Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari: विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी, हिन्द महासागर में कन्याकुमारी के मुख्य भूमि के अंतिम पॉइंट से लगभग 500 मीटर के दूरी पर समुद्र के अंदर स्वामी विवेकानंद को स्मारक है जो भारत के सबसे प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेसेस में से एक है। विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत नमूना है। यह स्मारक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से भी एक बेजोड़ आकर्षण है। विवेकानंद स्मारक आधुनिक वास्तु का भी एक उदहारण है। इसे चमत्कार ही कहा जाये तो कुछ ज्यादा न होगा !
महान संत, महान वक्ता, महान ज्ञानी और देशभक्त स्वामी विवेकानंद को समर्पित यह रॉक मेमोरियल उसी चट्टान पर बना है जहाँ पर खुद स्वामी विवेकानंद ने कुछ दिन बिताये थे और ध्यान लगाया था।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी कब बना ? Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी का उद्घाटन सन 1970 में किया गया था। दरअसल इस मेमोरियल के निर्माण के लिए सबसे पहले सन 1962 में प्रस्ताव किया गया था। राजनीतिक और क्षेत्रीय अवरोधों को पार करने के बाद वास्तुकला का यह अद्भुत उदहारण 1970 में एक मेमोरियल के रूप में स्थापित हुआ।
स्वामी विवेकानंद को समर्पित विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी | Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनका परिवार कोलकाता का समृद्ध परिवार था और वह अपने नौ भाई बहनों में सबसे बड़े थे। बचपन में उनका नाम नरेंद्र दत्त था। बचपन से ही नरेन्द्रदत्त प्रतिभाशाली और तार्किक रहे। सामाजिक नियमों को ज्यों का त्यों मान लेना उन्हें स्वीकार नहीं था। वह हर सामाजिक नियम के पीछे छिपे तर्क को जानना चाहते थे और ऐसा न होने पर उसे मानते भी नहीं थे।
पढाई में बहुत होशियार नरेंद्र दत्त दर्शन और शास्त्र में अच्छी रूचि रखते थे। कॉलेज के प्रोफेसर और प्रिंसिपल उन्हें बहुत पसंद करते थे। पहले नरेन्द्रदत्त पर राजा राम मोहन राय के विचारों का खासा प्रभाव था और इसीलिए उन्होंने ब्रह्म समाज का अनुसरण भी किया लेकिन स्वामी रामकृष्ण परमहंस से मिलने के बाद उनके विचारों में बदलाव आया और वह उनके अनुयायी हो गए। तभी उनका नाम नरेन्द्रदत्त से बदलकर विवेकानंद भी हुआ।
सन 1881 – 82 में उनकी मुलाकात पहली बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई थी। स्वामी रामकृष्ण के मृत्यु के बाद उनके शिष्यों ने रामकृष्ण मठ के स्थापना की जिसमे स्वामी विवेकानंद की भी मुख्य भूमिका रही।
सन 1888 से 1892 तक वह भारत भ्रमण करते रहे। इस दौरान उन्होंने भारत की विविधता और धार्मिक विश्वासों को समझने का प्रयास किया। उन दिनों उनके पास केवल एक कमंडल और एक छड़ी होती थी। वह अपने साथ श्रीमद्भगवद गीता की भी एक प्रति रखते थे। साथ ही “द लिमिटेशन ऑफ़ क्राइस्ट ” नामक किताब भी वह अपने साथ रखते थे। अपने उसी भ्रमण के दौरान वह उत्तरकाशी भी गए।
सन 1893 में उन्होंने विदेशी दौरे पर जाना शुरू किया। पहले वह जापान गए। सितम्बर 1893 में शिकागो में हुए सर्व धर्म सम्मलेन में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए भाषण ने उन्हें विश्व में एक अमर वक्त और संत के रूप में स्थापित कर दिया।
भारत आने के बाद सन 1897 में उन्होंने कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
4 जुलाई सन 1902 को स्वामी विवेकानद ने महासमाधि ली।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी इतिहास | History – Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari
अपने भारत भ्रमण के दौरान दिसंबर 1892 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी आये थे। कन्याकुमारी आने के बाद वह इस चट्टान पर ध्यान लगाने के लिए बैठे और कुछ दिन यही पर रहे। सन 1962 में उनके जन्मशताब्दी के अवसर पर इस चट्टान को विवेकानंद रॉक नाम दिया गया और तभी से विवेकानंद रॉक मेमोरियल / विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी का बनाने का विचार आया।
