Ajmer Tourist Places Hindi : अजमेर, राजस्थान राज्य में स्थित एक प्रसिद्द शहर है। अजमेर शहर अपनी संपन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है, और यह कई धर्मों के लिए धार्मिक महत्व रखता है। अजमेर शहर के अनेक प्रकार के सामाजिक समूह , धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक मेमोरियल इसे राजस्थान की विरासत में रुचि रखने वालों के लिए एक आकर्षक शहर बनाते हैं।
अजमेर शहर का इतिहास कई प्रकार के राजवंशों, संस्कृतियों और धर्मों के धागों से बुना हुआ है। शक्ति, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और धार्मिक सामंजस्य के केंद्र के रूप में इस शहर की भूमिका ने अजमेर को ऐतिहासिक और आज के समय में खासा महत्वपूर्ण शहर बना दिया है।
अजमेर का इतिहास | History – Ajmer City
अजमेर शहर का इतिहास संपन्न और कुछ अलग है, यह शहर राजस्थान के सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अजमेर के आसपास के क्षेत्र का इतिहास प्राचीन समय से चला आ रहा है। अजमेर को अजयमेरु शहर के नाम से जाना जाता था और यह चौहान वंश का हिस्सा था।
सातवीं शताब्दी में चौहान शासकों ने अपनी राजधानी अजयमेरु ( अजमेर ) में स्थापित की थी । उनके शासन काल में अजमेर शक्ति और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया था । अजमेर के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक पृथ्वीराज चौहान थे, जिन्हें अक्सर लोक कथाओं में नायक के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। उन्होंने 12वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र पर शासन किया था और उन्हें विदेशी हमलों के खिलाफ उनकी वीरता और विरोध के लिए याद किया जाता है।
अजमेर को कई विदेशी शासकों के हमलों का सामना करना पड़ा और 12वीं शताब्दी के अंत तक यह दिल्ली सल्तनत के अधिकार में आ गया। मध्यकाल के दौरान यह शहर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना रहा था । 16 वीं शताब्दी में अजमेर मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। मुगल बादशाह अकबर को अजमेर में खासी रूचि थी और उसने अपने शासनकाल के दौरान अकबरी किले और अना सागर झील का निर्माण कराया था। 18 वीं शताब्दी में अजमेर मराठों के अधिकार में आ गया।
19 वीं शताब्दी के दौरान अजमेर ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया। वर्ष 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद जब रियासतों को भारतीय संघ में एकत्र किया गया तो उस दौरान अजमेर शहर राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया।
अजमेर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अजमेर शरीफ दरगाह के लिए मशहूर है। यह दरगाह कई धर्मों के लोगों के लिए एक प्रमुख स्थान है और हर साल लाखों लोग यहाँ आते हैं ।
आज, अजमेर एक मशहूर टूरिस्ट प्लेस है जो अपने ऐतिहासिक मेमोरियल, धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।
अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Ajmer Tourist Places Hindi
अजमेर शरीफ दरगाह – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Ajmer Sharif – Ajmer Tourist Places Hindi
अजमेर शरीफ दरगाह भारत में सबसे मशहूर सूफी स्थानों में से एक है। यह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र है, और लाखों लोग विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के बावजूद यहाँ आते हैं । ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने 13 वीं सदी में सूफी परंपरा के एक व्यक्ति थे जिन्होंने भारत में सूफीवाद के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दरगाह अपने प्रवेश द्वार, आंगन और सफेद संगमरमर की इमारतों के साथ विशेष आर्किटेक्चर है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा एक खूबसूरत छतरी से ढका हुआ है और खास पेंटिंग्स से सजाया गया है।
