Haripur Kila in Hindi : हरिपुर का किला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के अंतर्गत आता है। कांगड़ा जिले में गुलेर नामक एक छोटा सा पहाड़ी राज्य था। इस पहाड़ी राज्य की राजधानी हिमाचल प्रदेश में हरिपुर शहर थी।
हरिपुर का किला – किले का निर्माण | Haripur Kila in Hindi
हरिपुर के किले का निर्माण राजा हरिचंद द्वारा कराया गया था । सन 1415 के लगभग कराया गया था। यह किला और यह शहर लगभग 800 वर्ष पुराना है। राजा हरिचंद कटोच राजपूत वंश के राजा थे। हरिपुर और गुलेर यह दोनों शहर अलग-अलग है जो कि कांगड़ा जिले की एक विरासत नगरी है। इस स्थान पर कटोच राजपूत राजाओं का राज रहा था। हरीपुर और गुलेर को बनेर खंड नदी (बाणगंगा ) द्वारा अलग किया गया है।
हालाँकि हरिपुर किले के निर्माण से सम्बंधित कोई निश्चित जानकारी नहीं मिलती है लेकिन माना जाता है कि यह किला सन १४०५ से सन १४१५ के बीच बनवाया गया था।
हरिपुर का किला – हरिपुर नाम से जुडी कहानी | Haripur Name – Haripur Kila in Hindi
हरिपुर शहर की स्थापना राजा हरिचंद द्वारा की गयी थी और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम भी हरिपुर पड़ा था । हरिपुर नाम के पीछे भी एक कहानी है। स्थानीय लोगों की जानकारी के अनुसार यह माना जाता है कि उस समय कांगड़ा में कटोच राजवंश के राजा हरिचंद का शासन था । राजा हरिचंद को शिकार का बहुत शौक था । एक समय शिकार करते हुए हुए राजा घने जंगल की तरफ निकल गए और तभी वह अपने साथियो से बिछड़ गए थे । जंगल में ही घास फूस से बने हुए कुए के अंदर राजा हरिचंद गिर गए थे । उनके साथियों ने उन्हें काफी खोजा लेकिन नहीं पता चलने पर वो लोग वापस चले गए। हरिचंद को मृत मानकर कांगड़ा की राजगद्दी पर हरिचंद के छोटे भाई को बैठा दिया गया। जंगल में हरिचंद एक घास फूस के कुएं में थे । वह लगभग 28 दिन तक कुए में रहे और लगातार बाहर आने के लिए प्रयासरत रहे ।
उसी दौरान जंगल से व्यापारियों का निकलना हुआ। तब पानी पीने के लिए कुएं खोजते समय किसी ने उनकी आवाज को सुना और इस प्रकार उनको बाहर निकाला गया । कुएं से बाहर निकलने के बाद राजा हरिचंद कांगड़ा वापस आ गए लेकिन वहां पर अपने भाई को राजगद्दी पर बैठा देखकर वह वहां से वापस चले गए ।
हरिपुर की स्थापना- हरिपुर का किला | Haripur Kila in Hindi
कांगड़ा छोड़ने के बाद उन्होंने एक अन्य प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर और बेहद खूबसूरत जगह की तलाश की और उस समय उन्होंने इस जगह पर एक कस्बे का निर्माण कराया । उस जगह को हरिचंद के नाम पर हरिपुर नाम दिया गया। यहीं पर हरिचंद ने अपने इस किले का निर्माण कराया था । यहां पर किले के मुख्य द्वार पर एक तरफ हनुमान जी की मूर्ति है और दूसरी तरफ शनि देव की मूर्ति विराजमान है ।
राजा हरिचंद के शासन काल के समय हरीपुर गुलेर रियासत एक सर्व संपन्न रियासत कहलाती थी । राजा हरिचंद ने अपने शासनकाल में अपनी संस्कृति, सभ्यता, धार्मिक आस्था, नागरिक सुरक्षा के अतिरिक्त जलापूर्ति की ओर भी विशेष ध्यान दिया था। इसी के अंतर्गत हरीपुर गुलेर में उन्होंने अनेक शहर द्वार, कुएं, बावड़ी, मंदिर आदि का निर्माण कार्य कराया था। हरीपुर गुलेर में लगभग 350 से भी अधिक बड़े छोटे मंदिर बने हुए हैं। राजा हरिचंद ने यहाँ अनेकों तालाबों का भी निर्माण कराया।
रानी तारा रानी – हरिपुर का किला | Rani Tara Rani of Haripur – Haripur Kila in Hindi
स्थानीय लोगों के अनुसार माना जाता है कि उस समय राजा हरिचंद की तीन रानियां थी जिनमें से उनकी प्रमुख रानी का नाम था रानी तारा रानी। रानी तारा रानी और राजा हरिचंद की तीन संताने थी जिनमें एक पुत्र और दो पुत्रियां थी। राजा हरिचंद ने उस समय अपने जीवन के अंतिम समय में रानी तारा रानी से यह वचन लिया था कि वह अपने पुत्र और पुत्रियों का विवाह किसी भी शाही परिवार में नहीं करेंगी । वो उनका विवाह एक साधारण परिवार में करेंगी ।
