Pandupol Mandir Hindi : पांडुपोल मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित है। पांडुपोल मंदिर राम भक्त श्री हनुमान को समर्पित एक प्राचीन भव्य मंदिर है जिसकी ख्याति पूरी दुनिया में है। पांडुपोल मंदिर सरिस्का नेशनल टाइगर रिज़र्व सैंक्चुअरी के एरिया के अंदर स्थित है। पांडुपोल मंदिर अरावली रेंज की पहाड़ियों के बीच स्थित है। अलवर जिले के प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस की लिस्ट में पांडुपोल का महत्वपूर्ण स्थान है और यहाँ विभिन्न राज्यों से टूरिस्ट सरिस्का टाइगर रिज़र्व में सफारी का मजा लेने और मंदिर में भगवान हनुमान के दर्शन करने के लिए आते हैं।
इतिहास – पांडुपोल मंदिर | History – Pandupol Mandir Hindi
पांडुपोल के हनुमान मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि लगभग 5000 साल पहले घटित महभारत के घटनाओं में से एक महत्वपूर्ण घटना पांडुपोल में घटी थी और इस घटना ने महाभाली भीम के घमंड को तोड़ दिया था।
महाभारत काल पांडुपोल मंदिर | Pandupol Mandir Hindi
पांडुपोल हनुमान जी के मंदिर का संबंध महाभारत महाकाव्य के समय से माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस समय महाभारत कल में पांडवों को वनवास तथा अज्ञातवास दिया गया था तब उन्होंने निर्वासन के दौरान कुछ साल अपने जीवन के यहां पांडुपोल में व्यतीत किए थे।
पौराणिक कथा- पांडुपोल मंदिर | Pandupol Mandir Hindi
पांडुपोल हनुमान मंदिर का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस समय पांडवों अपने वनवास और अज्ञातवास का कुछ समय इस क्षेत्र में भी बिताया था। जिस समय पांडव अपना 12 वर्ष का वनवास पूरा कर चुके थे और वे अपने 1 वर्ष के अज्ञातवास को पूर्ण करने के लिए किसी उचित स्थान की तलाश में थे तब वे यहाँ पर रुकना चाहते थे। यह स्थान उन्हें दो पहाड़ियों के बीच में दिखाई दिया और उन्हें लगा कि ऐसे छिपे हुए स्थान पर अज्ञातवास का समय आसानी से पूरा किया जा सकता है। इस स्थान तक जब पांडव पहुंचने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें पहाड़ियों के बीच से आगे जाने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था।
तब अपनी माता कुंती के कहने पर पांडवों ने पहाड़ी को तोड़ कर यहाँ रास्ता बनाने का निश्चय किया। महाबली भीम ने अपनी गदा के एक शक्तिशाली प्रहार से ही इस पहाड़ी को तोड़ दिया था और वहां पर एक रास्ता बना दिया था जो कि पहाड़ी के आर पार दिखाई देता है।
अपने भाई भीम के इस वीरता पूर्ण कार्य को देखकर सभी उनकी प्रशंसा करने लगे थे। इस घटना के बाद से महाबली भीम को अपने बल पर बहुत अहंकार हो गया था। उनके इस अहंकार को तोड़ने के लिए तब श्री हनुमान ने एक योजना बनाई थी।
इस योजना के अनुसार श्री हनुमान एक बूढ़े वानर का रूप ले लिया और वह वहां से गुजर रहे पांडवों के रास्ते में लेट गए। जिस समय पांडव पुत्र वहां से गुजरने लगे तब उन्होंने उस बूढ़े वानर स्वरुप हनुमान से आगे जाने का रास्ता माँगा और पूँछ हटाने के लिए कहा। इस पर श्री हनुमान ने कहा कि मैं तो बहुत बूढ़ा हूं और अपनी इस विशाल पूँछ को हिला भी नहीं सकता। कृपया आप इसके ऊपर से निकल जाएं या फिर इसे एक तरफ रख दें या फिर किसी और रस्ते से निकल जाएं।
यह सुनकर अहंकारी भीम ने फिर से हनुमान से अपनी बात दोहराई और हनुमान ने भी भीम से अपनी बात दोहराई। अपनी जिद के कारण भीम ने हनुमान की विशाल पूँछ को हटाने की कोशिश की लेकिन वह पूँछ को अपनी जगह से हिला नहीं सके। अब भीम को अहसास हुआ कि यह कोई साधारण वानर नहीं है बल्कि कोई दैवीय शक्ति है।
अब उनका अहंकार टूट चुका था और उन्होंने प्रार्थना करते हुए पुछा कि आप कौन हैं ! तब श्री हनुमान ने अपने असली स्वरुप में भीम और पांडवों को दर्शन दिए। भीम ने श्री हनुमान से अपने अहंकार के लिए क्षमा मांगी।
पुराणों में वर्णित है कि श्री हनुमान बोले, हे कुंती पुत्र भीम ! तुम ना केवल वीर हो बल्कि तुम महाबली हो लेकिन तुम्हें यह भी ध्यान रखना चाहिये की किसी भी परिस्थिति में एक महावीर को अहंकार शोभा नहीं देता है। इसके बाद भीम ने हनुमान जी को प्रणाम किया तथा हनुमान जी ने भीम को महाबली होने का वरदान भी दिया और वहां से चले गए।
अन्य पौराणिक कथा | Other Story – Pandupol Mandir Hidni
