Sheetala Mata Mandir Hindi : शीतला माता मंदिर हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित देश के प्रसिद्द मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भारतीय परिवारों के अनेक रीति रिवाजों का एक प्रमुख हिस्सा है। शीतला माता मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और माना जाता है कि यह लगभग 400 साल पुराना मंदिर है। शीतला माता को स्वास्थ्य लाभ के लिए विशेष रूप से माना जाता है। शीतला माता मंदिर का प्रशासन सरकार द्वारा गठित द्वारा किया जाता है। इस बोर्ड का चेयरमैन स्वयं मुख्यमंत्री होता है।
शीतला माता मंदिर का महत्त्व | Significance – Sheetala Mata Mandir Hindi
शीतला माता मंदिर गुरुग्राम को देश में नौ शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर अनेक पारिवारिक धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है। अक्सर यहाँ पर नव विवाहित जोड़े प्रार्थना के लिए आते हैं। घर में बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए भी यहाँ दूर दूर शहरों और गावों से लोग आते हैं। शीतला माता को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में बहुत माना जाता है और इसीलिए यहाँ बीमारियों से पीड़ित भक्त स्वास्थय लाभ की आशा लिए प्रार्थना करने आते हैं।
शीतला माता मंदिर – पौराणिक महत्त्व | Mythology – Sheetala Mata Mandir Hindi
महाभारत में माता शीतला को पांडवों और कौरवों की गुरु माँ कहा गया है। महाभारत महाकाव्य के अनुसार माता शीतला गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी थीं और गुरु कृपाचार्य की बहन थीं। विवाह से पहले उनका नाम कृपि था। उन्होंने खुद को बीमार बच्चों, विशेषकर चेचक से पीड़ित बच्चों की देखभाल के लिए समर्पित कर दिया था जिसके कारण आस पास के लोग स्नेह और सम्मान से उन्हें माता (मां) कहते थे। उनके सम्मान में एक मंदिर का निर्माण कराया गया था । उन्हें माता शीतला या माता मसानी, यानी चेचक की देवी के रूप में भी जाना जाता है।
स्कंद पुराण में शीतला माता से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है जिस के अनुसार शीतला देवी का जन्म ब्रह्माजी से हुआ था और उन्हें देवी शक्ति का ही एक स्वरुप माना जाता है। एक कथा के अनुसार देवलोक से भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर के साथ माता शीतला अपने हाथ में दाल के दाने लेकर धरती पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थीं । राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने की इजाज़त नहीं दी थी जिससे वह बहुत क्रोध में आ गयीं। शीतला माता के क्रोध के कारण राजा विराट की प्रजा के लोगों की त्वचा पर लाल रंग के दाने हो गए और लोगों की त्वचा गर्मी के कारण जलने लगी थी। तब राजा विराट ने अपनी गलती पर माफी मांगी और इसके बाद राजा विराट ने देवी शीतला को कच्चा दूध और ठंडी लस्सी अर्पण किया और इससे माता शीतला का क्रोध शांत हुआ। तभी से माता शीतला को ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है। स्कंद पुराण के अनुसार स्वयं भगवान ब्रह्मा ने शीतला माता को इस सृष्टि को निरोग रखने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
शीतला माता मंदिर – इतिहास | History – Sheetala Mata Mandir Hindi
शीतला माता मंदिर गुरुग्राम स्थित एक प्राचीन मंदिर है जो लगभग 400 साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर के वर्तमान स्वरुप की स्थापना से सम्बंधित कुछ प्रचलित धारणाएं हैं। यह माना जाता है कि गुरुग्राम के एक व्यक्ति जिसका नाम सिंघा था , ने अपने सपने में माता शीतला के दर्शन किये थे और सपने में माता शीतला ने उससे अपना मंदिर बनवाने की इच्छा प्रकट की। उसी सपने को माता शीतला की आज्ञा मान कर सिंघा ने यहां पर मंदिर बनवाया था ।
कहा जाता है कि पहले शीतला माता मंदिर गुरुग्राम में न हो कर दिल्ली के केशोपुर में स्थित था।
शीतला माता देवी | Sheetala Mata Mandir Hindi
भारत में हर एक गाँव की एक देवी होती हैं और शीतला माता को गुरुग्राम यानी गुड़गांव की कुलदेवी माना जाता है। शीतला माता के एक हाथ में कलश में शीतल पेय, दाल के दाने और रोगा नाशक जल है और दूसरे हाथ में झाड़ू और नीम के पत्ते हैं।
शीतला माता का वाहन इस संसार में सबसे अधिक धैर्यवान जानवर गधा है। शीतला माता की सात बहनें मानी जाती हैं जो ऋणिका , घृणीका , महला , मंगला , सेठला और दुर्गा हैं । शीतला माता को स्वच्छता की देवी के नाम से भी जाना जाता है।
शीतला माता मंदिर – प्रार्थना समय | Timings – Sheetala Mata Mandir Hindi
शीतला माता मंदिर में पूजा का समय सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक रहता है। शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के दिन यहाँ विशेष प्रार्थना का आयोजन होता है।
मंदिर में दूसरे क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं और अपने बच्चों का मुंडन यहाँ पर करते हैं। मंदिर के अंदर मुख्य द्वार के पास ही एक बरगद का पेड़ है जहां पर श्रद्धालु चुन्नी और कलावा बांधकर और जल चढ़ा कर मन्नत मांगते हैं। यहां पर संतान प्राप्ति और अपने घर की इच्छा पूर्ती के लिए भी लोग आते हैं।
वैसे तो कभी भी शीतला माता मंदिर में माता के दर्शन के लिए आया जा सकता है किंतु नवरात्र के दिनों में यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र नवरात्रि और अश्विन के नवरात्रि के दौरान यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान लगभग लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और यहां पर लाइन में लगकर दर्शनों के लिए घंटो तक का लम्बा इंतजार करते हैं।
बासोड़ा पर्व | Basoda – Sheetala Mata Mandir Hindi
बासोड़ा शीतला माता का विशेष पर्व है। इसके लिए एक दिन पहले ही शीतला माता के भोग में चढाने के लिए लोग पकवान तैयार कर के रख देता हैं और इस बासी भोग को माता शीतला को अर्पित किया जाता है।
आस-पास के अन्य आकर्षण | Nearby Places
गुरुग्राम भीम कुंड जिसे पिंचोखड़ा के तालाब के रूप में जाना जाता है। यह तालाब राजीव चौक, गुरुग्राम से लगभग 3 किमी दूर सेक्टर 4, 6 और 8 के बीच स्थित है।
एकलव्य मंदिर गुरुग्राम शहर के सेक्टर 37 के खांडसा गांव में स्थित है। यह मंदिर एकलव्य के सम्मान में बनवाया गया था । लोककथाओं के अनुसार, यह मंदिर एकलव्य का एकमात्र मंदिर है और यह वही स्थान है जहाँ एकलव्य ने अपना अंगूठा काटकर गुरु द्रोण को अर्पित किया था।
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