अफ़्रीकी सवाना के जंगल में दारा नाम का एक हाथी और लियो नाम का एक शेर रहता था। दारा अपनी बुद्धिमानी और समझदारी के लिए जाना जाता था। वहीँ लियो को उसकी ताकत और बहादुरी के लिए सभी बहुत पसंद करते थे। हालाँकि दारा और लियो बहुत अच्छे दोस्त नहीं थे पर वे एक दुसरे के गुणों के कारण एक दुसरे का बहुत सम्मान करते थे। जंगल के सभी जानवर दारा और लियो को बहुत पसंद करते थे।
एक बार गर्मियों की चिलचिलाती दोपहर में, सवाना के जंगल के जानवर एक तालाब के पास इकट्ठे हुए। बारिश ना होने की वजह से भयंकर सूखा पड़ा था और तालाब में पानी की मात्रा बहुत कम थी। सभी गर्मी से बहुत परेशान थे और जल्दी से जल्दी अपनी प्यास बुझाने के लिए आतुर थे। जैसे ही जानवर पानी पीने के लिए आगे बढ़ने लगे तभी अचानक से जेब्रा के झुंड और जंगली कुत्तों के झुंड पानी तक पहुँचने की जल्दी में आपस में एक दुसरे से भिड़ गए। थोड़ी ही देर में यह विवाद एक भयंकर लड़ाई में बदल गया।
इस सब से थोड़ी दूरी पर अपनी बारी का इन्तजार करते दारा हाथी को यह देख कर बहुत बुरा लगा। दारा हाथी अपने विशाल शरीर के साथ आगे बढ़ा और जोर से बोला , “हमें लड़ना नहीं चाहिए। इतनी गर्मी से हम सभी वैसे ही बहुत परेशान हैं। अगर पानी की समस्या है तो उसके लिए कुछ सोचना होगा न कि एक दूसरे से लड़ कर अपना समय ख़राब करना होगा। ” यह सुनकर सभी जानवर बिल्कुल चुप हो गए। ज़ेबरा और जंगली कुत्तों के झुंड शांति से खड़े हो गए। दारा के इन शब्दों का सभी के लिए बहुत महत्त्व था।
लियो शेर यह सब दूर से देख रहा था। दारा की जोरदार आवाज़ सुन कर वह भी आगे आया और बोला , “दारा बिलकुल सही है। लड़ाई से कुछ भी हासिल नहीं होगा। जंगल के पानी के संकट को हल करने के लिए हमें कोई दूसरा पानी का स्रोत ढूंढ़ना होगा। “
आगे बढ़ कर सहमे हुए टूटू खरगोश ने कहा ,”लेकिन हम सब पानी की खोज में किस तरफ जाएं ?” सभी जानवरों ने सहमति में अपना सर हिलाया और सभी आपस में एक दुसरे से पूछने लगे।
दारा बुद्धिमान होने के साथ साथ अपनी याददाश्त के लिए भी जाना जाता था। दारा को याद आया कि पहाड़ियों के पार एक तालाब है जिसके बारे में लोग नहीं जानते हैं। दारा ने कहा , ” मैं एक जगह जानता हूं लेकिन वहां तक का रास्ता काफी लम्बा और खतरनाक है।”
तभी लियो ने दारा से कहा , “तुम रास्ता दिखाओ और खतरों को मैं संभाल लूँगा !”
दारा के दिखाए रास्ते पर और लियो के सुरक्षा घेरे में सभी जानवर इस लम्बी खतरनाक यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने घने जंगलों को पार किया , चट्टानी इलाकों से हो कर निकले और भरी गर्मी में चिलचिलाती धूप को सहन करते हुए आगे बढ़ते रहे।
दिन बीतते गए और धीरे धीरे जानवर थकने लगे । कुछ जानवर अब उतने आशावान नहीं रहे थे। लगता था कि ये चिलचिलाती गर्मी अब उनकी जान ले लेगी। आपस में एक दुसरे का सहारा बनते सभी आगे बढ़ते रहे। वे एक पहाड़ी की चोटी पर पहुँचे और नीचे की तरफ उन्होंने झिलमिलाता पानी देखा। पानी देखते ही जानवरों के बीच ख़ुशी की लहर दौड़ गयी।
दारा और लियो एक साथ खड़े होकर अपने दोस्तों को पानी पीते और खेलते हुए देख रहे थे। दोनों की आँखों में संतुष्टि के भाव थे। एक दुसरे की ओर देख कर उन्होंने कहा , “आखिरकार हम सफल हुए ! “
उस दिन से दारा और लियो के बीच की दोस्ती बहुत मजबूत हो गयी।
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