Bandhav Gadh Kila Hindi : बांधवगढ़ का किला मध्य प्रदेश राज्य के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व एरिया के अंदर ही है। बांधवगढ़ का किला अपने आप में एक पूरा इतिहास समेटे हुए हैं। लगभग 2000 साल पुराने इस किले का सम्बन्ध रामायण काल से रहा है । इस किले का विवरण प्राचीन धर्म ग्रन्थ नारद पंच रत्न और शिव पुराण में भी मिलता है।
बांधवगढ़ का किला अलग-अलग समय के दौरान मध्य भारत में बदलती हुई सत्ताओं का साक्षी रहा है । मध्य प्रदेश अपने प्राचीन किलों के लिए बहुत प्रसिद्द है। बांधव गढ़ का किला भी उन्हीं किलों की श्रेणी में आता है। बांधवगढ़ का किला समुद्र तल से 811 मीटर ऊपर पहाड़ी पर स्थित है। यह किला छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जोकि धीरे-धीरे ढलान वाली घाटियों से अलग होती है।
BandhavBandhavgarh Fort, Bandhavgarh
बांधवगढ़ किला – नेशनल पार्क | National Park – Bandhav Gadh Kila Hindi
बांधवगढ़ किला बांधवगढ़ नेशनल पार्क एरिया में ही स्थित है। अक्सर बांधवगढ़ नेशनल पार्क आने वाले टूरिस्ट्स यहाँ किले को देखने के लिए भी आते हैं। इस स्थान को मध्य प्रदेश का सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेस में से एक मन जाता है। यहाँ स्थित नेशनल पार्क में अनेकों प्रकार के जंगली जानवरों को देखा जा सकता है।
बांधवगढ़ किला – सम्बंधित कहानियां | Stories – Bandhav Gadh Kila Hindi
बांधवगढ़ किले के निर्माण अनेकों कहानियां यहाँ सुनी जा सकती हैं। इस किले को रामायण काल से सम्बंधित बताया जाता है और इसीलिए यहाँ भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण से सम्बंधित कहानियां भी बताई जाती है।
इस किले से जुडी एक कहानी के अनुसार इस किले का निर्माण दो बंदरो द्वारा किया गया था । ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर वापस आ रहे थे तब उनके स्वागत में और उनके आराम के लिए उनकी सेना के दो वानरों द्वारा इस किले का निर्माण किया गया। बाद में इस किले को भगवान राम ने लक्ष्मण को उपहार स्वरूप दे दिया।
बांधवगढ़ शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है – बांधव का अर्थ होता है भाई और गढ़ शब्द का अर्थ होता है किला । इसीलिए इस जगह का नाम बांधवगढ़ पड़ा होगा ।
बांधवगढ़ किला – इतिहास | History – Bandhav Gadh Kila Hindi
पुरातत्व विभाग के अनुसार खोज के दौरान यहां पर अनेकों गुफाएं भी मिली हैं जिनमें से ज्यादातर कृत्रिम गुफाएं हैं। इन गुफाओं में जो शिलालेख मिले उन पर ब्रह्म लिपि में लिखा हुआ है। जिससे कि किले के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
मध्य भारत में बदलती हुई सत्ताये इन्हीं शिलालेखों के अनुसार दूसरी और तीसरी शताब्दी के समय यहां पर मघा राजवंश राज्य करता था। इसके अलावा अन्य राजवंशों का भी अधिकार रहा जिनमें मौर्य वंश, वकाटक वंश, उसके बाद पांचवी शताब्दी से लेकर सेंगर वंश और 10 वीं शताब्दी में कलचुरी वंश ने यहां पर राज किया। उसके पश्चात बघेल वंश का भी यहां पर राज रहा।
13 वी सदी से लेकर 17 वीं शताब्दी तक बघेल शासकों का यहां पर शासन रहा। बघेल राजवंश मूलतः गुजरात के माने जाते हैं। करण देव ने बांधवगढ़ को सबसे पहले अपनी राजधानी बना लिया था और उसी समय से यह बघेल साम्राज्य का प्रमुख केंद्र बन गया। बघेल वंश के राजा महाराजा व्याघ्र देव ने बाद में अपनी राजधानी बांधवगढ़ से हटाकर रीवा बना ली थी। उन्होंने 1635 में इस किले को छोड़ दिया था। उसके बाद किले की हालत खराब होती चली गई लेकिन उन्होंने स्थानीय लोगों के जंगल में पेड़ों को काटने पर पूरी तरह से रोक लगाई थी जिसके कारण वह जंगल सुरक्षित रह सका। माना जाता है कि टीपू सुल्तान ने भी इस किले पर आक्रमण किया और किले को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन वह इसमें कामयाब ना हो सका।
