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चितइ गोलू देवता मंदिर अल्मोड़ा | Chitai Golu Devta Mandir Hindi

Chitai Golu Devta Mandir

Chitai Golu Devta Mandir

Chitai Golu Devta Mandir Hindi : गोलू देवता मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर में  स्थित है। उत्तराखंड में जगह जगह स्थति अनेकों गोलू देवता मंदिरों में अल्मोड़ा स्थित चितइ गोलू देवता मंदिर बहुत लोकप्रिय मंदिर है। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है और इसीलिए यहाँ की परंपरा देवताओं को अपने रोज के जीवन का हिस्सा मानने की है। 

गोलू देवता मंदिर भी इसी मान्य परंपरा का हिस्सा है। गोलू देवता को कुछ लोग भगवान शिव का तो कुछ भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं। चितइ गोलू देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। 

गोलू देवता मंदिर – महत्त्व | Significance – Golu Devta Mandir Hindi Almora

गोलू देवता को कुमाऊँ में इष्ट देव माना जाता है। पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में गोलू देवता पर लोगों की बहुत आस्था है। यहाँ के रहने वाले अपने समस्याओं को गोलू देवता मंदिर में भेजते हैं और उनके हल के लिए गोलू देवता से प्रार्थना करते हैं। गोलू देवता उत्तराखंड के लोगों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखे हैं और एक मार्गदर्शक के रूप में लोगों के उन पर आस्था है। 

गोलू देवता मंदिर – कहानी | Story – Golu Devta Mandir Hindi

Golu Devta Mandir Hindi
Golu Devta Mandir Hindi

गोलू देवता के मंदिर से सम्बंधित अनेकों कहानियां यहाँ सुनी जा सकती हैं। गोलू देवता को राजा झाल राय और उनकी आठवीं पत्नी कलिंगा का पुत्र माना जाता है। एक कहानी के अनुसार एक बार राजा झाला राय जंगल में भटक गए और वहीँ उनकी मुलाकात कलिंगा से हुई। कलिंगा पांच देवताओं के बहन थी जिनसे राजा ने विवाह कर लिया। 

राजा की पहले सात पत्नियां थीं लेकिन कोई संतान न थी। आठवीं रानी कलिंगा से विवाह के बाद राजा को पुत्र हुआ। राजा भैरव की तपस्या करते थे और ऐसा माना जाता है कि पुत्र रूप में भगवान भैरव ने ही जन्म लिया था। उस दौरान राजा युद्ध पर गए हुए थे और सातों रानियों ने राजा की अनुपस्थिति में रानी कलिंगा के पुत्र को वहां से हटा कर उसकी जगह  पत्थर रख दिया  घोषणा की कि रानी ने एक पत्थर को जन्म दिया है। 

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रानी के पुत्र को उन्होंने पानी में बहा दिया जिसे  एक मछुआरे ने देख लिया और रानी के इस बात से अनजान कि वह रानी का पुत्र था , मछुआरे ने उस बच्चे को पाला। यह बच्चा बहुत मेधावी और  कुशल था। इस बच्चे को अपने साथ हुए कृत्य के बारे में पता था। थोड़ा बड़ा हो जाने पर एक दिन यह बच्चा अपने लकड़ी के कर महल की ओर चल दिया। राजधानी के पास ही एक तालाब पर यह बच्चा रुका जहाँ पर सातों रानियां बैठी हुई थीं।  बच्चे ने कहा कि हटो , मेरे घोड़े को पानी पीना है। रानी ने कहा कि लकड़ी का घोडा पानी कैसे पी सकता है ! इस पर बच्चे ने कहा कि अगर रानी एक पत्थर को जन्म दे सकती है तो यह घोडा भी पानी पी सकता है। 

इस बात से गुस्सा रानियों ने इस बच्चे को राजा के सामने पेश कराया और तब बच्चे ने राजा को सारी बात बताई और बताया कि वह राजा का ही पुत्र है जिसे नदी में बहा दिया गया था और उसकी जगह पर यह कहा गया था कि रानी ने एक पत्थर को जन्म दिया है। 

राजा को सच्चाई पता चली तो वह क्रोधित हुए लेकिन बच्चे के कहने पर उन्होंने सभी रानियों को माफ़ कर दिया। यही बच्चा आगे चल कर अपनी न्यायप्रियता के कारण प्रसिद्द हुआ और गोलू देवता , गोल्ज्यू देवता और गोलू महाराज नाम से जाना गया। 

