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सनस्क्रीन क्या है | SPF क्या है | सनस्क्रीन के फायदे | Sunscreen Usage, SPF, Pros and Cons in Hindi

 सनस्क्रीन क्या है | What is a Sunscreen

सनस्क्रीन क्या है , दरअसल सनस्क्रीन एक क्रीम या लोशन है जो एक फोटोप्रोटेक्टिव यानी सूर्य की नुकसान पहुंचाने वाली अल्ट्रा वायलेट ( Ultra Violet) किरणों से स्किन को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग में लायी जाती है। तेज धूप के समय में , खासकर सुबह के १० बजे से दोपहर बाद के ४ बजे के बीच सूर्य के अल्ट्रा वायलेट किरणे सीधे पड़ने के कारण ज्यादा हानिकारक होती है इसीलिए इस दौरान स्किन को इन हानिकारक किरणों से सुरक्षित रखने के लिए स्किन के ऊपर एक ऐसी लेयर के जरूरत  होती है जो स्किन को सूर्य की  हानिकारक किरणों से सुरक्षित रख सके। 

सनस्क्रीन में स्पेशल तत्व होते हैं जो अल्ट्रा वायलेट किरणों को स्किन में जाने से रोकते हैं , ये अल्ट्रा वायलेट किरणों को या तो सोख लेते हैं  या इन तत्वों से टकराकर हानिकारक किरणें परावर्तित होती हैं और शरीर को नुक्सान नहीं पंहुचा पाती हैं।  पर्याप्त S.P.F. वाली सनस्क्रीन का उपयोग करने से स्किन को सनबर्न (ज्यादा देर तक बहार रहने पर स्किन का लाल हो जाना ), एजिंग ( समय से पहले स्किन पर झुर्रियां आना ) और स्किन कैंसर से बचने में मदद  मिलती है। इसलिए हेल्दी  स्किन के लिए सनस्क्रीन को अपने रूटीन में शामिल कर लेना अच्छा है। सनस्क्रीन के लिए सनब्लॉक शब्द का भी इस्तेमाल होता है। 

सनस्क्रीन अक्सर लोशन या क्रीम के रूप में मिलती है , हालाँकि अब सनस्क्रीन स्प्रे और सनस्क्रीन जैल भी मार्केट में आने लगे हैं। 

S.P.F. क्या होता है ? What is S.P.F. in Sunscreen

S.P.F.  एक छोटा फॉर्म है जिसका पूरा नाम है Sun Protection Factor . यह सन प्रोटेक्शन फैक्टर क्या होता है और यह सनस्क्रीन में कितना महत्वपूर्ण होता है , यह जानने के लिए हमें यह समझना होगा कि दिन के अलग अलग समय पर सूर्य से आने वाली हानिकारक यू. वी. किरणों का स्तर अलग होता है क्योंकि अलग अलग समय पर इन किरणों का धरती पर गिरने का एंगल भी बदलता रहता है। सुबह के समय जहाँ यू. वी. किरणों से स्किन को होने वाला नुक्सान कम होता है वहीँ दोपहर के समय यह सबसे ज्यादा होता है।

सन प्रोटेक्शन फैक्टर वह फैक्टर है जिस से पता चलता है कि कोई सनस्क्रीन हानिकारक यू. वी. किरणों से स्किन को कितना सुरक्षित रख सकती है। यह एक नंबर होता है जैसे कि 15,  20 , 90 आदि। S. P. F. 15 फैक्टर का सनस्क्रीन होने का मतलब है कि बिना सनस्क्रीन लगाए अगर आपकी स्किन 10 मिनट तक सनलाइट में सुरक्षित रह सकती है तो S.P.F. 15 सनस्क्रीन लगाने के बाद उसके15  गुने समय तक आपकी स्किन सनलाइट में सुरक्षित रह सकती है। 

