Kaveri River in Hindi : कावेरी नदी दक्षिण भारत में गोदावरी और कृष्णा नदियों के बाद तीसरी सबसे बड़ी और सात पवित्र नदियों में से एक नदी है। कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है। कावेरी नदी कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्य में बहने वाली सदानीरा (जिसमें हमेशा पानी रहता है ) नदी है।
Origin – Kaveri River in Hindi | उदगम – कावेरी नदी
कावेरी नदी कर्नाटक राज्य के कोडागु जिले में पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरी पहाड़ियों में तल कावेरी नामक स्थान पर कुंडीके नामक छोटे से तालाब से निकलती है, आगे चलकर भागमंडल बिंदु पर कन्निके और सुज्योति नाम की दो सहायक नदियां कावेरी नदी से मिलती हैं। कावेरी नदी लगभग 800 किलोमीटर की धरातलीय यात्रा कर पुम्पुहार में बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। कावेरी नदी के तट पर स्थित तिरुचिरापल्ली हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।
Significance – Kaveri River in Hindi | पौराणिक धार्मिक महत्व – कावेरी नदी
तमिल साहित्य में कावेरी को “पोन्नी ” अर्थात सोना कहा जाता है और “देवी कावेरी अम्मा” के रूप में कावेरी नदी की पूजा की जाती है। स्कन्द पुराण में प्रसंग है कि समुद्र मंथन के समय मोहिनी और लोप मुद्रा ने देवताओं के लिए अमरता का अमृत प्राप्त किया था। उसी समय राजा कावेरा, जो निसंतान थे, भगवान ब्रह्मा की भक्ति में लीन थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने लोप मुद्रा को पुत्री रूप में राजा कावेरा को गोद दे दिया। कालांतर में राजा कावेरा की प्रार्थना पर ही ब्रह्मा जी ने लोप मुद्रा को नदी कावेरी के रूप में धरती पर अवतरित किया।
कावेरी नदी के संदर्भ में और भी कई कहानियां प्रचलित हैं। प्राचीन काल में भीषण सूखा होने के कारण दक्षिण भारत की स्थिति बदतर होती जा रही थी जिसे देख ऋषि अगस्त्य को बहुत दुख हुआ। ऋषि ने इस भयावह स्थिति से मानव जाति को बचाने के लिए ब्रह्मा जी से प्रार्थना की। भगवान ब्रह्मा ने ऋषि अगस्त्य से कहा कि आप महादेव शिव के निवास कैलाश जाएं और वहां से कुछ बर्फ और पानी एकत्र कर लाएं जो कभी भी खत्म नहीं होगा। इसी जल से आप एक नदी उत्पन्न करने में सक्षम होंगे और मानव जाति की रक्षा कर सकेंगे। ब्रह्मा जी के कहे अनुसार उनसे आज्ञा लेकर ऋषि अगस्तय कैलाश पर्वत की ओर निकल गए। कैलाश से अपने कमंडल में बर्फ और जल भरकर वह लौट आए।
कुर्ग पहाड़ी क्षेत्र में , जो कि सूखाग्रस्त था, नदी उद्गम हेतु ऋषि उपयुक्त स्थान की तलाश करने लगे। ऋषि अगस्त्य स्थान तलाशते हुए थक गए और इसी समय उनके रोज के प्रार्थना का भी समय हो गया था। तब ऋषि अगस्त्य ने जल पात्र वहां खेल रहे एक छोटे बच्चे को सौंप दिया और वह खुद प्रार्थना करने बैठ गए। यह खेलता बच्चा कोई और नहीं बल्कि खुद भगवान गणेश थे। भगवन गणेश ने उपयुक्त स्थान पाकर कौए का रूप ले कर उस जल पात्र को तिरछा कर पृथ्वी पर गिरा दिया और ब्रह्मा जी की इच्छा के अनुरूप उस नदी को साकार कर दिया। इस धरना के अनुसार यह नदी ही कावेरी नदी कहलायी।