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव अपनी पत्नी द्रोपदी के साथ अज्ञातवास में थे उसी दौरान द्रोपदी अपनी नियमित दिनचर्या के लिए यहां स्थित घाटी के नीचे तालाब में स्नान करती थी। एक बार द्रौपदी ने पानी में एक बहते हुए सुन्दर फूल को देखा और उन्होंने आकर भीम से यह फूल लाने के लिए कहा। महाबली भीम उस की खोज करते हुए जल धारा की ओर बढ़ने लगे और आगे जाने पर उन्होंने देखा कि एक विशाल वृद्ध वानर कर आराम से लेटा हुआ है जिसके कारण उनका रास्ता रुका हुआ है। उन्हें कोई दूसरा रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहा था। तब उन्होंने उस वानर से वहां हटकर रास्ता देने के लिए कहा लेकिन वानर ने कहा कि मैं तो अत्यंत वृद्ध हूं, मैं इस अवस्था में नहीं हूं कि यहाँ से हट सकूं , तो आप मेरे ऊपर से निकल जाए।
तब भीम ने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते और वानर को उन्हें रास्ता देना चाहिए। इस पर वानर ने कहा कि आप तो अत्यंत वीर और महाबली दिखाई देते हो, आप मेरी पूंछ को हटाकर रास्ता बना लो । और इसके आगे के कहानी बिलकुल वैसे ही बताई जाती है जैसे कि ऊपर वर्णन किया है। तभी से यहां पर पांडवों ने हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा बनाकर मंदिर की स्थापना की, जोकि पांडुपोल के मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हनुमान मंदिर – पांडुपोल मंदिर | Pandupol Mandir Hindi
कहा जाता है वह स्थान जहाँ पर महाबली हनुमान लेटे थे , उसी स्थान पर उनका प्रसिद्ध मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया जो कि एक प्रसिद्ध धाम के रूप में अत्यंत पूजनीय है। इस मंदिर में मंगलवार, शनिवारऔर पूर्णिमा के दिन हनुमान जी के इस रूप के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आये भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर के अलावा प्रयागराज उत्तरप्रदेश में लेटे हुए हनुमान की प्रतिमा स्थापित है जिस से जुडी एक रोचक कहानी भी बताई जाती है।
मंदिर खुलने का समय – पांडुपोल मंदिर | Timings – Pandupol Mandir Hindi
हनुमान जी के दर्शन के लिए यह मंदिर प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से शाम 10:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर घूमने के लिए तीर्थयात्रियों को कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है।
पहाड़ के बीच में दरवाजा | Pandupol Mandir Hindi
पांडुपोल हनुमान मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर आगे आने पर वह स्थान दिखाई देता है जिसे भीम पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। यह वही स्थान माना जाता है जहाँ एक पहाड़ी पर भीम ने गदा के प्रहार से पहाड़ी को तोड़ कर एक रास्ता बना दिया था। यहाँ से नदी की एक छोटी धारा पूरे साल बहती रहती है जो कि यहाँ आये टूरिस्ट्स और श्रद्धालुओं को आश्चर्य चकित कर देती है। पहाड़ के बीच में बनाया गया यह पोल ही पांडुपोल या भीम दरवाजा के नाम से जाना जाता है।
मंदिर एंट्री – पांडुपोल मंदिर | Entry – Pandupol Mandir Hindi
यह मंदिर सरिस्का टाइगर रिजर्व से अंदर लगभग 15 किलोमीटर जाने के बाद आता है। मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में विभिन्न जानवर जैसे चीता, लंगूर, बंदर, मोर, नीलगाय, हिरन और वाइल्ड बोर ( जंगली सूअर ) इत्यादि को देखा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने का यह रास्ता दोनों तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है। इस रास्ते पर जाते समय जगह जगह प्रकृति के सुन्दर रूप के दर्शन होते हैं। सड़कें बहुत अच्छी नहीं होने के कारण थोड़ा धीमे स्पीड से ही मंदिर परिसर तक पहुंचा जाता है।
यहाँ ध्यान रखना चाहिए कि आप किस दिन पांडुपोल मंदिर आना चाहते हैं। अगर आप मंगलवार या शनिवार के दिन यहाँ आना चाहते हैं तो क्योंकि इन दोनों दिन हनुमान जी के विशेष पूजन के व्यवस्था मंदिर में की जाती है तो मंदिर परिसर तक गाड़ी ले जाने के अनुमाति है। किसी और दिन आने पर टूरिस्ट्स को अपनी गाड़ी मंदिर तक ले जाने के अनुमति नहीं होती है क्योंकि यह एक टाइगर रिज़र्व एरिया है और जानवरों के सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह नियम बनाये गए हैं।