15 X 10 = 150 मिनट या 2 घंटे 30 मिनट तक संभवतः स्किन को सनलाइट में नुकसान नहीं होगा।

इसी तरह से आप ज्यादा SPF वाली सनस्क्रीन के क्षमता जान सकते हैं। SPF जितना ज्यादा होगा उतना ज्यादा देर तक स्किन सुरक्षित रहेगी। लेकिन यहाँ पर यह भी ध्यान देना होगा की यू. वी. रेज़ का असर दिन चढ़ने के साथ साथ बढ़ता रहता है इसीलिए अगर सुबह 10 बजे SPF 15 इस्तेमाल करना आपको सुरक्षित रखेगा तो वही 12 बजे वह उतनी देर तक स्किन को सुरक्षित नहीं  रख पायेगा , इसीलिए चाहे आप जो भी SPF सनस्क्रीन इस्तेमाल कर रहे हों ,डर्मोटॉजिस्ट हर दो घंटे में सनस्क्रीन लगाने की सलाह देते हैं।    

SPF के रेंज 15 से 100 तक होती है। 

सनस्क्रीन के फायदे  | Benefits of using Sunscreen

हानिकारक यू. वी. रेज़ से बचाव | Shield from U.V. rays

सनस्क्रीन इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा तो यही ही कि यह सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से स्किन का बचाव करती है। चाहे आप मिनरल बेस आर्गेनिक सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें या फिर केमिकल सनस्क्रीन का , अपनी SPF वैल्यू के अनुसार सनस्क्रीन घंटों तक सनलाइट में स्किन को सुरक्षित रख सकती है। 

एजिंग स्लो करता है | works as Anti Aging

अल्ट्रा वायलेट किरणें स्किन को काफी नुकसान पहुँचती हैं स्किन को एजिंग के तरफ ले जाती हैं। स्किन पर रिंकल / झुर्री पड़ना  एजिंग का संकेत हैं। सनस्क्रीन स्किन को इन से बचाती है और स्किन को लम्बे समय तक हेल्दी रखने में मदद करती है। 

स्किन कैंसर का रिस्क कम करता है | lowers risk of skin cancer

सनस्क्रीन का इस्तेमाल स्किन को कैंसर से बचाव में मदद करता है। 

सनबर्न से बचाती है | saves from sunburn

दिन में अक्सर देर तक घर से बाहर रहने पर स्किन पर लाल रंग के रैश पड़ जाते हैं जिनमें जलन होने लगती है, ये सनबर्न है। ज्यादा तापमान वाली जगहों परऔर खास कर बीच जाने पर सनबर्न ज्यादा देखने को मिलता है , इसीलिए घर से बाहर निकलते समय शरीर के खुले हिस्सों पर सनस्क्रीन  लगाने से सनबर्न से बचाव हो जाता है। 

सनस्क्रीन के प्रकार | Types of Sunscreen

सनस्क्रीन मूलतः दो तरह के होते हैं, एक होते हैं जो मिनरल बेस यानि आर्गेनिक खनिज से बनाये जाते हैं और दुसरे होते हैं केमिकल बेस जिनमें पेट्रोलियम एलिमेंट्स का इस्तेमाल होता है। मिनरल बेस सनस्क्रीन वह होते हैं जिनमें जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड का इस्तेमाल होता है। यह सनस्क्रीन किरणों और  बीच एक परत बना देता है जिससे यू. वी. किरणें स्किन तक नहीं पहुंच पाती हैं और स्किन सुरक्षित रहती है। मिनरल बेस सनस्क्रीन थोड़ा गाढ़ा क्रीम जैसा टेक्सचर लिए होता है। 

केमिकल बेस वाले सनस्क्रीन केमिकल प्रोडक्ट्स से बनाये जाते हैं और इका असर मिनरल बेस सनस्क्रीन के मुकाबले थोड़ा ज्यादा देर तक रहता है। इन सनस्क्रीन का टेक्सचर थोड़ा पतला होता है। ये सनस्क्रीन स्किन में सोख लिए जाते हैं और तब स्किन को यू. वी. रेज़ से सुरक्षित रखते हैं। पसीना आने पर या फिर पानी में जाने पर इन्हें जल्दी ही दोबारा इस्तेमाल करना होता है।  केमिकल सनस्क्रीन को सनलाइट में जाने से 20 मिनट पहले लगा कर रखना होता है क्योंकि इतनी देर में ही स्किन इसके तत्वों को सोख लेती है। 

