नयी उमंग - हिंदी, टूरिस्ट

ग्वालियर का किला | Gwalior Kila in Hindi

Gwalior Fort Palace

Gwalior Kila in Hindi : ग्वालियर का किला मध्य प्रदेश  राज्य के ग्वालियर में स्थित है। ग्वालियर का किला अपनी महान वास्तुकला  और अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। किले के कुछ भाग पांचवी – छठी शताब्दी में बने हुए माने जाते हैं और इसीलिए ग्वालियर के किले को भारत के सबसे प्राचीन किलों में से एक माना जाता है।  इस किले के निर्माण के विषय में कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि मुख्य रूप से किले का निर्माण आठवीं शताब्दी में कराया गया था।  ग्वालियर का किला लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।  

Gwalior Fort, Gwalior

ग्वालियर का किला – इतिहास | History – Gwalior Kila in Hindi  

पांचवी छठी शताब्दी से प्राप्त शिलालेखों से पता चलता है कि इस किले का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है।  ग्वालियर का शानदार  किला लंबी और संकरी पहाड़ी गोप गिरी (गोप पर्वत ) पर बना हुआ है। ग्वालियर का किला मुख्य शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

Gwalior Kila in Hindi
Gwalior Kila in Hindi

इतिहासकारों के अनुसार ग्वालियर के किले का निर्माण कुन्तलपुर ( जिसे पांडवों की माता कुंती का स्थान माना जाता है ) के राजा जो कि कछवाहा वंश से थे, राजा सूरज सेन द्वारा कराया गया था। राजा सूरज सेन ग्वालियर से 12 किलोमीटर दूर सिहोनिया गांव के रहने वाले थे। राजा सूरज सेन कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए थे और अपने इलाज के लिए ऋषि गालव के पास गए । ऋषि गालव ने राजा सूरज सेन को वहां एक तालाब के पानी को पीने के लिए कहा और राजा ने वही ऋषि गालव के पास रह कर अपने कुष्ठ रोग का इलाज कराया।  कुछ समय तक वहां रहने और ऋषि गालव से इलाज के बाद राजा सूरज सेन ठीक हो गए और उन्होंने उस तालाब के चारों और किले का निर्माण कार्य शुरू कराया। 

ऋषि गालव के नाम पर ही इस जगह का नाम ग्वालियर पड़ा।  ग्वालियर के किले का अधिकांश भाग तोमर वंश के राजा मानसिंह तोमर द्वारा बनवाया गया था।

इस किले पर शासन करने वाले अनेकों राजा रहे जिनमें कछवाहा, तोमर, गुर्जर प्रतिहार और मराठा,  सिंधिया आदि प्रमुख रहे हैं। किले पर समय समय पर हिन्दू राजाओं के अलावा , लोधी , मुग़ल और ब्रिटिश शासकों का भी अधिकार रहा है।  सन 1916 में सिंधिया शासन द्वारा इस किले का पुनः निर्माण कार्य कराया गया था। 

ग्वालियर का किला – आर्किटेक्चर | Architecture – Gwalior Kila in Hindi

किले का अधिकांश निर्माण हिन्दू शैली में किया गया है , हालाँकि किले के कुछ भागों जैसे कि जहांगीर महल और अन्य कुछ स्थानों पर हिन्दू और मुग़ल शैली का मिला जुला आर्किटेक्चर देखने को मिलता है।

इस किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। ग्वालियर के किले के दीवारों पर नीला रंग मुख्य रूप से देखा जा सकता है। ये रंग १५वे सदी में इस्तेमाल किये गए थे जो आज भी इस किले की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं। इस रंगों के काम को मीनाकारी कहा जाता था जो बाद में गहनों को गढ़ने में में भी इस्तेमाल किया गया और आज तक भी मीनाकारी ज्वेलरी चलन में है। 

