Anna Hazare Hindi JeevanParicchay : अन्ना हजारे , किसन बाबूराव हज़ारे, एक असाधारण इच्छाशक्ति वाले एक साधारण इंसान। ये नाम शायद कुछ ही लोग जानते हैं लेकिन अन्ना हज़ारे को तो सभी जानते हैं। भारत में भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन के अग्रणी अन्ना हजारे , लोकपाल विधेयक के समर्थन में आंदोलन करने वाले अन्ना हजारे , सूचना के अधिकार के लिए आंदोलन के अग्रणी अन्ना हजारे भारत के घर घर में जाना जाने वाला एक प्रसिद्द नाम है। अन्ना के अहिंसात्मक आंदोलनों ने उन्हें वर्तमान का गाँधी का एक सशक्त अनुयायी बना दिया है।
बचपन – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना हजारे का जन्म 15 जून, सन 1937 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में भिंगार नाम के एक गांव में मराठा परिवार में हुआ था । अन्ना के पिता का नाम बाबूराव हजारे और माँ का नाम लक्ष्मी बाई हजारे था । अन्ना अपने भाई बहनों में सबसे बड़े थे। उनके ५ और भाई बहन थे , एक भाई और ४ बहनें।
उनके पिता आयुर्वेद आश्रम फार्मेसी में एक मजदूर के तौर पर काम करते थे। बचपन में अन्ना हजारे का जीवन बहुत ही गरीबी में गुजरा। इनके पिता मजदूरी करते पर उस से परिवार का पेट पालना बहुत ही मुश्किल था। भिंगार में ही अन्ना ने अपनी चौथी क्लास तक की पढाई की थीं। कुछ समय बाद अन्ना का परिवार अपने गांव रालेगण सिध्दि में आ गया जहाँ उनके पिता की कुछ जमीन थी और वो उस पर खेती कर अपने परिवार को पालने लगे।
उस समय अन्ना के गांव में कोई स्कूल भी नहीं था और इसी वजह से उनके कोई भी भाई बहन अपनी शिक्षा शुरू नहीं कर पाए थे।
शिक्षा – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण इनकी बुआ ने मदद करने के लिए अन्ना को अपने साथ मुम्बई ले जाने के लिए कहा और वही पर उनकी पढाई कराने का भी आश्वासन दिया। अन्ना के माता पिता ने इन्हे बुआ के साथ मुंबई भेज दिया। वह अन्ना ७वी क्लास तक पढ़े । अन्ना ने वहां कारपेंटर का काम भी सीखा। अन्ना के भाई बहन कभी स्कूल नहीं जा पाए ।
बुआ के परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं होने के कारण अन्ना ने भी ७वी क्लास के बाद पढाई छोड़ दी । परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी इसलिए अन्ना में मुंबई में रुक कर ही एक जगह नौकरी कर ली। अन्ना हजारे दादर स्टेशन पर एक फूलों की दूकान में काम करने लगे।
अन्ना हजारे में जिजीविषा शुरू से ही थी और मेहनत अन्ना का स्वभाव रहा , वहाँ फूलों के दूकान में कुछ समय काम करने के बाद अन्ना ने अपने खुद की २ फूलों की दुकानें खोल ली। अब अन्ना ने अपने भाइयों को मुंबई बुला लिया और अपने साथ फूलों के काम में ही लगा लिया। वहाँ काम करते हुए भी अन्ना सामाजिक ग्रुप्स में काम करने लगे थे। वह ऐसे ग्रुप्स के साथ काम करने लगे जो बाहर से आये लोगों को मकानमालिकों और दूसरों के अत्याचार से बचाने के लिए मदद करते थे।
भारतीय सेना में नौकरी – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
भारत चीन युद्ध के बाद अन्ना सन १९६३ में अन्ना ने आर्मी में एक ट्रक ड्राइवर की नौकरी कर ली। अन्ना सेना की मराठा रेजिमेंट में भर्ती हो गए । बाद में इन्हें एक सैनिक के रूप में प्रमाणित किया गया ।
