Savita Punia Hindi Jeevan Parichay : सविता पूनिया , टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय महिला हॉकी टीम की गोल कीपर को एक नया नाम मिला “ग्रेट वाल ऑफ़ इंडियन हॉकी टीम”। टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन के बाद कुछ नाम और चेहरे हर घर में पहचाने जाने लगे। भारतीय महिला हॉकी टीम को इस मुकाम तक लाने वाले इन नामों में से सविता पूनिया भी एक नाम है।
Savita Punia Hindi Jeevan Parichay | सविता पूनिया का परिचय :
सविता पूनिया हरियाणा के सिरसा जिले के एक गाओं जोधकान से है। वह 11 जुलाई 1990 को सविता पूनिया का जन्म हुआ। सविता के पिता का नाम मोहिंदर पुनिया है और माँ का नाम लीला देवी है। सविता को हॉकी खेलने का प्रोत्साहन उनके दादाजी रंजीत पुनिया से मिला। वो सविता को हमेशा हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करते रहे। सविता के दादा के मुताबिक हॉकी उन्हें शारीरिक रूप से बहुत मजबूत बनाएगी।
संघर्ष – Savita Punia Hindi Jeevan Parichay:
सविता को शुरू में हॉकी खेलना कुछ खास पसंद नहीं आया था। इसका कारण था कि हॉकी अकादमी उनके घर से काफी दूर थी और आने जाने में काफी टाइम लगता था। सविता अपने गांव से दूर सिरसा में हॉकी की ट्रेनिंग ले रही थी। हॉकी किट के साथ कभी उन्हें बस की छत पर बैठ कर आना जाना पड़ता था।
जैसे की अक्सर हमें देखने को मिलता है बसों में लोगों का लड़कियों के साथ व्यवहार , ईव टीसिंग , छेड़ छाड़ , इस सब का सामना सविता को भी करना पड़ा लेकिन इन सब से वो और मजबूत है न कि कमज़ोर।
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हॉकी से लगाव – Savita Punia Hindi Jeevan Parichay :
सविता के पिता ने उन्हें २०,००० रूपये की हॉकी किट ला कर दी। उस दिन के बाद से सविता का हॉकी सीखने को लेकर रवैया बदल गया। अब वो जी जान लगा कर हॉकी की ट्रेनिंग लेने लगी।
करियर – Savita Punia Hindi Jeevan Parichay:
२००७ में सविता को लखनऊ में होने वाले नेशनल शिविर के लिए चुना गया। अब सविता गोल कीपिंग सीखने लगी थी। २००८ में उन्हें नेशनल टीम के लिए चुना गया हालाँकि टीम के लिए खेलने का मौका उन्हें २०११ में मिला। २००९ में उन्होंने जूनियर एशिया कप के लिए जाने वाली टीम में हिस्सा लिया। इसके बाद २०१३ में मलेशिया में हुए महिला हॉकी कप में उन्होंने हिस्सा लिया और यहाँ अपनी गोल कीपिंग के स्किल का अच्छा परिचय भी दिया। मलेशिया में उन्होंने भारतीय टीम के लिए दो पेनल्टी शूट रोके और अपनी टीम को ब्रोंज मैडल जितने में सहायक बनीं ।
२०१४ में इंचिओन एशियाई गेम्स में ब्रोंज जीतने वाली टीम का हिस्सा भी सविता पूनिया रही।
२०१६ में जापान के खिलाफ खेले गए मैच को भूल पाना कभी संभव नहीं होगा। इस मैच में सविता ने जापान की ओर से होने वाले पेनल्टी शूट्स को रोक कर भारतीय टीम को टीम को १-० से बढ़त बरकरार रखने में योगदान किया। इस मैच के कारण भारतीय महिला हॉकी टीम ३६ साल बाद रियो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर पायी।
२०१८ में एशिया कप में फाइनल में चीन के सामने उन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने लिए गोलकीपर ऑफ़ द टूर्नामेंट का अवार्ड जीता। इस मैच के बाद ही भारतीय महिला हॉकी टीम २०१८ लंदन वर्ड कप के लिए क्वालीफाई कर गयी।
२०२० टोक्यो ओलिंपिक में रानी रामपाल की टीम में सविता पुनिया ने हॉकी को पसंद करने वाले हर स्पोर्ट्स लवर को अपना फैन बना लिया। यहाँ उन्हें टाइटल मिला वाल ऑफ़ इंडियन हॉकी टीम। हालाँकि इंडियन हॉकी टीम ने ४थ पोजीशन पर कब्ज़ा किया पर भारतीय महिला हॉकी के लिए ये एक बहुत बड़ा दिन था। ओलंपिक्स की इस परफॉरमेंस के बाद रानी रामपाल , सविता पुनिया और हॉकी टीम के बाकि सदस्य घर घर में जाना जाने वाला नाम बन गए।
अभी सविता पूनिया को कॉमनवेल्थ गेम्स २०२२ के लिए हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया है। कामनवेल्थ गेम्स २०२२ के लिए सविता पूनिया और भारतीय महिला हॉकी टीम को शुभकामनाएं।
सविता पूनिया ने शानदार प्रदर्शन कर अपने नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी टीम को कामनवेल्थ २०२२ में ब्रोंज मैडल जिताया है। ये कामनवेल्थ में १६ वर्ष बाद भारतीय महिला हॉकी का पहला मैडल है।
अवार्ड्स – Savita Punia Hindi Jeevan Parichay
२०१५ में सविता पूनिया को बलजीत सिंह गोलकीपर ऑफ़ थे ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
२०१८ में सविता पूनिया को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
२०२१ में सविता पूनिया को ऍफ़ आई एच से बेस्ट गोलकीपर ऑफ़ द ईयर अवार्ड दिया गया।
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