Bhujio Kila in Hindi : भुजिओ किला गुजरात राज्य के कच्छ जिले के भुज नामक शहर में स्थित है। भुज शहर की स्थापना राव हमीर सिंह ने सन 1510 में की थी और उसके बाद राव की खेंगर जी प्रथम ने इसे अपने राज्य कच्छ की राजधानी घोषित किया था।
भुजिओ किला लगभग 300 साल से भी अधिक पुराना किला है जो कि भुज शहर का एक मुख्य ऐतिहासिक आकर्षण है। 6 युद्धों से हो कर गुजर चुका यह किला हालाँकि आज एक खंडहर बन चुका है लेकिन यह किला और जिस पहाड़ी पर स्थित यह किला है , वहां से पूरे भुज शहर का पैनोरमिक व्यू देखा जा सकता है। टूरिस्ट यहाँ इस किले के इतिहास से परिचित होने और भुज शहर के सुन्दर नज़ारे देखने के लिए यहाँ आते हैं।
भुजिओ किले का निर्माण | Construction – Bhujio Kila in Hindi
इतिहासकारों के अनुसार भुजिओ किले का निर्माण भुज शहर के बाहरी इलाके में जडेजा शासको द्वारा दुश्मनों पर नजर रखने के लिए कराया गया था। उस समय कच्छ के राजा एक रक्षक किले का निर्माण करना चाहते थे जहाँ से आक्रमणकारियों पर नजर रखी जा सके और शहर को सुरक्षित रखा जा सके। उन्हें भुजिओ पहाड़ी पर इस किले को निर्माण करने का विचार आया । उस समय यहां पर मुगलों, सिंधु शासकों व राजपूतों के आक्रमण होते रहते थे।
प्रथम राव गौड़ जी ने सन 1715 में भुजिओ किले का निर्माण कार्य शुरू कराया। सन 1741 में देशल जी राव के समय इस किले का निर्माण कार्य पूरा हुआ।
भुजिओ किले का इतिहास | History – Bhujio Kila in Hindi
देशल जी प्रथम के समय सन 1728 में गुजरात के मुगल वायसराय शेर बुलंद खान ने इस किले पर आक्रमण कर दिया था। युद्ध के दौरान यहाँ स्थित नाग देव मंदिर में अनेकों नागा बाबा प्रार्थना के लिए इकट्ठे हुए थे। उन्होंने इस युद्ध में सेना के साथ मिल कर आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया। अंत में भुज के राजा की जीत हुई। महाराज ने इस मंदिर के ऊपर एक छतरी भी बनवाई थी। तभी से यहाँ पर नाग पंचमी के दिन विशेष मेले का आयोजन होता है।
भुज पर 6 बार आक्रमण हो चुके थे जिनमें से दो आक्रमणों से यह किला अपने आप को बचाने में सफल रहा लेकिन बाकी के 4 आक्रमणों में यह अपने आप को सुरक्षित न बचा सका।
इस किले पर मुग़ल और ब्रिटिश शासकों का भी अधिकार रहा। आजादी के बाद इस किले को सैन्य उद्देश्य से इस्तेमाल किया गया और बाद में इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया। देखभाल के अभाव के कारण ही आज भुजिआ किला खंडहर जैसी इमारत में तब्दील हो चुका है।
भुजंग नाग मंदिर | Bhujang Nag Maandir – Bhujio Kila in Hindi
भुजिओ किले परिसर में भुजंग देव नाग मंदिर स्थित है जो भुजिआ पहाड़ी के सबसे ऊंचे हिस्से पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर नागराज भुजंग को समर्पित है जो कि हिन्दू धर्म में विशेष पूजनीय शेषनाग, जिसका अर्थ है पाताल लोक के भगवान, के भाई हैं। माना जाता है कि पौराणिक काल में यहाँ पर नागराज भुजंग का राज्य था। उन्ही के नाम से प्रभावित हो कर ही इस पहाड़ी का नाम भुजिओ पहाड़ी और शहर का नाम भुज हुआ।
आज भी यहां के निवासी नाग देव, देवी देवताओं को बहुत अधिक मानते हैं और उनकी पूजा-अर्चना बड़े ही श्रद्धा के साथ करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार तभी से श्रावण मास के नाग पंचमी के दिन इस भुजिओ किले की पहाड़ी पर एक वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है।
भुजिओ किले तक कैसे पहुंचे ? How to reach Bhujio Kila
भुजिओ किला गुजरात के कच्छ जिले के भुज नामक शहर में स्थित है। गुजरात के सभी प्रमुख शहरों से यहां तक पहुंचने के लिए बस की सुविधा उपलब्ध है। गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से भुज शहर की दूरी लगभग 330 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए अमदाबाद से किसी भी टैक्सी या किसी भी कैब द्वारा आसानी से यात्रा की जा सकती है।
अगर आप फ्लाइट से यहाँ पहुंचना चाहते हैं तो भुज से लगभग ४ किलोमीटर दूर भुज एयरपोर्ट स्थित है जहाँ तक देश के बाकि एयरपोर्ट से सीधे या कनेक्टेड फ्लाइट से पंहुचा जा सकता है। एयरपोर्ट से भुजिओ किले और भुजिआ पहाड़ी तक के दूरी रेंट कार , टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों से तय की जा सकती है।
अगर आप रेल से यहाँ पहुंचना चाहते हैं तो भुज का अपना रेलवे स्टेशन भुज रेलवे स्टेशन है जहां से आसानी से भुजिओ किले तक पहुंचा जा सकता है।
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