RaiSen Kila Hindi : रायसेन का किला भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 48 किलोमीटर दूर स्थित राय सेन किला विंध्याचल पर्वत श्रंखला में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। राय सेन किला समुद्र तल से लगभग 1500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। रायसेन किला राष्ट्रीय महत्त्व का का ऐतिहासिक स्मारक है जो अब पुरातत्व विभाग की देखरेख में है।
रायसेन किला – इतिहास | History – RaiSen Kila Hindi
माना जाता है कि रायसेन किले का निर्माण 1200 ई0 में कराया गया था। ऐसा कहा जाता है कि रायसेन का किला राजा रायसेन द्वारा बनवाया गया था। 10 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ राय सेन का किला इतिहास में एक महत्वपूर्ण किला माना जाता है।
राय सेन किले पर कुल १४ बार अलग अलग शासकों ने अधिकार करने के लिए आक्रमण किये। 15 वीं सदी में रायसेन पर मांडू के राजा बाज बहादुर शाह का शासन काल रहा और उसके बाद यह किला राजपूतों के अधिकार में आ गया। सन 1543 में शेरशाह सूरी ने गौड़ राजा पूरणमल शाह से यह किला धोखे से हथिया लिया था । कहा जाता है कि शेरशाह सूरी लगातार चार महीने के प्रयास के बाद भी किले पर अधिकार नही कर पाया और तब उसने धोखे से गौड़ राजा पूरणमल शाह से यह किला हथिया लिया।
किले पर अधिकार करने के लिए शेरशाह सूरी ने किले के सामने ही तांबे के सिक्कों को गला कर तोप बनवायीं और उन्हें युद्ध में इस्तेमाल किया। इस युद्ध के समय राजा पूरणमल ने अपनी हार को आते देखकर स्वयं ही अपनी रानी रत्नावली को बचाने के लिए उसका सर तलवार से काट दिया। किले के खंडहरों में आज भी उस युद्ध के अवशेषात्मक चिन्ह देखे जा सकते हैं।
रायसेन किला परिसर | Inside – RaiSen Kila Hindi
रायसेन किले का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया है। 1500 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित रायसेन किले में अनेको तालाब ,महल और मंदिर है। यह किला लगभग 1000 साल पुराना माना जाता है। यह किला नौ प्रवेश द्वार वाली एक बड़ी चट्टान है, जिससे यह घिरा हुआ है । 9 प्रवेश द्वार और 13 बुर्ज के साथ चार बड़े तालाब तथा 84 तलैया या छोटे तालाब हैं जो रायसेन किले का आकर्षण हैं।
कोस मीनार – रायसेन किला | Kose Minar – RaiSen Kila
रायसेन किले में प्रवेश करने के लिए मुख्य द्वार से सीढ़ियां चढ़कर प्रवेश किया जाता है। अंदर जाते ही एक कोस मीनार है जिसे विजय स्तंभ भी कहा जाता है। पुराने समय में दूरियां नापने के लिए कोई पैमाने नहीं हुआ करते थे तब जनता को सूचना देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। जो भी संदेश जनता को देना होता था वह इस कोस मीनार पर लगा दिया जाता था तथा फिर सभी लोग यहां आकर उस संदेश को पढ़ सकते थे।
तालाब – रायसेन किला | Ponds – Raisen Kila
किले के मुख्य चार तालाब इस प्रकार है मोतिया ताल, मदागन ताल ,मलेंगा ताल और रानीताल।
मोतिया ताल का उपयोग राज परिवार के लोगों के पीने के पानी के लिए किया जाता था। यह तालाब बेहद खूबसूरत तरीके से निर्माण किया गया था।
दूसरा ताल मदागन ताल है। यह ताल मंदिर के निकट है जो एक विशाल तालाब है। इसकी खासियत यह है कि यह सदियों पुराना होने पर भी इस तालाब में पानी सूखता नहीं है।
मलेंगा ताल उत्तरी भाग में स्थित है। यह तालाब आज बिल्कुल सूखा तालाब है।
चौथा तालाब रानी तालाब के नाम से जाना जाता है। जिसका उपयोग उस समय रानियां अपने नहाने के लिए किया करते थी।
पेमिया मंदिर – रायसेन किला | Pemiya Mandir – Raisen Kila
किले का प्रमुख मंदिर पेमिया मंदिर है। पेमिया मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित है, पूरे साल बंद रहता है परंतु महाशिवरात्रि के दिन साल में केवल 1 दिन मंदिर खुलता है। उस समय यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। पहले यह मंदिर बंद पड़ा हुआ था लेकिन यहाँ के निवासियों द्वारा मांग किये जाने पर यह मंदिर प्रशासन द्वारा खोला गया और तभी से यह मंदिर पूरे वर्ष में केवल एक दिन , शिवरात्रि के उत्सव के दिन पूजा प्रार्थना आदि के लिए खोला जाता है।
इत्र दान स्मारक – रायसेन किला | Itradan Smarak – RaiSen Kila
