अमन को कोई भी जानवर बिलकुल पसंद नहीं था। जहाँ उसके दोस्त अपने पालतू जानवरों के साथ खेलते थे और अपने आस-पास घुमते पक्षियों और अन्य जानवरों को देख कर खुश हुआ करते थे वहीं अमन उन्हें देखकर बुरा मुँह बना लेता था और वहां से चला जाता था। उसके मम्मी पापा ने कई बार कोशिश की ताकि उसका मन बदल जाये और वह जानवरों के आस पास सहज हो सके , लेकिन उनकी कोशिशों का कोई फायदा नहीं हुआ। वह जानवरों को पसंद करने की बजाय उनसे और ज्यादा दूर दूर रहने लगा था।
एक बार अमन स्कूल से अपने घर जा रहा था , तभी उसकी नज़र सड़क किनारे एक छोटे से कांपते हुए बिल्ली के बच्चे पर पड़ी। बिल्ला का वह बच्चा बहुत कमज़ोर लग रहा था और धीरे धीरे कराहते हुए म्याऊँ-म्याऊँ कर रहा था। उस असहाय बिल्ली के बच्चे को देख कर अमन को उस पर दया आयी लेकिन वह उसे छूना नहीं चाहता था। उसने आस पास देखा तो वहां पर कोई भी नहीं था जिससे वह यह उम्मीद करता कि वह बिल्ली के बच्चे की मदद कर सके। अमन कुछ देर तक वहां खड़ा रहा लेकिन 10 मिनट होने पर भी वहां से कोई और नहीं गुजरा। अमन अब परेशान हो रहा था और बिल्ली के बच्चे को वहां पर नहीं छोड़ना चाहता था। उसने अपने बैग से एक नोटबुक निकाल कर उसके पेज फाड़े और उन्हें अपने हाथों पर लपेट कर वह बिल्ली के बच्चे को पकड़ने की कोशिश करने लगा। अमन बिल्ली के बच्चे को अपने घर ले गया।
अमन जब घर पहुंचा तो उसके मम्मी पापा को आश्चर्य हुआ। अमन जानवरों को बिलकुल पसंद नहीं करता था लेकिन आज वह एक बिल्ली के बच्चे को अपने साथ घर ले आया था। अमन का बदला सा व्यवहार देख कर उन्हें अच्छा भी लगा। उन्होंने अमन की मदद करने की ठानी। अमन के मम्मी पापा ने उसे बताया कि कैसे वह इसकी देखभाल कर सकता था। अमन अब ख़ुशी से इस छोटे से बिल्ली के बच्चे की देखभाल करने लगा था और उसने इसे एक नाम भी दिया , किट्टू। समय के साथ किट्टू और अमन के बीच लगाव बढ़ने लगा। अमन जब भी किट्टू को सहलाता था तो किट्टू म्याऊँ म्याऊँ करता था और वह पूरा दिन अमन के पीछे पीछे घूमता रहता था।
एक दिन जब अमन आँगन में किट्टू के साथ खेल रहा था, उसने सड़क पर धीमे धीमे भौंकने की आवाज़ सुनी। वह जब घर के दरवाजे पर पहुंचा तो वहां उसने एक कुत्ते को देखा। यह कुत्ता अपने पैर की चोट से परेशान था और दर्द से कराह रहा था। अमन अब सोचने लगा कि अगर उस दिन किट्टू की मदद वह नहीं करता तो आज शायद किट्टू जीवित नहीं होता। अमन ने कुत्ते के मदद करने का निश्चय किया। वह अंदर से अपने पापा को बुला कर लाया और उनके साथ जा कर पास के वेटेनरी डॉक्टर अंकल को बुला लाया।
डॉक्टर अंकल ने कुत्ते की मरहम पट्टी की और जानवरों की मदद करने के लिए अमन की बहुत तारीफ की। अमन रोज कुत्ते के लिए रोटी लाता और रोटी के छोटे छोटे टुकड़े कर के उसे खिला देता। अब अमन जानवरों से अच्छा व्यव्हार करता था और उनके आस पास परेशान भी नहीं होता था। अमन के इस बदले वयवहार को देख कर उसके मम्मी पापा और उसके दोस्त बहुत खुश थे।
अमन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एनिमल रेस्क्यू क्लब बनाया उस दिन के बाद से अमन और उसके दोस्त आस पास के कमजोर और निरीह जानवरों के मदद के लिए काम करने लगे। किट्टू ने अमन का ह्रदय परिवर्तन कर दिया था।
Leave a Reply