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मल्ला महल अल्मोड़ा, अष्ट महल | Malla Mahal Almora Hindi

Malla Mahal Almora, Hindi

Malla Mahal Almora, Hindi

Malla Mahal Almora Hindi: मल्ला महल उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। कुमाऊंनी संस्कृति का गढ़ अल्मोड़ा एक मुख्य टूरिस्ट आकर्षण है। मुख्य रूप से तो टूरिस्ट यहाँ प्रकृति के सुन्दर रूप का आनंद लेने के लिए आते हैं लेकिन अल्मोड़ा के बीचों बीच स्थित मल्ला महल अल्मोड़ा के इतिहास को जानने के लिए उत्सुक कर देता है। मल्ला महल को अष्ट महल के नाम से भी जाना जाता है। यह महल अल्मोड़ा के मुख्य बाजार , कचहरी बाजार के पास स्थित है। कभी कुमाऊँ राज्य का केंद्र रहा यह मल्ला महल कई बार अलग अलग शासकों के अधिकार में आया और आज उत्तराखंड की एक ऐतिहासिक धरोहर है।        

मल्ला महल का इतिहास | History of Malla Mahal Almora Hindi

Malla Mahal Almora Hindi
Malla Mahal Almora Hindi

अल्मोड़ा शहर उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी के रूप में जाना जाता है। यह शहर वहां की संस्कृति की कहानी सुनाता है।  इसी संस्कृति को प्रस्तुत करने के लिए अल्मोड़ा शहर में अलग-अलग ऐतिहासिक इमारतें हैं और इन्हीं में से एक है मल्ला महल जो कि लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

अल्मोड़ा शहर का इतिहास काफी पुराना है। यूँ तो यह शहर महाभारत कालीन माना जाता है लेकिन आधुनिक इतिहास में लगभग 15 वीं सदी तक इस पर कत्यूरी राजाओं का अधिकार था। कत्यूरी वंश के राजा  बैचलदेव ने इसका एक बहुत बड़ा भाग एक गुजराती ब्राह्मण श्री चंद्र तिवारी को दान में दे दिया था। उस दौरान अल्मोड़ा को राजपुर नाम से जाना जाता था।  

चंद राजाओं ने 16 वीं शताब्दी में इस शहर में अपनी राजधानी स्थापित की और तब चंद राजा रूद्र चंद्र ने अल्मोड़ा के बीच में एक महल की स्थापना की जिसे मल्ला महल कहा गया। रूद्र चंद्र और अकबर समकालीन थे। राजा रूद्र चंद्र ने अल्मोड़ा को अपनी राजधानी घोषित किया और यही से शासन व्यवस्था शुरू की। 

1744 में अली मोहम्मद रोहिल्ला ने इस पर अपना अधिकार कर लिया लेकिन पहाड़ी जगह पर वह ज्यादा दिन नहीं रह पाया और उसने इस महल को वापिस चंद्र राजा को सौंप दिया। इसके बदले उसने एक भारी कीमत की मांग भी की थी। 

सन 1790 में गोरखा शासकों ने चंद्र राजाओं को हराकर अल्मोड़ा पर अपना अधिकार कर लिया। लगभग 25 साल तक यह महल गोरखा शासन के अधिकार में रहा । गोरखा शासनकाल में इस किले को नंदा देवी किला के नाम से भी जाना जाता था।  बाद में सन 1815 में ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने गोरखा शासकों को हराकर इस पर अपना अधिकार बना लिया और तब उन्होंने  यहां से अपने प्रशासनिक कार्यों को जारी रखा। अभी मल्ला महल में जीर्णोद्ध्रार का काम चल रहा है।