१९६५ में , जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था , उस समय अन्ना हजारे खेमकरण सेक्टर में सीमा पर तैनात थे । पाकिस्तानी सेना की हवाई बमबारी में वहां तैनात सारे सिपाही मारे गए , केवल अन्ना ही जीवित बच सके । सेना में नौकरी करते हुए इसी तरह से कई बार अन्ना ने जीवन और मृत्यु का संघर्ष देखा। इस के बाद अन्ना जीवन के अर्थ को पहले से अलग तरह से समझने लगे और सोचने लगे की उनका जीवन समाज की सेवा के लिए ही है।
१९६५ के भारत पाक युद्ध ने अन्ना के जीवन की दिशा ही बदल दी। इसी तरह का हादसा उनके साथ नागालैंड में भी हुआ जब एक अटैक में केवल अन्ना हज़ारे ही बच पाए क्योकि वो सिर्फ कुछ समय के लिए उस जगह पर नहीं थे। अन्ना ने ये खुद कहा की उन्हें लगा की इतने बड़े हादसे में केवल उनका बच जाना एक संकेत है कि उन्हें अब ये जीवन दूसरों के लिए समर्पित करना है। इसके बाद से ही अन्ना के सोचने का और समाज को समझने का दृष्टिकोण ही बदल गया। सन १९६३ से १९७५ तक, अन्ना ने भारतीय आर्मी में काम किया और नौकरी के बाद स्वेच्छा से सेवानिवृत / रिटायर हो गए।
निजी जीवन – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना सदा अविवाहित रहे और उन्होंने अपना सारा जीवन रालेगण सिद्धि और वहां के लोगों के जीवन के उद्धार में लगा दिया।
रालेगण सिद्धि – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना हजारे के जीवन पर महात्मा गाँधी और स्वकामी विवेकानंद का काफी प्रभाव रहा , उन्होंने न सिर्फ गाँधी और विवेकानंद को पढ़ा , बल्कि पढ़ने के साथ उनकी शिक्षाओं को अपने वास्तविक जीवन में अपनाया भी। अन्ना के जीवन पर स्वामी विवेकानंद लिखित “कॉल तो द यूथ फॉर नेशन बिल्डिंग ” का ख़ासा प्रभाव पड़ा और उनके जीवन की दिशा बदल गयी। स्वामी विवेकानद और महात्मा गाँधी की शिक्षाओं से प्रभावित हो कर अन्ना ने अपने जीवन भर की कमाई, अपना सारा समय और अपनी सारी सीख को , अपने पैतृक गांव ” रालेगण सिद्धि “की स्थिति को सुधरने में लगा दिया।
सेवानिवृत्ति के बाद रालेगण सिद्धि आकर उन्होंने सामाजिक मोर्चों पर काम करना शुरू किया । उस समय रालेगण सिद्धि एक बहुत ही बुरे समय से गुजर रहा था। लोगों के पास काम नहीं था, पीने का पानी नहीं था और खेती की जमीन होने के बावजूद खेती करने के साधन नहीं थे। गांव में पानी और बिजली एक बहुत बड़ी समस्या थी । गांव के लोगों के पास पीने का पानी तक भी नहीं था। गांव शराब के अवैध उत्पादन और उससे पैदा हुई मुसीबतों से भी जूझ रहा था।
अन्ना हज़ारे जब गांव में आये तो उन्होंने लोगों को अपनी दशा सुधरने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। चूंकि अन्ना सेना से रिटायर हो कर आये थे तो उनके पास पैसे भी थे और अपने स्वभाव की लगन भी। अन्ना ने अपने जीवन भर की कमाई गांव के लिए दान देने का निश्चय किया और गांव के बाकि लोगों से भी मदद मांगी। कुछ लोगों ने अन्ना के साथ आकर रुपये दान में दिए और बाकि लोग जो पैसा दान नहीं कर पा रहे थे उन्होंने श्रम दान कर रालेगण सिद्धि के निर्माण और सुधार में सहयोग दिया। अन्ना के गांव के युवाओं को इकठ्ठा कर ” तरुण मंडल ” की स्थापन की। इस ग्रुप के सदस्य युवा सदस्य गांव के निर्माण में अन्ना के साथ लग गए।