किले के ऊपरी हिस्से में एक इत्र दान स्मारक है जिसे श्रंगार कक्ष भी कहा जा सकता है। यहां पर रानियां अपना श्रृंगार किया करती थी। इत्र दान का इको साउंड सिस्टम एक हाई टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित करता है। यहां उपस्थित आले में कुछ भी बोलने पर उसे बहुत दूर वाले स्थान पर सुना जा सकता है लेकिन वहां उपस्थित अन्य किसी स्थान पर इस आवाज को नहीं सुना जा सकता, जिसे यहां का विशेष इको साउंड सिस्टम कहा जाता है।
मस्जिद ( हजरत पीर फतेह उल्लाह शाह बाबा की दरगाह) | Masjid – RaiSen Kila
किले में एक मस्जिद भी स्थित है कहा जाता है कि मस्जिद में मुस्लिम संत हजरत पीर फतेह उल्लाह शाह बाबा की दरगाह है जिस पर आकर लोग अपनी मन्नतें मांगते हैं ।
महल – रायसेन किला | Mahal / Palace – RaiSen Kila Hindi
किले के मुख्य आकर्षण इसके चार महल हैं जिनमें बादल महल, रोहिणी महल, इत्र दान महल और हवा महल है। किले में प्रवेश करने पर दाएं तरफ 200 मीटर की दूरी से भगवान शिव के मंदिर के सामने ही बादल महल है। बादल महल लगभग 200 वर्ग फुट में स्थित है। इसके सामने की मुख्य दीवार में पुराने खंभे देखे जा सकते हैं। किले में रानी महल के सामने तांबे के सिक्कों को गलवा कर बनाई गई तोपे भी देखी सकती हैं।
वाटर हार्वेस्टिंग – रायसेन किला | Water Harvesting – RaiSen Kila Hindi
ऊंची पहाड़ी पर किले स्थित होने पर सबसे अधिक समस्या वहां पानी की होती थी। रायसेन किले में पानी की समस्या के समाधान के लिए उस समय के राजाओं की दूरदर्शिता को प्रकट करती हुई वाटर हार्वेस्टिंग का उदाहरण दिखाई देते है। किले में अनेको ताल तलैया है जिनमे बारिश के पानी को एकत्र करके पानी की आवश्य्कता पूरी की जाती थी।
इत्र दान का इको साउंड सिस्टम बड़ा ही हाई टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित करता है। यहां उपस्थित आले में कुछ भी बोलने पर उसे बहुत दूर वाले स्थान पर सुना जा सकता है। लेकिन वहां उपस्थित अन्य स्थान पर इस आवाज को नहीं सुना जा सकता, जिसे यहां का विशेष इको साउंड सिस्टम कहा जाता है।
किले के अंदर एक म्यूजियम भी है।
पारस पत्थर की कहानी | Paras Patthar Stories
माना जाता है कि राजा रायसेन के पास एक पारस पत्थर था। पारस पत्थर को जिस भी वस्तु से छू देते वही वस्तु सोने की बन जाती। इसी पत्थर को पाने के लिए अनेकों बार किले पर आक्रमण हुए लेकिन उस पारस पत्थर को कोई भी पा ना सका।
राजा रायसेन ने एक युद्ध में खुद को हारते हुए देखकर उस पारस पत्थर को मदागन ताल में फेंक दिया । तब से कहा जाता है कि अनेको राजाओं ने और अन्य बहुत से लोगों ने उस पारस पत्थर को मदागन ताल में ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई भी इसमें सफल ना हो सका। लोगों का कहना है कि कुछ व्यक्ति तो यहां पर रात के समय तांत्रिकों को लेकर भी आए जो कि पारस पत्थर को प्राप्त कर सके लेकिन किसी को भी सफलता ना मिल सकी। बल्कि यहां तक कहा जाता है कि पारस पत्थर ढूंढने के कोशिशों में कुछ लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। वहां के लोगों का मानना है कि ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि उस पारस पत्थर के रक्षा कोई जिन्न करता है।
रायसेन किला देखने के लिए कब जाएं तथा कैसे जाएं | Best time to visit RiaSen Kila
वैसे तो रायसेन किला देखने के लिए कभी भी जाया जा सकता है ,लेकिन शिवरात्रि पर यहां मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तथा उस समय पर एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है ,तो रायसेन का किला देखने के लिए शिवरात्रि का समय अति उत्तम है।
रायसेन के लिए तक कैसे पहुंचे ?How to reach RaiSen Kila
रायसेन का निकटतम हवाई अड्डा भोपाल हवाई अड्डा है जो लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है । भोपाल से टैक्सी या गाड़ियों द्वारा आसानी से रायसेन के लिए तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग द्वारा रायसेन किले तक पहुंचने के लिए विदिशा रेलवे स्टेशन से जाया जा सकता है,यहां से रायसेन किले की दूरी लगभग 35 किलोमीटर तक है।
रायसेन किले को देखने का समय | RaiSen Kila Timings
किले को देखने के लिए सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। यहां किले में अंदर प्रवेश करने के लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है लेकिन कार पार्किंग और बाइक पार्क करने के लिए फीस देनी होती है।
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