Purnagiri Mandir Hindi – उत्तराखंड के हर एक कण में देवी – देवताओं का वास माना जाता है और इसी विश्वास के चलते उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। उत्तराखंड के चम्पावत जिले में स्थित टनकपुर शहर में पूर्णागिरि मंदिर स्थित है जो देवी शक्ति के रूप को समर्पित है। पूर्णागिरि मंदिर हिमालय की अन्नपूर्णा छोटी पर लगभग 3000 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है। पूर्व की ओर नेपाल से लगा चम्पावत जिला उत्तराखंड में भारत की सीमा है।
पूर्णागिरि मंदिर – महत्त्व | Significance – Purnagiri Mandir Hindi
टनकपुर से लगभग 19 किलोमीटर के दूरी पर स्थित पूर्णागिरि मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में मान्य है और इसीलिए इस मंदिर का धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्त्व है। पूर्णागिरि मंदिर भारत उपमहाद्वीप में फैले 108 शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ देवी शक्ति को समर्पित मंदिर हैं और ये वह स्थान हैं जहाँ देवी सती के जले हुए शरीर के टुकड़े गिरे थे। इससे सम्बंधित कहानी आप यहाँ आगे आर्टिकल में पढ़ सकते हैं।
पूर्णागिरि मंदिर से सम्बंधित कहानी | Story – Purnagiri Mandir Hindi
हिन्दू धार्मिक पुराणों में वर्णित कहानी के अनुसार एक बार देवी सती के पिता महाराज दक्ष ने एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया और उसमें देवी सती और उनके पति भगवान शिव को जानबूझ कर निमंत्रण नहीं भेजा। इस बात से देवी सती को दुःख हुआ और वह अपने पिता के बिना बुलाये ही यज्ञ में भाग लेने के लिए चली गयी। वहां उन्हें पिता द्वारा अपमानित किया गया और इससे क्रोध और दुःख में देवी सती ने यज्ञ की अग्नि में ही कूद कर अपनी जान दे दी थी। जब भगवन शिव को यह सब पता चला तो वह यज्ञ के स्थान पर पहुंचे और सती के जले हुए शरीर को ले कर दुःख में इधर उधर भटकने लगे।
यह देख कर भगवान विष्णु ने सती के मृत शरीर के टुकड़े कर दिए और वही टुकड़े अलग अलग जगहों पर जा गिरे। जहाँ जहाँ वह टुकड़े गिरे वहां वहां शक्तिपीठ के स्थापना हुई। माना जाता है कि सती के मृत शरीर का एक भाग यहाँ भी आ गिरा था और इस तरह से इस स्थान को शक्तिपीठ माना गया।
पूर्णागिरि मंदिर स्थापना | Purnagiri Mandir Hindi
इस मंदिर के स्वरुप से सम्बंधित एक कहानी यहाँ प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार चम्पावत के राजा ज्ञानचंद ने एक व्यापारी चंद्र तिवारी को शरण दी थी। उस व्यापारी को सपने में देवी पूर्णागिरि के दर्शन हुए और उसके बाद उस व्यापारी ने यहाँ मंदिर बनवाया।
झूठे का मंदिर – पूर्णागिरि मंदिर | Jhoothe ka Mandir – Purnagiri Mandir Hindi
पूर्णागिरि मंदिर के पास ही झूठे का मंदिर स्थति है। इस मंदिर से सम्बंधित एक मजेदार कहानी यहाँ बताई जाती है। कहानी के अनुसार एक बार एक व्यापारी ने देवी पूर्णागिरि के मंदिर में संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हुए प्रार्थना की और यह माना की इच्छा पूरी होने पर वह यहाँ एक सोने की वेदी रखवाएगा।
थोड़े समय बाद संतान होने के बाद वह व्यापारी लालच में आ गया और उसने सोने की जगह ताम्बे की वेदी बनवायी और उसे मंदिर में स्थापित ले चला। रास्ते में एक जगह उसने आराम करने के लिए वेदी को रखा और उसके बाद वह उस वेदी को उठा ही नहीं पाया। तब उसे लगा कि ऐसा उसके लालच के कारण हुआ है और उसने उस वेदी पर वहीं एक मंदिर बनवाया। इसी मंदिर को झूठे का मंदिर कहा जाता है।