सनस्क्रीन के तत्व | Elements of Sunscreen

सनस्क्रीन में कुछ एक्टिव और कुछ इनएक्टिव तत्व इस्तेमाल किये जाते हैं।  ये सभी तत्व स्किन को सुरक्षित तो रखते हैं साथ ही कुछ तत्व इसमें स्किन को हेल्थी रखने में मदद करते हैं। यहाँ आप जान सकते हैं कि सनस्क्रीन में किस तरह के तत्वों का इस्तेमाल होता है :

  1. सक्रिय तत्व: ये वो तत्व हैं जो अल्ट्रा वायलेट किरणों को या तो सोख लेते हैं या इनसे टकराकर  किरणें वापिस लौट जाती हैं। इस तरह से या तत्व स्किन को सुरक्षित रख पाते हैं। सनस्क्रीन में इस्तेमाल होने वाले कुछ एक्टिव पदार्थ जैसे  एवोबेंज़ोन, ऑक्टिनॉक्सेट, ऑक्सीबेंज़ोन आदि हैं। 
  2. निष्क्रिय तत्व : सनस्क्रीन में ये वो तत्व हैं जो सनस्क्रीन को टेक्सचर देने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं जैसे कि पानी, ग्लिसरीन, सिलिकोन आदि हैं।
  3. एंटीऑक्सीडेंट: सनस्क्रीन को केवल अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाव करने से कुछ ज्यादा फायदा पहुंचने वाली क्रीम बनाने के लिए ऐसे कुछ तत्व बेहि मिलाये जाते हैं जो एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं। एंटी ऑक्सीडेंट स्किन को हेल्थी रखने में और स्किन डिजीज को कम करने के किये बेहद उपयुक्त हैं। विटामिन सी , विटामिन ई जैसे कुछ एंटी ऑक्सीडेंट अक्सर सनस्क्रीन में मिले होते हैं। 
  4. मॉइस्चराइजर्स: सनस्क्रीन में ग्लिसरीन, शिया बटर या कोकोनट आयल जैसे स्किन को मॉइस्चर करने वाले तत्व भी मिले होते हैं। ये स्किन में पानी की मात्रा को संतुलित रखने में मदद करते हैं। 
  5. सुगंध: कुछ सनस्क्रीन में सुगंध के लिए भी कुछ तत्व मिले होते हैं लेकिन खरीदते समय हमें ऐसे सनस्क्रीन को प्राथमिकता देनी चाहिए जिनमें सुगंध अलग से न मिली हो। 

कौन सा सनस्क्रीन इस्तेमाल करना चाहिए | Which Sunscreen to buy

कौन सा सनस्क्रीन सबसे अच्छा है या कौन सा सनस्क्रीन इस्तेमाल करना चाहिए यह पूरी तरह से आपकी स्किन पर निर्भर करता है। मार्केट में अलग अलग स्किन टाइप के लिए अलग अलग टेक्सचर के सनस्क्रीन देखे जा सकते हैं लेकिन हमारे लिए कौन सा सनस्क्रीन सही है यह पता करने के लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए:

सन प्रोटेक्शन फैक्टर (SPF)

कम से कम 30 के SPF वाले सनस्क्रीन इस्तेमाल करना ठीक रहता है। इससे कम SPF वाली सनस्क्रीन उन लोगों के लिए ठीक है जिन्हें धुप में बहुत कम निकलना पड़ता है। अक्सर SPF 15 वाली सनस्क्रीन को घर के अंदर ही इस्तेमाल करते हैं। 

ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सुरक्षा

एक ऐसा सनस्क्रीन लेना चाहिए जो न केवल यू. वी. ऐ. बल्कि यू. वी. बी. किरणों से भी स्किन को सुरक्षा प्रदान करे। इसके लिए सनस्क्रीन के पैकेज को अच्छी तरह से पढ़ कर ही निर्णय लेना चाहिए। 

वाटरप्रूफ सनस्क्रीन

अगर आप को पसीना ज्यादा आता है या घर से निकलने के बाद पानी में भीगने  की सम्भावना हो तो वाटरप्रूफ सनस्क्रीन सबसे सही है। 

