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नीरज चोपड़ा ( गोल्डन बॉय ) जीवन परिचय | Neeraj Chopra Biography Hindi | Neeraj Chopra Jeevan Parichay

Neeraj Chopra Biography Hindi : नीरज चोपड़ा पहले एशियाई और पहले भारतीय हैं जिसने ओलंपिक्स में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मैडल जीता है। इंडियन आर्मी में एक जूनियर कमीशंड अफसर के रूप में कार्यरत नीरज चोपड़ा पहले भारतीय हैं जिसने अपने पहले ओलंपिक्स में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में ओलिंपिक गोल्ड जीता है।

7 अगस्त 2021 , टोक्यो ओलिंपिक में 87.58 मीटर दूर तक भाला / जैवलिन फेंक कर नीरज चोपड़ा जब पोडियम पर गोल्ड मैडल लेने के लिए  खड़े हुए , तो उस समय हर भारतीय गर्व और जीत का अनुभव कर रहा था। 23 साल का लड़का , नीरज चोपड़ा  हर उस लड़के / लड़की के लिए एक आदर्श बन गया जो अभी अपना रास्ता बना रहे हैं।  उस समय तक भला कितने लोगों को पता था कि भारत का जैवलिन थ्रो में भी नाम है और भारतीय खिलाडी वहाँ भी अपना दम आजमा रहे हैं। एथलेटिक्स में जैवलिन थ्रो के स्टार नीरज चोपड़ा गोल्ड जीत कर जब भारत वापस आये तो वो सारे देश के चहेते बन चुके थे। उन्हें नाम दिया गया गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा !  

नीरज चोपड़ा ने इस देश के गौरव को तो बढ़ाया ही और साथ ही देश के युवाओं को एक नये गेम ऑप्शन से भी परिचित कराया। नीरज को गोल्डन बॉय यूं ही नही कहा कह दिया गया , इस के पीछे है उनका सालों  का कठिन परिश्रम और एकाग्रता, जिसे उन्होंने इस खेल की ऊँचाई छूने तक बनाये रखा और आज भी नये रिकॉर्ड्स बना रहे हैं। 

नीरज चोपड़ा जीवन परिचय : बचपन | Neeraj Chopra Biography Hindi – Childhood

नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के गाव खांडरा में हुआ, इनका परिवार एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार है। नीरज ने अपनी पढाई चंडीगढ़ के दयानन्द एंग्लो – वैदिक कॉलेज से की है।

नीरज शुरू से ही जॉइंट फैमिली में रहे और शुरू से ही इन्होंने अपने पिता को परिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए बहुत करीब से देखा। बचपन में शरीर का वजन बढ़ जाने की वजह से नीरज को पानीपत के एक जिम में भेजा गया। इनके चाचा इन्हें पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में दौड़ने के लिए ले जाने लगे। ये स्टेडियम पानीपत शहर का काफी प्रसिद्द स्टेडियम हैं और यहाँ सुबह से देर शाम तक एथलिट प्रैक्टिस करते हैं। पानीपत के स्टेडियम में कुछ एथलिट जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस किया करते थे।  उन्हें जैवलिन थ्रो करते देख कर नीरज चोपड़ा ने सोचा की मैं तो जैवलिन को इनसे भी ज्यादा दूर तक फेंक सकता हूँ।  इसी सोच के साथ नीरज चोपड़ा के जैवलिन थ्रो का सफर शुरू हुआ।  

आमतौर पर भारत में जहाँ हर लड़का स्पोर्ट्स में पहले क्रिकेट के बारे में ही सोचता है, उसी तरह से नीरज का भी झुकाव पहले क्रिकेट की तरफ ही था, लेकिन जैवलिन की तरफ एक बार आने के बाद उन्होंने फिर सिर्फ उसके आगे देखा और सोचा। 2010 में, जब नीरज केवल 13 साल के थे , उन्हें 40 मीटर तक जैवलिन थ्रो करते देख जेवलिन थ्रोअर जयवीर चौधरी ने उन्हें कोचिंग देने का फैसला किया।  

नीरज चोपड़ा जीवन परिचय – पहला मैडल | Neeraj Chopra Biography Hindi – First Medal

जयवीर चौधरी उनके पहले कोच रहे, उनके बाद नीरज ने और भी coaches से कोचिंग ली। नीरज चोपड़ा ने अपना पहला मैडल डिस्ट्रिक्ट चैंपियनशिप में जीता, जो की एक ब्रोंज (कांस्य ) मैडल था। इस मैडल को जीतने के बाद नीरज पानीपत में रह कर अपनी कोचिंग और प्रैक्टिस जारी रखना चाहते थे और इसके लिए उन्हें अपने परिवार को भी मनाना था।