मंगलवार और शनिवार को सरिस्का टाइगर रिजर्व के मेन गेट पर 375 रुपए का एंट्री टिकट कार के लिए और बाइक से जाने पर 70 रुपए का एंट्री टिकट लेना होता है। टिकट लेने के बाद ही गाड़ी को अंदर जाने दिया जाता है।
अरावली पहाड़ी से घिरा होने के कारण यहां का मौसम भी सुहाना रहता है। यहां पर किसी भी समय बारिश होती है, जो इस माहौल को और अधिक खुशनुमा बना देती है।
मंगलवार और शनिवार के अलावा किसी और दिन अंदर जाने के लिए रिज़र्व द्वारा दी गयी जिप्सी से ही अंदर जा सकते हैं। इसका किराया 4000 – 5000 तक भी हो सकता है। ठीक यही है कि जाने से पहले यह निश्चित कर लिया जाए कि आप किस दिन यहां आना चाहते है। शनिवार के दिन यहां पर एंट्री का टाइम बढ़ा दिया जाता है जबकि अन्य दिनों में 3 बजे के बाद एंट्री नहीं मिलती है।
सरिस्का में जंगल के रास्ते जाने के बाद आगे बसों को मंदिर से कुछ दूरी पर ही रोक दिया जाता है और वहां से आगे लोगों को पैदल ही जाना पड़ता है लेकिन अपनी गाड़ी द्वारा जाने वाले व्यक्ति मुख्य मंदिर के बिल्कुल नजदीक जा सकते हैं। वहां पर गाड़ी की पार्किंग की व्यवस्था भी है।
प्रसाद और खान पान
पांडुपोल हनुमान मंदिर के बिल्कुल पास ही कुछ दुकानें भी हैं जहां से प्रसाद आदि लेकर अंदर मंदिर में श्रद्धालु प्रार्थना में अपने इष्ट को अर्पित करते हैं। मंदिर के पास के इन दुकानों पर प्रसाद के अलावा अलवर का प्रसिद्ध कलाकंद भी मलता है और टूरिस्ट इसका मजा लेते हैं। इसके अलावा यहां पर अन्य खान पान का सामान भी मिलता है। यहां का प्रसिद्द नाश्ता कढ़ी कचोरी है।
इसके अलावा आसपास के रेस्टोरेंटों में पूरी ,दाल ,लस्सी ,रबड़ी, दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी आदि व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है।
टाइगर रिजर्व क्षेत्र – पांडुपोल मंदिर | Sariska Tiger Reserve – Pandupol Mandir Hindi
पांडुपोल टाइगर रिजर्व क्षेत्र का ही हिस्सा है। जगह जगह पर मोर पक्षी दिखाई देते हैं। 35 से 40 फुट ऊंची अरावली पहाड़ियों के बीच बसा सरिस्का नेशनल पार्क लगभग 800 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर घास के मैदान , चट्टाने आदि को देखते हुए सरिस्का रिजर्व तक पहुंचा जाता है।
कब जाएं, समय – पांडुपोल मंदिर | Best Time to Visit – Pandupol Mandir Hindi
आप पांडुपोल के मंदिर को देखने के लिए आना चाहते हैं तो कभी भी मंगलवार और शनिवार के दिन आ सकते हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यहां लगने वाला मेला है जो कि हर वर्ष भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है। इस मेले में शामिल होने के लिए हनुमान भक्त डोर दूर से आते हैं। पांडुपोल मंदिर में परिसर में ही भंडारे की भी व्यवस्था है। श्रद्धा से अलग अगर आप सरिस्का रिज़र्व में भी कुछ समय बिटाना चाहते हैं तो यहाँ आने के लिए अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय सबसे अच्छा है । इस दौरान यहां का मौसम इस समय सुहावना होता है।
कैसे पहुचें | How to Reach – Pandupol Mandir Hindi
पांडुपोल हनुमान मंदिर देश के राजधानी दिल्ली से लगभग 165 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से इसकी दूरी लगभग 110 किलोमीटर और अलवर शहर से पांडुपोल की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है।
यहां का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट जयपुर में स्थित है। जयपुर से पांडुपोल तक की दूरी रोड ट्रेवल से तय की जा सकती है।
पांडुपोल का सबसे नजदीक एक रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है जहां से भारत के अन्य राज्यों के लिए रेल कनेक्टिविटी अच्छी है। अन्य क्षेत्रों से भी अलवर के लिए बसों की सुविधाएं उपलब्ध है। बस और टैक्सी से आसानी से पांडुपोल हनुमान जी के दर्शन के लिए जाया जा सकता है।
पांडुपोल का प्रकृति के बीच का यह १५ किलोमीटर लम्बा सफर, मंदिर में श्री हनुमान के वृद्ध रूप में दर्शन और यहाँ पसरा भक्ति भाव श्रद्धालुओं को रोमांच से भर देता है। आगे चलकर भीम द्वारा पहाड़ी को चकनाचूर कर बनाए गए इस रास्ते को देख कर अहसास होता है कि इतना बल भी किसी में हो सकता है। श्रद्धा और रोमांच का यह सफर नयी स्फूर्ति भर देता है।
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