Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi : देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी का महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थान है। धार्मिक दृष्टि से यह हिन्दू धर्म के पवित्र और मान्य पूजनीय स्थानों में से एक है। यह एक शक्ति पीठ है। शक्ति शब्द का प्रयोग देवी पार्वती के लिए किया जाता है। यह देवी शक्ति मंदिर हिन्दू आराध्य देवी पार्वती के शक्ति स्वरुप को समर्पित हिमालय के गोद में स्थापित देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी में काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में ही स्थित है। पूरे वर्ष यहाँ दर्शन के लिए श्रद्धालु आते रहते हैं। नवरात्री, हिन्दू कैलेंडर में ये वह नौ दिन हैं जो देवी शक्ति के उपासना / पूजा के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं , में यहाँ दूर दूर से श्रद्धालु प्रार्थना के लिए आते हैं।
देवी शक्ति मंदिर, उत्तरकाशी | Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
उत्तराखंड के मुख्य और महत्वपूर्ण दार्शनिक स्थानों में से एक देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी का एक प्रमुख आकर्षण है। उत्तरकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित यह एक छोटा सा मंदिर है जिसका महत्त्व हिन्दू धर्म में महान है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यहाँ स्थित एक त्रिशूल है। इस त्रिशूल के बारे में माना और कहा जाता है कि यह त्रिशूल हमेशा से यहाँ पर स्थापित है। यह यहाँ कब स्थापित हुआ इस बारे में कोई वर्णन नहीं है लेकिन इस से जुडी अनेक पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि यह त्रिशूल इतना विशेष है कि कोई भी इसे अपनी पूरी शक्ति लगाकर भी हिला नहीं सकता और सिर्फ एक ऊँगली मात्र के छूने से इसमें होने वाले कम्पन का अनुभव कर सकता है। यह त्रिशूल अपने आप में बहुत विशेष है और यह माना जाता है कि यह देवी दुर्गा का त्रिशूल है जो आदिकाल से यहाँ पर स्थित है।
देवी शक्ति मंदिर -नाम | Name – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी के बारे में कहा जाता है कि यहाँ स्थित त्रिशूल पौराणिक काल में देवताओं और असुरों के संग्राम का चिन्ह है। देवताओं और असुरों के उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी और तब देवताओं के राजा इंद्र ने देवी शक्ति के इस त्रिशूल को असुरों पर प्रयोग किया था। तब से यह त्रिशूल यहीं पर स्थित है। देवी शक्ति के त्रिशूल के कारण ही इस मंदिर को देवी शक्ति मंदिर या त्रिशूल मंदिर भी कहा जाता है। इस त्रिशूल के दो भाग हैं एक भाग है दंड और दूसरा भाग है फलक ।
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी – त्रिशूल | Trishul – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
देवी शक्ति मंदिर त्रिशूल विशेष माना जाता है। यह त्रिशूल लगभग २६ फ़ीट ऊंचा हैं। यह त्रिशूल विशिष्ट अष्टधातु से बना हुआ माना जाता है। इस विशेष त्रिशूल की ऊँचाई ग्राउंड से २६ फ़ीट है, गहराई में यह त्रिशूल कहाँ तक जाता है इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सका है। पौराणिक कथाओं में पृथ्वी को शेषनाग पर स्थित बताया जाता है और कहा जाता ही कि यह त्रिशूल पृथ्वी में अनंत गहराई तक स्थापित है।
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी – पौराणिक कथा | Stories – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
त्रिशूल मंदिर के बारे अनेकों कहानियां कही जाती हैं। इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता ही की इसकी स्थापना ऋषि परशुराम जी ने की थी। इस त्रिशूल को नागा शैली में बना बताया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि देव असुर संग्राम में इस त्रिशूल का प्रयोग देवी शक्ति के द्वारा किया गया था और फिर यहां उत्तरकाशी के इस शक्ति स्तंभ में स्थापित हो गई ।
इसी त्रिशूल से सम्बंधित कई कहानियों में से एक में यह भी कहा जाता ही कि पौराणिक काल में देव – असुर संग्राम में देवता असुरों से हारने लगे थे तब उन्होंने मां भगवती को याद किया तब देवताओं के राजा इंद्र ने इस त्रिशूल से असुरों को मार गिराया था।
