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 सुजानपुर का किला(खजांची किला ), हिमाचल प्रदेश | Sujanpur Kila in Hindi

Sujanpur Kila Hindi

Sujanpur Kila Hindi

Sujanpur Kila in Hindi : भारत देश अपने विशाल इतिहास और असंख्य किलों के लिए प्रसिद्ध है।  इन किलों में से कुछ किले ऐसे हैं जो किसी ना किसी वजह से बहुत अधिक प्रसिद्ध माने जाते हैं। इन्हीं प्रसिद्द किलों की श्रंखला में एक नाम आता है हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित सुजानपुर किले का। 

सुजानपुर को पहले सज्जनपुर कहा जाता था। माना जाता है कि यह नाम वहां के लोगों की ईमानदारी और उनकी सच्चाई को देखते हुए पड़ा था जो राजा संसार चंद के समय तक आते आते बदलकर सुजानपुर हो गया था। सुजानपुर नगर व्यास नदी के किनारे पर स्थित है।

Read in English Sujanpur Fort Himachal Pradesh Khajanchi Fort

सुजानपुर का किला – निर्माण | Sujanpur Kila in Hindi

Sujanpur Kila in Hindi
Sujanpur Kila in Hindi

सुजानपुर के किले का निर्माण कटोच वंश के राजा अभय चंद्र ने लगभग 260 वर्ष पहले कराया था। सुजानपुर किले का निर्माण सन 1758 में कराया गया था। उसके बाद इस किले पर राजा संसार चंद का भी अधिकार रहा । हमीरपुर जिले के सुजानपुर कस्बे के इस किले को खजांची किले के नाम से भी जाना जाता है।  ऐसा माना जाता है कि इस किले के अंदर अरबों का खजाना छिपा हुआ है  जिसको लाखों प्रयास करने के बाद भी आज तक कोई भी हासिल नहीं कर सका है। 

सुजानपुर का किला – खजाना | Sujanpur Kila in Hindi

सुजानपुर किले के बारे में कहा जाता है कि यहाँ राजा संसार चंद के समय से एक विशाल खजाना छिपा हुआ है। इस खजाने के चलते इस किले पर अनेकों राजा महाराजों ने कई बार खुदाई कराई लेकिन कुछ भी नहीं मिला। यहाँ प्रचलित बातों के अनुसार राजा संसार चंद ने इस किले में अनेकों गुप्त दरवाजों का निर्माण कराया था। यहाँ लगभग ५ किलोमीटर लम्बी एक सुरंग किले के अंदर बनी हुई है जिसमें राजा ने खजाना छिपा रखा था। हालाँकि यह सच है या नहीं , और यदि है भी तो कितना सच है , इस बारे में कुछ प्रमाण नहीं हैं।    

सुजानपुर का किला – इतिहास | History – Sujanpur Kila in Hindi

सुजानपुर का यह किला सुजानपुर टिहरा नाम से प्रसिद्ध है। टिहरा  नामक पर्वत पर स्थित होने के कारण इस किले का नाम सुजानपुर  टिहरा  पड़ा था।  

कांगड़ा में ज्वाला संधि के समय राजा रणजीत सिंह ने कांगड़ा किले को अपने कब्जे में ले  लिया था। उस समय राजा संसार चंद को कांगड़ा का किला छोड़ना पड़ा और वह अपने परिवार के साथ यहाँ आ गए थे। उस समय उन्होंने अपनी राजधानी को कांगड़ा से बदल कर सुजानपुर कर लिया था। 

राजा संसार चंद यहीं से शासन का कार्य करने लगे थे। उस समय उन्होंने यहाँ अनेकों मंदिरों का निर्माण कराया।

सुजानपुर का किला – आर्किटेक्चर | Architecture – Sujanpur Kila in Hindi

सुजानपुर किले के दरवाजे के दोनों तरफ हाथी की मूर्ति बनी हुई हैं। हाथी को सुख , धन, वैभव और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है , इसीलिए अक्सर हमारे देश में किले और महलों के दरवाजों पर अक्सर हठी की मूर्तियां देखि जा सकती हैं। इन मूर्तियों के ऊपर के तरफ एक एक खिड़की बनी हुई हैं।  किले के प्रवेश द्वार  पर बड़ी ही खूबसूरती के साथ चित्रकारी की गई है और वहां की नक्काशी भी देखने लायक है।   

शाही निवास – सुजानपुर का किला | Royal Palace – Sujanpur Kila in Hindi

किले का मुख्य आकर्षण यहां का शाही निवास है जहां पर कभी राजा का परिवार रहा  करता था। इस महल को हवा महल के नाम से जाना जाता है।