कन्याकुमारी को देवी कुमारी के मंदिर के कारण भी धार्मिक प्रसिद्धि प्राप्त है। यहाँ स्थित देवी कुमारी मंदिर एक शक्तिपीठ है। देवी कुमारी के नाम पर ही इस शहर को कन्याकुमारी कहा गया। विवेकानंद रॉक को ‘श्रीपाद पराई’ भी कहा जाता है क्योंकि पौराणिक कहानियों के अनुसार देवी कुमारी ने इस चट्टान को अपने पैर से छू कर पवित्र किया था और आशीर्वाद दिया था।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी – आर्किटेक्चर | Architecture – Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी मॉडर्न और पारम्परिक आर्किटेक्चर का एक मिश्रण है। स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित बेलूर स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम के झलक भी इस आर्किटेक्चर में देखने को मिलती है। इस मेमोरियल के प्रवेश द्वार पर स्थापित हाथी के मूर्तियां अजंता एलोरा का सा अहसास कराती हैं।
परिवर्तक मुद्रा में कड़ी स्वामी विवेकानंद के आदमकद कांस्य मूर्ती का निर्माण प्रसिद्द मूर्तिकार सीताराम एस द्वारा किया गया है।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी के दो प्रमुख मंडपम हैं। विवेकानंद मंडपम और श्रीपाद मंडपम। विवेकानंद मंडपम में ध्यान मंडपम , मुख मंडपम और सभा मंडपम स्थित हैं। ध्यान मंडपम में यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स यदि चाहें तो ध्यान के लिए भी बैठ सकते हैं। सभा मंडपम एक असेंबली हाल है।
इस मेमोरियल के निर्माण में 650 श्रमिकों के म्हणत और लगभग 6 साल का समय लगा।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी – एकनाथ रामकृष्ण रानाडे | Eknath Ramkrishna Ranadey
स्वामी विवेकानंद के अनुयायी एकनाथ रामकृष्ण रानाडे के अथक प्रयासों से विवेकानंद स्मारक के स्थापना संभव हो सकी। वह इस मेमोरियल की स्थापना में मुख्य व्यक्ति थे। विवेकानंद रॉक मेमोरियल का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति श्री वी वी गिरी के हाथों कराया गया था। 1972 में एकनाथ रानाडे ने स्वामी विवेकानंद के शिक्षाओं का प्रचार और प्रसार करने के लिए विवेकानंद केंद्र के स्थापना की।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी टिकट | Ticket – Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari
विवेकानंद रॉक मेमोरियल सुबह 8 बजे से शाम के 4 बजे तक टूरिस्ट्स के लिए खुला रहता है। यहाँ तक पहुंचने के लिए किनारे से बोट से ही आया जा सकता है। मेमोरियल तक पहुंचने के लिए बोट सर्विस सुबह 7 बजे से शुरू हो जाती है। इसके लिए 50 रुपये का टिकट यहाँ टिकट खिड़की से खरीद सकते हैं। मेमोरियल देखने के लिए सुबह का समय सबसे सही है। अक्सर टूरिस्ट सीजन में यहाँ काफी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। ऐसे में भीड़ से बचने के लिए आप बोट के लिए विशेष २०० रुपये का टिकट ले कर भी जा सकते हैं।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचने पर वहां गेट से ही २० रुपये का टिकट खरीद कर अंदर पंडपम के ओर जा सकते हैं।
विवेकानंद स्मारक कन्याकुमारी कैसे पहुंचे | How to reach – Vivekanand Smarak Hindi Kanyakumari
फ्लाइट से | By Flight
अगर आप यहाँ फ्लाइट से आ रहे हैं तो ध्यान रखें कि कन्याकुमारी के सबसे पास का एयरपोर्ट केरल का त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट है। त्रिवेंद्रम से कन्याकुमारी की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। त्रिवेंद्रम से कन्याकुमारी तक आने के लिए कार बस या फिर ट्रेन से भी आया जा सकता है। कन्याकुमारी पहुंचने के बाद लोकल ट्रांसपोर्ट के बस या ऑटो से उस पॉइंट तक पहुंच सकते हैं जहाँ से विवेकानंद रॉक मेमोरियल के लिए बोट ले सकते हैं।
ट्रेन से | By Train
कन्याकुमारी भारत के दक्षिण में आखिरी स्टेशन है और यह शहर देश के सभी मुख्य नगरों से ट्रेन से कनेक्टेड है। दिल्ली , मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े स्टेशन से सीधे कन्याकुमारी के ट्रेन उपलब्ध होती है।
सड़क से | By Road
कन्याकुमारी सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह कनेक्टेड है और अपनी कार या टैक्सी से यहाँ आसानी से पहुंच सकते हैं।
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