ग्वालियर के किले में द्रविड़ शैली और उत्तर भारतीय नागर शैली के बने हुए मंदिर भी स्थित हैं। किला परिसर में स्थित तेली का मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ एक प्रसिद्द मंदिर है। किला परिसर में जैन और हिन्दू मंदिर स्थित हैं जिनका निर्माण छठी सदी से १८वे सदी के बीच हुआ है। 

ग्वालियर का किला – मुख्य आकर्षण | Attractions – Gwalior Kila in Hindi

ग्वालियर किले में अनेकों ऐतिहासिक स्मारक है। यहां पर बुद्ध और जैन मंदिर है।  इसके अलावा महल में गुजरी महल, मानसिंह महल, जहांगीर महल, करण महल ,शाहजहां महल ग्वालियर किले के मुख्य आकर्षण है।  इसके लिए को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है जिसमें मुख्य किला और महल आते हैं। जिनमें से मानसिंह महल तथा  गुजरी महल प्रमुख है।  

मानसिंह महल – ग्वालियर का किला | Man Singh Mahal – Gwalior ka Kila in Hindi

संगीत कक्ष – मानसिंह महल | Sangeet Kaksh – Man Singh Mahal

यह एक बड़ा कक्ष है जहाँ राजा एक तरफ राजा मानसिंह और दूसरी तरफ झरोखों के पीछे उनकी 8 रानियां यहाँ बैठ कर इस हॉल में होने वाले कार्यक्रम देखा करते थे। उन दिनों पर्दा प्रथा थी और इसीलिए रानियों के बैठने के व्यस्था खुले में न हो कर झरोखों के पीछे की गयी थी। इस हॉल के दीवारों और झरोखों पर आकर्षक कलाकृतियां बनी हुई हैं।   

दीवान ए खास – मानसिंह महल | Diwan – E – Khas – Man Singh Mahal

यह मानसिंह महल का एक मुख्य कक्ष है। दीवान ए खास  महलों और किलों में वह कक्ष हुआ करता था जहाँ पर राजा अपने खास मेहमानों और राज्य मंत्रियों के साथ दरबार लगाया करते थे। यह दीवान ए  खास भी उसी दरबारी परंपरा में बना एक कक्ष है। 

शिव मंदिर – मानसिंह महल | Shiv Mandir – Man Singh Mahal

मान सिंह महल मैं स्थापित यह शिव मंदिर विशेष रूप से राज परिवार के लिए बनवाया हुआ मंदिर है जहाँ राजा और रानियां पूजा अर्चना किया करते थे। मंदिर में प्रवेश करते समय जब इसके खम्भों पर नजर पड़ती है तो उस पर रुद्राक्ष , भगवन विष्णु का चक्र , हाथी और ब्रह्मा के कमल जैसी कलाकृतियां बनी दिखाई देती हैं। इन खम्भों में ऊपर की तरफ भगवन शिव के त्रिशूल को भी दर्शाया गया है। इस मंदिर को मान मंदिर भी कहा जाता है। 

मंदिर के अंदर की दीवारों पर विशेष डिज़ाइन बना हुआ है जिसमें पहले शीशे लगे हुए थे। मंदिर की दीवारों में कुल 33 झरोखे बने हुए हैं जिन्हें हिन्दू धर्म में मान्य 33 करोड़ देवी देवताओं के प्रतीक के रूप में बनाया गया था। 

डांसिंग हॉल – मानसिंह महल | Dance Hall – Man Singh Mahal

यह एक बड़ा कक्ष है जहाँ पर अक्सर राजा और उनके मेहमानों के लिए विशेष रूप से कार्यक्रम रखे जाते थे। यह डांसिंग हॉल हिन्दू और चीनी शैली में बना हुआ है। इस हॉल में दीवारों पर ड्रैगन अंकित हैं और चीनी शैली से प्रभावित छतें यहाँ बनायीं गयी हैं। 