अन्ना ने रालेगण सिद्धि की सारी समस्याओं को हल करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए कभी प्यार से समझाना और कभी कड़े कदम भी उठाये। सबसे पहले अन्ना ने गांव के मंदिर को ठीक करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए गांव के सभी लोगों ने सहयोग भी किया। अन्ना हजारे ने गांव को एक छोटे बिगड़े बच्चे को सुधारने के काम की तरह ही लिया। रालेगण सिद्धि में शराब के ठेके बंद कराये गए और लोगों को श्रम दान के लिए प्रेरित किया । अब गांव के विकास के लिए मंदिर में ही मीटिंग की जाने लगी और क्योकि मीटिंग मंदिर में होती थी तो उस से जो भी निश्चय किया जाता उसे गांव के लोग मंदिर में ली गयी प्रतिज्ञा की तरह मानते और उसे सिद्ध करने की कोशिश भी करते ।
अनाज बैंक – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
१९८० में रालेगण सिद्धि में एक अनाज बैंक बनाया गया । सूखे की स्थिति में या फसल ख़राब होने की स्थिति से निपटने के लिए इस अनाज बैंक की स्थापना की गयी। जिसमे लोग अनाज दान दिया करते और जरूरत पड़ने पर बैंक से उधार ले सकते थे। ऐसे किसान या जमींदार जिनके पास अच्छी फसल हुई हो , वो इस अनाज बैंक में एक क्विंटल ( १०० किलो ) अनाज दान कर सकते थे। बुरे समय में जरूरतमंद लोग इस अनाज बैंक से अनाज उधार ले सकते थे और बाद में उसे लौटा देते थे। इस तरह से अन्ना ने गांव में अनाज व्यवस्था को संभाला जो की गांव के हर किसान के लिए सही थी।
वाटर कंज़र्वेशन प्रोग्राम -अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
पहाड़ की तलहटी में बसे रालेगण सिद्धि में पानी की समस्या को हल करने के लिए एक वाटर कंज़र्वेशन प्रोग्राम शुरू किया गया। इसके लिए गांव में जगह जगह पानी को इकठ्ठा करने की व्यवस्था की गयी और ऐसा कर जमीन के जल स्तर को ऊपर लाने में मदद मिली। गन्ने जैसे फसलें जिनमे काफी ज्यादा पानी की जरूरत होती थी , ऐसी फसलों के उत्पादन को गांव में बंद कर दिया गया और इनकी जगह पर अब दालें और तिलहन उगाई जानी लगी जिन्हे कम पानी की जरूरत होती है।
अन्ना का ये वाटरशेड प्रोग्राम महाराष्ट्र सरकार के लिए एक प्रेरणा बना और इस मॉडल को और भी ऐसे गांव में स्थापित किया गया जो सूखे की समस्या से जूझ रहे थे।
अन्ना के इस प्रोग्राम ने सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के जल परियोजन प्रोग्राम को भी प्रेरणा दी।
पर्यावरण – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
रालेगण सिद्धि में खेती के लायक जमीन सिर्फ ७० एकड़ ही थी और बाकि की जमीन पर खेती नहीं की जा सकती थी। अन्ना ने सॉइल कन्सेर्वटिव के लिए गांव और इसके आस पास ४ लाख से भी ज्यादा पेड़ लगाए गए और पशुओं की खुले मैदानों में चराई बंद कर दी गयी । अन्ना के इन प्रयासों से गांव में खेती की जमीन लगभग ३०० गुना बढ़ी और गांव वालों को एक खुशहाल जीवन मिला। अन्ना हजारे ने अपनी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास के लिए समर्पित कर दिया ।
जातिवाद – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना हजारे जब रालेगण सिद्धि आये तो उस समय गांव में जातिवाद भारत के बाकी हिस्सों की तरह ही पसरा हुआ था। गांव की अन्य समस्याओं को हल करने में जातिवाद एक बहुत बड़ा रोड़ा था। अन्ना ने लोगों को जातिवाद को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गांव के लोगों को श्रमदान के जरिये एक साथ एक समूह में एक दुसरे के लिए काम करना सिखाया। अन्ना हजारे के प्रयासों और गांव वालों की इच्छाशक्ति से धीरे धीरे गांव में फैले हुए जातिवाद पर काफी हद तक काबू पा लिया गया और रालेगण सिद्धि उन्नति के रस्ते पर बढ़ने लगा। अन्ना ने अपनी जमीन गांव के स्कूल को दान दे दी और खुद मंदिर में रहने लगे । अभी भी अन्ना हजारे उसी मंदिर में रहते हैं और स्कूल में बनने वाले खाना ही खाते हैं।
