भारत में हम सभी लोग पशुओं और पक्षिओं से बहुत प्यार करते हैं और ध्यान भी रखते हैं। हिन्दू धर्म में लगभग सभी देवी और देवताओं की प्रिय सवारी और ऐसे ही कुछ प्रिय पक्षिओं और पशुओं का भी जिक्र मिल जाता है। कृष्णा को मोर और गाय बहुत प्यारे हैं तो वही शिव को नागनाथ कहा जाता है। विष्णु शेषनाग के साथ होते हैं तो सरस्वती हंस पर सवारी करती हैं।
अब सोचने वाली बात तो ये है कि ऐसे में जहाँ हमारे पूजनीय भी पशुओं, पेड़ पौधों और पक्षियों से इतना प्यार करते हैं तो फिर हम क्यों नहीं। हमारे देश में आवारा पशुओं कि समस्या एक बड़ी समस्या है। वजह है आज भी हम अपनी स्वदेशी नस्ल को बाहरी नसल से कम आंकते है। जबकी हमारे देश की नसल बाहरी नस्ल से कहीं बेहतर और समझदार है।
स्ट्रे डॉग्स से सम्बंधित आर्टिकल में कुछ स्वदेशी डॉग ब्रीड्स का नाम बताया गया था। यहाँ इस आर्टिक्ल में उन्ही स्वदेशी डॉग ब्रीड्स के बारे में थोड़ा विस्तार से बताया गया है। दुनिया का सबसे मंहगा डॉग भी भारतीय नसल से ही बना है।
आज हम आपको कुछ भारतीय डॉग breeds के बारे में बतायेंगे, जिसे जानने के बाद आपको यकीन नहीं होगा की ऐसी नस्ले अपने देश में पहले से ही मौजूद है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड भारतीय पारिया डॉग या देसी कुत्ता
ये दुनिया की कुछ सबसे पुरानी डॉग ब्रीड में से एक है और ये भारतीय उपमहाद्वीप पर सबसे ज्यादा पाई जाती है ।आप अपनी गली या शहर में भी इसे देख सकते है । आज pure pariah डॉग मिलना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि बाहरी नस्ल की मिक्सिंग इनमें काफी हो गयी है पर फिर भी गाव, कस्बो और दूर दराज के इलाको में आपको ये ब्रीड आसानी से मिल जाएगी।
ये स्वभाव से सामाजिक, समझदार और आसानी से trained हो जाने वाले डॉग हैं, पर अजनबियों के साथ जल्दी घुलते मिलते नहीं और highly territorial भी होते है, इन्हें ज्यादा maintenance की भी कोई ज़रूरत नहीं होती। इनकी पहचान है प्राकृतिक मुडी हुई पुंछ, खडे हुए कान और मध्यम आकार, वजन लगभग 15-30 किलो ।
सबसे बड़ी बात इन्हें आपको खरीदना नहीं पड़ेगा ये आपको आसानी से मिल जायेंगे। बाहरी देशों में खासकर अमेरिका में इस नसल को काफी पसंद किया जा रहा है।
स्वदेशी डॉग चिप्पिपरै ( Chippiparai )डॉग
ये ब्रीड तमिलनाडु में पाई जाती है, इसका इस्तेमाल शिकार के लिए किया जाता था। ये मध्यम आकार के होते हैं । दिखने में पतले , फुर्तीले और मजबूत होते हैं। स्वभाव से स्वच्छन्द्, वफादार होते हैं।
Mudhol हाउंड डॉग
इसे मराठा हाउंड भी कहा जाता है, ये दिखने में फुर्तीले होते हैं । इनकी कंधो से ऊँचाई 27 इंच या उससे ज्यादा हो सकती है। ये एक समझदार डॉग ब्रीड है और भारतीय मिलिट्री ऑपरेशन्स में रखी जाने वाली पहली भारतीय डॉग ब्रीड है।
स्वदेशी राजपालयम ( Rajapalyam ) डॉग
इसे इंडियन घोस्ट हाउंड( Indian Ghost Hound ) भी कहा जाता है। ये एक रॉयल डॉग ब्रीड है जिसे दक्षिण भारत में राजाओं ने सबसे ज्यादा पाला है। ये देखने में पूरी तरह सफेद होते हैं, ये बेहद वफादार और रक्षक ( protective ) होते है। इस ब्रीड को लेकर दक्षिण भारत में कई कहानिया हैं, जिनमें से एक है की एक राजा को बचाने के लिए उसका पालतू राजपालयम ( Rajapalyam ) डॉग, शेर से भी भिड् गया था। इनकी कंधे से हाईट लगभग 29 इंच या उससे ज्यादा भी हो सकती है।
स्वदेशी बखारवाल ( Bakharwal ) डॉग
