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पिथौरागढ़  किला पिथौरागढ़ | Pithoragarh Fort Hindi

Pithoragarh Kila

Pithoragarh Kila

Pithoragarh Fort Hindi : पिथौरागढ़ किला उत्तराखंड राज्य के  पिथौरागढ़ शहर में  स्थित है।  पिथौरागढ़ किला पिथौरागढ़ का प्रसिद्द टूरिस्ट आकर्षण है जो भारतीय  संस्कर्ति में रूचि रखने वालों को खूब लुभाता है। नेपाल और तिब्बत की सीमा रेखा पर स्थित पिथौरागढ़ शहर की यह एक सांस्कृतिक धरोहर है। 

पिथौरागढ़ किला अन्य नाम | Pithoragarh Fort Hindi : Different Names

पिथौरागढ के किले को कुछअन्य नामों से भी  जाना जाता है इस किले को गोरखा किला, लाउडन किला, सोरगढ़ किला, बाउली की गढ़ किला, लंदन किला जैसे नाम दिए गए हैं । ये सभी नाम इतिहास में हुए राजनीतिक बदलावों के कारन समय समय पर बदलते रहे हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इस किले को सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने राजधानी बनाया था और उनके नाम के प्रभाव के कारण इसे पिथौरागढ़ किला कहा गया। 

पिथौरागढ़ को प्राचीन काल में सोर  घाटी नाम से जाना जाता था। सोर शब्द का अर्थ होता है सरोवर।  ऐसा कहा जाता है कि कभी पहले यहां पर सात सरोवर थे  जोकि समय के साथ -साथ  धीरे-धीरे सूखते चले गए और कालांतर में एक पठारी भूमि का निर्माण हो गया। इसी पठारी भूमि होने के कारण इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। 

 पिथौरागढ़  किला निर्माण | Pithoragarh Fort Hindi : Construction

पिथौरागढ़ किले के निर्माण को लेकर  इतिहासकार मानते हैं कि इस किले का निर्माण सन 1779 के आसपास  चंद वंश  के राजा पीरु उर्फ पृथ्वी गुसाईं ने शुरू कराया था, बाद में उन्हीं के नाम पर ही इस किले का नाम पिथौरागढ़ का किला पड़ा। 1790 में  गोरखाओं  ने चंद वंश के राजाओं को हराकर किले को तहस- नहस कर  कुमाऊं पर अपना कब्जा कर लिया था। बाद में गोरखाओं ने इसकी मरम्मत करके 1791 में वहां की सबसे ऊंचे पहाड़ी पर  यह किला बनाया तथा इसे गोरखा किला नाम दिया।  ऐसा माना जाता है कि गोरखाओं ने इस किले का निर्माण वहां की सबसे ऊंची पहाड़ी पर पूर्ण सुरक्षा की दृष्टि से कराया था।

Pithoragarh Fort Hindi
Pithoragarh Fort Hindi

पिथौरागढ़  किला एरिया | Pithoragarh Fort Hindi – Area

पिथौरागढ़ किला 6 . 5 नली क्षेत्रफल भूमि में बनाया हुआ है। किले की लंबाई लगभग 88 .  5 मीटर और चौड़ाई 40 मीटर है तथा इसकी दीवार की ऊंचाई 8 .  9 फीट है।

* ** उत्तराखंड में नली एरिया को नापने के लिए एक कॉमन मात्रक है। जिस तरह से उत्तरप्रदेश में बीघा और हरियाणा में किले मात्रक शब्दों का इस्तेमाल जमीन नापने के लिए किया जाता है उसी तरह से नली शब्द भी उत्तराखंड की भाषा में एक लोकल मात्रक है।

पिथौरागढ़  किला संरचना | Architecture of Pithoragarh Fort Hindi

इस किले में  प्रवेश करने के लिए दो मुख्य द्वार हैं जो कि बहुत ज्यादा बड़े नहीं हैं। इस किले के अंदर दो मंजिलें हैं जिसमें 15 कमरे बनाए गए हैं। किले में कमरों की बनावट को देखकर ऐसा लगता है कि इनकी बनावट नेपाल में बनने वाले भवनो  से काफी मिलती-जुलती है। इस किले का निर्माण सैनिकों और सामंतों के रहने  के लिए किया गया था। पिथौरागढ़ किले के भीतर एक तहखाना भी है , जिसे सैनिक भंडार के लिए प्रयोग में लाते थे।

Pithoragarh Fort Hindi

पिथौरागढ़ किले में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई गुप्त दरवाजे और अनेकों रास्ते भी बनाए गए थे। यह किला उस समय की युद्ध नीति को प्रदर्शित करता है। यहां किले की दीवार में लंबी लंबी बंदूकों को चलाने के लिए 152 छिद्रों  को बनाया गया था और इन छिद्रों  की विशेषता थी कि वहां बाहर से किले के अंदर किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान ना किया जा सकता था । किले की सुरक्षा व्यवस्था को एकदम दुरुस्त रखने के हेतु यहां पर सैनिकों को बैठकर और लेट कर दोनों तरीके से बंदूक चलाने की पूरी व्यवस्था करी गई थी।