ये मेडल नीरज के लिए एक परमिशन की तरह था जो की उनकी लगन को देख कर उनके परिवार ने दी और उन्हें पानीपत रुक कर अपनी प्रैक्टिस  पर ध्यान देने के लिए कहा। पहले कोच से ट्रेनिंग लेने के बाद जो उपलब्धि नीरज को मिलीं , उससे इन्हें “ताऊ देवीलाल स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स, पंचकुला” में एंट्री  मिली।  यहाँ इन्हें लम्बी दूरी की दौड़ के साथ जैवलिन थ्रो करने की ट्रेनिंग मिली।

नीरज चोपड़ा जीवन परिचय – परिवार का सपोर्ट | Neeraj Chopra Biography Hindi

अपने बेटे की लगन को देख कर नीरज चोपड़ा के पिता ने भी उन्हें इसी खेल मैं आगे बढ़ने के लिए लगातार साथ दिया, और जब नीरज को उनके कोच ने जैवलिन खरीदने की सलाह दी और नीरज ने अपने पिता से जैवलिन के लिए कहा , तब उस की कीमत 50,000 रुपए से भी ज्यादा थी। उनके पिता ने उनसे कुछ दिन का समय मांगा और कुछ दिनों बाद ही एक जैवलिन ला कर दी। अब नीरज की प्रैक्टिस लगातार, बिना रुके चलने लगी। 

नीरज ने पहला गोल्ड नेशनल जूनियर एथलेटिक चैंपियनशिप, लखनऊ में 68.40 मीटर जैवलिन थ्रो करके जीता। 

नीरज चोपड़ा जीवन परिचय – इंटरनेशनल। अंतर्राष्ट्रीय पहचान  | Neeraj Chopra Biography Hindi

इंटरनेशनल लेवल पर नीरज चोपड़ा ने 2013 में भाग लेना शुरू किया। यूक्रेन का “वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप ” उनका पहला इंटरनेशनल चैंपियनशिप था। नीरज का पहला इंटरनेशनल मैडल , यूथ ओलंपिक्स क्वालिफिकेशन 2014, बैंकाक में सिल्वर मैडल था। 

2015 में नीरज ने आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक मीट ( All India Inter University Athletic Meet  ) में भाग लिया और 81.04 मीटर जैवलिन थ्रो करके अपना ही जुनियर कैटेगरी का पुराना रिकॉर्ड तोडा । ये पहली बार था जब नीरज ने जेवलिन को 80 मीटर से ज्यादा दूर तक फेंका। इसके बाद नीरज चोपड़ा ने पटियाला में नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीटूट ऑफ़ स्पोर्ट्स में कोचिंग / ट्रेनिंग लेना शुरू किया।

जब 2016 में गोवाहाटी में हुए साउथ एशियाई गेम्स में नीरज ने गोल्ड मैडल जीता , इसके बाद नीरज को भारतीय सेना में जूनियर कमिशन ऑफिसर ( Junior Commission Officer ) की रैंक पर सरकारी सेवाओं में लिया गया और राजपुताना राइफल्स में नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया गया। अक्सर स्पोर्ट्स कोटा में इस तरह का पोस्ट ऑफर नहीं किया जाता है पर नीरज को नायब सूबेदार की पोस्ट पर रिक्रूट किया गया।

उसके बाद में अंडर २० एथलेटिक चैंपियनशिप ( 2016, IAAF World U20 Championships ), Polland में  86.48 मीटर जैवलिन थ्रो कर नीरज ने गोल्ड जीता । नीरज के इस थ्रो ने नेशनल और इंटरनेशनल रिकॉर्ड बनाया और उन्हें ये रिकॉर्ड बनाने वाला पहला भारतीय बना दिया।

2016 में रिओ में होने वाले ओलंपिक्स में नीरज चोपड़ा अपनी चोट के चलते भाग नहीं ले पाए थे । इसके बाद नीरज बैंगलोर में ट्रेनिंग करने लगे। 2017 में एशियाई एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में 85.23 मीटर जेवलिन थ्रो कर नीरज ने फिर से गोल्ड मैडल जीता।

2018 में गोल्ड कोस्ट में हुए कामनवेल्थ गेम्स में नीरज ने एक बार फिर गोल्ड मैडल जीता और इसी साल दोहा, क़तर में हुए डायमंड लीग में नीरज ने 81.43 मीटर थ्रो से नेशनल रिकॉर्ड बनाया।

जहाँ पहुँच कर किसी को लगता के वो अब सफल हो गया है, वहाँ आ कर भी नीरज चोपड़ा को अभी बहुत आगे तक जाना था। नीरज चोपड़ा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था की “जब सफलता की ख्वाहिश आपको सोने ना दे।, जब मेहनत के अलावा और कुछ अच्छा ना लगे।,जब लगातार काम करने के बाद भी थकावट ना हो।, तो समझ लेना सफ़लता का नया इतिहास रचने वाला है।