गुजरी महल – ग्वालियर का किला  | Gujari Mahal – Gwalior Kila in Hindi

Gujari Mahal – Gwalior Kila in Hindi

गुजरी महल का निर्माण राजा मानसिंह ने अपनी  रानी  मृगनैनी के लिए कराया था। गुजरी महल 71 मीटर लम्बा और 60 मीटर चौड़ा  इक आयताकार भवन है। गुजरी महल रंगीन टायलो के द्वारा अलंकृत किया गया है । गुजरी महल आज भी पूर्ण रूप से सुरक्षित है। गुजरी महल में एक विशाल आंगन बना हुआ है।  महल की दीवारों पर कुछ कलात्मक आकृतियां हाथी, झरोखे, मोर आदि है। महल के मुख्य द्वार पर इसके निर्माण से संबंधित फारसी शिलालेख लगा हुआ है। 

गुजरी महल मध्य प्रदेश का सबसे पुराना संग्रहालय है जिसके अंदर पुरातत्व इतिहास से संबंधित शिलालेख रखे गए हैं।  इस संग्रहालय के अंदर कुछ मूर्तियां, सिक्के, अस्त्र-शस्त्र ,कुछ पत्थर की प्रतिमाएं, कुछ कांस्य  प्रतिमाों का प्रदर्शन किया गया है।  गुजरी रानी का गांव मैहर राई ग्वालियर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर था जहां से  पानी की व्यवस्था की गई थी । गुजरी महल को 3 तरफ से आगरा, झांसी और नरवर से सुरंग द्वारा जोड़ा गया था ।     

राजा मान सिंह और मृगनयनी | Story – Gwalior Kila in Hindi         

मान सिंह और मृगनैनी की प्रेम कथा काफी प्रचलित रही है। राजा मानसिंह ने मृगनयनी को जंगल में जानवर के साथ युद्ध करते हुए देखा  और इससे वह बहुत अधिक प्रभावित हुए । उन्होंने उसकी सुंदरता और वीरता से प्रभावित हो कर शादी का प्रस्ताव रखा था।

मृगनयनी का नाम नन्ही था ,  जिसे बाद में मृगनयनी कर दिया गया।  मृगनयनी एक गुजरी थी। नन्ही ने राजा के सामने तीन शर्ते रखी , पहली कि वह कभी पर्दा नहीं करेंगी , दूसरी शादी के बाद  शिकार पर जाते समय और युद्ध में मानसिंह अपने साथ लेकर जाएंगे और तीसरा वह ग्वालियर का पानी इस्तेमाल नहीं करेंगी । इन तीनों शर्तों को राजा मान सिंह ने मान लिया और पहाड़ी से नीचे एक अलग महल का निर्माण कराया जो कि गुजरी महल के नाम से जाना जाता है।   इस महल में उस समय गुजरी रानी के  गांव मैहर राई से पाइपों के द्वारा  पानी की व्यवस्था कराई गई थी। 

तहखाने – ग्वालियर का किला | Fansi Ghar – Gwalior Kila in Hindi

फाँसीघर | Fansighar

मान सिंह महल  6 मंजिल तक बना हुआ है लेकिन इसमें केवल ४ मजिल ही टूरिस्ट्स देख सकते हैं। इस महल में अनेकों तहखाने बने हुए हैं जो उस समय काफी उपयोग में थे। पहले तहखाने को फाँसीघर भी कहा जाता है। मुग़ल शासक औरंगजेब ने अपने भाई मुराद को इसी तहखाने में फांसी  दिलाई थी और तभी से इसे फांसी घर कहा जाने लगा। 

रानियों का कमरा | Hall for Queens

तहखाने के दूर तल पर रानियों का कमरा बना हुआ है। इस कमरे में रौशनी और हवा के आने की पूरी व्यवस्था भी है। तहखाने में आधुनिक टेलीफोन जैसे तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे के सन्देश महल के एक हिस्से से दुसरे हिस्से तक पहुंचाया जा सके। यह तकनीक निर्माण लगभग 500 वर्ष पुराना माना जाता है। इसमें कमरे के एक झरोखे में 2 पाइप लगे हुए हैं जिनमें से एक बोलने के लिए और दूसरा सुनने के लिए होता था। 

