामग्री खरीदते हैं और उसके बाद मंदिर में पूजा करने के लिए जाते हैं। नवरात्री के समय यहाँ पर विशेष पूजा का आयोजन होता है।
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कुंजापुरी देवी मंदिर उत्सव | Festivals – Kunjapuri Devi Mandir Hindi
देवी शक्तिपीठ होने के कारण कुंजापुरी देवी मंदिर में नवरात्री और दशहरे के अवसर पर विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है। उस समय यहाँ एक मेले का भी आयोजन होता है जिसे विकास मेला कहा जाता है। नवरात्री के समय होने वाले इस उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
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कुंजापुरी देवी मंदिर आस पास | Places nearby – Kunjapuri Devi Mandir Hindi

कुंजापुरी देवी मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्द तीर्थ के रूप में स्थापित है। यह मंदिर एक पहाड़ी के चोटी पर स्थित है और मंदिर तक जाने का रास्ता बहुत खूबसूरत और प्राकृतिक सीनरी से भरा है। मंदिर के प्रांगण से ही दूर तक हिमालय के चोटियां देख सकते हैं। अक्सर मंदिर के चारों ओर बादल जैसे छाये रहते हैं और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह मन को खुश करने वाला नजारा है।
मंदिर आ कर यहाँ शांति से पूरा एक दिन बिताया जा सकता है। मंदिर के पास ही कैंपिंग साइट्स भी हैं जहाँ अक्सर टूरिस्ट्स कैंपिंग करने के लिए आते हैं।
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मंदिर देखने का सबसे अच्छा समय | Best time to Visit Kunjapuri Devi Mandir Hindi
यहाँ आने के लिए अक्टूबर से मई तक का मौसम अनुकूल होता है। बारिश या मानसून के मौसम में यहाँ लैंड स्लाइड हो जाते हैं इसीलिए ऐसे मौसम में यहाँ आने से बचना ज्यादा ठीक है। साल के बाकि महीने यहाँ का मौसम सुहाना, बल्कि थोड़ा ठंडा ही रहता है। यहाँ आते समय अपने साथ गर्म कपडे रख लेने चाहिए।
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कुंजापुरी देवी मंदिर कैसे पहुचें | How to reach Kunjapuri Devi Mandir
फ्लाइट से | By Flight
अगर आप फ्लाइट से यहाँ आना चाहते हैं तो कुंजापुरी देवी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास में उत्तराखंड देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। देहरादून से ऋषिकेश तक की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है जो टैक्सी से या बस से तय की जा सकती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या फिर ऋषिकेश से बाइक किराये पर ले लेना अच्छा है।
ट्रेन से | By Train
ट्रैन से यहाँ मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास रेलवे स्टेशन ऋषिकेश शहर ही है जो भारत के रेल नेटवर्क से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। ऋषिकेश के स्टेशन से कुंजापुरी मंदिर तक के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
सड़क से | By Road
सड़क से यहाँ आना बहुत आसान है। अगर आप यहाँ अपनी कार से ड्राइव कर के आना चाहते हैं तो मंदिर के गेट तक आप अपनी कार में आ सकते हैं। ऋषिकेश भारत और उत्तराखंड के मुख्य दर्शनीय स्थानों में से एक है और सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह से कनेक्टेड है।
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