Drona Sagar Kashipur Hindi : द्रोण सागर काशीपुर स्थित एक लेक है जिसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व है। यह लेक पांडवों के गुरु श्री द्रोणाचार्य से सम्बंधित है और इसीलिए यह लेक धार्मिक रूप से भी बहुत मान्य है। इस लेक का संरक्षण पुरातत्व विभाग द्वारा किया जाता है और यह काशीपुर शहर का एक मुख्य टूरिस्ट आकर्षण और यहाँ रहने वालों के लिए प्रसिद्द पिकनिक प्लेस है।
द्रोण सागर का महत्त्व | Drona Sagar Religious Importance and Significance
द्रोण सागर लेक को महाभारत कालीन माना जाता है। श्री द्रोणाचार्य पांडवों और कौरवों के गुरु थे। उन्होंने ही इन सभी को शास्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा दी थी। उन्हीं गुरु द्रोण के नाम पर बनी यह लेक हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है। ऐसे माना जाता है कि इस लेक का पानी गंगा नदी की ही तरह पवित्र और मान्य है।
इसी लेक परिसर में गड़ेश्वर महादेव का एक मंदिर स्थापित है जिसके बारे में माना जाता ही कि इसकी स्थापना पांडवों द्वारा की गयी थी । इस परिसर को एक पार्क में बदल दिया गया है जहाँ अक्सर काशीपुर के रहने वाले लोग अपने मॉर्निंग वाक , पिकनिक और इवनिंग वाक के लिए आते हैं । इसी परिसर में गुरु द्रोणाचार्य की एक पेंटिंग भी बनी हुई है।
द्रोण सागर से जुडी पौराणिक कहानी | Stories Drona Sagar Kashipur Hindi
पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर इस लेक का नाम द्रोण सागर है। पौराणिक कहानी के अनुसार अपनी शिक्षा समाप्त होने के बाद पांडव गुरु द्रोणाचार्य को कुछ गुरुदक्षिणा देना चाहते थे। उन्हें गुरुदक्षिणा देने के लिए उन्होंने मिल कर इस लेक / झील का निर्माण किया और इसे अपने गुरु के नाम पर ही द्रोण सागर कहा।
ऐसा भी माना जाता है कि दरअसल द्रोण सागर हमेशा से ऋषियों की तप स्थली रहा है। रामायण काल में ऋषि वशिष्ठ ने भी यहाँ पर तपस्या की थी। उनसे पहले ऋषि कश्यप का आश्रम यहाँ पर स्थित था। महाभारत काल में गुरु और ऋषि द्रोण ने यहाँ पर काफी समय तक तपस्या की थी और इसीलिए इस जगह का नाम द्रोण सागर हुआ।
बाद में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के काल में यह स्थान बौद्ध संस्कृति का केंद्र बन गया। संत तुलसीदास ने भी यहाँ पर कुछ महीने रह कर ध्यान किया था और स्वामी दयानन्द सरस्वती भी आध्यात्मिक शांति के लिए यहाँ समय बताने आये थे।
गुरु द्रोणाचार्य को सर्वोत्तम गुरु माना जाता है। उनके नाम पर ही भारत में द्रोणाचार्य पुरस्कार स्पोर्ट्स में सबसे कोच और गुरुओं को दिया जाता है।
द्रोण सागर के आस पास | Places nearby Drona Sagar Kashipur
इस लेक परिसर में गुरु द्रोण मंदिर , भगवन शिव को समर्पित गड़ेश्वर मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर , देवी मंदिर, डमरू वाले बाबा का मंदिर और स्वामी दयानन्द सरस्वती का आश्रम स्थित है।
द्रोण सागर काशीपुर का एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। द्रोण सागर से कुछ ही दूरी पर काशीपुर के बाकि टूरिस्ट स्पॉट्स भी हैं। द्रोण सागर से केवल २ किलोमीटर की दूरी पर काशीपुर का प्रसिद्द मोटेश्वर मंदिर स्थित है। यह प्रसिद्द मंदिर भगवन शिव को समर्पित है।
प्रसिद्द चैती मंदिर भी द्रोण सागर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इनके अलावा गिरी सरोवर , गुरुद्वारा श्री नानक साहेब भी द्रोण सागर लेक के पास ही स्थित हैं। टूरिस्ट्स कार या बाइक से आसानी से इन सभी टूरिस्ट प्लेसे को कवर कर सकते हैं।
द्रोण सागर कैसे पहुचें | How to reach Drona Sagar Kashipur
फ्लाइट से | By Flight to Drona Sagar
काशीपुर पहुंचने के लिए सड़क का रास्ता सबसे अच्छा है। काशीपुर सड़क नेटवर्क से बहुत अच्छी तरह से कनेक्टेड है। दिल्ली से यहाँ तक अच्छी सड़कें बनी हैं और अक्सर आस पास के टूरिस्ट यहाँ अपनी कार से आना पसंद करते हैं। अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो काशीपुर के सबसे नजदीक एयरपोर्ट पंत नगर , उत्तराखंड एयरपोर्ट है।
ट्रेन से | By Train to Drona Sagar Kashipur
काशीपुर देश के रेल नेटवर्क से भली प्रकार से कनेक्टेड है। काशीपुर एक रेलवे स्टेशन है और देश के किसी भी हिस्से से सीधे या कनेक्टेड ट्रेन से यहाँ आसानी से पंहुचा जा सकता है।
सड़क के रास्ते | By Road to Drona Sagar Kashipur
काशीपुर सड़क के रास्ते अच्छी तरह से कनेक्टेड है और यहाँ पहुंचना काफी आसान और आरामदायक है। काशीपुर पहुंचने के बाद लोकल ट्रांसपोर्ट रिक्शा से पहुंच सकते हैं।
जाने का समय / मौसम | Best time to visit Drona Sagar Kashipur
काशीपुर जाने के लिए जुलाई से मार्च तक का मौसम बहुत अच्छा रहता है। अप्रैल से जून के महीनों में यहाँ काफी गर्मी होती है और ऐसे में टूरिस्ट्स प्लेस पर जा कर समय बिताना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए गर्मी के इन महीनों के अलावा यहाँ कभी भी आ कर अच्छा समय बिताया जा सकता है। काशीपुर एक छोटा सा शहर है और यहाँ के सभी टूरिस्ट प्लेसे कवर करने के लिए २ दिन का समय काफी है।
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