और सच में , नीरज चोपड़ा की सफलता का इतिहास अभी लिखा जाना था। नीरज लगातार अपने गेम को और सुधारने में लगे रहे और पहले से ज्यादा मेहनत करने लगे, पर तभी एक घटना हुई जिसमें उनके कंधे में चोट आयी और वो अपनी प्रैक्टिस से लगभग 2 साल के लिए दूर हो गए । 2020 के टोक्यो ओलंपिक में  खेलने का सपना टूट रहा था, पर तभी बढ़ते हुए कोरोना (covid) cases के चलते सभी देशों ने लॉक डाउन लगाया और ओलंपिक्स को भी पोस्टपोन करते हुए 2021 में करने का फैसला लिया। 

नीरज चोपड़ा जीवन परिचय – टोक्यो ओलंपिक | Neeraj Chopra at Tokyo Olympics

नीरज ने फिर से ठीक होते ही अपनी प्रैक्टिस शुरू की और 2021 में पहुँच ही गए टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने। जहाँ उन्होंने 87.58 मीटर  से ज्यादा की दूरी पर जैवलिन थ्रो कर नया इतिहास रच दिया ! भारत को वहाँ गोल्ड दिलाया जहाँ आज तक हमारा एक भी एथलिट नहीं पहुँच पाया था। आज भी नीरज का जैवलिन थ्रो बेहतर होता जा रहा है और नये रिकॉर्ड बनते जा रहे हैं । 

टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जितने के बाद देश में नीरज चोपड़ा पर सम्मान और पुरस्कारों की बौछार होने लगी, हर स्टेट की गोवर्नमेंट नीरज को सराहने लगी, बड़े बिज़नेस और फिल्म स्टार नीरज को बधाइयां देने लगे।  पूरे देश में नीरज चोपड़ा की फैन फॉलोइंग लाखों से करोड़ो में पहुँच गयी।

इतना होने के बाद भी नीरज एक समर्पित एथलिट के तरह ही अपने खेल को और आगे ले कर जा रहे हैं और अपने बनाये रिकार्ड्स को तोड़ कर फिर नए रिकार्ड्स बनाते जा रहे हैं।  

नीरज चोपड़ा जीवन परिचय – स्टॉकहोल्म डायमंड लीग | Neeraj Chopra Stockholm Diamond League

14 जून  2022 को उन्होंने फिनलैंड में 89.30 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर ना सिर्फ अपना ही रिकॉर्ड तोडा बल्कि एक नया नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया। उसके 15 दिन बाद 30 जून को , स्वीडन में हो रही स्टॉकहोल्म डायमंड लीग ( Stockholm Diamond League ) में 89.94 मीटर जैवलिन थ्रो कर फिर अपना ही रिकॉर्ड तोडा। 

आज भी नीरज उतनी ही मेहनत करते हैं जैसे उन्होंने कभी अपने सपने पूरे करने के लिए शुरू करी थी, अपने इसी जज्बे के चलते नीरज देश के युवाओं के लिए एक कभी ना मिटने वाली एक प्रेरणा बन कर उभरे हैं, अभी नीरज चोपड़ा सिर्फ 25 साल के हैं और हमें उम्मीद है के उनका जैवलिन थ्रो का ये मैजिक हमें आगे भी देखने को मिलता रहेगा ! 

अगस्त 2022 में लुसाने में हुए डायमंड लीग में जेवलिन थ्रो में कम्पटीशन जीत कर नीरज ने 2023 में होने वाले वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी क्वालीफाई कर लिया है।

नीरज चोपड़ा के मैडल | Neeraj Chopra’s Medals :

  • एशियाई जूनियर चैंपियनशिप ( Asian Junior Championship ) , 2016 , रजत  (Silver)
  • वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप ( World Junior Championship ) , 2016, स्वर्ण ( Gold )
  • साउथ एशियाई गेम्स ( South Asian Games ) , Guwahati/Shillong, 2016, स्वर्ण ( Gold )
  • एशियाई चैंपियनशिप ( Asian Championships ), Bhubaneshwar, 2017, स्वर्ण ( Gold )
  • कामनवेल्थ गेम्स ( Commonwealth Games ), Gold Coast, 2018, स्वर्ण ( Gold )
  • एशियाई गेम्स ( Asian Games ) , Jakarta, 2018, स्वर्ण ( Gold )
  • ओलिंपिक गेम्स ( Olympic Games ), Tokyo, 2021, स्वर्ण ( Gold )

नीरज चोपड़ा को मिलने वाले सम्मान | Honors received

  • परम विशिष्ट सेवा मेडल (2022)
  • विशिष्ट सेवा मेडल (2020)
  • पदम श्री (2022)
  • मेजर ध्यान चंद खेल रतन अवार्ड (2021)
  • अर्जुन अवार्ड (2018)
  • नीरज चोपड़ा के नाम पर पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट का नाम बदल कर नीरज चोपड़ा स्टेडियम किया गया। (2021)

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