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महाबलीपुरम | Mahabalipuram Hindi Tourist Places

Mahabalipuram

Mahabalipuram Hindi Tourist Places : महाबलीपुरम, जिसे ममल्लापुरम के नाम से भी जाना जाता है , तमिलनाडु के चेंगलपट्टू जिले में एक प्रसिद्द शहर है जो अपने एक हजार साल से भी ज्यादा पुराने हिन्दू मंदिरों के कारण पूरे विश्व में एक मुख्य पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित है। महाबलीपुरम के सातवीं और आठवीं सदी में बने हुए ये मंदिर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल हैं।

महाबलीपुरम एक प्रसिद्द पोर्ट / बंदरगाह रहा है। पूर्वी घाट में बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा ये शहर साल भर टूरिस्ट्स के लिए एक आकर्षण है।

महाबलीपुरम नाम | Why Name – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम का ये नाम राजा बलि के नाम पर है। राजा बलि और भगवन विष्णु के वामन रूप की कहानी भी बहुत प्रसिद्द है। राजा बलि ने भगवन विष्णु के वामन रूप को तीन पग भूमि दान में दी थी। वामन ने एक पग में धरती और दुसरे पग में आकाश ले लिए और राजा बलि से पूछा कि तीसरा पग कहाँ रखूँ। तब राजा बलि ने उन्हें तीसरा पग अपने सर पर रखने के लिए कहा। उन्ही राजा बलि के नाम पर इस जगह का नाम महाबलीपुरम है।

इतिहास | History- Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम का नाम ममल्लपुरम राजा नरसिंघवार्मन के समय में किया गया। इसका एक और पुराना नाम थिरुकदलमल्लई है। इस शहर का नाम ममल्लपुरम पल्लव राजा नरसिंघवर्मन I नाम पर रखा गया था। राजा नरसिंघवर्मन को ममल्ला कहा जाता था।

महाबलीपुरम के ये प्राचीन मंदिर सातवीं – आठवीं सदी में पल्लव वंश के शासन काल में बनवाये गए थे। इन मंदिरों को रॉक – कट तकनीक से बनाया गया था। रॉक कट तक्नीक में चट्टान पर उसके असली जगह पर ही उस पर आकृतियां गाढ़ी जाती हैं।

महाबलीपुरम शहर का इतिहास दरअसल सातवीं सदी के पल्लव वंश से भी पुराना है। सबसे पहले इस शहर का जिक्र पहली सदी के ग्रीक यात्रियों द्वारा किया गया है। इस शहर का जिक्र मार्क पोलो द्वारा भी किया गया है। मार्क पोलो ने इसे सात पैगोडा नाम दिया था।

महाबलीपुरम में निओलिथिक / नव पाषाण युग के कलश और जार भी खुदाई में मिले हैं। यहाँ चौथी सदी के चीनी और रोमन सिक्के मिलना भी यही बताता है कि इतिहास में यह शहर एक मुख्य पोर्ट था जहाँ से पूर्व और पश्चिम के व्यापारिक जहाज और यात्री गुजरा करते थे।

पल्लव वंश के राजाओं ने महाबलीपुरम के इन विशाल मंदिरों का निर्माण कराया था। इन मंदिरों में हिन्दू धर्म से जुडी पौराणिक घटनाओं और कहानियों को चट्टानों पर उकेर कर तराशा गया है। पल्लव वंश के बाद इस शहर पर चोल वंश , विजयनगर साम्राज्य और मदुरै के नायक वंश का शासन रहा था।

महाबलीपुरम के मुख्य आकर्षण | Mahabalipuram Hindi – Tourist Places

शोर मंदिर | Shor Temple – Mahabalipuram Hindi

दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक शोर मंदिर आठवीं सदी में बनाया गया है। ये भी कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना महाराजा बलि ने कराई थी जिसे राजा नर्सिंगवर्मन ने इस स्वरुप में तैयार कराया। ग्रेनाइट से बना ये मंदिर 5 मंजिल तक बना हुआ है। ये एक मंदिरों का समूह है जिसमे 3 मंदिर एक ही प्लेटफार्म पर बने हुए हैं। इनमें एक मंदिर भगवान् विष्णु और 2 भगवान् शिव के मंदिर हैं। मंदिर के अंदर और बाहर की दीवारों पर सुन्दर मूर्तियां देखी जा सकती हैं। ऐसा माना गया हैं कि रॉक कट टेक्निक से बना ये पहला मंदिर हैं ।

इस मंदिर को सात पैगोडा में से एक पैगोडा माना जाता है। पैगोडा का अर्थ होता है एक ऊंचा टावर। कोणार्क सूर्य मंदिर को भी सात पैगोडा में से एक पैगोडा माना जाता है। ये सात पैगोडा भारत के पूर्वी समुद्र तट पर बने सात मंदिर थे जो समुद्र यात्रियों के लिए एक गाइड का काम करते थे।