राजा हरिचंद के बाद उनकी पत्नी रानी तारा रानी ने उनकी बात का सम्मान रखते हुए अपनी संतानों का विवाह साधारण परिवारों में कराया था। बाद में कुछ समय पश्चात तारा रानी की भी मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के पश्चात हरिपुर के इस किले की देखभाल करने वाले कर्मचारी वही आज भी रहते हैं और हरिपुर के राजा के वंशज कभी-कभी अपनी विरासत को देखने के लिए वहां आते रहते हैं। उन्होंने भी उन लोगों को ही इस किले के संरक्षण का कार्य सौंप रखा है। ऐसा भी कहा जाता है कि किले का एक छोटा सा हिस्सा उन्होंने इन कर्मचारियों को दे रखा है जिसमें कि उन्होंने अपने घर का निर्माण भी करा रखा है।
प्रमुख मंदिरों – हरिपुर का किला | Mandir – Haripur Kila in Hindi
हरिपुर किले में कुछ मंदिर प्रमुख है जैसे कि सरस्वती मंदिर, गोवर्धन धारी मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, शिव मंदिर, कल्याण राय मंदिर, तारा रानी मंदिर आदि जो कि उस समय राजा हरिचंद के शासनकाल से जुड़े हुए हैं।
छोटी काशी – हरिपुर का किला | Choti Kashi – Haripur Kila in Hindi
राजा हरिचंद के समय इस स्थान पर विद्वानों, ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाताओं का निवास रहा है । बनेर खंड नदी के किनारे बसे हुए इस पुराने शहर में उस वक्त बड़े-बड़े विद्वान, बड़े-बड़े चिकित्सक, हकीम, लेखक और संगीतकार यहां रहते थे जिसके कारण इस स्थान को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता था।
व्यापारिक और औद्योगिक महत्व | Business and Industries – Haripur Kila in Hindi
धार्मिक महत्व होने के साथ साथ ही इस शहर का अपना एक व्यापारिक और औद्योगिक महत्व रहा है। ऐसा माना जाता है कि उस समय सोना डालने की भट्टियां भी इसी शहर के पुराने बाजार में थी। शादी ब्याह में इस्तेमाल में आने वाले सेहरे भी इस बाजार का आकर्षण हुआ करते थे।
राजा हरिचंद ने अपनी राजधानी को बनेर खंड नदी यानी बाण गंगा नदी के बाएं ओर हरिपुर नाम से बसाया था जिसका मतलब होता है हरि यानि भगवान विष्णु की नगरी ।
Haripur Kila in Hindi : हरिपुर गुलेर नाम से इस प्रिंसली स्टेट को जाना जाता रहा है। हरिपुर नगर को गुलेर के राजधानी बने गया था। गुलेर को उस समय ग्वालेर के नाम से जाना जाता था। ग्वालियर की और इसकी भौगोलिक स्थिति एक जैसी होने के कारण इसे ग्वालेर कहा जाता था । आज भी कांगड़ा जिले की ऐतिहासिक धरोहर हरिपुर को देखने पर यह आभास होता है कि यह एक ऐसा क्षेत्र था जो किसी समय वैभवता का प्रतीक था लेकिन आज यह एक खण्डर बन चुका है।
हरिपुर के किले तक पहुंचने के लिए व्यवस्था आज के समय में नहीं है। इस ऐतिहासिक किले को विशेष संरक्षण और देखभाल की आवश्यकता है ।
हरिपुर जाने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Haripur Kila
हरिपुर का तापमान पूरे साल हे सुहाना रहता है ऐसे में किसी भी मौसम में यहाँ आया जा सकता है।
हरिपुर कैसे पहुंचे | How to reach – Haripur Kila in Hindi
हरिपुर पहुंचने के लिए सबसे अच्छा साधन सड़क के रास्ते ट्रेवल करना है। अगर आप फ्लाइट से कांगड़ा आना चाहते हैं और हरिपुर किला देखना चाहते हैं तो कांगड़ा के गग्गल एयरपोर्ट से हरिपुर के दूरी लगभग ४५ किलोमीटर की है। हरिपुर से कुछ ही दूरी पर गुलेर रेलवे स्टेशन भी स्थित है। अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो गुलेर रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के बाद वहां से हरिपुर तक आसानी से पंहुचा जा सकता है।
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