जौहर कुंड | Johar Kund – Gwalior Kila in Hindi

Jauhar Kund – Gwalior Kila in Hindi

तहखाने के तीसरे तल पर रानियों के नहाने के लिए एक टैंक की व्यस्था की गयी थी जिसमें लगभग ८ से 10 फ़ीट तक पानी रहता था। राजा मानसिंह के बाद इस किले  पर इब्राहिम लोदी का अधिकार हो गया था। लोधी के आक्रमण के समय जब रानियों ने देखा कि राजा मानसिंह  की मृत्यु निश्चित है तब उनकी रानियों ने महल के नीचे तहखाने में स्थित अपने स्नानागार को अग्निकुंड बना लिया था, और उसी में जौहर कर लिया था। 

अन्य आकर्षण – ग्वालियर किला | Other Attractions – Gwalior Kila in Hindi

कर्ण महल – ग्वालियर का किला | Karan Mahal – Gwalior Kila in Hindi

इन मुख्य महलों के अलावा कर्ण महल भी टूरिस्ट्स को महल के इतिहास का परिचय देता है। राजा कर्ण सिंह राजा मान सिंह के पिता थे। उनका महल इस परिसर में हे जो ४ मंजिल तक बना हुआ है। महल के ऊपरी भाग से ग्वालियर शहर का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। 

जहांगीर महल – ग्वालियर का किला | Jahangir Mahal – Gwalior Kila in Hindi

जहांगीर महल, शाहजहां महल और हवा महल भी टूरिस्ट्स के लिए खासा आकर्षण हैं। एक समय तक मुग़लों के आक्रमण को झेलने के बाद बुन्देल राजाओं ने मुग़लों से संधि कर ली थी। जब जहांगीर ने अकबर से विद्रोह किया था उस समय बुन्देल खंड के शासक जहांगीर के समर्थन में थे। जहांगीर महल और शाहजहां महल उनकी इसी मित्रता के प्रतीक हैं। 

इन स्मारकों के अलावा यहां पर तेली का मंदिर और 10 वीं शताब्दी में बना सहस्रबाहु मंदिर जिसे सास बहू मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भी प्रसिद्ध है। 

तेली का मंदिर – ग्वालियर किला | Teli ka Mandir – Gwalior Kila in Hindi

Teli ka Mandir – Gwalior Kila in Hindi

यह मंदिर द्रविड़ियन शैली में बना हुआ है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए उस समय के तेल के व्यापारियों ने धन आदि दिया था। तेल के व्यापारियों से सम्बन्ध होने के कारण इस मंदिर को तेली का मंदिर कहा जाने लगा। 

सहस्त्रबाहु मंदिर  – ग्वालियर का किला | Sahastrabahu Mandir – Gwalior Kila in Hindi

हिंदुस्तानी नागर शैली में बना यह मंदिर ११वे सदी में निर्मित है। राजा महिपाल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था । इस मंदिर में पाली भाषा में लिखे शिला लेख स्थापित हैं जिन पर इस मंदिर के निर्माण से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध यही। सहस्त्रबाहु को समर्पित यह मंदिर आज सास बहु मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ – ग्वालियर का किला | Gurudwara – Gwalior Kila in Hindi

