Godavari River in Hindi | गोदावरी नदी – सहायक नदियां, बेसिन, वाइल्डलाइफ रिजर्व, पौराणिक कहानी :  प्रायद्वीपीय भारत को “दक्षिण का पठार” नाम से जाना जाता है। भारत का यह भाग दुनिया की प्राचीनतम चट्टानों से बना है जिसे गोंडवाना लैंड काअवशिष्ट भाग माना जाता है। यह पठारी भाग प्राय उबड़ खाबड़ है और इसका धरातलीय डाल पश्चिम से पूर्व (अरब सागर से बंगाल की खाड़ी) की तरफ है।  इस पठारी भाग की प्रमुख नदियों में गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी पूर्व की ओर और नर्मदा और ताप्ती नदियां पश्चिम की ओर बहती हैं। 

गोदावरी नदी का उद्गम और स्रोत | Origin – Godavari River in Hindi

Godavari River in Hindi, गोदावरी नदी

गोदावरी नदी प्रायद्वीपीय भारत की नदियों में सबसे बड़ी नदी है जिसको दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है। गोदावरी नदी दक्षिण पठार को दो भागों में विभाजित करती है, उत्तरी पठार और दक्षिण का मुख्य पठार। 

गोदावरी नदी का उद्गम अरब सागर से 80 किलोमीटर दूर पश्चिमी घाट पर्वत माला के पूर्वी ढलान पर 1067 मीटर की ऊंचाई पर त्र्यंबक नामक पहाड़ी से हुआ है, जिन्हें सह्याद्रि पहाड़ियों के नाम से भी जाना जाता है। त्र्यम्बक पहाड़ी महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में है। इन पहाड़ियों से निकलती गोदावरी नदी निरंतर पूर्व दिशा में लगभग 1465 किलोमीटर की यात्रा कर आंध्र प्रदेश के राजमुंद्री शहर के समीप बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। 

गोदावरी नदी का बेसिन | Godavari River Basin

गोदावरी नदी की गहराई न्यूनतम 5 मीटर और अधिकतम 19 मीटर है।  नदी का प्रवाह क्षेत्र ( बेसिन ) लगभग 3,13,000 वर्ग किलोमीटर है।  गोदावरी नदी का बेसिन भारत में गंगा नदी के बेसिन के बाद दूसरा सबसे बड़ा है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के लगभग 9.5 % भाग पर फैला हुआ है। गोदावरी नदी के विस्तार क्षेत्र को समझने के लिए एक संयुक्त शब्द ” मा ते छ म क उ आ ” बनाया गया है , अर्थात महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा और आंध्रप्रदेश राज्य। 

गोदावरी नदी से जुडी पौराणिक कहानी | Godavari River Mythological Story in Hindi

महाराष्ट्र के नासिक शहर में गोदावरी नदी के तट पर ऐतिहासिक कुंभ मेला लगता है जो भारत भूमि  पर आयोजित होने वाला सबसे बड़ा मेला है। गोदावरी नदी से जुडी पौराणिक कहानी ऋषि गौतम से सम्बंधित है। कहा जाता है कि महर्षि गौतम बहुत वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या में लीन थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे  वर मांगने को कहा। महर्षि गौतम ने भगवन से प्रार्थना की कि भगवन शिव हमेशा के लिए वहीँ पर्वत पर विराजमान हो जाएं और तब भगवन शिव त्र्यम्बक रूप में वहां निवास करने लगे। और त्र्यंबकेश्वर कहलाये। 

वराह पुराण में उल्लेख मिलता है कि महर्षि गौतम जाह्नवी को दण्डक वन में अपने साथ लाये थे और वही गोदावरी नाम से जनि जाने लगी। महाकवि कालिदास ने भी अपनी रचनाओं में गोदावरी का उल्लेख किया है और गोदा नाम से सम्बोधित किया है। 

गोदावरी नाम का अर्थ | Meaning of Godavari:

गोदावरी नदी का नामकरण तेलुगू भाषा के शब्द “गोद ” से हुआ है। तेलगु भाषा के इस शब्द का हिंदी में अर्थ होता है मर्यादा। 

