Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi : प्रताप नगर उत्तराखंड का एक बेहद खूबसूरत शहर है जो की टिहरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रताप नगर की खूबसूरती देखने लायक है। प्रताप नगर विधानसभा क्षेत्र में यह राज महल स्थित है जो कि 1815 से 1950 तक टिहरी रियासत थी। प्रताप नगर शहर का निर्माण राजा प्रतापशाह द्वारा कराया गया था। प्रताप नगर का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है राजा प्रताप शाह ने प्रताप नगर को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया और टिहरी को शीतकाल राजधानी बनाया था परंतु आज क्षेत्र सरकार और राज्य की अनदेखी की वजह से यह महल एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। आज इस समय इस राज महल का जीर्णोद्धार करने की अत्यंत आवश्यकता है।
इतिहास – प्रताप नगर राजा का महल | History – Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
महल के निर्माण के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। ऐसा माना जाता है कि सन 1815 में गोरखाओं के चले जाने के बाद गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी श्रीनगर से स्थानांतरित कर दी और टिहरी को राजधानी बना दिया था। वहां लगभग 45 वर्षों तक शासन करने के बाद महाराजा भवानी शाह ने 12 वर्षों तक शासन किया तथा उनके बाद प्रताप शाह ने सन 1871 में 21 वर्ष कीछोटी उम्र में राज काज संभाल लिया था। इन्हीं प्रताप शाह ने प्रताप नगर को राजधानी बनाया और वहाँ से गर्मियों में अपना राज काज संभाला। बनने के पीछे एक बड़ी रोचक कहानी है।
महल के निर्माण की कहानी | Story behind Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
ऐसा कहा जाता है की गर्मी के समय में अधिक गर्मी होने के कारण राजा प्रताप शाह अपने पूरे लश्कर के साथ घूमने के लिए मसूरी तथा शिमला निकल जाया करते थे। उस समय भी प्रताप शाह अपने पूरे लश्कर के साथ मसूरी घूमने के लिए गए थे। वह मसूरी के माल रोड पर ऊंचाई पर ही चढ़े थे कि अंग्रेज सैनिक द्वारा उनको वहां पर रोक दिया गया। इस कारण उस समय काफी बहस बाजी होने लगी तथा राजा प्रताप शाह नेगुस्से में आ कर उस अंग्रेज को एक थप्पड़ भी मार दिया था। थप्पड़ लगने से वह अंग्रेज वहीँ पर गिर गया और उसकी जान चली गयी। इस घटना के बाद राजा को कभी भी मसूरी न आने के लिए कहा गया।
Story behind Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi…continued !
उस समय गढ़वाल के अनेको क्षेत्रों पर अंग्रेजों का अधिकार स्थापित था और मसूरी भी उनके अधिकार क्षेत्र में आता था। यह बात राजा प्रताप शाह को बहुत ख़राब लगी और इसके बाद उन्होंने निश्चय किया कि वह मसूरी से भी ज्यादा सुंदर जगह पर अपनी राजधानी बनाएंगे।
इस के चलते राजा प्रताप शाह ने अपने दरबारियों को अपने मन की बात बताई। तब ऐसे जगह की तलाश की जाने लगी जो कि मसूरी से भी ज्यादा सुन्दर हो और अंत में यह खोज थंगदार पर आकर रुकी। यह वही जगह है जो कि टिहरी के नजदीक समुद्र तल से लगभग 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से हिमालय की पर्वत श्रंखला की खुबसुरती को बड़ी आसानी से देखा जा सकता है तथा दूसरी तरफ टिहरी झील का नजारा भी देखा जा सकता है। देवदार के पेड़ो से घिरी हुई इस जगह पर सर्दियों में भारी बर्फ़बारी होती है। इतने बर्फ़बारी के चलते यहाँ का तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता था और अधिकतर समय कोहरा बना रहता था। कहने का मतलब अत्यंत खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ यहां बहुत अच्छा मौसम रहता था। थंगदार में सन 1877 में इस जगह राज महल बनवाया गया।
Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi : थंगदार से प्रतापनगर
राज महल बन जाने के बाद थंगदार का नाम राजा के नाम पर बदलकर प्रतापनगर रखा गया तथा प्रतापनगर को राजा ने अपनी राजधानी घोषित कर दिया । उस समय राजा प्रताप शाह ने 6 महीने के लिए प्रताप नगर को राजधानी बनाया और बाकि के 6 महीने के लिए टिहरी से राजकाज किया जाता था। मई से सितंबर तक राजा प्रतापशाह प्रतापनगर में रहते थे। यहां पर राजा द्वारा पुरानी टिहरी के लिए भी एक रास्ता तैयार करवाया गया।
पंचदेव मंदिर | Panchdev Mandir – Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
राजा प्रताप शाह के द्वारा एक पंचदेव मंदिर की स्थापना भी की गई। बाद में स्थानीय लोगों ने चंदा इकट्ठा कर इस मंदिर का निर्माण कराया और मंदिर को श्री बद्रीनाथ जी मंदिर का नाम दिया। आज इस मंदिर का भव्य रूप दिखाई देता है।
राज महल में कार्य प्रक्रिया | Court – Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
ऐसा कहा जाता है कि राजा प्रताप शाह के समय में यहां पर अंग्रेजी शिक्षा की व्यवस्था की गई और साथ ही पुलिस व्यवस्था भी की गई। यहां पर एक न्यायालय व्यवस्था भी रखी गई। राज महल में राजा का दरबार लगाया जाता था और न्याय प्रक्रिया भी यहीं से की जाती थी। राजा प्रतापशाह की मौत के बाद उनके पुत्र कीर्ति शाह ने राज संभाला। जब कीर्तिशाह में राजकाज संभाला तब उनकी उम्र भी काफी कम थी। राजा प्रताप शाह की पत्नी महारानी गुलेरिया की देखरेख में कीर्ति शाह ने कार्य भार संभाला था।
रानी महल | Rani Mahal Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
राजा के महल के सामने ही रानी का महल भी बना हुआ है। रानी के इस महल में लगभग 30 कमरे थे। वर्ष 1949 में राजशाही का विलय स्वतंत्र भारत में होने के बाद से यह महल एक उपेक्षित भवन बन कर रह गया है। रानी महल के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की लगातार मांग की जा रही है। यहां के स्थानीय लोग इस राज महल को बचाना चाहते हैं और इसे एक टूरिस्ट्स आकर्षण के रूप में जीवंत करना चाहते हैं।
ऐसा स्थानीय लोग मानते हैं कि अगर यहां पर पर्यटन विभाग अपने रूचि दिखाए और चीजों को ठीक करने की कोशिश करें तो यहां पर लोगों को रोजगार की संभावनाएं मिल सकती है। साथ में ही नीचे सेब के बगीचे भी दिखाई देते हैं।
प्रताप नगर अन्य एक्टिविटी | Other activities – Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
प्रताप नगर एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो कि बहुत जाना माना न होने के कारण लोगों भीड़ और उससे होने वाले नुकसान से अछूता है। अगर आप एक शांति से भरपूर सुन्दर और सुहाने मौसम वाली जगह पर कुछ समय बिताना चाहते हैं तो प्रताप नगर उसके लिए एकदम सही जगह है।
प्रताप नगर में आ कर हिमालय की चोटियों के सुन्दर दृश्य और सुहाने मौसम को अनुभव करने के अलावा यहाँ पैराग्लाइडिंग एक मुख्य अडवेंचरस एक्टिविटी है।
प्रताप नगर कैसे पहुंचे | How to reach Pratap Nagar Raja ka Mahal Hindi
प्रताप नगर टिहरी से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट सबसे नजदीक का एयरपोर्ट है। देहरादून से प्रताप नगर के 135 किलोमीटर है जो सड़क के रास्ते कवर की जा सकती है।
ट्रेन से यहाँ पहुंचने के लिए ऋषिकेश देहरादून स्टेशन हे सबसे नजदीक है और इससे आगे का प्रताप नगर तक का सफर सड़क के रास्ते किया जा सकता है।
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