मल्ला महल का आर्किटेक्चर | Architecture of Malla Mahal Almora Hindi

मल्ला महल पूरी तरह से लकड़ी और पत्थरों की सहायता से चंद्र वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। ऐसा भी लगता है कि मल्ला महल से पहले यहां पर कत्यूरी राजाओं द्वारा बनाए गए भवन थे। मल्ला महल की दीवारों की मोटाई, महल की बनावट में इस्तेमाल हुए पत्थरों  के आकार और सुरक्षा के लिए बनाए गए जालक भी अलग अलग समय पर बने हुए लगते हैं और इससे से यही मन जाता है कि इस महल का इतिहास अल्मोड़ा में चंद्र वंश से पुराना है। 

मल्ला महल के साथ-साथ परिसर में रानी महल ,अष्ट महल और रामशिला भी देखे जा सकते हैं।मल्ला महल के नीचे से  एक सुरंग का रास्ता तल्ला  महल की तरफ भी जाता है।  कहा जाता है कि वहां पर रानियों के लिए नौला बनाए गए थे जहां पर रानियां स्नान के लिए जाती थीं । महल में प्रवेश करने के लिए दो रास्ते जाते हैंऔर सीढ़ीयों  द्वारा महल की तरफ जाने के रास्ते में दीवार पर कुछ पेंटिंग दिखाई देती है जो कि उस समय के रिवाज़ और संस्कृति को प्रदर्शित करती हैं । ये पेंटिंग्स यहां का एक मुख्य आकर्षण भी हैं । 

मल्ला महल में  मंदिर समूह | Temple group in Malla Mahal Almora

Malla Mahal Almora Hindi

मल्ला महल के परिसर में एक मंदिर समूह भी स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले यहां पर देवी मंदिर और भैरव बाबा का मंदिर का निर्माण कार्य कराया गया था। यहाँ एक ऊंचा चबूतरा  है जहां पर 3 मंदिरों का एक  समूह स्थापित है। मंदिर के बीच में एक देवालय स्थित है।  इस मंदिर के तीन द्वार है जहां पर नंदा देवी मंदिर का आकार वर्गाकार दिखाई देता है मंदिर के प्रवेश द्वार में हाथियों द्वारा अभिषेक करवाती हुई गजलक्ष्मी के भी दर्शन होते हैं । मंदिर की बाहरी दीवारों पर नव दुर्गा के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं जिनमें नंदा देवी, पाताल देवी, त्रिपुरा देवी, कसार देवी, स्याही देवी, बानड़ी देवी,  जाखन  देवी ,उल्का देवी  व  नाइल देवी प्रमुख हैं। 

अंग्रेज़ों के शासन के दौरान भी इसकी बनावट में कुछ परिवर्तन किए गए थे । 

नागा शैली आर्किटेक्चर | Naga Architecture in Malla Mahal

मंदिर के सारे दरवाजे लकड़ी के बनाये गये हैं जिन पर बड़ी कारीगरी के साथ नक्काशी का कार्य किया गया है।  मंदिर के कारीगरी पर नागा शैली आर्किटेक्चर का प्रभाव है। मंदिरों का निर्माण एक ऊंचे चबूतरे पर किया गया था जहां पर रामशिला मंदिर है। रामशिला मंदिर मे  भगवान राम की चरण पादुका रखी गई थी, जिसके कारण इसका नाम रामशिला मंदिर पड़ गया। यहां पर माता नंदा सुनंदा देवी का भी मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि चंद्र राजाओं ने नंदा देवी जो कि उनकी कुलदेवी के रूप में पूजनीय हैं , उनके लिए मंदिर बनवाया था। बाद में माता नंदा देवी की मूर्ति को वर्तमान में माता नंदा देवी मंदिर में स्थापित कर  दिया गया। 

इस मंदिर के पत्थरों पर राजस्थानी कारीगरी की गयी है। मंदिर में रामशिला मंदिर के पत्थरों को निकालकर तथा उन पर फिर से उसी तरह की नक्काशी कर दोबारा तैयार करके वापस उसी प्रकार से लगाया गया है जैसे कि कभी वह निर्माण के समय रहे होंगे। 