धार्मिक महत्त्व | Religious Significance of Godavari River

भारतीय सभ्यता में नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है और इसीलिए उन्हें देवी मान कर उनकी पूजा की जाती है। नदियों के उद्गम स्थान को पवित्र माना जाता हैं और वहां पर मंदिर स्थापित होते हैं। गोदावरी नदी के उद्गम स्थान पर भी त्रयंबकेश्वर शिव मंदिर स्थित है जो 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव को समर्पित मंदिर ) में से एक है।  यहां से कुछ ही दूरी पर चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है, इसी कुंड से गोदावरी नदी के धारा के रूप में बहती है। कहा जाता है कि इस नदी के जल के स्पर्श मात्र से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो गई थी। महर्षि गौतम से सम्बंधित होने के कारण गोदावरी को गौतमी नदी भी कहा जाता है। गोदावरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा माना जाता है और ऐसा भी मान्यता है कि गोदावरी नदी में नहाने से जन्म भर के पापों से मुक्ति मिल जाती है, इसीलिए गोदावरी नदी को वृद्ध गंगा या प्राचीन गंगा भी कहते हैं। 

गोदावरी की सहायक नदियां | Godavari River Tributary  

गोदावरी नदी की सहायक नदियों में प्रवरा, मंजीरा और मनेर दाहिने किनारे की प्रमुख नदियां है जो गोदावरी नदी की कुल जल राशि का 16.१४ % भाग प्रवाहित करती हैं, जबकि पूर्णा, इंद्रावती, सबरी और प्राणहिता ( पेनगंगा, वेनगंगा और वार्धा नदियों का संयुक्त प्रवाह ) बाएं किनारे की मुख्य सहायक नदियां है जो कुल जल ग्रहण क्षेत्र का लगभग 59.7% भाग कवर करती हैं।

गोदावरी नदी की सात धाराएं हैं – वशिष्ठा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी , आत्रेयी और तुल्या। यह 7 भागों में बँटी बैठी हुई है इसलिए इसे “सप्त गोदावरी” कहते हैं।

जलप्रपात | Godavari River Waterfalls

गोदावरी नदी नासिक शहर से 8 किलोमीटर दूरी पर बांध के माध्यम से एक चट्टानी विस्तार पर नदी रूप में प्रवाहित होती है जिसके परिणाम स्वरूप दो महत्वपूर्ण झरने बनते हैं एक गंगापुर और दूसरा सोमेश्वर जलप्रपात।  विही गांव और दुगरवाड़ी अन्य मुख्य जलप्रपात हैं। 

वाइल्डलाइफ रिजर्व (अभयारण्य और प्राणी उद्यान) | Godavari River Wildlife and Sanctuary

जयकवाड़ी बांध के पीछे एक जलाशय बना है जिसे नाथसागर जलाशय कहते हैं। इस जलाशय में छोटे छोटे द्वीप पर एक पक्षी उद्यान है। यहाँ पर अक्सर माइग्रेटरी पक्षी देखे जाते हैं। नाथसागर के किनारे पर ही द्न्य्नेश्वर उद्यान स्थित है जो पक्षी प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां पर राजहंस, पिंटेल, चैती प्रजाति के प्रवासी पक्षी मौसमी प्रवास करते हैं। 

जयकवाड़ी बांध का एक भाग कोरिंगा वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया है जो सरीसृपों के लिए प्रसिद्द है। यह विभिन्न आकार की मछलियों और क्रस्टेशियंस को आश्रय प्रदान करते हैं। 

गोदावरी नदी बेसिन में स्थित प्रमुख अभ्यारण हैं 

  • कोरींगा वन्य अभयारण्य
  • पपीकोंडा राष्ट्रीय उद्यान
  • इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
  • कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
  • ईटानगरम वन्य अभयारण्य
  • कावल वन्य अभयारण्य
  • मंजीरा वन्य अभयारण्य
  • प्राणहिता वन्य अभयारण्य
  • गौतला वन्य अभयारण्य
  • नागजीरा वन्य अभयारण्य
  • दिपेश्वर वन्य अभयारण्य और अन्य