ये उत्तरी भारत में पाया जाने वाला एक बड़े आकर का कुत्ता है जिस पर घने बाल होते हैं । ये हिमालय के पहाड़ों में रहने वाली नसल है। इसे बखारवाल जनजाति के द्वारा ही संरक्षित किया गया है, जो की हिमालय के जंगलो में चरवाहो का जीवन जीते हैं। ये एक डोमिनेटिंग नेचर का डॉग है , जिसका काम पशुओ की रखवाली करना होता है, ये एक territorial नसल है जो अजनबी का अपने घर या इलाके के पास आना पसंद नहीं करती।
इनका वजन 40 किलो या उससे भी ज्यादा हो सकता है और इसको रहने के लिए बड़ी जगह चाहिए।
Bully डॉग या bully कुत्ता
स्वभाव से ही आक्रामक और protective इस कुत्ते की नसल को आज काफी पसंद किया जा रहा है। कंधो से इनकी ऊँचाई लगभग 35 इंच या उससे ज्यादा हो सकती है और इनका वजन 70 से 90 किलो तक जा सकता है। ये नसल पंजाब और पाकिस्तान सिंध प्रांत से दुनिया भर में फैली है, इसे भारतीय बुल डॉग भी कहा जाता है। ये first डॉग owner के लिए बिल्कुल नहीं है और इसे खुली जगह की जरूरत भी पडती है।
स्वदेशी ब्रीड कोम्बाई | Kombai डॉग
इसे इंडियन Terrier डॉग भी कहा जाता है, दक्षिण भारत में इसका इस्तमाल शिकार के लिए किया जाता था। इसके बारे में कहा जाता है की अगर इसे शिकार दिख जाये तो ये उसे पकडने तक नहीं छोडता। स्वभाव से ज़िद्दी पर protective, मजबूत शरीर का ये डॉग एक अच्छा गार्ड डॉग है पर इसे बच्चो के साथ रहना ज्यादा पसंद नहीं होता और ये दूसरे जानवरो के साथ भी जल्दी friendly नहीं होता। इसकी कंधो से ऊँचाई लगभग 30 इंच या उससे कम हो सकती है और इसका वजन 20 से 25 किलो या उससे थोड़ा ज्यादा हो सकता है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड गद्दी | Gaddi डॉग
ये एक उत्तर भारतीय डॉग की नसल है जो की हिमालय में रहने वाली गद्दी ( gaddi ) tribe के लोगों द्वारा संरक्षित की गयी है। इसे पैंथर हाउंड भी कहा जाता है क्योंकि इसका इस्तमाल तेंदुए से घर और जानवरो की रक्षा में किया जाता है। स्वभाव से बेहद protective , साहसी, कंफिडेंट है, अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये काफी आक्रामक भी हो जाते हैं। दिखने में ही ये काफी बड़ा डॉग है, जिस पर घने बाल भी होते है, बेहद मजबूत शरीर का ये डॉग पहाडी भालू से भी लड़ लेता है पर इसको पालने के लिए आपके पास खुली जगह होनी चाहिए और ये काफी ठंडी जगह पर रहने वाली नसल है।
ये स्वभाव से काफी डोमिनाटिंग भी होते हैं और अपने आपको घर के रक्षक की तरह ही देखते हैं, ये first डॉग owner के लिए नहीं हैं क्योंकि ये अगर आपको अल्फा नहीं समझेंगे तो आप इनको संभाल नहीं पायेंगे। ये तिब्बतियन मस्तिफ्फ़ ( Tibbetian Mastiff ) डॉग के करीब की नसल है , जोकि दुनिया का सबसे मंहगा बिकने वाला डॉग है और इनका स्वभाव भी उसी तरह का है। इस नसल के डॉग की कंधे से ऊँचाई लगभग 32 इंच होती है और वजन लगभग 60 किलो या उससे ज्यादा होता है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड गुल्ल डोंग | Gull Dong
ये भारत और पाकिस्तान दोनों में पाया जाने वाला डॉग है, इसका ज्यादतर गलत इस्तमाल हुआ है क्योंकि इसको डॉग फाइट में काफी इस्तमाल किया गया है। ये शिकार और सुरक्षा के लिए भी एक अच्छा गार्ड डॉग है। ये स्वभाव से आक्रामक पर defensive और ज़िद्दी होता है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड गुल्ल टेरियर | Gull Terrier
उत्तर भारत के पंजाब प्रांत से इसकी उत्पति हुई है और ये कुछ सबसे प्रसिद्ध विदेशी नसल bull terrier के पूर्वज भी है।
भारतीय स्पिट्ज | Indian Spitz डॉग