पिथौरागढ़ किला पत्थर का बना हुआ है इसमें सुर्खी चूरा का इस्तेमाल किया गया है। सुर्खी चूरा एक तरीके का सीमेंट का कार्य करता है जो कि वहां  लगने वाले पत्थरों को जोड़ने  का काम करता है। किले के भीतर ही एक शिलापट्ट पर प्रथम विश्व युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों का उल्लेख किया गया है। इस शिलापट्ट से पता चलता है चलता है कि आस पास के इलाकों से कितने सैनिकों ने विश्व युद्ध में भाग लिया था और यहाँ पर विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों का भी जिक्र मिलता है।

पिथौरागढ़  किला इतिहास | Pithoragarh Fort Hindi – History

पिथौरागढ़ किले का निर्माण सन 1778-1779 में हुआ था और लगभग 10 सालों के बाद इस पर गोरखा सेना ने अपना अधिकार कर लिया था। बाद में सन 1815 में भारत पर ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया था। इस पिथौरागढ़ किले से उदयपुर कोट,  ऊंचा कोट , भाटदुनी कोट , वैल्लोर  कोट,  बल कोट , डूंगर कोट , सहज कोट को आसानी से देखा जा सकता था और वहां से ही इन सभी पर शासन किया जा सकता था। 

इस किले को लेकर अंग्रेज़ों और गोरखाओं के बीच एक संधि स्थापित हुई जिसे संगोळी संधि नाम दिया गया। इस किले पर अंग्रेज़ों ने 135 वर्ष तक अधिकार रखा और इसका इस्तेमाल तहसील के रूप में किया। उसी दौरान पिथौरागढ़ किले का नाम बदल कर लंदन फोर्ट कर दिया गया था। बाद में जब देश स्वतंत्र हुआ तभी इस किले पर वह शासन समाप्त हुआ।

सं 2018 में उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने  इस किले को अपने अधिकार में ले लिया और इसे  पिथौरागढ़ के लिए एक  ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर दिया था। तभी यहाँ एक म्यूजियम बनाने का काम भी शुरू हुआ।

पिथौरागढ़  किला टिकट प्राइस | Pithoragarh Fort Hindi – Ticket Price

 किले के अंदर प्रवेश  करने के लिए टिकट की व्यवस्था है जिसका प्राइस केवल 20 रूपए है । किले  को देखने का टाइम या किले के  खुलने का टाइम सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 बजे तक होता है । टूरिस्ट्स सुबह11:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 के बीच किला देख सकते हैं और पिथौरागढ़ के इस ऐतिहासिक रूप से परिचित हो सकते हैं।

किले से सनराइज और सनसेट | Pithoragarh Fort Hindi – Sunrise and Sunset

सनराइज और सनसेट का समय किले को देखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है सनराइज और सनसेट के समय इस किले  का नजारा अपने आप में बेहद आकर्षण लिए हुए होता है जो कि टूरिस्ट्स को बहुत पसंद आता है।

पिथौरागढ़ किला- म्यूजियम | Pithoragarh Fort Hindi – Museum

किले के अंदर स्थापित म्यूजियम में एक क्राफ्ट सेंटर बनाया गया जहां पर हाथ से बनी हुई चीजों को प्रदर्शित किया गया है। इस म्यूजियम में पहाड़ी क्षेत्र में मेलों में मिलने वाले मुखोटे भी देखे जा सकते हैं। म्यूजियम में टूरिस्ट्स को किले के इतिहास से परिचय करते हुए कुछ तामपत्र , प्राचीन सिक्के और कुछ किताबें आदि भी सुसज्जित हैं। 

रेस्टोरेंट्स और खान पान | Food and Restaurants

पिथौरागढ़ किले में  जाने पर पर एक रेस्टोरेंट है जहाँ से टूरिस्ट के स्नैक खरीद सकते हैं। इस रेस्टोरेंट में कुमाऊनी डिश के साथ साथ चाय कॉफी का भी आनंद उठाया जा सकता है।  

पिथौरागढ़ किला देखने का सही मौसम | Pithoragarh Fort Hindi – Best time to visit

पिथौरागढ़ किला घूमने जाने का सही समय अप्रैल से अक्टूबर तक का है , हालाँकि अगस्त में मानसून होने के कारण यहाँ जाना बहुत सुरक्षित नहीं होता है। सर्दियों में यहाँ काफी बर्फ पड़ती है और तापमान बहुत गिर जाता है।

पिथौरागढ़ कैसे पहुँचे | How to reach – Pithoragarh Fort Hindi

रेलमार्ग  द्वारा  पिथौरागढ़ का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर में है। टनकपुर रेलवे स्टेशन से पिथौरागढ़ की दूरी लगभग 138 मीटर है और आने जाने के लिए बस व टैक्सी की सुविधा भी उप्लब्ध है। सड़क मार्ग  द्वारा   दिल्ली से पिथौरागढ़ लगभग 457 किलोमीटर है। 

फ्लाइट से पिथौरागढ़ पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर में है। यह  नैनीताल जिले में पिथौरागढ़ से करीब 241 किलोमीटर दूर है। पिथौरागढ़ में एक नैनी सैनी हवाई पट्टी भी है जहां पर देहरादून और पंत नगर से हेलीकॉप्टर की सुविधा भी है हालाँकि अभी यह सुविधा बंद है।  

Pithoragarh Fort, Beatific Uttarakhand !

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