Kandar Devta Mandir Uttarkashi Hindi : कंडार देवता मंदिर उत्तरकाशी : कंडार देवता भूत और भविष्य बताने वाले देवता माने जाते हैं। कंडार देवता को संग्राली पाटा , खांड गंगोरी , लक्षेस्वर , बाड़ाहाट (उतरकाशी ) और बसुगा गांवों का रक्षक माना जाता है। वैसे कंडार देवता के मूल मंदिर का स्थान संग्राली गांव , उत्तरकाशी शहर से कुछ दूरी पर चढ़ाई वाले मार्ग पर है लेकिन पाटा बुग्याल गांव में भी कंडार देवता का एक मंदिर है।
Stories : Kandar Devta Mandir Uttarkashi Hindi | कंडार देवता मंदिर से जुडी कहानी
इस मंदिर से जुडी एक कहानी बतायी जाती है। कहा जाता है कि एक किसान खेत पर हल चला रहा था तभी उसे खेत में दबी हुई अष्ट धातु की एक मूर्ती मिली। किसान ने वह मूर्ती राजा को सौंप दी और राजा ने इसे अपने महल के मंदिर में रख लिया। अगली सुबह जब राजा पूजा करने के लिए आया तो उसने देखा कि वह मूर्ती सबसे ऊपर की तरफ रखी हुई है। इसके बाद राजा में उस मूर्ती को परशुराम मंदिर में पहुंचा दिया और वहां के पुजारी ने इस मूर्ती को शहर से दूर वारणावत पर्वत पर स्थापित करने का सुझाव दिया।
माघ मेले के दौरान जब यहाँ पर लोग अपने अपने गांव के देवताओं के डोलियां ले कर पहुंचते हैं उस समय बाकि सभी देवताओं के डोलियां कन्दर देवता की डोली से नीचे ही होती हैं। कंडार देवता को यहाँ सबसे बड़ा देवता माना जाता है।
कंडार देवता मंदिर का महत्त्व | Significance of Kandar Devta Mandir Uttarkashi Hindi
संग्राली गांव में कंडार देवता को सबसे ऊंचा माना जाता है और इसीलिए स्थानीय लोग वहां अपनी सभी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं। ये समस्याएं चाहे रोजमर्रा की हों , स्वास्थ्य से सम्बंधित हों या फिर कानून से , गांव के लोग यहाँ मंदिर में आ कर ही अपनी समस्याओं का समाधान ढूँढ़ते हैं। इसके लिए मंदिर के आँगन में एक डोली रखी हुई है और दो लोग जब इस डोली को अपने कंधे पर उठाते हैं तो इसका आगे वाला नुकीला सिरा जमीन पर गड़ने लगता है और कुछ लिखा हुआ सा लगता है। इसे ही लोग अपनी समस्या का समाधान मानते हैं। इन रेखाओं के आधार पर ही शादी विवाह की कुंडली मिलाने से लेकर बड़े से बड़े फैसले कर लिए जाते हैं। स्थानीय लोग कंडार देवता को भगवान शिव का ही एक रूप मानते हैं।
कंडार देवता मंदिर में उत्सव | Kandar Devta Mandir Uttarkashi Festivals
कंडार देवता मंदिर में भंडाडी मेले का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव पर स्थानीय लोग पारम्परिक वेश भूषा में लोक नृत्य में शामिल होते हैं और सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। जिस दिन यह उत्सव होता है उस दिन सुबह से मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान होने लगते हैं। इस उत्सव के दौरान श्रद्धालु देर रात तक डोली के साथ नृत्य करते रहते हैं। इस मेले के समाप्त होने पर पुजारी तीन दिन के लिए कंडार देवता की मूर्ती को विश्राम के लिए अलग जगह पर रख देते हैं।
माघ मेला और कंडार देवता | Magh Mela – Kandar Devta Mandir Uttarkashi Hindi
किसी भी उत्सव या त्योहार पर सबसे पहले कंडार देवता को गंगा में स्नान कराया जाता है। माघ मेले का उद्घाटन भी इसी तरह से किया जाता है। माघ मेला उत्तरकाशी का एक प्राचीन व्यावसायिक मेला है। इस मेले का हर वर्ष मकर संक्रांति यानि १४ जनवरी के दिन पाटा संग्राली गांव में कंडार देवता के साथ साथ अन्य देवी देवताओं की डोलियों के उत्तरकाशी पहुंचने पर शुभारम्भ होता है। १४ जनवरी से शुरू हो कर यह मेला २१ जनवरी तक चलता है। इस मेले में आस पास के शहरों और गांवों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
कंडार देवता मंदिर देखने का सबसे अच्छा समय | Best Time to Visit – Kandar Devta Mandir Uttarkashi Hindi
कंडार देवता का मंदिर पूरे वर्ष ही श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के लिए खुला रहता है। यहाँ आ कर आप उत्तराखंड के प्राचीन रीति रिवाजों के सुन्दर झलक देख सकते हैं। यहाँ का लोकल नृत्य और यहाँ का सांस्कृतिक माहौल किसी को भी यहाँ रुकने के लिए मजबूर कर देता है। कंडार देवता मंदिर देखने के लिए भंडाडी उत्सव और माघ मेले का समय सबसे अच्छा है क्योंकि उस दौरान टूरिस्ट यहां की संस्कृति को बहुत पास से देख सकते हैं और अनुभव कर सकते हैं।
कंडार देवता मंदिर उत्तरकाशी कैसे पहुचें | How to reach – Kandar Devta Mandir Uttarkashi Hindi
फ्लाइट से | By Flight
कंडार देवता मंदिर तक पहुंचने के लिए उत्तराखंड का देहरादून स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट उत्तरकाशी के सबसे नजदीक है। देहरादून से उत्तरकाशी तक के दूरी लगभग १८० किलोमीटर हैं जो सड़क के रास्ते स्टेट ट्रांसपोर्ट या प्राइवेट टूरिस्ट बस या कार या टैक्सी से तय की जा सकती है।
ट्रेन से | By train
अगर आप ट्रेन जर्नी पर हैं तो भी देहरादून का रेलवे स्टेशन यहाँ सबसे नजदीक है। उसके आगे कंडार देवता मंदिर का सफर सड़क के रास्ते ही किया जा सकता है।
रोड से | By road
सड़क के रास्ते स्टेट ट्रांसपोर्ट के बस द्वारा या अपने व्यक्तिगत वाहन से उत्तरकाशी स्थित कंडार देवता मंदिर पहुंच सकते हैं।
” निधि सिंह द्वारा “
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