ज्यादतर भारतीय घरों में पाला जाने वाला सफेद रंग का छोटे आकर का डॉग यही है, आज भी काफी लोग इसे Pomeranian नसल समझते है पर यह है एक स्वदेशी डॉग ब्रीड है , ये अपने करीबी नसल Pomeranian से थोड़े बड़े होते हैं। स्वभाव से चंचल, सामाजिक और अपने आपको घर का सबसे छोटा सदस्य समझते हैं, इसलिए प्यार ना किये जाने पर ये नाराज भी होते हैं।
स्वदेशी डॉग ब्रीड जोनांगी | Jonangi डॉग
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्णाटक राज्यो में ये स्वदेशी डॉग ब्रीड मिलती है और अब वहाँ से भी ये लुप्त होने के कगार पर है, इस पर बाल काफी कम होते हैं और इसका इस्तेमाल herding के लिए किया जाता था।
स्वदेशी डॉग ब्रीड कैकाडी | Kaikadi डॉग
महारष्ट्र की कैकाडी जनजाति ने इसका संरक्षण किया है। अब ये एक लुप्त होने वाली ब्रीड है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड कन्नी | Kanni डॉग
दक्षिण भारत में बहुत पसंद की जाने वाली नसल है कन्नी । ये सिंगल कलर में होते हैं और काफी कुछ chippiparai डॉग की कद काठी और स्वभाव वाले होते हैं।
स्वदेशी डॉग ब्रीड कुमाऊँ मस्तिफ्फ़ | Kumaon Mastiff
भारत के कुमाऊँ region में ये नसल पायी जाती है पर आज कल ये बहुत ही कम रह गए है । ये एक शानदार स्वदेशी डॉग ब्रीड है जिसे आज विदेशो में भी काफी पसंद किया जा रहा है। ये देखने में bully कुत्ते के जैसे दिखते हैं पर इनका फर या कोट उससे थोड़ा घना होता है। ये एक गार्ड डॉग है जो की अब लुप्त होने के कगार पर है।
बंजारा हाउंड | Banjara Hound या मारवाड़ी शीप डॉग
राजस्थान से originate होने वाली स्वदेशी डॉग ब्रीड का कुत्ता बहुत शानदार दिखाई देता है, जैसा की इसके नाम से पता चलता है की इसे बंजारो द्वारा ही संरक्षित किया गया था । ये बेहद वफादार, शरीर से मजबूत और समझदार होते है । आज ये एक लुप्त होने वाली शानदार भारतीय नसल है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड पंडिकोणा | Pandikona
दक्षिण भारतीय राज्यों में पाई जाने वाली स्वदेशी डॉग ब्रीड के इस कुत्ते को भारतीय डोबरमैन भी कहा जाता है। ये भी अब काफी कम बचे हैं।
रामपुर ग्रेहाउंड | Rampur Greyhound
उत्तर प्रदेश के रामपुर से originated ये स्वदेशी डॉग ब्रीड भागने में बेहद कुशल है इसको आज बाजी dog स्पोर्ट में काफी पसंद किया जाता है, वैसे ये एक शिकारी dog है जो की एक गार्ड डॉग के लिए भी पाला जाता रहा है। इसकी ऊँचाई लगभग 30 इंच होती है।
स्वदेशी डॉग ब्रीड ताज़ी हाउंड डॉग | Tazi hound dog
भारतीय डॉग की ये नसल अब लगभग भारत से खतम हो चुकी है । इसके सबसे करीब नस्ल रशियन ताज़ी है जो की भारतीय नसल से थोड़ा बड़ा होता है।
ढोल डॉग | Dhol Dog
ये एक भारतीय जंगली कुत्ता है जो ज्यादातर दक्षिण भारत के जंगलो में पाया जाता है। पहले ये पूरे भारत के जंगलो में पाया जाता था पर अत्यधिक शिकार और पालतू कुत्तो से होने वाली बीमारी और कम होते शिकार के चलते ये अब एक लुप्त होने वाली डॉग ब्रीड है, इसे सोनकुत्ता भी कहा जाता है। मैरून और सफेद रंग का ये जंगली कुत्ता , अपने छोटे कद के बावजूद बहुत साहसी होता है, ये सामाजिक प्राणी है जो झुंड में रहता है और ज़रूरत पड़ने पर अपने से कहीं बड़े जानवरो का भी शिकार कर लेते हैं।
तो ये थी कुछ स्वदेशी डॉग ब्रीड जो की किसी भी विदेशी नसल के कुत्ते से कहीं बेहतर हैं और स्वदेशी भी । आज इनमे से कई स्वदेशी डॉग ब्रीड लुप्त होने वाली हैं । अगर आप एक डॉग लवर हैं तो इनमे से किसी भी ब्रीड के डॉग को adopt कर के उस ब्रीड को लुप्त होने से बचा सकते हैं।
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