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क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर चम्पावत | Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi : क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर भगवान् शिव का एक पवित्र मंदिर है जो चम्पावत शहर के पूर्व में एक ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मंदिर को स्थानीय रूप से तीर्थ कणदेव और भगवान् कूर्मपद के नाम से पुकारा जाता है। 

महादेव का यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 6100 मीटर की ऊंचाई पर चम्पावत के मुख्य बाज़ार से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर एक ऐसे स्थान पर स्थित माना जाता है जिसका वर्णन महाभारत में भी किया गया है। उत्तराखंड में ऐसे अनेकों स्थान हैं जिन्हें पुराणों में वर्णित बताया जाता है। ऐसे अनेकों मंदिर और पहाड़ियां यहाँ है जिनसे पांडवों के अज्ञातवास और स्वर्ग गमन की कहानियां जुड़ी हुई हैं। 

भगवान शिव हिन्दू धर्म में आदिदेव नाम से भी जाने जाते हैं और उन्हें समर्पित अनेकों मंदिर उत्तराखंड में स्थित है जिनमें से कुछ मुख्य धार्मिक और पौराणिक महत्त्व के मंदिर चम्पावत में स्थित हैं । 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – महत्त्व। Significance – Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर केवल चम्पावत नहीं बल्कि पूरा कुमाऊँ क्षेत्र के लिये महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहीं पर भगवन विष्णु ने कूर्म यानी कछुए का अवतार लिया था। कूर्मावतार को भगवन विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है और पौरणिक कहानियों के अनुसार यह अवतार आधा कछुआ और आधा मानव शरीर था। 

कूर्म नाम से कुमाऊँ शब्द आया है। इतिहासकारोंका मानना है की पहले कुमाऊँ को कूर्म कश्तर ही कहा जाता था जो धीरे धीरे समय और भाषा के बदलते रूप के कारण अब कुमाऊँ कहा जाता है। इस तरह से क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर भगवन शिव और भगवन विष्णु से सम्बंधित स्थान माना जाता है। 

प्रकृति प्रेमियों के लिए भी यह सुन्दर शांत और प्रकृति से भरपूर जगह है। क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर से से बर्फ से ढके हिमालय के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। माना जाता है की भगवान् विष्णु के कूर्मावतार पद चिन्ह आज भी यहाँ हैं । स्कंदपुराण के मानसखंड में भी “कूर्म” नाम के पर्वत का वर्णन है। 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – कहानी।  Stories – Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर से जुडी दो मुख्य कहानियां प्रचलित हैं। माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अर्जुन  ने इसी स्थान पर बैठ कर भगवन शिव की तपस्या की थी और भगवन शिव ने दर्शन भी दिए थे। 

एक दूसरी प्रचलित कहानी हिन्दू पुराणों में वर्णित सागर मंथन से सम्बंधित है। कहानी के अनुसार जब देव और दानव सागर मंथन के लिए आये तो उन्होंने शेषनाग को रस्सी की तरह मंदार पर्वत के चरों ओर लपेट करमंथन किया था लेकिन  मंथन करते हुए सभी को लगा कि पर्वत के नीचे कोई ठोस आधार होने चाहिए जिससे कि सागर मंथन हो सके और उस समय भगवन विष्णु ने कूर्मावतार लिया था और यह मंथन कूर्म यानी कछुए की पीठ के ठोस आधार पर मंदार पर्वत को सागर में मथने से हुआ था। उसी कूर्मावतार के पदचिन्ह यहाँ क्रान्तेश्वर मंदिर में माने जाते हैं।   

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – प्रार्थना का समय।  Prayer Timings -Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से रात के 8 बजे तक खुला रहता है । श्रद्धालु भगवान कणदेव को दूध, दही और देसी घी चढ़ाकर आशीर्वाद लेते है ।

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – जाने का मौसम। Best time to visit

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मई के महीने के बीच है। इन महीनों में यात्रा  करना अच्छा और आनंद दायक होता है। सर्दी में पहाड़ियों पर कभी कभी बर्फबारी भी होती है जिसके कारण वहां का तापमान काफी कम हो जाता है। 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – उत्त्सव।  Festivals – Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि और सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – पहुंचने का रास्ता। Way to Mandir – Kranteshwar Mahadev Mandir Hindi

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचना एक सुखद अनुभव जैसा है। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग ३ किलोमीटर का ट्रैक करना होता है और यह ट्रैक बहुत से छोटे छोटे गांव से होता गुजरता है। इस रास्ते में प्रकृति का सुन्दर रूप देखने को मिलता है।  मंदिर के रास्ते में बुरांश, काफूल जैसे पेड़ देखे जा सकते हैं। 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – आस पास। Nearby – Kranteshwar Mahadev Mandir

मंदिर के परिसर में एक संग्रहालय है जो क्षेत्र की पारम्परिक कलाकृति जैसे लकड़ी की मूर्तियां, कवच, टोरा, पेंटिंग, मुखोटे और विभिन  प्रकार के संगीत वाद्यों को प्रदर्शित करता है। मंदिर परिसर में पत्थर की सीढ़ियों से घिरा एक बड़ा प्रांगड़ साथ ही एक गहरा तालाब या कुंड भी शामिल है।

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर – कैसे पहुंचे। How to reach

अगर आप चम्पावत यात्रा प्लान कर रहे हैं तो यहाँ क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर के साथ साथ चम्पावत के अन्य टूरिस्ट प्लेस भी देख सकते हैं। चम्पावत अभी टूरिज्म की दृष्टि से मसूरी देहरादून या ऋषिकेश जितना प्रसिद्द नहीं है इसीलिए यहाँ टूरिस्ट के भारी भीड़ नहीं होती है। शांति और प्रकृति के बीच समय बिताने के लिए चम्पावत एक अच्छी जगह है। 

फ्लाइट से – अगर आप चम्पावत के लिए फ्लाइट से ट्रेवल करना चाहते हैं तो यहाँ का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। पंतनगर से आगे चम्पावत तक की लगभग १६० किलोमीटर की दूरी प्राइवेट टैक्सी , रेंट कार या स्टेट ट्रांसपोर्ट बस से तय की जा सकती है।  

ट्रैन से – अगर आप चम्पावत के लिए ट्रैन से ट्रेवल करना चाहते हैं तो यहाँ सबसे नजदीक टनकपुर स्टेशन है। टनकपुर से चम्पावत की दूरी सड़क के रास्ते तय की जा सकती है।  

सड़क द्वारा- चम्पावत उत्तराखंड राज्य और उत्तरी भारत के प्रमुख शहरों से मोटोरेबल सड़को द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली में आई एस बी टी, आनंद विहार से टनकपूर और चम्पावत बसे उपलब्ध होती हैं। 

Kranteshwar Mahadev Mandir, Beatific Uttarakhand !

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