गणेश रथ | Ganesh Rath – Mahabalipuram Hindi

गणेश रथ यहाँ चट्टानों से तराशे गए दस रथों में से एक है। यह संरचना राजा नर्सिंगवर्मन के पुत्र राजा महेन्द्रवर्मन के समय में बनायी गयी थी। यह संरचना भी रॉक कट तकनीक से बनायीं गयी एक अद्भुत कला का नमूना है।

पांच रथ | Pandava’s Rath – Mahabalipuram Hindi

इस संरचना में 5 रथ हैं जिन्हे पांडव रथ कहा जाता है। इन रथ के नाम भी पांच पांडवों के नाम पर ही रखे गए हैं। युधिष्ठिर को धर्मराज कहा जाता था और इनसे से एक रथ धर्मराज रथ के नाम से जाना जाता है। दूसरा रथ भीम के नाम पर भीमराज रथ कहा जाता है। अर्जुन के नाम पर अर्जुन रथ है और नकुल – स हदेव के नाम पर नकुल – सहदेव रथ है। पांचवा रथ को द्रौपदी के नाम पर द्रौपदी रथ कहा जाता है। पांच रथ एक बहुत बड़े चट्टान पर उकेरी गयी कलाकृति है और ये सोच कर कि ये सब हाथों द्वारा बनाया गया है , कोई भी आश्चर्य में पड़ जायेगा।

अर्जुन का तप / गंगा का अवतरण | Arjun’s Penance – Mahabalipuram Hindi

इस संरचना को दो तरह से बताया जाता है। एक मत के अनुसार इसमें अर्जुन के तपस्या को दिखाया गया है। अर्जुन ने भगवन शिव कि तपस्या कर उनसे पशुपति अस्त्र प्राप्त किया था और महाभारत कि इस घटना को इस संरचना में दिखाया गया है।

दुसरे मत के अनुसार इसमें गंगा के पृथ्वी पर अवतरण को दिखाया गया है। इसमें नागराज और नागकन्या के मूर्तिया उकेरी हुई हैं। इसमें भगीरथ को तपस्या करते हुए दिखाया गया है।

कृष्णा मंडप | Krishna Mandap Mahabalipuram Hindi

गंगा अवतरण के पास ही कृष्णा मंडप नमक संरचना है। यह संरचना भगवान् कृष्णा को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि पहले यह एक खुला हुआ प्रांगण था जिस पर बाद में छत का निर्माण किया गया। मुख्य रूप से यहाँ कृष्णा द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाये जाने कि घटना को तराश कर बनाया गया है। इसके आलावा कृष्णा जन्म की घटना , कृष्णा का गाय चराना और कृष्ण को गोपियों के साथ में खेलते हुए भी दिखाया गया है।

वराह मंदिर | Varah Temple Mahabalipuram Hindi

यह मंदिर भगवन विष्णु के वराह रूप को समर्पित है। यह मंदिर भी रॉक कट टेक्नोलॉजी का एक बेहतरीन नमूना है। इस मंदिर में वराह का साथ साथ वामन और गजलक्ष्मी की मूर्तियां भी तराशी हुई देखी जा सकती हैं।

कृष्णा के माखन के बॉल | Krishna’s Butter Ball Mahabalipuram Hindi

ये एक चट्टान है जिसे कृष्णा का बटर बॉल कहा जाता है। यह चट्टान एक स्लोप पर है और 45 डिग्री के झुकाव पर बैलेंस है। इसे देखने पर ऐसा लगता है कि यह चट्टान इस स्थिति में इतने स्लोप पर किस तरह से रुकी हुई है। माना जाता है कि इस चट्टान को इस तरह से किसी ने नहीं बैलेंस किया है बल्कि ये इस स्थिति में प्राकृतिक रूप से टिकी हुई है।

महिषासुरमर्दिनि केव / गुफा | Mahishasurmardini Cave Mahabalipuram Hindi

महिषासुरमर्दिनि नाम देवी दुर्गा के लिए कहा जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था और तभी से उन्हें ये नाम मिला है। मूल रूप से यह गुफा एक मंदिर है जिसमें अंदर शिव , पार्वती और उनके पुत्र स्कन्द की मूर्तिया बनायीं गयी हैं। स्कन्द को उत्तर भारत में कार्तिकेय कहा जाता है।

मंदिर के अंदर ही एक दीवार पर महिषासुर वध की घटना को कलाकृति के रूप में तराशा गया है। कहा जाता है कि यह मंदिर अंदर से पूरी तरह बन चुका था जबकि इस के बाहरी दीवारों का काम बाकी रह गया था।

