Jageshwar Dham Hindi : जागेश्वर धाम अल्मोड़ा से कुछ ही दूरी पर स्थित एक मंदिरों का समूह है। जागेश्वर धाम उत्तराखंड के सबसे बड़े मंदिर समूह के रूप में बहुत प्रसिद्द है। भगवन शिव को समर्पित जागेश्वर धाम मंदिर समूह में प्रमुख महामृत्युंजय मंदिर का लावा छोटे बड़े 124 अन्य मंदिर शामिल हैं।
उत्तराखंड के सबसे प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक आकर्षण के रूप में जागेश्वर धाम एक प्रतिष्ठित स्थल है। जागेश्वर धाम मंदिर समूह अपनी विशेष वास्तुकला और निर्माण शैली के लिए काफी प्रसिद्द है। बड़े बड़े पत्थरो से निर्मित ये विशाल मंदिर बहुत सुंदर और आश्चर्य में डाल देने वाले हैं ।
जागेश्वर धाम मंदिर समूह – महत्त्व | Significance – Jageshwar Dham Hindi
भगवान शिव देवों के देव , आदिदेव , पशुपति और ऐसे ही अनेक नामों से जाने जाते हैं। भगवान शिव के इन्हीं अनेक नामों में से एक है मृत्युंजय जिसका अर्थ होता है जिसने मृत्यु पर विजय प्राप्त की हो। जागेश्वर धाम को एक ज्योतिर्लिंग माना जाता है। भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिनमें जागेश्वर धाम को 8वां ज्योतिर्लिंग माना गया है। जागेश्वर धाम मंदिर समूह में स्थित प्रमुख और सबसे विशाल मन्दिर भगवान शिव के महामृत्युञ्जउ रूप को समर्पित है। शिव भक्तों के लिए यह मंदिर विशेष रूप से महत्त्व रखते हैं ।
जागेश्वर धाम मंदिर समूह कितना प्राचीन है यह तो ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता लेकिन मान्यताओं के आधार पर इसे लगभग 2500 साल पुराना स्थापन माना जाता है। इस स्थान के बारे में लोगों के मान्यता है कि भगवान शिव हिमालय के चोटियों से उतर कर यहाँ ध्यान लगाया करते थे और इसीलिए यह स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
जागेश्वर मंदिर समूह के कुछ मंदिरों को महाभारत कालीन भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ मंदिरों की स्थापना यहाँ पर पांडवों द्वारा की गयी थी।
जागेश्वर धाम मंदिर – पौराणिक कथा। Mythology – Jageshwar Dham Hindi
जागेश्वर को प्राचीन काल में हाटकेश्वर नाम से जाना जाता था । जागेश्वर धाम से जुडी अनेकों कहानियां बताई जाती हैं। जागेश्वर धाम को भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार यह स्थान भगवान शिव के साथ साथ सप्तऋषि के नाम से प्रसिद्द सात ऋषियों की तपोस्थली भी रहा है। सप्तऋषियों के श्राप के कारण यहाँ पर पहली बार शिवलिंग उत्पन्न हुआ था। इस मंदिर को योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है। इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।
जागेश्वर धाम को भगवान राम के पुत्र लव और कुश से सम्बंधित माना जाता है। लव कुश ने यहाँ पर यज्ञ का आयोजन किया था।
जागेश्वर धाम मंदिर – इतिहास | History – Jageshwar Almora Hindi
जागेश्वर मंदिर समूह को हजारों साल पुराने स्थापित मंदिरों के रूप में माना जाता है। आदि गुरु शंकराचार्य जब भारत भ्रमण पर थे उसी दौरान उन्होंने केदारनाथ जाने से पहले जागेश्वर मंदिर के दर्शन किये और उसी दौरान उन्होंने यहाँ कई मंदिरो का जीणोद्धार और पुनः स्थापना भी की थी।
जागेश्वर के मंदिरों के पुनः स्थापना में कत्यूरी शासकों का बड़ा योगदान रहा है। 8वी और 10वी शताब्दी में निर्मित मंदिरों का निर्माण कत्यूरी राजाओं ने करवाया था। कत्यूरी शासन के बाद जागेश्वर के कुछ मंदिरों का निर्माण चंद राजाओं के शासनकाल में भी किया गया था। यहाँ मंदिर समूह के साथ ही चंद राजाओ का शमशान घाट भी स्थित है।
जागेश्वर धाम मंदिर | Jageshwar Dham Hindi
यूँ तो जागेश्वर धाम में मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है , लेकिन इसके अलावा भी यहाँ पर अनेकों मंदिर स्थित हैं जो ने देवी देवताओं को समर्पित हैं। जागेश्वर के मुख्य मंदिरो में दंडेश्वर मंदिर , चंडी देवी का मंदिर , कुबेर मंदिर , नव दुर्गा – नव ग्रह मंदिर , पिरामिड मंदिर और एक सूर्य मंदिर शामिल है। इस मंदिर समूह के सभी मन्दिरों में पूजा नहीं होती है बल्कि केवल 5 – 6 मंदिरों में ही पूजा होती है।
जागेश्वर धाम को उत्तराखंड का पांचवा धाम भी कहा जाता है। यह मंदिर समूह प्रसिद्द हिन्दू मंदिर निर्माण शैली जिसे नगर शैली कहा जाता है से बना हुआ है। ही केदारनाथ शैली भी कहा जाता है। इस मंदिर समूह के मंदिरों की रचना केदारनाथ मंदिर जैसे ही लगती है।