रालेगण सिद्धि शराबबंदी – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
७० और ८० के दशक में अवैध शराब और उससे पैदा हुए समस्याएं भी लोगों के सामने थीं। शराब की आसान उपलब्धता और खेती की कमी होने के कारण इससे सामाजिक अस्थिरता बढ़ रही थीं। तरुण मंडल और अन्ना हजारे ने गांव से शराब की अवैध दुकानों को बंद कराया और गांव वालों को शराब छोड़ने के लिए बाध्य भी किया। इसके किये कभी कभी किसी को डरा कर और कभी समझा कर शराब बंदी के लिए कहा गया। नतीजा ये हुआ कि रालेगांव सिद्धि में शराब , सिगरेट , बीड़ी और अन्य इसी तरह के उत्पादों कि बिक्री बंद कर दी गयी।
शिक्षा सम्बन्धी कार्य – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना हजारे ने रालेगण सिद्धि में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए भी सराहनीय काम किये। अन्ना का पहला अनशन गांव के स्कूल को सरकार से मान्यता दिलाने के लिए किया गया था। अन्ना के इस अनशन में गांव के सभी लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। अन्ना के अनशन के बाद महाराष्ट्र सरकार ने पांचवी से दसवीं तक के स्कूलों को मान्यता दे दी।
रालेगण सिद्धि में अन्ना और उनके संगठन ने बच्चो के लिए एक हॉस्टल बनाया गया और उसमें बार बार फेल होने वाले बच्चों को शिक्षा में प्राथमिकता दी। गांव में पांचवी से आगे का स्कूल होने पर लड़कियों को शिक्षा में सुविधा मिली , इस से पहले केवल लड़के आगे पढ़ने के लिए गांव के बाहर जा पाते थे लेकिन अब लड़कियां भी आगे पढ़ पा रही हैं। अन्ना ने गांव में लड़कियों को शिक्षित करने के लिए भी कैंपेन चलाये। गांव में हाई स्कूलिंग के लिए भी काम किया गया।
गांव में एनर्जी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सोलर एनर्जी प्लांट्स और गोबर गैस प्लांट्स भी बनाये गए, साथ ही गांव वालों को गाय पालन कर दूध का बिज़नेस करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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आंदोलन – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम
किसी भी देश के विकास में भ्रष्टाचार एक सबसे बड़ी बाधा होती है, ऐसा ही अन्ना हज़ारे को लगा और यह सोचकर उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुहिम छेड़ दी। भारत से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उन्होंने एक आंदोलन शुरू किया।
अन्ना हजारे ने १९९७ में राइट टू इनफार्मेशन एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत की। कई वर्षों तक इस बिल को लाने औरऔर प्रभावी बनाने के लिए वह महाराष्ट सरकार पर दबाव बनाने में लगे रहे। जब कुछ खास असर नहीं हुआ तो आखिरकार अन्ना ने सन २००३ में आमरण अनशन किया। १२ दिनों तक उनका ये अनशन चला और आखिर में महाराष्ट्र सरकार को इस बिल को लाना पड़ा और पहले से अधिक प्रभावी भी बनाना पड़ा।
अन्ना हजारे और लोकपाल