इन मुख्य गुफा मंदिरो और रथों के अलावा भी यहाँ कुछ और संरचनाएं हैं जैसे कि रामानुजा मंदिर, कोनेरी मंदिर और पांच पांडव मंडप।

थिरुकदलमल्लई मंदिर | Thirukadalmallai Temple Mahabalipuram Hindi

थिरुकदलमल्लै मंदिर भगवन विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर के निर्माण पल्लवों द्वारा कराय गया था और बाद में चोल , विजयनगर साम्राज्य और मदुरै के नायक राजाओं ने भी इस मंदिर में निर्माण करवाया। यह मंदिर गंगा अवतरण रॉक के पास ही है और द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का एक विशेष उदहारण है।

टाइगर केव्स / गुफा | Tiger Caves – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम शहर से कुछ दूरी पर टाइगर केव्स हैं। यहाँ बाघ के सर जैसी गुफाओं में कलाकृतियां उकेरी गयी हैं। इस गुफाओं को भी पल्लव वंश के शासन के दौरान ही बनवाया गया था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार ये गुफाएं पल्लव वंश से भी बहुत पहले बनवायी गयी थीं।

महाबलीपुरम बीच | Beaches of Mahabalipuram – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम का साफ़ सुथरा बीच टूरिस्ट को बहुत पसंद आता है। यहाँ आ कर आप बंगाल की खाड़ी के पानी में कुछ वाटर स्पोर्ट्स का मजा भी ले सकते हैं।

महाबलीपुरम कैसे पहुचें | How to reach – Mahabalipuram Hindi

फ्लाइट से | By Flight to Mahabalipuram

महाबलीपुरम के सबसे पास चेन्नई एयरपोर्ट है। चेन्नई से महाबलीपुरम की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। चेन्नई एयरपोर्ट के लिए देश के सभी एयरपोर्ट्स से फ्लाइट या फिर कनेक्टिंग फ्लाइट मिल जाती हैं। एक बार चेन्नई एयरपोर्ट पहुँचने के बाद आप बस या टैक्सी से महाबलीपुरम तक सड़क के रास्ते या फिर ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से | By Train to Mahabalipuram

ट्रेन से महाबलीपुरम पहुँचने के लिए आप चेंगलपट्टू तक ट्रेन से पहुंच सकते हैं। यह एक जंक्शन है और चेन्नई और तमिलनाडु के बाकि स्टेशन से कनेक्टेड है। चेंगलपट्टू से महाबलीपुरम कि दूरी 30 किलोमीटर है। इसके लिए आप टैक्सी या बस से ट्रेवल कर सकते हैं।

सड़क से | By Road

सड़क के नेटवर्क से भी महाबलीपुरम अच्छी तरह कनेक्टेड है और कोस्टल ड्राइव का अनुभव भी इस जर्नी में लिया जा सकता है। यहाँ के लिए आप बस से आ सकते हैं। इसके लिए ए सी और नॉन ए सी दोनों तरह के बस के ऑप्शंस मिल जायेंगे। अगर आप अपनी कार से ट्रेवल रहे हैं तो आप बड़े आराम से यहाँ पहुंच सकते हैं।

महाबलीपुरम में घूमना | Roaming – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम एक छोटा सा शहर है और यहाँ लोकल घूमने के लिए आप ऑटो रिक्शा से जा सकते हैं।

महाबलीपुरम में शॉपिंग | Shopping – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम में पत्थर कि तराशी हुई मूर्तियां और लकड़ी के नक्काशी से बनी कलाकृतियां खरीद सकते हैं।

महाबलीपुरम में खाना | Food – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम एक प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस है और यहाँ में खाने के लिए वेज और नॉन वेज के बहुत से ऑप्शंस मिल जायेंगे ।

महाबलीपुरम में रहना | Stay – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम एक छोटा सा शहर है और यहाँ के टूरिस्ट प्लेसेस देखने के लिए एक दिन काफी होता है। अगर आप यहाँ आ कर 1 – 2 दिन रुकना चाहते हैं तो इसके लिए ऑनलाइन बहुत से होटल्स के बुकिंग की जा सकती है। ये होटल हर बजट के लिए मिल जाते हैं।

महाबलीपुरम जाने का समय / मौसम | Best time to visit – Mahabalipuram Hindi

महाबलीपुरम में गर्मी बहुत ज्यादा होती है इसीलिए यहाँ जाने के लिए सर्दियों का मौसम अक्टूबर से मार्च तक आना सही है। दोपहर में धूप अक्सर तेज़ होती है इसीलिए सुबह जल्दी उठ कर निकलना सही है।

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