पूर्णगिरि मंदिर – प्रार्थना समय | Timing – Purnagiri Mandir Hindi
पूर्णागिरि मंदिर गर्मियों के मौसम में सुबह 5 बजे शाम के 7 बजे तक खुला होता है। सर्दियों में यह मंदिर सुबह 5 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला होता है।
पूर्णागिरि मंदिर – उत्सव | Festival – Purnagiri Mandir Hindi
पूर्णागिरि मंदिर देवी शक्ति को समर्पित एक मंदिर है। हिन्दू कलैंडर में नवरात्री के नौ दिन विशेष रूप से देवी शक्ति को समर्पित हैं। नवरात्री के मौके पर पूर्णागिरि मंदिर में भी विशेष प्रार्थना का आयोजन होता है और उत्सव का सा माहौल होता है।
पूर्णागिरि मंदिर की यात्रा | Trek – Purnagiri Mandir Hindi
माँ पूर्णागिरि मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करनी होती है जो लगभग ४ किलोमीटर लम्बा रास्ता है। मंदिर के लिए पैदल चढ़ाई भैरों मंदिर से शुरू हो जाती है। भैरों मंदिर तक का रास्ता यात्री अपने वहिक्ले से या शेयर्ड टैक्सी से तय कर सकते हैं। इसके अलावा इस रास्ते पर आपको बस भी मिल जाएँगी।
पूर्णगिर मंदिर का रास्ता महाकाली नदी के किनारे किनारे अन्नपूर्णा पहाड़ी की ओर जाता है। रास्ता बेहद मनमोहक है और जैसे -जैसे इस रास्ते पर ऊपर चढ़ते जाते हैं हरियाली बढ़ती जाती है और पकृति के सुन्दर रूप को देखा जा सकता है।
भैरों मंदिर से आगे की रास्ते की पैदल चढ़ाई में कुछ जगह पर सीढ़ियां हैं तो काफी दूरी सीधे रास्ते पर चलने से तय होती है। इस पूरा रास्ते पर धूप बारिश से बचाव के लिए तीन शेड पड़े हैं और जाली लगी हुई हैं।
रास्ते में जगह जगह पर प्रसाद के लिए दुकानें , खाने के लिए रेस्टोरेंट और छोटे छोटे अनेकों मंदिर भी आते हैं। यात्री अपनी जरूरत के अनुसार रुकते हुए और आराम करते हुए आगे बढ़ते रहते हैं। रास्ते पर दूर दूर से आने वाले यात्रियों के लिए मुफ्त में रुकने होती है। सर्दियों के मौसम में यहाँ कम्बल भी उपलब्ध होते हैं।
मंदिर से थोड़ी दूरी पहले अपने चप्पल और जूते जमा कर के यात्री आगे पूर्णागिरि मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं।
कैसे पहुचें पूर्णगिरी मंदिर | How to reach Purnagiri Mandir
सड़क से | By Road to Purnagiri
पूर्णागिरि मंदिर की यात्रा के लिए टनकपुर मुख्य शहर है। टनकपुर शहर रोड नेटवर्क से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। यात्री सड़क के रास्ते अपने वाहन से या स्टेट ट्रांसपोर्ट या प्राइवेट ट्रांसपोर्ट के बस से आसानी से टनकपुर तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली , लखनऊ जैसे शहरो से टनकपुर के लिए सीधी बस सुविधा भी उपलब्ध है।
रेल से | By Train to Purnagiri
अगर आप ट्रेन से ट्रेवल करना चाहते हैं तो टनकपुर एक रेलवे स्टेशन है जिसका कोड TPU है। इस रेलवे स्टेशन पर कई ट्रेन हैं और दिल्ली से सीधे टनकपुर के लिए भी ट्रैन जर्नी की जा सकती है। इसी तरह से देश हिस्सों से डायरेक्ट या कनेक्टेड ट्रेन सुविधा उपलब्ध है।
फ्लाइट से | By Flight to Purnagiri
अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो यहाँ का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट पंत नगर है जो की टनकपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। पंत नगर एयरपोर्ट से टनकपुर के लिए टैक्सी अदि से ट्रेवल कर सकते हैं ।
( द्वारा कृष्णा कुमारी )
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