एप्लीकेशन

जैसे की आप जानते हैं कि सनस्क्रीन क्रीम , लोशन , स्प्रे और जैल के पैकेज में मिलती हैं , आपको वह सनस्क्रीन लेना चाहिए जिसका एप्लीकेशन आपके लिए सही और आसान हो। 

स्किन टाइप

अलग अलग लोगों के स्किन टाइप भी अलग होते हैं। कुछ लोगों की स्किन ड्राई होती है तो कुछ की ऑयली और कुछ की मिक्स।  जिस तरह से आप बाकि स्किन प्रोडक्ट खरीदते समय अपने स्किन टाइप का ध्यान रखते हैं , उसी तरह से सनस्क्रीन लेते समय भी अपने स्किन टाइप को ध्यान में रखें। अक्सर सनस्क्रीन पर यह इनफार्मेशन दी गयी होती ही कि यह किस तरह के स्किन टाइप के लिए हैं। 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सनस्क्रीन उत्पादों में प्रयुक्त विशिष्ट सामग्री ब्रांड, सनस्क्रीन के प्रकार और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है। हमेशा लेबल को ध्यान से पढ़ें और ऐसा सनस्क्रीन चुनें जो आपकी त्वचा के प्रकार के लिए उपयुक्त हो और आपके लिए आवश्यक सूरज की सुरक्षा का स्तर प्रदान करता हो।

कभी कभी सनस्क्रीन खरीदते समय उसके इंग्रेडिएंट लिस्ट को पढ़ कर और इंग्रेडिएंट्स को जान कर ही निर्णय करना चाहिए। अगर आपकी स्किन ड्राई है तो ऐसे सनस्क्रीन के जरूरत होगी जिसमें मॉइस्चर के लिए भी तत्व मिले हों। अगर आपकी स्किन ऑयली है और मिक्स है तो इंग्रेडिनेट्स  को जाँच कर और परख कर ही निर्णय लें। 

सनस्क्रीन का इस्तेमाल कब करना चाहिए | When to use Sunscreen

सनस्क्रीन का इस्तेमाल रोज़  चाहिए। अक्सर लोगों को लगता है कि आज बदल हैं तो सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं है , लेकिन ऐसा नहीं है कि जिस दिन आसमान में बदल हैं उस दिन अल्ट्रा वायलेट किरणें धरती तक नहीं पहुंच सकती। सनस्क्रीन हमारे डेली रूटीन का एक हिस्सा होना चाहिए चाहे घर से बहार निकलना हो या न हो , चाहे उस दिन बादल हों या न हों। हाँ, जिस दिन आप धूप में बाहर नहीं निकल रहे हैं उस दिन SPF 15 के सनस्क्रीन इस्तेमाल करें बजाय ज्यादा SPF के। 

सनस्क्रीन के बदले क्या इस्तेमाल कर सकते हैं | What to use as an alternative to Sunscreen

सनस्क्रीन एक जरूरत बन गया है।  ठन्डे या गर्म मौसम , दोनों में ही सनस्क्रीन का इस्तेमाल स्किन की सुरक्षा के लिए जरूरी है। पुराने समय में जब सनस्क्रीन नहीं था तब भी लोग सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने के लिए उपाय करते थे। बेसन को दही में मिला कर उसका लेप लगा लेना इनमें से  एक था। एलोवेरा जेल स्किन के लिए सनस्क्रीन का काम करता है लेकिन यह एक बहुत माइल्ड सनस्क्रीन होता है। जिंक ऑक्साइड पाउडर को एलोवेरा जैल में मिला कर भी सनस्क्रीन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है , कोकोनट आयल में जिंक ऑक्साइड पाउडर को मिला कर भी सनस्क्रीन बनाया जा सकता है। इसी तरह से और भी कई सनस्क्रीन रेसिपी हैं जिन्हें घर पर तैयार किया जा सकता है।   

अगर आप स्किन पर कुछ अप्लाई नहीं करना चाहते हैं तो स्किन को पूरी तरह से ढक कर बाहर जाना और चेहरे को सुन एक्सपोज़र से बचने के लिए एक छाता साथ में लेना चाहिए। अभी आप इस तरह के छाते भी खरीद सकते हैं जाखास कर अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। 

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