लगभग २५० वर्ष पहले गोरखों ने जब गढ़वाल राज्य पर आक्रमण किया और जीतते हुए यहाँ तक आ पहुंचे , तब इस विशाल त्रिशूल को देख कर उन्हें आश्चर्य हुआ। वह इसे अपने साथ ले जाना चाहते थे और इसीलिए इस विशाल त्रिशूल को यहाँ से विस्थापित करने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। यहाँ यहाँ के रहने वालों के अनुसार गोरखों ने काफी गहराई तक खुदाई कर त्रिशूल को यहाँ से निकालने का प्रयास किया लेकिन उन्हें त्रिशूल का दूसरा छोर नहीं मिला।
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी – दर्शन का समय | Timings – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
यह मंदिर दर्शन के लिए सुबह 5 बजे दोपहर के 1 बजे तक और शाम को 4 बजे से रात के 8 बजे तक खुला रहता है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में ही स्थित है। इसके मुख्य गेट के सामने ही पूजा सामग्री दुकान से खरीद कर श्रद्धालु दर्शन के लिए अंदर जा सकते हैं। प्रवेश द्वार के पास ही पूजा सामग्री में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं वहाँ स्थित दुकानों पर मिल जाती हैं।
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी उत्सव पूजन | Festivals – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
देवी शक्ति मंदिर में हर रोज ही सुबह और शाम को विशेष आरती होती है और उसमें शामिल होने के लिए यहाँ बहुत से श्रद्धालु आते हैं। वैसे तो देवी शक्ति मंदिर पूरे वर्ष हे श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहता है लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि मे श्रद्धालु देवी शक्ति स्वरूप शक्ति स्तंभ की पूजा-अर्चना और चुनरी चढ़ाने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं। नवरात्री हिन्दू कलेंडर के वे विशेष दिन हैं जिनमे देवी शक्ति के उपासना की जाती है। ऐसे में पूरे भारत में स्थित देवी मंदिर श्रद्धालुओं से भरे होते हैं। नवरात्री में यहाँ जागरण का आयोजन होता है जिसमे श्रद्धालु पूरी रात जाग कर देवी की आराधना करते हैं। दशहरा का भी यहाँ पर विशेष उत्सव आयोजन होता है।
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी कहाँ स्थित है ? | Location – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
यह देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी के मुख्य आकर्षणों में से एक है। उत्तरकाशी शहर के बीच ही काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में यह मंदिर स्थित है।
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी कैसे पहुचें | How to reach – Devi Shakti Mandir Uttarkashi Hindi
फ्लाइट से | By Flight
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी पहुंचने के लिए सबसे पास देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। देहरादून से उत्तरकाशी तक की 140 किलोमीटर की दूरी सड़क के रास्ते टैक्सी या बस से तय की जा सकती है। उत्तरकाशी पहुंचने पर शहर के अंदर आप टैक्सी या रिक्शा से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से | By Train
देवी शक्ति मंदिर उत्तरकाशी पहुंचने के लिए देहरादून या ऋषिकेश के रेलवे स्टेशन से सड़क के रास्ते यहाँ तक पहुंच सकते हैं। देहरादून और ऋषिकेश भारत के रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह कनेक्टेड हैं। देश के सभी मुख्य स्टेशंस से देहरादून के लिए डायरेक्ट या कनेक्टेड रेल सेवा व्यवस्थित है।
सड़क से | By Road
उत्तरकाशी तक सड़क के रास्ते बस या फिर अपनी कार से पहुंच सकते हैं।
उत्तरकाशी अन्य आकर्षण और एडवेंचर एक्टिविटी
उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्द टूरिस्ट जगहों में से एक उत्तरकाशी एक उभरता हुआ टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। उत्तर का वाराणसी और एक प्रमुख तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है जहां पर्यटक उत्तरकाशी के प्रसिद्ध मंदिर की यात्रा के साथ कई एडवेंचर एक्टिविटी और स्पोर्ट्स में भी भाग ले सकते हैं ।
ट्रैकिंग यहाँ की जाने वाली मुख्य एक्टिविटी है। विशेषकर गर्मियों के मौसम में यहाँ ट्रैकिंग रूट काफी व्यस्त रहने लगे हैं। यह ट्रैकर्स के लिए स्वर्ग है । बुग्याल ट्रैक, तपोवन ट्रैक, डोडी ताल ट्रैक और दून की घाटी जैसी कई ट्रैकिंग यहाँ पर हैं। अक्सर टूरिस्ट अपनी सामर्थ्य के अनुसार छोटे (१ से ३ दिन ) या फिर लम्बे (७ दिन और ज्यादा ) के ट्रेक पर जाते हैं।
” निधि सिंह द्वारा “
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