Kamru Kila in Hindi : कामरू किला हिमाचल प्रदेश का एक प्राचीन और ऐतिहासिक किला है। कामरु किले की नींव हाथी के सूंड और शेर के पंजे के ऊपर स्वास्तिक के निशान पर रखी गई है। यह किला बुशैहर रियासत के इतिहास का सबसे प्राचीन किला है। यह किला हिमाचली शैली के निर्माण का एक अद्भुत नमूना है। इसे कामरु फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू तथा बौद्ध धर्म का मिश्रण यह किला हिंदू तथा बौद्ध धर्म का समागम लिए हुए हैं। कामरु किला सांगला घाटी से लगभग डेढ़ किलोमीटर की उचाई पर स्थित है। कामरू गांव के सबसे ऊंचे स्थान पर पहाड़ी की चोटी पर यह किला स्थित है जिसे दूर से ही देखा जा सकता है। कामरु को किन्नौरी (स्थानीय ) भाषा में मोने कहा जाता है। यह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 3000 मीटर है।
Read in English Kamru Fort Sangla Himachal Pradesh
कामरु किला – इतिहास | History – Kamru Kila in Hindi
कामरु किले से जुड़े हुए बहुत सारी कथाएं भी है। यह किला बुशहर राजवंश की मूल सीट मानी जाती थी जहां से बुशहर राजवंश राज करता था। कामरु बुशहर राजवंश की राजधानी थी। बाद में राजधानी को यहाँ से हटा कर सराहन और फिर बाद में रामपुर में स्थानांतरित कर दिया था।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के पिता, श्री पदम सिंह का राजतिलक कामरु किले में ही हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि इस किले में राज्याभिषेक किया जाता था और लगभग 128 राजाओं का राजतिलक इसी किले में किया गया था।
कामरु किला – आर्किटेक्चर | Architecture – Kamru Kila in Hindi
कामरु किला लगभग 1100 साल पुराना किला है। कहा जाता है कि इस किले का निर्माण कार्य करने से पहले चारों कोनों में यज्ञ कराए गए थे । कामरु किला हिमाचल प्रदेश में कास्टकुनी शैली में बना हुआ है।
कास्टकुनी शैली | Kamru Kila in Hindi
कास्ट्कुनि शैली के अंतर्गत विशालकाय पेड़ों को खोखला कर के लरजो के ऊपर फंसाया जाता था जिससे कि पेड़ों का लगभग तीस प्रतिशत तक ( 30% ) वजन कम किया जाता थाऔर वजन कम करने बाद भी इसमें उतनी ही मजबूती बनी रहती थी।
इसमें लगने वाले लरजो को धन अर्थात प्लस के आकार में बनाया गया था । कामरु किला पत्थर और लकड़ियों से बना हुआ उस समय का एक 7 मंजिला किला था जिसकी निर्माण शैली देखते ही बनती है । कामरु किले का निर्माण कार्य इस प्रकार से किया गया था कि यहां पर पहुंचने का केवल एक ही रास्ता था। किले से चारों दिशाओं में दूर-दूर तक सैनिक दुश्मनों पर अपनी निगाह बनाकर रख सकते थे।
कामरु किला – प्रवेश द्वार | Gate -Kamru Kila in Hindi
कामरु किले के मुख्य द्वार पर एक भव्य दरवाजा बना हुआ है जो लकड़ी का बना हुआ है। इस दरवाजे पर सुन्दर नक्काशी देखते ही बनती है। कामरु किला हिंदू और बौद्ध धर्म के सुन्दर समन्वय को दिखता है। यहां से ऊपर की तरफ ही सीढ़ियां शुरू हो जाती है और लकड़ी और स्लेट से बने मकानों के बीच से गुजरते हुए ऊपर की तरफ बढ़ते रहते हैं।
सदियों पुराना कामरु किला आज भी पूरी मजबूती के साथ अपने स्थान पर खड़ा हुआ है। कामरु किला किन्नौर में सबसे खूबसूरत घाटी वास्पा घाटी के सांवरा गांव में स्थित है। यह वास्पा नदी के किनारे स्थित है ।
कहा जाता है कि किले में नीचे की तरफ तीन मंजिला जेल थी जहां पर अपराधियों को रखा जाता था। इस जेल के सबसे ऊपरी मंजिल में केवल एक ही दरवाजा था जो कि बहुत छोटा सा था। वहां अन्य कोई भी खिड़की और दरवाजे नहीं थे।