किला परिसर में स्थित प्रसिद्द गुरुद्वारा भारतीय इतिहास में एक विशेष महत्त्व रखता है।  सिखों के छठे गुरु श्री हरगोबिंद साहिब को बंदी बना लाया था। इसके विरोध में 52 हिन्दू राजाओं ने जहांगीर को कर देने से मन कर दिया। इसके परिणाम में जहांगीर ने उन सभी 52 राजाओं को भी बंदी बना लिया। कुछ समय बाद श्री गुरु साहिब को छोड़ा गया तो उन्होंने शर्त राखी कि इन सभी राजाओं को भी उनके साथ छोड़ा जाये। इस पर जहांगीर ने कहा कि जितने राजा आपका दमन पकड़ कर निकल पाए उन्हें छोड़ दिया जायेगा। कहा जाता है कि तब श्री गुरु ने 52 कलियों का एक चोला सिलवाया और हर राजा को एक सिरा पकड़ा दिया और इस तरह से सभी राजाओं को जहांगीर की कैद से छुड़वा लिया। उसी समय से इस गुरुद्वारा को दाता बंदी छोड़ कहा गया । 

Gurudwara – Gwalior Kila in Hindi

इसके अलावा भीम सिंह की छतरी और सिंधिया स्कूल यहाँ के अन्य प्रमुख आकर्षण है।  लगभग 1000 साल से भी अधिक समय से ग्वालियर का किला मौजूद है जो कि एक दुर्भेद  किले के रूप में जाना जाता है। यह किला अनेकों राजाओं के हाथों से निकला हुआ है।  इस किले  की दीवारें एकदम खड़ी चढ़ाई वाली हैं।  यह किला भारत के इतिहास का गवाह रहा है। 

ग्वालियर के किले पर राज करने वाले तोमर वंश की प्रसिद्ध राजा राजा मानसिंह रहे हैं जिनकी 8 रानियां थी जो कि मानसिंह महल में ही रहा करती थी, और उनकी नौवीं रानी जो की रानी मृगनैनी थी, उनके लिए एक अलग से महल का निर्माण कराया गया था जो कि पहाड़ी से नीचे मैदान में एक  चतुर्भुज किला कहलाता है। 

रानी लक्ष्मीबाई – ग्वालियर का किला | Rani Lakshmi Bai – Gwalior Kila in Hindi

1 जून 1858  को रानी लक्ष्मीबाई ने मराठा विद्रोहियों के साथ मिलकर इस किले पर अपना कब्जा कर लिया था  लेकिन बाद में  16 जून को ब्रिटिश सेना ने हमला कर दिया था जिसमें रानी लक्ष्मीबाई ने असाधारण वीरता का परिचय देते हुए अंग्रेजों को किले पर कब्जा नहीं करने दिया लकिन  बाद में लक्ष्मीबाई को गोली लगने के कारण 17 जून को उनकी मृत्यु हो गई थी और रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने इस किले पर कब्जा कर लिया। 

ग्वालियर किले में प्रवेश | Ticket – Gwalior Kila in Hindi

ग्वालियर किले में प्रवेश करने के लिए 75 रुपए  के  टिकट की व्यवस्था है और विदेशी टूरिस्ट्स के लिए यह टिकट 250 रुपये में उपलब्ध है । ग्वालियर के किले में लाइट और साउंड शो भी  मुख्य आकर्षण है।यहाँ पर हिंदी भाषा में शाम को 7:30 बजे का समय निश्चित है और अंग्रेजी भाषा में यह शो 8:30 बजे किया जाता है। 

ग्वालियर कैसे पहुंचे | How to reach Gwalior

ग्वालियर मध्य प्रदेश का एक मुख्य शहर है जो ऐतिहासिक और टूरिस्ट प्लेस के रूप में प्रसिद्द है। अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो सीधे ग्वालियर एयरपोर्ट तक पहुंच कर वहां से किले के लिए टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट ले सकते हैं। 

ग्वालियर एक बड़ा रेलवे स्टेशन है और देश के रेल नेटवर्क से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। देश के किसी भी हिस्से से सीधे या कनेक्टेड ट्रैन से ग्वालियर तक पंहुचा जा सकता है। ग्वालियर स्टेशन से ग्वालियर किले तक पहुंचने के लिए टैक्सी या ऑटो या अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा ली जा सकती है। 

Malla Mahal Almora, Beatific Uttarakhand !

Leave a Reply