One Nation One Election Hindi : हाल ही में केंद्र सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी के प्रमुख भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद हैं।
वन नेशन वन इलेक्शन का कांसेप्ट आखिर है क्या !
One Nation One Election Hindi -Concept | एक देश एक चुनाव क्या है
वन नेशन वन इलेक्शन का अर्थ है कि देश में एक साथ सभी जगह पर चुनाव आयोजित किये जाएं। लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ एक समय सीमा में कराए जाएं। जब भी सरकार का कार्यकाल पूरा हो जाता है या किसी वजह से सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है और समय से पहले भंग हो जाती है तो उस समय लोकसभा या विधानसभा के चुनाव अलग अलग आयोजित किए जाते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन के तहत इन सभी चुनावों को एक साथ एक समय सीमा में नियोजित तरीके से कराया जा सकेगा ।
One Nation One Election Hindi – more | एक देश एक चुनाव – पुराना कांसेप्ट
अभी लोगों को यही लग रहा है कि शायद यह एक नया कांसेप्ट है लेकिन ऐसा नहीं है। यह कांसेप्ट भारत चुनाव व्यवस्था के लिए भी कोई नया कांसेप्ट नहीं है। देश की स्वतंत्रता के बाद आरम्भिक वर्षों में सन 1952 , सन 1957, सन 1962 और सन 1967 में इसके तहत चुनाव प्रक्रिया आयोजित की गयी थी।
Countries – One Nation One Election Hindi | किन देशों में है एक देश एक चुनाव व्यवस्था
विश्व के कई अन्य देशों में वन नेशन वन इलेक्शन व्यवस्था के तहत चुनाव होते रहे हैं। इनमें जर्मनी , पोलैंड, बेल्जियम , हंगरी , स्पेन, स्वीडन यूरोपीय देशों के अलावा दक्षिण अफ्रीका , इंडोनेशिया और कुछ अन्य देश भी शामिल हैं।
Benefits – One Nation One Election Hindi | एक देश एक चुनाव के फायदे
भारत एक बड़ा देश है और ऐसे में थोड़े थोड़े समय पर ही कभी किसी राज्य में तो कभी दुसरे राज्य में इलेक्शन आते रहते हैं। इलेक्शन नियोजित करना एक बहुत बड़ा खर्च होता है और वन नेशन वन इलेक्शन के जरिये अगर लोकसभा और विधान सभा के इलेक्शन एक समय पर कराये जायेंगे तो चुनावों पर बार बार होने वाला यह खर्च काफी हद तक कम किया जा सकता है।
वन नेशन वन इलेक्शन से ज्यादा लोगों के मतदान में भाग लेने की भी उम्मीद की जा सकती है। एक साथ विधान सभा और लोकसभा के मतदान होने से वोटर के लिए काफी सुविधा हो जाएगी और वे एक साथ ही दोनों उम्मीदवारों के लिए वोट कर सकेंगे।
वन नेशन वन इलेक्शन का एक बड़ा फायदा राज्यों के एडमिनिस्ट्रेशन में होगा। अभी कहीं न कहीं इलेक्शन होते रहने से राज्य का पूरा सरकारी तंत्र इलेक्शन सम्बंधित ड्यूटी में लगा होता है और ऐसा कई बार होता है। वन नेशन वन इलेक्शन से एडमिनिस्ट्रेशन आसान हो जायेगा और सरकारी तंत्र को बार बार नहीं बल्कि 5 साल में एक ही बार इलेक्शन आयोजित करने होंगे।
सरकारी कार्यप्रणाली और पॉलिसी लागू करने के लिहाज से भी वन नेशन वन इलेक्शन सहायक हो सकता है।
अब विषय यह है कि अगर वन नेशन वन इलेक्शन के ये सभी फायदे हैं तो इसके विरोध में लोग क्यों हैं ! वन नेशन वन इलेक्शन के कुछ नुक्सान भी हैं।
Cons – One Nation One Election Hindi | एक देश एक चुनाव के नुकसान
भारत एक बड़ा देश है और भाषा , संस्कृति और अन्य आधार पर राज्यों में बहुत अधिक अंतर है। वन नेशन वन इलेक्शन के तहत इलेक्शन होने से राज्यों के लोकल मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा सकेगा।
वन नेशन वन इलेक्शन का भारत जैसे विविधता से भरे देश में इम्प्लीमेंट करना आसान तो बिलकुल नहीं होगा। ऊपर जिन देशों का जिक्र किया गया है जहाँ पर यह चुनाव प्रक्रिया लागू है वे सभी भारत के मुक़ाबले काफी छोटे देश हैं और उनमें इतनी विविधता नहीं हैं।
इसके सामने एक बड़ा चैलेंज यह भी है कि जब भी वन नेशन वन इलेक्शन प्रणाली के तहत चुनाव होगा उस समय उन विधानसभाओं का क्या होगा जो कुछ समय पहले ही प्रभाव में आयी हैं।
इस चुनाव प्रक्रिया के लागू होने से पहले अभी एक लम्बी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के दौरान संविधान संशोधन की भी जरूरत होगी। इसके लिए कम से कम आधे राज्यों से सहमति होना आवश्यक है। इसका असर लोकसभा और राज्यों की विधान सभा की कार्य प्रणाली पर भी होगा।
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