कामरु किला – बद्री विशाल मंदिर | Badri Vishal Mandir – Kamru Kila in Hindi
कामरु किले तक पहुंचने का रास्ता गांव के देवता बद्री विशाल जी के मंदिर से होकर गुजरता है। बद्री विशाल जी के इस मंदिर में 2 देवताओं की मूर्तियां रखी हुए हैं जिनमें से एक मूर्ति भगवान बद्रीनाथ जी की है और दूसरी मूर्ति छोटे देवता की कही जाती है जो कि राजवंश से संबंध रखते थे । ऐसा कहते हैं कि उन्हें यह देवता का दर्जा बहुत अधिक प्रार्थना और तपस्या करने के बाद प्राप्त हुआ था। बद्री विशाल जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। बद्री विशाल जी का यह मंदिर 15वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
यहां 3 साल में एक बार देवता के रथ को स्नान करवाने के लिए उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम ले जाया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पर लोहड़ी वाले दिन ऊंची पहाड़ी से लोग ब्रह्मकमल लेकर आते हैं और उस ब्रह्म कमल को मंदिर में चढ़ाते हैं।
भगवान बुद्ध की प्रतिमा | Kamru Kila in Hindi
किले के मुख्य द्वार पर ही भगवान बुद्ध की प्रतिमा विराजमान है। यहाँ के रहने वाले लोगों का ऐसा मानना है कि किले के अंदर वही प्रवेश कर सकता है जिस पर स्वयं भगवान बुद्ध अपना आशीर्वाद रखते हैं। ऐसा भी कहते हैं कि बुरी शक्तियों से बचाने के लिए भी भगवान बुद्ध का आशीर्वाद लिया जाता है। यह किला अतीत की एक कलात्मक विरासत है।
कामरु किला – कामाख्या देवी मंदिर | Kamakhya Devi Mandir – Kamru Kila in Hindi
आज यह पूर्ण रूप से एक मंदिर में तब्दील किया जा चुका है। यह मंदिर हिंदू देवी कामाख्या देवी को समर्पित है। कहते हैं आज भी अगर राजवंश में किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसको पहली बार कामाख्या देवी मंदिर में लाया जाता है। यह मंदिर बुशैहर राजवंश की कुल देवी का कहलाता है।
यहाँ के लोगों के अनुसार माता कामाख्या देवी की मूर्ति असम के गुवाहाटी से यहाँ लायी गयी थी । माता कामाख्या देवी का वास्तविक मंदिर कामरू गांव से ऊपर लगभग 11500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर केवल रविवार के दिन ही खुलता है और यहां पर बाहर के लोगों को प्रवेश की अनुमति नही मिलती है।
कामाख्या देवी को समर्पित इस किले में लकड़ी की बालकनी है जहां पर तीसरी मंजिल में देवी की मूर्ति को रखा गया है। आज भी यहां अनेकों ऐसे परिवार है जो कि पहाड़ी किले के अंदर रहते हैं। यहां का प्राकृतिक वातावरण बेहद खूबसूरत है और यहां से हिमालय के शानदार दृश्य को भी देख सकते हैं।
कामरु घाटी – पौराणिक कथा | Story – Kamru Kila in Hindi
कामरु घाटी को लेकर एक और कहानी भी प्रचलित है ऐसा कहा जाता है कि सांगला और कूपा गांव जो आज है, वहां पर पहले एक बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। बैरिंग नाग देवता, कमरु नाग देवता और बद्री विशाल जी ने झील को हटाने के लिए एक योजना बनाई थी। देवता बैरिंग नाग ने सांप का. बद्री विशाल जी ने चूहे का रूप धारण करके इस झील में असंख्य असंख्य सुराग बना दिए थे जिसके कारण यह झील बाद सूख गई थी। बाद में यह क्षेत्र एक समतल क्षेत्र में बदल गया था। बैरिंग नाग सांगला, बद्रीविशाल जी कामरु गांव और कमरुनाग जिन्हे पानी में रहना पसंद था वह मंडी में रोहान्ड़ा के समीप स्थापित हो गए थे। यह स्थान आज कमरू घाटी के नाम से जाना जाता है।