अन्ना ने भारत सरकार द्वारा लोकपाल और लोकायुक्त बिल पास कराने के लिए 20 अगस्त 2011 को दिल्ली के जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की जिसमें किरण बेदी, प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ और भी बहुत सारे लोगों ने भाग लिया। यहां पर एक अभियान शुरू किया गया “मैं अन्ना हूं। इस अभियान में युवा , बूढ़े , महिलाएं और छोटे बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। अन्ना को अपना समर्थन देने के लिए सभी ने ” मैं अन्ना हूँ ” लिखी हुई टोपियां पहनी और इस आंदोलन में शामिल हुए। इस आंदोलन के दौरान ये अन्ना टोपी बहुत प्रसिद्द हुई।
लोकपाल बिल को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए भी अन्ना ने आमरण अनशन किया और उनका ये अनशन १३ दिन तक चला। अन्ना का अनशन लोकपाल बिल में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के बाद ही समाप्त हुआ।
सूचना का अधिकार
सन २००० में अन्ना ने सूचना के अधिकार के लिए एक आंदोलन कि शुरुआत की। सूचना के अधिकार के आंदोलन से अन्ना भारतीय सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए आर टी आई एक्ट को और प्रभावी रूप से लागू कराना चाहते थे। इस आंदोलन के कारण ही महाराष्ट्र सरकार को “राइट तो इनफार्मेशन एक्ट ” में सुधर कर लागू करना पड़ा । बाद में इसी एक्ट को आधार मान कर भारत सरकार ने २००५ में राइट तो इनफार्मेशन एक्ट को लागू किया।
नोटा कैंपेन
सन २०११ में अन्ना हजारे ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा ” नन ऑफ़ द अबोव ” ऑप्शन को सम्मिलित करने की मांग की। इस ऑप्शन के होने से वोटर इलेक्शन में खड़े हुए प्रत्याशियों से अपनी असहमति दिखा सकता था। अगर वोटर को किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं देना तो वह नोटा ऑप्शन को चुन सकता है। इसे राइट तो रिजेक्ट कहा गया।
ट्रांसफर सम्बन्धी नियमों में बदलाव के लिए आंदोलन
उसके अलावा अन्ना हजारे ने ऑफिसर्स के ट्रांसफर सम्बन्धी नयमों में सुधर के लिए भी आंदोलन किया। लाल फीताशाही के तहत ऑफिसर्स का मंत्रियों के मन के मुताबिक ट्रांसफर कर दिया जाता है और इस तरह उनसे सम्बंधित फाइल्स में देर होती रहती है। महाराष्ट्र में इन नियमों की बदलने के लिए अन्ना हजारे ने लड़ाई लड़ी और उसमें सफलता भी पायी।
इस के चलते कोई अफसर अब एक ही पोस्ट पर ज्यादा लम्बे समय तक नहीं रह सकता और इससे भ्रष्टाचार को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है। साथ ही सरकारी अफसर एक फाइल को ज्यादा दिनों तक बिना अपडेट किये भी नहीं रख सकते। इससे सरकारी तंत्र के ढीले ढाले रवैये को चुस्त किया गया है।
अनाज से अल्कोहल बनाने के खिलाफ आंदोलन
सन २००७ में महाराष्ट्र सरकार की अनाज से अल्कोहल बनाने की पालिसी को प्रोत्साहन के खिलाफ अन्ना ने आंदोलन किया। इस पालिसी के तहत अनाज से निजी उपभोग और इंडस्ट्रियल जरूरतों को पूरा करने के लिए अनाज से अल्कोहल बनाने को प्रमोट किया जाने लगा। अन्ना हजारे इस के खिलाफ खड़े हुएऔर उन्होंने शिरडी में अनशन भी किया हालाँकि इस आंदोलन से सरकार ने अपनी नीतियों को नहीं बदला।
इसके अलावा भी अन्ना हजारे समय समय पर समाज और देश के लिए अनेकों मुद्दों पर अपनी असहमति जताते रहे हैं और महत्वपूर्ण आंदोलन करते रहे है और समाज के भलाई के लिए कार्य करते रहे हैं।
पुरस्कार और सम्मान – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
