Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi : साबरमती आश्रम या गाँधी आश्रम , अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे बसा हुआ ये आश्रम कभी महात्मा गाँधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गाँधी का घर था । महात्मा गाँधी का घर और भारत की आजादी की लड़ाई में एक मुख्य निभाने वाला ये साबरमती आश्रम आज भी देश और विदेश से आने वाले हजारों पर्यटकों के लिए एक आकर्षण है ।
अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि यह एक दशक से अधिक समय तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता महात्मा गांधी के निवास के रूप में कार्य करता था। वर्ष 1917 में स्थापित साबरमती आश्रम, ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के संघर्ष के दौरान महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गांधी और उनके अनुयायियों के रहने का मुख्य स्थान था।
साबरमती आश्रम भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र था, जिसमें 1930 में नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) भी शामिल था, जो भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटना थी। ब्रिटिश नमक एकाधिकार के विरोध में महात्मा गांधी ने यहां से अरब सागर के तट पर स्थित दांडी तक मार्च शुरू किया, जिसका भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
आज, साबरमती आश्रम गांधी के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित एक संग्रहालय के रूप में खड़ा है। विज़िटर महात्मा गांधी के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित विभिन्न कलाकृतियों, पत्रों और तस्वीरों को देख सकते हैं। साबरमती नदी के तट पर स्थित आश्रम का शांत वातावरण गांधीवादी दर्शन और अहिंसा के सिद्धांतों के बारे में सोचने और सीखने के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है।
महात्मा गाँधी के साबरमती आश्रम को देखने के लिए सिर्फ आम पर्यटक ही नहीं बल्कि बड़े बड़े राजनैतिक नेता और प्रसिद्द लोग आते रहते हैं । साबरमती आश्रम का माहौल आज भी गांधीमय हैं । यहाँ पसरी हुई शांति और आश्रम के पीछे बहती साबरमती नदी, शहर के शोर से अलग साबरमती आश्रम पर्यटकों को एक नयी ऊर्जा से भर देता है ।
साबरमती आश्रम स्थापना | Established- Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
साबरमती आश्रम की स्थापना सन 1917 में हुई । महात्मा गाँधी जब साउथ अफ्रीका से लौटे तो वह एक नए जीवन सिद्धांत के साथ लौटे और उसी सिद्धांत को आत्मसात करने के लिए वो आम लोगों की भीड़ में न रह कर एक शांत जगह पर रहना चाहते थे । इसीलिए पहले उन्होंने कोचरब में अपना पहला आश्रम बनाया जो कि साबरमती आश्रम से 4 किलोमीटर कि दूरी पर हैं । बाद में 1917 में वो साबरमती आश्रम में रहने लगे ।
आश्रम में गेट के पास ही एक साइट मैप हैं जिसमे आश्रम के अंदर आप क्या देखने वाले हैं उन स्थानों को लिस्ट किया गया हैं । आश्रम में महात्मा गाँधी म्यूजियम, प्रार्थना स्थल , हृदय कुञ्ज, विनोबा – मीरा कुटीर, मगन निवास, उद्योग मंदिर और नंदिनी निवास हैं । इनके अलावा एक खादी बिक्री केंद्र और एक लाइब्रेरी भी हैं ।
साबरमती आश्रम – महात्मा गाँधी संग्रहालय | Museum – Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
सन 1963 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आश्रम में महात्मा गाँधी स्मारक संग्रहालय का उद्घाटन किया । इस म्यूजियम में गाँधी जी के जीवन से सम्बंधित स्मृति रखी गयी हैं । गाँधी के जन्म से ले कर मृत्यु तक उनके जीवन की प्रत्येक घटना की स्मृति इस म्यूजियम में देखने को मिल जाती हैं । म्यूजियम में महात्मा गाँधी की फोटो, उनके जीवन में स्थान रखने वाले लोगों की फोटो , गाँधी जी की पुराने पत्रों की कॉपी , उनके खड़ाऊँ और चश्मा भी रखे हैं ।
गाँधी जी की जीवन पर अपनी छाप छोड़ने वाली और उनको अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाली उनकी पत्नी कस्तूरबा गाँधी की मूर्ती और उनसे सम्बंधित स्मृति भी इस म्यूजियम में देखने को मिलती हैं । गाँधी जी का ये म्यूजियम सच में एक देखने लायक जगह हैं । वैसे तो गाँधी जी की बारे में इतना लिखा और पढ़ा जा चुका हैं लेकिन फिर भी, इस म्यूजियम को देख कर गाँधी जी की जीवन की वो पहलु भी देखने और समझने को मिलते हैं जो शायद वैसे नहीं मिल सकते ।
साबरमती आश्रम से ही गाँधी जी की दांडी यात्रा शुरू हुई । 12 मार्च सन 1930 में गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार के नमक पर टैक्स लगाने के निश्चय के विरोध में नमक सत्याग्रह किया । इसके लिए उन्होंने साबरमती से 787 किलोमीटर दूर , समुद्र तट पर दांडी नामक गांव तक पैदल मार्च करने का निश्चय किया और प्रण किया कि अब जब तक भारत स्वतंत्र नहीं हो जायेगा , तब तक आश्रम नहीं लौटूंगा । उसी दिन गाँधी जी साबरमती आश्रम से निकल गए और उसके बाद यहाँ वापिस नहीं आये ।