सन 1602 में इसपर बघेल राजा विक्रमादित्य का अधिकार हो गया था माना जाता है कि विक्रमादित्य के कुछ समय इसके बाद इस पर मराठों का भी अधिकार रहा। और 18वीं सदी में यह अंग्रेजो के पास चला गया था। मध्य भारत में बांधवगढ़ नेशनल पार्क का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
बांधवगढ़ किले तक पहुंचना ही अपने आप में एक चुनौती है ,क्योंकि किले तक जाने का रास्ता एक जंगल से होकर गुजरता है , जहां पर बाघ अपना डेरा जमाए हुए रहते हैं।
बांधवगढ़ किला – मुख्य आकर्षण | Attractions – Bandhav Gadh Kila Hindi
विष्णु अवतार मूर्तियां | Lord Vishnu Statues
इस किले का सबसे मुख्य आकर्षण यहाँ मिली भगवन विष्णु के मूर्ती है जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग शैया पर लेटे हुई दिखाए गए हैं। इस विशेष मूर्ती के अलावा भगवान विष्णु के 10 अवतारों की मूर्तियां भी यहाँ देखी जा सकती हैं जिनमें भगवान विष्णु का कुरमा अवतार( कछुआ अवतार) ,मत्स्य अवतार, वराह अवतार ,वामन अवतार जैसे अनेकों मूर्तियां है।
विशाल सुरंग | Bandhav Gadh Kila – Tunnel
ऐसा माना जाता है कि रीवा के आखिरी राजा महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव थे। बांधवगढ़ किले से एक विशाल सुरंग निकलती है जो कि रीवा के राजमहल तक जाती है। महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव और उनके पिता गुलाब सिंह जूदेव इस सुरंग का इस्तेमाल युद्ध के लिए रणनीति बनाने के लिए किया करते थे जो कि एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाने के लिए एक रास्ता था।
चरण गंगा | Charan Ganga
बांधवगढ़ किले में मौजूद भगवान विष्णु की विश्राम करती हुई प्रतिमा को लगभग 2000 साल पुराना माना जाता है। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु के चरण से गंगा नदी बहती है जोकि चरण गंगा के नाम से जानी जाती है। भगवान विष्णु की यह प्रतिमा 12 मीटर लंबी है जो कि एक पत्थर को तराश कर बनाई गई थी। इस प्रतिमा का सिर पूर्व दिशा की तरफ तथा भगवान के चरण पश्चिम की ओर है जहां पर चरण गंगा नामक नदी भगवान के चरणों से होकर निकलती है। इस चरण गंगा नदी को बांधवगढ़ के लिए जीवन भी कहा जाता है। कहा जाता है कि बांधवगढ़ किले के अंदर 7 तालाब है जिन 7 तालाबों का पानी भीषण गर्मी में भी कभी नहीं सूखता है ।
टाइगर प्रोजेक्ट | Tiger Project – Bandhav Gadh Kila in Hindi
माना जाता है कि सन 1935 तक यह किला ठीक-ठाक अवस्था में था उसके बाद 1938 में इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया और 1972 में यह टाइगर प्रोजेक्ट के नाम से जाना गया। मध्यप्रदेश के उमरिया में स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क आज एक टाइगर रिजर्व है जहां पर सबसे अधिक बाघों की संख्या पाई जाती है। बांधवगढ़ का जंगल रीवा रियासत के बघेल राजाओं का शिकार करने का स्थान हुआ करता था, हालांकि आजकल पर्यटकों को पूरे किले में घूमने की इजाजत नहीं दी जाती है।
बांधवगढ़ किला देखने का समय | Best time to visit Bandhav Gadh Kila
बांधवगढ़ किले को देखने के लिए सुबह से लेकर शाम तक कभी भी जाया जा सकता है। किले को देखने के लिए मात्र 25 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट लिया जाता है।
बांधवगढ़ किले में परिसर में एक भगवान राम लक्ष्मण तथा सीता का भी मंदिर है। किले का मंदिर जन्माष्टमी के उत्सव पर खोला जाता है। यह मंदिर साल में केवल एक ही बार खुलता है। इस अवसर पर यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आते हैं।
बांधवगढ़ किले तक कैसे पहुंचे ? How to reach Bandhav Gadh
बांधवगढ़ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर हवाई अड्डा है। यहां से बांधवगढ़ की दूरी 190 किलोमीटर है जहां से टैक्सी या गाड़ी के द्वारा पहुंचा जा सकता है। बांधवगढ़ का निकटतम रेलवे स्टेशन कटनी है । बांधवगढ़ से कटनी की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। सड़क मार्ग द्वारा भी आसानी से बांधवगढ़ तक पहुंचा जा सकता है।
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