अजमेर शरीफ का वार्षिक उर्स उत्सव यहाँ के सबसे महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक है। यह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की बरसी का जश्न होता है । कव्वाली अजमेर शरीफ के माहौल का एक अलग अंग है। कव्वाली प्रदर्शन, विशेष रूप से उर्स उत्सव के दौरान, दरगाह के भीतर एक विशेष माहौल बना देता है।
आना सागर झील – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Anasagar Lake – Ajmer Tourist Places Hindi
अना सागर एक पुरानी आर्टिफिशल लेक है जिसे 12 वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान के दादा अनाजी चौहान ने बनवाया था। यह लेक लूनी नदी के पानी पर बाँध बनाकर बनाया गया था। यह झील सुन्दर दौलत बाग बगीचों से घिरी हुई है जिसका निर्माण मुग़ल शासक जहांगीर ने करवाया था। ये गार्डन इस लेक की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं और टूरिस्ट्स के लिए एक ख़ूबसूरत वातावरण प्रदान करते हैं।
अनासागर लेक पर टूरिस्ट अक्सर बोटिंग का आनंद लेते हैं और आसपास की पहाड़ियों के दृश्यों के बीच अच्छा अनुभव करते हैं। अनासागर लेक में एक सुंदर संगमरमर का मंडप है जिसे बारादरी के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण शाहजहां द्वारा करवाया गया था और यह आराम करने और लेक के आस पास के सुन्दर दृश्यों का आनंद लेने के लिए एक शांत स्थान है।
तारागढ़ किला – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Taragarh Fort – Ajmer Tourist Places Hindi
तारागढ़ किला, जिसे स्टार किला के नाम से भी जाना जाता है, एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित किला है जो अजमेर का सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करता है। तारागढ़ किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण किला है और इसमें भीम बुर्ज और मीरान साहब की दरगाह जैसी संरचनाएँ हैं। तारागढ़ किले का निर्माण 14 वीं शताब्दी में अजयपाल चौहान ने करवाया था।
तारागढ़ किले को बाहरी हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार किया गया था। इसके ऊंचे स्थान ने इसे मध्ययुगीन काल के दौरान एक दुर्जेय संरचना बना दिया था । तारागढ़ किले के तीन प्रवेश द्वार हैं: लक्ष्मी पोल, फूटा दरवाजा और गागुड़ी की फाटक। तारागढ़ किले के प्रत्येक प्रवेश द्वार का अपना महत्व है और यह किले के अलग अलग हिस्सों की ओर जाते हैं ।
भीम बुर्ज तारागढ़ किले के भीतर एक प्रमुख संरचना है। यह एक बड़ी तोप है जिसे वर्ष 1531 में बनाया गया था और यह दुनिया की सबसे बड़ी तोपों में से एक है।
रानी महल, तारागढ़ किले के भीतर एक और प्रमुख संरचना है। ऐसा माना जाता है कि यह रानियों और शाही महिलाओं का निवास स्थान रहा है। तारागढ़ किले में कई बड़े तालाब हैं, जिनमें कक्का देवरा नामक एक बड़ा तालाब भी शामिल है। ये तालाब घेराबंदी के समय किले की जल आपूर्ति के लिए आवश्यक थे।
जोगी महल, तारागढ़ किला परिसर के भीतर स्थित एक सेनोटाफ (छतरी स्मारक) है। यह गोपी नाथ नामक एक स्थानीय संत को समर्पित है, और तीर्थयात्री अक्सर इस स्थल पर आते हैं। किला कई तोपों और मोटी प्राचीरों से सजा हुआ है जिन्हें रक्षा करने के लिए डिजाइन किया गया था। तारागढ़ किले का आर्किटेक्चर राजपूत और मुगल शैलियों का मिश्रण है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Adhai Din ka Jhopda – Ajmer Tourist Places Hindi
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा एक मस्जिद है जिसमें इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का मिश्रण देखा जा सकता है। माना जाता है कि इस संरचना का निर्माण ढाई दिन में किया गया, जिससे इसे अढ़ाई दिन का झोंपड़ा कहा गया था । अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद में एक सुंदर आंगन और चित्रकारी से सजे खंभे हैं।