बारादरी – सुजानपुर का किला | baradari – Sujanpur Kila in Hindi

बारादरी एक बड़ा हॉल के रूप में है जिसके अंदर 22 दरवाजे हैं । जब राजा संसार चंद यहाँ से अपना शासन चलने लगे थे तब यहाँ पर वह अपना दरबार लगाते थे। राजा संसार चंद के अधीन आस पास के २२ राजाओं के राज्य थे। उस समय दरबार जब लगाया जाता था तब उन 22 राजाओं के लिए अलग-अलग से प्रवेश द्वार बनवाये  गए थे।  प्रत्येक राजा के लिए एक द्वार था जो कि उस समय उन राजाओं के सम्मान का एक प्रतीक हुआ करता था। 

चौगान – सुजानपुर का किला | Chaugan – Sujanpur Kila in Hindi

सुजानपुर किले के मध्य में लगभग 1 वर्ग किलोमीटर के एरिया में हरा भरा मैदान है जिसको पहाड़ी भाषा में चौगान कहा जाता है। यह चौगान भी राजा संसार चंद के समय का है। उस समय सैनिकों को प्रशिक्षण देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। प्रजा के लिए चौगान में होली का आयोजन भी राजा संसार चंद के द्वारा ही कराया गया था। 

मंदिरों का निर्माण – सुजानपुर का किला | Temples – Sujanpur Kila in Hindi

राजा संसार चंद के समय में सुजानपुर में नर्वदेश्वर मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर आदि का निर्माण कराया गया था।गौरी शंकर मंदिर सुजानपुर किले का मुख्य मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। राजा संसार चंद की रानी प्रसन्नी देवी सुकेती द्वारा यहाँ अनेकों मंदिरों का निर्माण कराया गया। अन्य मंदिरों के साथ यहाँ  कटोच वंश के कुलदेवी का मंदिर भी स्थित है। 

उस समय कांगड़ा वास्तुकला और चित्रकारी का प्रतीक यहाँ स्थित मुरली मनोहर मंदिर है, जो कि महल की बाईं तरफ स्थित है। इस मंदिर को बंसीवाला मंदिर के नाम से जाना जाता है।  

सुजानपुर का किला – होली उत्सव | Holi Festival – Sujanpur Kila in Hindi

सन 1796 में पहली बार सुजानपुर में होली के उत्सव का आयोजन किया गया था। उस समय महल में पहली बार होली के उत्सव का आयोजन किया गया था। होली उत्सव  चौगान में मनाया जाता था जिसमें नागरिक बढ़ चढ़ कर कर हिस्सा लेते थे। 

भीषण भूकंप | Impact of Earthquake – Sujanpur Kila in Hindi

सन 1905 में आए एक भीषण भूकंप ने इस किले को काफी नुकसान पहुँचाया। किले का बड़ा हिस्सा उस भूकंप में ध्वस्त हो गया। आज के समय में भी किले के चारों ओर घूमते हुए वहां पर महल के राजसी अतीत के खंडहर हो चुके अवशेषों को देखा जा सकता है। सन 1824 में आलमपुर में राजा संसार चंद की मृत्यु हुई थी। 

आज के समय में  पुरातत्व विभाग इसकी देखभाल का कार्य करता है।  यहां पर कुछ जगहों पर आज भी मरम्मत का कार्य जारी है।

सुजानपुर जाने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit

सुजानपुर टिहरा के किले को देखने के लिए पूरे वर्ष में कभी भी जाया जा सकता है। यहाँ का मौसम वर्षपर्यंत सुहावना रहता है। 

सुजानपुर टिहरा कैसे पहुचें | How to reach Sujanpur

सड़क मार्ग द्वारा हिमाचल प्रदेश देश के अन्य स्थानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध है और अगर चाहें तो अपने निजी गाड़ियों से या टैक्सी से आसानी से सुजानपुर तक पहुंचा जा सकता है। 

अगर आप ट्रेन से ट्रेवल  कर रहे हैं तो सुजानपुर जाने के लिए यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन उना है जहाँ से सुजानपुर की दूरी लगभग 104 किलोमीटर है। वहां से टैक्सी द्वारा सुजानपुर पहुंचा जा सकता है। 

अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो सबसे नजदीक कांगड़ा स्थित गग्गल एयरपोर्ट है जिसकी यहाँ से दूरी लगभग 108 किलोमीटर है। यह दूरी सड़क मार्ग से तय की जा सकती है। 

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