मंदिर में एक बहुत पुराना पीपल का पेड़ है। ऐसा माना जाता है कि यह पेड़ भी उसी समय का लगभग 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां मंदिर में रामनवमी के दिन श्रद्धालुओं का को बड़ी संख्या में देखा जा सकता है यहां पर श्रद्धालु आकर प्रार्थना पूजा करते हैं।  

दशै  का छाजा | Dashai ka Chaja ( Vijayadashmi Festival in Malla Mahal)

चंद्र शासकों के शासन के समय राज महल के अंदर दशै  का छाजा नामक पर्व को मनाने की परंपरा शुरू की गयी थी। यह विजयादशमी का त्यौहार है जिसे कुमाऊनी में दशै का छाजा कहा जाता है। तभी से कुमाऊँ में दशहरा के मौके पर टूरिस्ट्स इस उत्सव में शामिल होने के  लिए आते हैं। 

मल्ला महल म्यूजियम | Malla Mahal Museum

मल्ला महल को ब्रिटिश शासन के  भी जिला  न्यायालय तथा कचहरी कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन अब ये कार्यालय यहाँ से हटा दिए गए हैं और महल के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। महल में एक म्यूजियम भी स्थापित किया जाना है जिस से कि यहाँ के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संभल कर रखा  सके। अभी मल्ला महल उत्तराखंड पर्यटन विभाग की देख रेख में है और इसे एक टूरिस्ट आकर्षण के रूप में विकसित किया जा रहा है। महल में चंद्र राजाओं के समय की तलवारें , उस समय की अनेकों इस्तेमाल में आने वाली चीजें और अंग्रेजों के समय के कुछ दस्तावेज आदि को संगृहीत करने की योजना है। शायद निकट भविष्य में मल्ला महल में एक बड़े म्यूजियम के स्थापना हो सकेगी जहाँ कुमाऊँ के इतिहास से भली भांति परिचय हो सकेगा। इस म्यूजियम में चित्रकारी , एपढ़ और कुमाऊंनी संस्कृति के और भी कई पहलुओं की जानकारी दी जाएगीऔर उनके नमूने भी दिखाए जा सकेंगे।  

अल्मोड़ा कैसे पहुचें | How to reach Almora

अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो दिल्ली के डोमेस्टिक या इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंच कर सड़क के रास्ते लगभग ३८० किलोमीटर का अल्मोड़ा तक का सफर तय कर सकते हैं। इसके लिए दिल्ली से स्टेट ट्रांसपोर्ट के बस , प्राइवेट टूरिस्ट बस या टैक्सी से यह रास्ता तय कर सकते हैं। 

अल्मोड़ा के सबसे पास उत्तराखंड का पंत नगर एयरपोर्ट है। यहाँ से अल्मोड़ा लगभग 115 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे टैक्सी या बस से तय किया जा सकता है। 

ट्रेन से अल्मोड़ा पहुंचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जहाँ से अल्मोड़ा तक के दूरी लगभग ८० किलोमीटर है।   

अल्मोड़ा सड़क के रास्ते अच्छी तरह से कनेक्टेड है और आप  खुद ड्राइव कर के , टैक्सी से या फिर बाइक से भी अल्मोड़ा तक का सफर तय कर सकते हैं। 

अल्मोड़ा के अन्य आकर्षण | Other attractions near Malla Mahal Almora

अल्मोड़ा कुमाऊंनी संस्कृति का केंद्र है और यहाँ पूरे साल टूरिस्ट्स आते रहते हैं। अल्मोड़ा और आस पास हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ देखे जा सकते हैं। इसके अलावा जीरो पॉइंट , जागेश्वर धाम ,  कसार देवी शक्ति मंदिर , चितइ मंदिर , प्रसिद्द सनराइज पॉइंट ब्राइट एंड कार्नर और ऐसे कई प्राकृतिक और धार्मिक आकर्षण अल्मोड़ा में स्थित हैं। 

Malla Mahal Almora, Beatific Uttarakhand !

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