“अढ़ाई दिन का झोंपड़ा” नाम का शाब्दिक अर्थ “ढाई दिन का शेड” है। यह मस्जिद अपने सुंदर आर्किटेक्चर और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। अढ़ाई दिन का झोंपड़ा मूल रूप से एक संस्कृत महाविद्यालय था जिसे संस्कृत मंडप के रूप में जाना जाता था। वर्ष 1193 में, दिल्ली सल्तनत के शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा केवल ढाई दिनों में इसका निर्माण किया गया था।
नसियां जैन मंदिर – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Nasiyan Jain Temple – Ajmer Tourist Places Hindi
नसियां जैन मंदिर, जिसे लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, अजमेर स्थित एक प्रमुख जैन मंदिर है और जैन धर्म में भगवान आदिनाथ को समर्पित है। यह अपने ख़ास आर्किटेक्चर , जटिल नक्काशी और जैन दर्शन को दर्शाने वाले एक अद्वितीय म्यूजियम के लिए प्रसिद्ध है। नसियां जैन मंदिर, जीवंत रंगों और डिस्क्रिप्शन के लिए जाना जाता है।
भगवान आदिनाथ को जैन धर्म में पहला तीर्थंकर माना जाता है। जैन परंपरा में तीर्थंकर स्पिरिचुअल टीचर होते हैं। इस मंदिर का निर्माण 19 वीं सदी के अंत में हुआ था। यह एक दो मंजिला मंदिर संरचना है जो पारंपरिक राजस्थानी और नए ज़माने के आर्किटेक्चर का एक अनोखा मिश्रण प्रदर्शित करता है।
मेयो कॉलेज – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Meyo College – Ajmer Tourist Places Hindi
मेयो कॉलेज भारत के सबसे पुराने और सबसे सम्मानित बोर्डिंग स्कूलों में से एक है। यह परिसर अपनी प्रभावशाली इंडो-सारसेनिक आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है।
सरकारी म्यूजियम – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Government Museum – Ajmer Tourist Places Hindi
अजमेर सरकारी म्यूजियम में कलाकृतियों, मूर्तियों, पेंटिंग्स और हथियारों का कलेक्शन है। यह राजस्थान के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इस म्यूजियम के कलेक्शन में कई प्रकार की कलाकृतियाँ शामिल हैं, जैसे मूर्तियाँ, पेंटिंग, पांडुलिपियाँ, सिक्के, हथियार और कवच, वस्त्र और आर्कियोलॉजिकल महत्त्व की वस्तुएं । ये वस्तुएँ इतिहास के अलग अलग समय पर हुए विस्तार के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं। यह म्यूजियम इस क्षेत्र के सांस्कृतिक विकास की जानकारी प्रदान करती हैं।
म्यूजियम में आर्कियोलॉजिकल साइट हैं जो अजमेर और उसके आसपास के पुराने इतिहास को प्रकाशित करती हैं। इन साइट में प्री हिस्ट्री और शुरुआती मॉडर्न इतिहास काल की कलाकृतियाँ शामिल हैं।
फ़ॉय सागर झील – अजमेर टूरिस्ट प्लेस | Foy Sagar Lake – Ajmer Tourist Places Hindi
फॉय सागर झील, अजमेर के बाहरी इलाके में स्थित एक आर्टिफिशल लेक है। यह एक सुंदर लेक है जो शांतिपूर्ण और सुन्दर वातावरण प्रदान करता है। फॉय सागर झील का निर्माण वर्ष 1892 में जोधपुर के महाराजा के शासनकाल के दौरान मिस्टर फॉय नामक एक अंग्रेज इंजीनियर द्वारा अकाल की समस्या से निपटने के लिए किया गया था। इस झील का निर्माण बारिश के पानी को इकट्ठा करने और सूखे के दौरान राहत प्रदान करने के लिए एक तालाब के रूप में किया गया था।
फोय झील का नाम उस इंजीनियर मिस्टर फोय के नाम पर रखा गया है। फ़ॉय सागर झील अजमेर शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है और लोकल लोगों और टूरिस्टों के लिए यह एक लोकप्रिय स्थान है। फॉय झील पहाड़ियों और हरियाली से घिरी हुई है। फॉय लेक अजमेर शहर की हलचल से दूर एक शांत वातावरण प्रदान करता है।
