Katarmal Surya Mandir Hindi : कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के कटारमल नामक स्थान पर स्थित है। कटारमल सूर्य मंदिर एक मंदिर न होकर एक मंदिर समूह है जिसमें सूर्य मंदिर मुख्य मंदिर है। यह मंदिर भारत के प्राचीनतम सूर्य मंदिर में से एक है।
कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी कटारमल नामक गाँव में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और माना जाता है कि यह मंदिर 800 साल पुराना है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर की खास बात यह है कि रोज सुबह सूर्य की पहली किरण मुख्य मंदिर के अंदर स्थित सूर्य देव की मूर्ति पर सीधे पड़ती है।
कटारमल सूर्य मंदिर कुमाऊं मंडल का सबसे विशाल, ऊंचा और अनोखा मंदिर है। उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद अल्मोड़ा स्थित कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है ।
कटारमल सूर्य मंदिर समूह संरचना | Construction – Katarmal Surya Mandir Hindi
कटारमल सूर्य मंदिर छोटे छोटे 45 मंदिरों का एक समूह है। ये सभी मंदिर अलग अलग समयों पर बने हुए हैं और विभिन्न देवी देवताओं को समर्पित हैं। यह मन्दिर कितना पुराना है और कब बना, इस बारे में अलग अलग मान्यताएं हैं। कुछ इतिहासकार इसे ८वें शताब्दी में बना मानते हैं और कुछ के अनुसार यह 10 वें शताब्दी में बना हुआ है। पुरातत्वविद डॉ डिमरी के अनुसार यह मंदिर 11वी शताब्दी में बना हो सकता है। इस मंदिर के लकड़ी के गुम्बद के रचना के अनुसार यह 8 वी या फिर 9 वी शताब्दी का बना भी हो सकता है।
वास्तुकला और कुछ शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13 वी शताब्दी में भी माना जाता है। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि ये सभी मंदिर एक साथ नहीं बने हैं बल्कि अलग अलग समय पर बनवाये गए हैं।
कटारमल सूर्य मंदिर – कहानी | Story – Katarmal Surya Mandir Hindi
कटारमल सूर्य मंदिर से जुडी अनेकों कहानियां अल्मोड़ा कर आस पास के एरिया में प्रचलित हैं। कटारमल मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस समूह के मुख्य सूर्य मंदिर का निर्माण केवल एक रात में ही किया गया था। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि मुख्य मंदिर का शिखर अधूरा बना लगता है। यहाँ के निवासियों के अनुसार मुख्य मंदिर का शिखर अधूरा इसलिए है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण केवल एक रात में किया गया था और अगले सुबह कारीगर काम छोड़ कर चले गए और शिखर अधूरा ही रह गया। हालाँकि यह केवल एक किंवदंती ही लगता है। मंदिर शिखर इस यह आकार होने का कारण ज्यादा रख रखाव न होना भी हो सकता है।
कटारमल सूर्य मंदिर से जुडी एक पौराणिक कहानी भी बताई जाती है। इस कहानी के अनुसार प्राचीन समय में यहाँ द्रोणागिरी , कक्षयपर्वत और कंजार पर्वत पर ऋषि मुनि तपस्या किया करते थे। उन ऋषियों को कालनेमि असुर परेशान करता था और उनकी तपस्या को बार बार विघ्नित किया करता था। इस सब से तंग आ कर ऋषियों ने कौशिकी नदी के पास शरण ली। यह कौशिकी नदी अब कोसी नदी के नाम से जानी जाती है। कौशिकी नदी के तट पर ऋषि सूर्य देव के प्रार्थना करने लगे। उनकी इस आराधना से प्रसन्न हो कर सूर्य देव ने अपने तेज को एक वटशिला मे स्थापित कर दिया । सूर्य देव की ऊर्जा और तेज के सामने कालनेमि असुर नहीं टिक सका और उसके बाद ऋषि मुनि सफल रूप से अपनी तपस्या करने लगे।
माना जाता है कि बाद में कत्यूरी वंशज राजा कटारमल देव ने इस वटशिला पर भगवान सूर्यदेव के भव्य मंदिर का निर्माण कराया।
इतिहास – कटारमल सूर्य मंदिर। History – Katarmal Surya Mandir Hindi
कटारमल सूर्य मंदिर को बड़ादित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के राजा कटारमल देव ने कराया था और उन्हीं के नाम पर इसे कटारमल सूर्य मंदिर कहा जाता है। मंदिर में अष्टधातु के मूर्ती स्थापित हुआ करती थी लेकिन चोरी के कुछ घटनाओं के बाद मूर्ती और अन्य पुरातात्विक महत्त्व के वास्तव को यहाँ से हटा कर राष्ट्रीय संग्रहालय में रखवा दिया गया है।
भारत में सबसे बड़ा सूर्य मंदिर ओडिशा राज्य में स्थित भुबनेश्वर में कोणार्क सूर्य मंदिर है जिसे १३वें सदी में निर्मित माना जाता है (कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में और जानें !) । कटारमल सूर्य मंदिर के कुछ शिलालेखों के अनुसार यह मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर से भी 200 साल पहले निर्मित हो सकता है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