गोदावरी नदी पर प्रमुख बांध | Godavari River Dams

गोदावरी नदी पर जयकवाडी बांध मुख्य है। यह महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले की पैठण तहसील के जयकवाड़ी गांव के समीप गोदावरी नदी पर राज्य सरकार द्वारा बनाया गया है। यह देश में बने मिट्टी के बांधों में से एक है। इस बांध का शिलान्यास 18 अक्टूबर 1965 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया था और 24 फरवरी 1976 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इसे देश को समर्पित किया था। 

इस बांध की ऊंचाई 41.3 मीटर है जिस पर 4700 करोड़ की लागत आई थी। यह महाराष्ट्र राज्य की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना है। इस परियोजना से सूखा प्रभावित मराठवाडा कृषि क्षेत्रों में सिंचाई क्षमता में वृद्धि करना,  औरंगाबाद और जालना जिलों के उद्योगों की जलापूर्ति, निकटवर्ती आबादी को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने और जल विद्युत उत्पादन हेतु स्थापित किया गया था। वर्तमान में इस बांध की सहायता से औरंगाबाद, जालना, अहमदनगर, परभणी व बीड़ में लगभग 2,37,452 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्राप्त है और 12 मेगा वाट जल विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। 

इसके अतिरिक्त इंचमपल्ली परियोजना आंध्र प्रदेश में, श्री राम सागर परियोजना तेलंगाना राज्य में, पोलावरम सिंचाई परियोजना आंध्र प्रदेश में पोलावरम गांव के पास स्थित है । गोदावरी बेसिन में अब लगभग 921 बांध, 28 बैराज और 16 पावर हाउस स्थापित है । गोदावरी नदी के बेसिन में 70 प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं और 216 लघु सिंचाई परियोजनाएं हैं ।

गोदावरी नदी का डेल्टा | Godavari River Delta in hindi

गोदावरी नदी बंगाल की खाड़ी में दौलेश्वरम के पास डेल्टा बनाती हुई दो भागों में बँट जाती है, इनमें उत्तरी भाग को गौतमी गोदावरी और दक्षिणी भाग को वशिष्ठ गोदावरी कहते हैं।  गोदावरी और कृष्णा दोनों नदियां संयुक्त गोदावरी कृष्णा डेल्टा का निर्माण करती है जिसे क्रेजी डेल्टा भी कहा जाता है ।

कृषि उत्पाद / फसलें | Godavari Basin Crops

गोदावरी नदी बेसिन जैव विविधता, तीन जलवायु प्रदेशों और मानव समुदायों का मिश्रण है । गोदावरी बेसिन में लगभग 76.7 मिलियन से अधिक जनसंख्या रहती है । जनसंख्या घनत्व 186 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है जिसमें ग्रामीण जनसंख्या लगभग 85% है ।

गोदावरी बेसिन में धान, गन्ना, कपास, मक्का, गेहूं, ज्वार, मूंगफली, दालें और बागवानी में आम, अमरूद, नारियल, काजू, नींबू आदि उगाए जाते हैं । गोदावरी नदी में कोयला, लोहा, तांबा और बॉक्साइट खनिजों के भंडार हैं ।

मंदिर और पर्यटन | Temples on the Banks of Godavari

गोदावरी नदी के उद्गम पर बना त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित १२ में से एक ज्योतिर्लिंग है। हर वर्ष महाशिवरात्रि के मौके पर यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश भर से विशेष प्रार्थना में शामिल होने के लिए आते हैं।   

कहा जाता है कि अकेले नासिक नगर में ही 60 मंदिर और गोदावरी नदी के बाएं तट पर पंचवटी में 16 मंदिर थे ।सन 1680 ईस्वी में दक्षिण की सूबेदारी में औरंगजेब ने नासिक के 25 मंदिर तोड़ डाले थे ।आज के सभी मंदिर पुणे के पेशवाओं द्वारा बनवाए गए हैं । इनमें तीन मुख्य मंदिर हैं :

  • पंचवटी में श्रीराम का मंदिर
  • गोदावरी नदी के बाएं तट पर नारो – शंकर का मंदिर
  • नासिक के आदित्य वार पेठ में सुंदर नारायण मंदिर

इसके अतिरिक्त श्री विघ्नेश्वर स्वामी वारु मंदिर, श्री सूर्य नारायण स्वामी मंदिर और श्री मार्कंडेय स्वामी वारी मंदिर भी प्रमुख हैं। 

Beatific Uttrakhand !