फोय लेक के चारों ओर कई व्यू पॉइंट हैं जो आसपास के सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। ये व्यू पॉइंट झील और उसके आसपास की सुंदरता को फोटग्राफ्स में संजोने के लिए टूरिस्ट के बीच लोकप्रिय हैं। फॉय लेक और इसके आसपास कई प्रकार की पक्षी प्रजातियों को देखा जा सकता है। इस क्षेत्र में बर्ड वाचिंग के लिए अक्सर टूरिस्ट्स फॉय लेक पर आना पसंद करते हैं।
अजमेर जाने का सबसे अच्छा समय | Best Time to visit Ajmer
राजस्थान के कई प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस की ही तरह, अजमेर जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान है जब मौसम सुखद होता है। अक्टूबर से मार्च के महीनों में, दिन का तापमान 10°C से 25°C के बीच रहता है जबकि रातें ठंडी हो सकती हैं। इस दौरान यहाँ का मौसम ठंडा और आरामदायक होता है जो आउटडोर घूमने के लिए सबसे अच्छा है। इस दौरान अजमेर में बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं।
फरवरी से मार्च तक यहाँ का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है। गर्मियों में दिन का तापमान 20°C से 30°C के बीच रहता है। हालाँकि मौसम इस दौरान सुहावना रहता है लेकिन दोपहर के समय थोड़ी गर्मी हो सकती है।
अप्रैल से जून के दौरान यहाँ मौसम काफी गर्म होता है। बहुत ज्यादा गर्मी के दौरान यहाँ दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो जाता है। यह मौसम आउटडोर एक्टिविटीज के लिए अच्छा नहीं है।
जुलाई से सितंबर तक गर्मी से कुछ राहत मिलती है। इस दौरान दिन का तापमान 25°C से 35°C के बीच रहता है। मानसून के दौरान अजमेर में मध्यम से भारी बारिश होती है। हालाँकि इस दौरान यहाँ परिदृश्य हरा-भरा हो जाता है लेकिन उमस काफी होने से आउटडोर निकलना मुश्किल होता है।
त्यौहार | Festivals
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की बरसी के सेलिब्रेशन में अजमेर शरीफ दरगाह में उर्स उत्सव बड़ी संख्या में टूरिस्टों को आकर्षित करता है। यह इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार होता है, इसलिए तारीखें हर साल बदलती रहती हैं। नवंबर में लगने वाला पुष्कर ऊंट मेला इस क्षेत्र का एक और लोकप्रिय आयोजन है।
अजमेर कैसे पहुंचे | How to reach Ajmer
अजमेर शहर अच्छी तरह से बाकि मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
हवाई जहाज से | By Flight
अजमेर का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट किशनगढ़ एयरपोर्ट है जो लगभग 27 किलोमीटर दूर है। इस एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी काफी सीमित है। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट अजमेर शहर से लगभग 135 किलोमीटर दूर है। जयपुर एयरपोर्ट से अजमेर पहुँचने के लिए टूरिस्ट्स टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या अजमेर के लिए बस ले सकते हैं। इस यात्रा में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं।
ट्रेन से | By Train
अजमेर का अपना रेलवे स्टेशन है, और यह भारत भर के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अजमेर जंक्शन रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र का एक प्रमुख रेलवे केंद्र है। टूरिस्ट्स दिल्ली, जयपुर, मुंबई, अहमदाबाद और अन्य शहरों से ट्रेन द्वारा अजमेर पहुंच सकते हैं।
सड़क द्वारा | By Road
अजमेर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, और NH8 और NH79 शहर से होकर गुजरते हैं। यहाँ कार या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। राजस्थान स्टेट ट्रांसपोर्ट के बसें और प्राइवेट बस ऑपरेटर अजमेर के लिए और अजमेर से बस उपलब्ध करते हैं। आस पास के शहरों और राज्यों से अजमेर के लिए रेगुलर बस सेवाएँ संचालित होती हैं।
कई टूर ऑपरेटर और ट्रैवल एजेंसियां अजमेर पैकेज टूर सर्विस भी उपलब्ध कराते हैं।
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