१९८६ | इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्ष मित्र अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
१९८९ | महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन्हें कृषि भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
१९९० | भारत सरकार ने अन्ना हजारे को पद्मश्री से सम्मानित किया । |
१९९२ | भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया । |
१९९६ | शिरोमणि अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
१९९७ | महावीर अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
१९९९ | भारत सरकार की और से जन सेवा अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
२००३ | इंटीग्रिटी अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
२००८ | वर्ल्ड बैंक की और से जित गिल मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया। |
२०११ | NDTV ने इंडियन ऑफ़ द एयर अवार्ड से सम्मानित किया। |
२०१३ | ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा अल्लार्ड प्राइज फॉर इंटरनेशनल इंटीग्रिटी अवार्ड |
पद्म श्री लौटाया – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने आंदोलन के दौरान अन्ना ने पद्म श्री अवार्ड लौटाने का फैसला या था। ऐसे उन्होंने अपनी मांगों को सशक्त रूप से सरकार के सामने रखने के लिए और लोकपाल बिल को और अधिक मजबूत और प्रभावी रुप से लागु कराने के लिए किया। अन्ना का कहना था कि मेरा काम समाज के लिए ही न कि अवार्ड के लिए।
अन्ना हजारे ने १९९० में मिला पद्म श्री अवार्ड लौटा दिया था। इसके बाद में सन १९९२ में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
विवाद – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
कभी कभी अन्ना पर भ्रष्टाचार के और कभी राजनीतिक रूप से पक्षपात करने के आरोप भी लगे हैं। अक्सर अन्ना के रालेगण सिद्धि में कड़ाई से नियमों के पालन को ले कर भी उन पर अलोकतांत्रिक होने के आरोप भी लगे हैं लेकिन ये भी सच है की अन्ना के प्रयासों से ही रालेगण सिद्धि एक आदर्श गांव बन कर उभरा है। गांव के लोगों की पर कैपिटा इनकम जो कभो सिर्फ २७१ रुपये हुआ करती थी वो ९० के दशक में २५०० रुपये पहुंच गयी। अन्ना के प्रयासों ने ही रालेगण सिद्धि को एक सफल और आत्मनिर्भर गांव बनाया है।
किताबें -अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना के जीवन पर अनेकों किताबें लिखी गयी हैं। अन्ना एक जननायक हैं और उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है ।
फिल्म – अन्ना हजारे जीवन परिचय | Anna Hazare Hindi Jeevan Parichay
अन्ना के जीवन पर एक बायोग्राफिकल फिल्म बनी है जिसका नाम है ” अन्ना : किसान बाबूराव हजारे ” ! इस फिल्म में अन्ना के जीवन के सभी पहलुओं की विस्तार में बताया गया है।
आज भी अन्ना हजारे देश और समाज के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं और अपने दैनिक कार्यक्रम में अपने गांव के विकास के कामों से भी जुड़े हुए हैं। रालेगण सिद्धि आज एक आदर्श गांव हैं। कभी अनजान रहा ये गांव दुनिया के नक़्शे पर एक जाना माना गांव हैं। यहाँ देश और विदेश से लोग अन्ना से मिलने और उनसे उनके सिद्धांतों को जानने और सीखने के लिए आते हैं।
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