एक मान्यता यह भी है कि चंद राजा बाज बहादुर के सेनापति का नाम गोलू देव था और उन्ही के सम्मान में इस मंदिर की स्थापना की गयी थी। 

 गोलू देवता मंदिर | Golu Devta Mandir Hindi Almora

चितइ गोलू देवता मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में चंद वंश के एक सेनापति द्वारा की गयी थी। आज यह मंदिर गोलू देवता को समर्पित प्रसिद्द मंदिर के रूप में जाना जाता है। 

घंटियॉं वाला मंदिर | Ghantiyon vala Mandir – Golu Devta Mandir Hindi

इस मंदिर में दूर दूर से टूरिस्ट्स और श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में प्रवेश करते ही यहाँ अनगिनत घंटिया नज़र आने लगती हैं । मंदिर के हर कोने में ये घंटियां देखी जा सकती हैं। इस मंदिर परिसर में लाखों में टंगे हुए कागज और घंटियां हैं। लोग इसे घंटियों वाला मंदिर भी कहते हैं। 

गोलू देवता प्रतिमा | Golu Devta

गोलू देवता को गौर भैरव के अवतार के रूप में माना जाता है , और उनकी पूजा की जाती है। मंदिर के अंदर घोड़े पर सवार और धनुष बाण लिए गोलू देवता की प्रतिमा है।गोलू देवता को सफ़ेद घोड़े पर सफ़ेद पगड़ी , सफ़ेद कपडे और सफ़ेद शाल ओढ़े दिखाया जाता है। 

यहाँ कदम रखते ही घंटियों की पंक्तिया शुरू हो जाती है। माना जाता है कि श्रद्धालु यहाँ  गोलू देवता से न्याय की उम्मीद लिए आते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी परेशानी को एक कागज पर लिख कर गोलू देवता के संज्ञान के लिए मंदिर में कहीं भी छोड़ जाते हैं और अपनी परेशानी का हल निकल आने पर वे वापिस यहाँ आते हैं और एक घंटी यहाँ बांध कर अपनी परेशानी हल करने के लिए गोलू देवता को धन्यवाद देते हैं।

पहाड़ी पर बसा यह मंदिर चीड़ और मिमोसा के घने जंगलो से घिरा हुआ है। हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु यह पूजा अर्चना करने के लिए आते है। 

गोलू देवता मंदिर –  समय। Timing – Golu Devta Mandir Hindi Almora  

गोलू देवता मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर परिसर के बाहर ही घंटियों की दुकानें हैं जहाँ से श्रद्धालु घंटी खरीद कर यहाँ मंदिर में बांध सकते हैं। 

गोलू देवता मंदिर – जाने का मौसम। Best Time to Visit –  Golu Devta Mandir Hindi

गोलू देवता चितइ मंदिर की यात्रा पुरे साल की जा सकती है लेकिन यहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच है। इन महीनो में यहाँ का मौसम सुहाना होता है । सर्दी में यहाँ तापमान काफी काम हो जाता है और आस पास के इलाके में बर्फ भी गिरती है। बरसात के मौसम में यहाँ यात्रा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।  

गोलू देवता मंदिर – कैसे पहुंचे। How to reach Golu Devta Mandir Hindi

चितइ गोलू देवता मंदिर अल्मोड़ा से लगभग ८ किलोमीटर दूर जागेश्वर धाम रोड पर स्थित है। यहाँ आने के लिए अच्छा सड़क मार्ग बना हुआ है। अल्मोड़ा से यहाँ तक शेयरिंग टैक्सी या बस आदि से आसानी पंहुचा जा सकता है।

सड़क द्वारा। By Road

चितइ गोलू देवता मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क के रास्ते आसानी से पंहुचा जा सकता है।  इसके लिए उत्तराखंड स्टेट ट्रांसपोर्ट  की बस द्वारा या फिर टैक्सी या अपने व्हीकल से ड्राइव कर के पहुंच सकते हैं। 

ट्रेन द्वारा । By Train 

अल्मोड़ा का सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन के लिए सीधे दिल्ली  , लखनऊ आदि बड़े शहरों से सीधे ट्रेन से आया जा सकता है।  काठगोदाम से अल्मोड़ा तक का ट्रेवल बस या टैक्सी से कर सकते हैं।  

हवाई मार्ग द्वारा। By Air

अल्मोड़ा के नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर में स्थित है । पंतनगर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद वहां से अल्मोड़ा तक का ट्रेवल टैक्सी या बस से तय किया जा सकता है।   

Beatific Uttarakhand !

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