जागेश्वर धाम मंदिर – परिसर। Parisar – Jageshwar Dham Hindi
जागेश्वर में कुल २५० मंदिर स्थित हैं और उनमें से १२५ मंदिर इस मंदिर समूह में स्थित हैं। मंदिर परिसर में देवदार के अनेकों पेड़ देखे जा सकते हैं लेकिन यहाँ दो विशेष पेड़ हैं। यह एक ऐसी रचना है जिसे श्रद्धालु भगवान शिव और पार्वती के स्वरुप से जोड़ते हैं। यह देवदार का एक पेड़ है जो ऊँचाई में बढ़ते हुए दो अलग अलग पेड़ों जैसा दिखता है। श्रद्धालु इस पेड़ को भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप में सामान मानते हैं।
इसी पेड़ के पास में एक और देवदार का पेड़ स्थित है जिसकी आकृति गणेश प्रतिमा जैसे आभास देती है। श्रद्धालु इसे भगवान गणेश का ही एक प्रतिरूप मानते हैं और यहाँ प्रार्थना करते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर – टाइमिंग। Timing – Jageshwar Dham Hindi
जागेश्वर धाम मुख्य मंदिर सुबह 4 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला होता है। विशेष मौकों जैसे कि सावन माह और महा शिवरात्रि के उत्सव के दौरान इस समय में बदलाव किये जा सकते हैं।
जागेश्वर धाम मंदिर – उत्सव। Festivals – Jageshwar Dham Hindi
पूरा साल ही यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। हिन्दू कैलेंडर में सावन माह को भगवान शिव की प्रार्थना के लिए विशेष रूप से महत्त्व दिया जाता है। जागेश्वर धाम में भी सावन माह में विशेष शिव पूजन किया जाता है। इस दौरान यहाँ पर उत्सव सा रहता है और देश भर से श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं। इस दौरान यहाँ विशेष धार्मिक अनुष्ठान आदि होते रहते हैं। जागेश्वर मानसून महोत्सव 15 जुलाई से 15 अगस्त तक जागेश्वर में आयोजित किया जाता है ।
इसके अलावा शिवरात्रि पर्व भी यहाँ विशेष रूप से मनाया जाता है। बसंत ऋतू में आयोजित होने वाला यह वार्षिक महा शिवरात्रि मेला पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में एक बड़े उत्सव के रूप में माने जाता है।
जागेश्वर धाम मंदिर – कब जाएं। When to visit – Jageshwar Dham Hindi
जागेश्वर धाम मंदिर समूह एक धार्मिक महत्त्व का स्थान होने के साथ साथ अपनी विशेष संरचना और ऐतिहासिक पौराणिक महत्त्व के कारण बड़ी संख्या में टूरिस्ट्स के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहाँ जाने का सबसे अच्छा मौसम मार्च से जून और सितम्बर से नवंबर के बीच का है। इस दौरान यहाँ का मौसम सुहाना रहता है।
आयोजित होने वाले उत्सव का अनुभव करना चाहते हैं तो जुलाई अगस्त और फरवरी मार्च का समय अच्छा है। इस दौरान यहाँ का माहौल बाकि समय से बिलकुल अलग रहता है। मानसून में जागेश्वर महोत्सव टूरिस्ट्स और यहाँ के स्थानीय लोगो के लिए विशेष आकर्षण है।
जागेश्वर धाम मंदिर – कैसे पहुंचे। How to reach – Jageshwar Dham Hindi
जागेश्वर धाम उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है। यह प्रसिद्द टूरिस्ट सिटी अल्मोड़ा से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पर बड़ी आसानी से किसी भी माध्यम से पंहुचा जा सकता है।
सड़क द्वारा। By Road
जागेश्वर उत्तरी भारत के कई बड़े शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगर आप अपने व्हीकल से या स्टेट ट्रांसपोर्ट के माध्यम से जागेश्वर धाम पहुंचना चाहते हैं तो अल्मोड़ा के लिए बस से पहुंच सकते हैं। अल्मोड़ा से जागेश्वर तक के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट या टैक्सी अदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हवाई मार्ग द्वारा। By Flight
अगर आप फ्लाइट से जागेश्वर धाम के लिए ट्रेवल कर रहे हैं तो यहाँ का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट उत्तराखंड के पंत नगर स्थित एयरपोर्ट है। पंतनगर एयरपोर्ट से जागेश्वर धाम के लिए टैक्सी से ट्रेवल कर सकते हैं। पंत नगर से अल्मोड़ा तक का सफर स्टेट ट्रांसपोर्ट के बस से भी तय किया जा सकता है।
ट्रेन द्वारा। By Train
अगर आप जागेश्वर के लिए ट्रेन से ट्रेवल प्लान कर रहे हैं तो सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। अल्मोड़ा और जागेश्वर धाम तक के दूरी स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस या फिर टैक्सी आदि से तय की जा सकती है।
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