विशेष टोपी – गाची | Ethnic Cap – Gachi
किले में प्रवेश करने के लिए एक विशेष प्रकार की टोपी और कमरबंद पहनकर जाया जाता है जिसे वहां की स्थानीय भाषा में गाची कहा जाता है। कामरु किले से देखने पर सांगला एक बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।
कामरू किला – आसपास | Kamru Kila – nearby places
सांगला में हरे-भरे घास के मैदान है। यहां पर हिमालय के पहाड़ों से ढकी हुई बर्फ के शानदार दृश्य देखे जा सकते हैं। यहां पर आने के बाद मन तथा आत्मा दोनों ही प्रसन्न हो जाते हैं।
यहां का दूसरा आकर्षण चितकुल गांव है। चितकुल गांव भारत तिब्बत रोड पर भारतीय सीमाओं के अंदर बसा हुआ एक अंतिम गांव कहा जाता है। चितकुल गांव सांगला से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अपने शांत वातावरण तथा बेहद खूबसूरत दृश्यों के कारण सबका मन अपनी और आकर्षित करता है। यहां पर ट्रेकिंग भी की जा सकती है।
बाटसेरी गांव | Batseri Village
यह गांव सांगला से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान अपने हस्तशिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। यहां की बनी हुई शॉल और किन्नौरी टोपियां बहुत प्रसिद्ध है।
वास्पा नदी | Vaspa River
कामरु किले के सांगला घाटी का मुख्य आकर्षण यहां की वास्पा नदी है। यहां पर पर्यटक ट्रैकिंग, कैंपिंग, मछली पकड़ने जैसे अन्य एक्टिविटी एन्जॉय करते हैं।
रकक्षम गांव | Raksham Village
यह गांव तिब्बत सीमा से पहले स्थित है। चितकुल गांव से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा गांव है। यहां पर बहुत कम आबादी है। यहां के निवासी अधिक ठण्ड पड़ने पर नीचे की तरफ के इलाकों में चले जाते हैं। इस क्षेत्र में इंटरनेट की भी व्यवस्था नहीं पहुंच पाई है।
बेरिंग नाग मंदिर | Bering Nag Mandir
नाग मंदिर सांगला घाटी एक प्रसिद्द मंदिर है । यह मंदिर अपनी वास्तु कला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भगवान जगस को समर्पित है। अगस्त और सितम्बर के महीने में यहां पर हर साल फलीच मेले का आयोजन किया जाता है। यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध मंदिर है।
कामरू किला – जाने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Kamru Kila
सांगला स्थित कामरू किले तक जाने के लिए वैसे तो वर्ष में कभी भी जाया जा सकता है लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सर्दियों में यहां पर थोड़ी सी मुश्किलें हो सकती है। गर्मी के समय में यहां का तापमान 8 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तक रहता है। सर्दियों में यहां 10 और -10 डिग्री के बीच रहता है ।
कामरु किला – कैसे पहुंचे | How to reach Kamru Kila
सांगला में निकटतम रेलवे स्टेशन कालका रेलवे स्टेशन है। तथा यहां का निकटतम हवाई अड्डा शिमला में जुब्बड़ हट्टी हवाई अड्डा है जहां से सांगला की दूरी लगभग 238 किलोमीटर है। यहां से टैक्सी द्वारा आसानी से सांगला पहुंचा जा सकता है। दूसरा निकटतम हवाई अड्डा भुंतर है जहां से सांगला की दूरी 3 घंटे में तय की जाती है।
हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन द्वारा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब के लिए नियमित तौर पर बसें चलती है।
9 Pingbacks