आर्किटेक्चर – कटारमल सूर्य मंदिर। Architecture – Katarmal Surya Mandir Hindi
कटारमल सूर्य मंदिर नागर शैली में निर्मित मंदिर समूह है। यहाँ सूर्य देव ध्यान मुद्रा में विराजमान है। इस मंदिर के मुख्य भवन का शिखर खंडित अवस्था में है और मंदिर की संरचना को आधार देने वाले खम्भों पर सुंदर नक्काशी भी देखी जा सकती है।
कटारमल सूर्य मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ भगवान सूर्य की मूर्ति किसी धातु या पत्थर से नहीं बनी है बल्कि बड़ के पेड़ की लकडी अर्थात बरगद की लकड़ी से बनी है। यहाँ के सूर्य भगवान की मूर्ति बड़ की लकड़ी से बने होने के कारण ही इसे बड़ादित्य मंदिर कहा जाता है। यह मूर्ती मंदिर के गर्भ गृह में ढकी हुई रखी जाती है। इस मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति पद्मासन में स्थित है। यह मंदिर पूर्वमुखी है।
इस मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार काष्ट कला से निर्मित है जो अब राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है। भगवान सूर्य के साथ ही यहाँ भगवन शिव, गणेश, विष्णु आदि कई देव – देवताओ की पूजा अर्चना की जाती है।
पूजा का समय – कटारमल सूर्य मंदिर। Timings – Katarmal Surya Mandir Hindi
कटारमल सूर्य मंदिर पूरे वर्ष ही श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। मंदिर में प्रार्थना का समय सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक है। धार्मिक मौकों और त्याहारों के समय पर यह समय बदल भी सकता है।
उत्सव – कटारमल सूर्य मंदिर। Festivals – Katarmal Surya Mandir Hindi
हिन्दू कैलेंडर के दसवें माह पौष माह को सूर्य देव का माह माना जाता है। हर साल यहाँ इस माह के अंतिम रविवार को सूर्य पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर कटारमल सूर्य मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं। इस पर्व में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आस पास के इलाकों से आते हैं।
कब जाए – कटारमल सूर्य मंदिर | When to go
कटारमल सूर्य मंदिर पूरे वर्ष में कभी भी आ सकते हैं । अल्मोड़ा एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है और गर्मियों में यहाँ का अधिकतम तापमान 28 डिग्री का आस पास रहता है , इसीलिए आने के लिए सबसे अच्छा मौसम मार्च महीने से ले कर से लेकर जून तक का है। अक्टूबर और नवंबर भी यहाँ आने के लिए अच्छा समय है। उसके बाद ठण्ड काफी बढ़ जाती है।
कटारमल सूर्य मंदिर से कुछ ही दूरी पर अल्मोड़ा के अन्य टूरिस्ट प्लेस भी देखे जा सकते हैं। सर्दियों में यहाँ काफी ठण्ड पड़ती हैं लेकिन उन दिनों में भी अल्मोड़ा में काफी टूरिस्ट आते रहते हैं।
इसके अलावा शिवरात्रि पर्व भी यहाँ विशेष रूप से मनाया जाता है। बसंत ऋतू में आयोजित होने वाला यह वार्षिक महा शिवरात्रि मेला पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में एक बड़े उत्सव के रूप में माने जाता है।
कसार देवी मंदिर , जागेश्वर धाम मंदिर और मल्ला महल अल्मोड़ा के अन्य कुछ प्रसिद्द धार्मिक और ऐतिहासिक टूरिस्ट प्लेस में से एक हैं। इसके साथ साथ अल्मोड़ा से लगभग 30 किमी माँ दुर्गा के प्रसिद्ध वैष्णवी शक्ति पीठ माँ दुनागिरि के भव्य मंदिर का दर्शन भी कर सकते हैं। अल्मोड़ा के अन्य टूरिस्ट प्लेस के बारे में आप यहाँ और जान सकते हैं।
कैसे पहुंचे – कटारमल सूर्य मंदिर। How to reach Katarmal Surya Mandir
कटारमल सूर्य मंदिर देश का दूसरा सबसे बड़ा और प्रसिद्द सूर्य मंदिर है। यहाँ पहुंचने के लिए साधन आसानी से उपलब्ध हैं। अल्मोड़ा पहुंचने के बाद 17 किमी की दूरी बस या छोटी गाड़ी से तय की जा सकती है।
फ्लाइट से । By Flight
अल्मोड़ा के सबसे नजदीक का एयरपोर्ट पंत नगर एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट देश के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। पंतनगर एयरपोर्ट से अल्मोड़ा की दूरी लगभग 127 किलोमीटर है और पंतनगर से कटारमल की दूरी लगभग 147 किलोमीटर हैं। पंतनगर से अल्मोड़ा तक पहुंचने में लगभग 5 घंटे का समय लगता है।
ट्रेन से | By Train
अल्मोड़ा पहुंचने के लिए सबसे नजदीक का स्टेशन काठगोदाम है जो अल्मोड़ा , कटारमल से लगभग 105 किलोमीटर दूर है। काठगोदाम से अल्मोड़ा के लिए बस या टैक्सी से रास्ता तय कर सकते हैं।
सड़क द्वारा | By Road
कटारमल सूर्य मंदिर का सबसे नजदीकी कस्बा कोसी बाजार हैं । कोसी बाजार अल्मोड़ा और रानीखेत के लगभग बीच में पड़ता है। कोसी बाजार सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा है।
Leave a Reply