म्यूजियम में दांडी यात्रा से सम्बंधित जानकारी और उसे सम्बंधित फोटोज भी दिखाए गए हैं । म्यूजियम में एक पेंटिंग गैलरी हैं जिसमें गाँधी जी कि प्रभावी पेंटिंग्स को शामिल किया गया हैं । इसके अलावा म्यूजियम में एक भाग हैं जिसमें एक बोर्ड पर उन पत्रों को दिखाया गया हैं जिन्हे बच्चों ने गाँधी जी का नाम लिखा हैं ।
साबरमती आश्रम – हृदय कुञ्ज | Hriday Kunj – Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
साबरमती आश्रम में एक स्थान हैं हृदय कुञ्ज , जहाँ गाँधी जी सन1919 से 1930 तक रहे थे । काका साहेब कालेकर ने इस घर को हृदय कुञ्ज नाम दिया था । यहाँ एक कमरा मेहमानों की लिए था जिसमें गाँधी जी से मिलने की लिए दूर दूर से आने वाले लोग रुकते थे । अभी इस कमरे में एक चरखा और गाँधी जी की राइटिंग डेस्क की नक़ल की एक डेस्क रखी हैं । इस घर में रहते हुए ही गाँधी जी मोहनदास से महात्मा बने ।
साबरमती आश्रम – प्रार्थना स्थल | Prayer Ground – Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
आश्रम की अंदर एक खुला प्रार्थना स्थल हैं जहा आश्रम की लोग एक साथ प्रार्थना करते और यही पर बैठ कर गाँधी जी लोगों की सवालों की जवाब भी दिया करते । आश्रम की लोगों की दिनचर्या का ये एक महत्वपूर्ण भाग था । यहाँ बैठ कर सब अपने सारे दिन की गतिविधियों की चर्चा भी करते अगले दिन की लिए भी प्लानिंग करते ।
इस प्रार्थना स्थल की विशेषता यह थी की आश्रम में सभी धर्म और जाती के लोग रहा करते थे और सभी एक साथ इसी जगह और प्रार्थना करते थे । प्रार्थना स्थल के पास ही एक छोटा सा मंदिर भी बनाया गया था जो की सभी के लिए मान्य था । भारतीय समाज में फैले छुआछूत से दूर आश्रम का ये प्रार्थना स्थल आश्रम के लिए बहुत महत्वपूर्ण था ।
विनोबा – मीरा कुटीर | Vinoba – Meera Kuteer – Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
भूदान आंदोलन के अग्रणी आचार्य विनोबा भावे भी गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होकर साबरमती आश्रम में गाँधी जी की साथ रहने के लिए आये । वह यहाँ सन 1918 से 1921 के बीच कुछ महीनों तक रहे । इसी कुटिया में गाँधी जी के विचारों से प्रभावित मैडेलीन स्लैड, जो बाद में गाँधी जी की शिष्य बन गयी और उन्हें मीरा कहा गया , सन 1925 से 1933 तक रहीं ।
साबरमती आश्रम – नंदिनी | Nandini – Guest House – Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
आश्रम में नंदिनी कुटीर साक्ष्य हैं गाँधी जी की अमित लोकप्रियता की , इस कुटी में आकर रबिन्द्र नाथ टैगोर , पंडित नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रशाद , दीनबंधु एंड्रू और देश और विदेश की लोकप्रिय हस्तियां आकर रुकते थे ।
उद्योग मंदिर | Udyog Mandir – Sabarmati Ashram Ahmedabad Hindi
गाँधी जी के जीवन में चरखे का बहुत प्रभाव और योगदान रहा हैं । आश्रम के अंदर उद्योग मंदिर में ही खादी एक आंदोलन के रूप में उभरा । स्वदेशी अपनाओ के नारे ने खादी को भारतीय समाज में एक अलग और बहुत ख़ास जगह दिलाई । आश्रम के इस भाग में खादी बनाने और उसे व्यापर के रूप में अपनाने के इच्छुक लोगों को ट्रेनिंग दी जाती थी । उद्योग मंदिर की स्थापना सन 1918 में की गयी ।
मगन निवास | Magan Niwas – Sabarmati Ashram Ahmedabad
मगन लाल , गाँधी जी के भतीजे थे और उन्होंने गाँधी के सिद्धांतों से प्रभावित हो कर अपना जीवन गाँधी और उनके सिद्धांतों को अर्पित कर दिया था । कोचरबा में ही साबरमती आश्रम की प्लानिंग की गयी थी और इसे तैयार करने की जिम्मेदारी मगन लाल की थी । मगन निवास , उन्ही मगन लाल का हुआ करता था । साबरमती आश्रम को स्थापित करने और उसे सुचारु रूप से चलाने में श्री मगन लाल का बहुत बड़ा योगदान हैं ।
साबरमती आश्रम कैसे पहुँचें | How to Reach Sabarmati Ashram
अहमदाबाद में साबरमती आश्रम तक पहुंचना आसान है क्योंकि यह शहर का एक प्रसिद्ध आकर्षण है।
फ्लाइट से | By Flight
आश्रम के सबसे नजदीक का एयरपोर्ट सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो साबरमती आश्रम से लगभग 9 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से आश्रम तक पहुंचने के लिए टूरिस्ट टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या ऐप-बेस्ड सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ट्रेन से | By Train
अहमदाबाद रेलवे स्टेशन शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है और पूरे भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से आश्रम तक पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या स्थानीय बस ले सकते हैं।
सड़क से | By Road
अहमदाबाद रोड नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आश्रम एक लोकप्रिय टूरिस्ट आकर्षण है और इसलिए इसके आस-पास से कई बसें गुजरती हैं।
कार या टैक्सी से आसानी से साबरमती आश्रम तक पहुँच सकते हैं। ऑटो-रिक्शा अहमदाबाद के भीतर ट्रांसपोर्ट का सबसे आसान साधन है।
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