एक मान्यता यह भी प्रचलित है कि ब्रम्हगिरी पर्वत पर राजा कावेरा की पुत्री, कावेरी एक बार अपने आराध्य की प्रार्थना कर रही थी। तभी वहां ऋषि अगस्त्य आए और कावेरी से पूछा कि क्या तुम मुझसे विवाह करोगी। कावेरी ने शर्त रखी कि विवाह के बाद ऋषि कभी भी कावेरी को अकेला नहीं छोड़ेंगे। ऋषि ने यह शर्त स्वीकार कर की और कावेरी के साथ विवाह सूत्र में बंध गए। ऋषि अगस्त्य आश्रम से कहीं दूर जाते तो शर्त के अनुसार कावेरी को जल के रूप में अपने कमंडल में साथ ले जाते। इसी तरह जब कुर्ग की पहाड़ियों में ऋषि के कमंडल से जल एक बार धरती पर गिरा तो वहीं से कावेरी नदी रूप में अवतरित हो गयी।
Tributaries – Kaveri River in Hindi | सहायक नदियां – कावेरी नदी
कावेरी नदी के प्रारंभिक चरण में ही भागमंडल बिंदु पर कन्निके और सुज्योति , दो नदियां आ मिलती हैं और कुर्ग से 7 किलोमीटर की दूरी में ही हारिणि , मुन्तार और मुदरी नदियां कावेरी नदी से जुड़ जाती हैं। कावेरी नदी की सहायक नदियों को दो भागों में बांट सकते हैं
1. कावेरी नदी में दाहिनी ओर से मिलने वाली सहायक नदियों में कमी भवानी काबिनी, भवानी, नोय्यल , अमरावती, मोयर और लक्ष्मणतीर्थ नदियां प्रमुख हैं।
2. कावेरी नदी में बाईं ओर से आकर मिलने वाली सहायक नदियों में थिरुमनिथारू, हेमावती, शिमसा, अर्कावती और हारंगी नदियां प्रमुख हैं।
Waterfalls, Temples and Tourist Places – Kaveri River in Hindi | झरने, मंदिर और टूरिस्ट प्लेस – कावेरी नदी
यूँ तो कावेरी नदी का संपूर्ण प्रवाह क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता, मंदिरों, झरने, उद्यानों और पर्यटन स्थलों से भरा है, जिनमें प्रमुख हैं
Temples – Kaveri River in Hindi | मंदिर – कावेरी नदी
कावेरी नदी के तट पर स्थित तिरुचिरापल्ली हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। तीन स्थानों पर कावेरी नदी दो – दो शाखाओं में बैठकर फिर से एक हो जाती है। इसी कारण नदी में तीन द्वीप बन गए हैं। इन द्वीपों पर आदिरंगम, शिवसमुद्रम और श्रीरंगम नाम से भगवान विष्णु के भव्य मंदिर हैं। मैसूर का प्रसिद्ध वृंदावन गार्डन भी कावेरी नदी के तट पर स्थित है।
Waterfalls – Kaveri River in Hindi | झरने – कावेरी नदी
Shivsamudram Waterfall | शिवसमुद्रम वॉटरफॉल
कावेरी नदी पर कर्नाटक में शिवसमुद्रम और तमिलनाडु में होगेनक्कल वॉटरफॉल मुख्य हैं। शिवसमुद्रम वॉटरफॉल कावेरी नदी पर देश का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक वॉटरफॉल है। पहाड़ी से नीचे उतरते समय कावेरी नदी दो शाखाओं में बैठ जाती है जिससे बाराचुक्की ( 69 मीटर ऊँचाई से ) और गगनचुक्की ( 90 मीटर की ऊँचाई से ) वॉटरफॉल के साथ संयुक्त रूप से शिवसमुद्रम वॉटरफॉल बनाते हैं। यह वॉटरफॉल क्षेत्र चामराजनगर और मांड्या जिलों की सीमा पर है। शिवसमुद्रम वॉटरफॉल पर सन 1902 में एशिया महाद्वीप की पहली हाइड्रो पावर परियोजना स्थापित की गई थी जिसके नगरी आपूर्ति के साथी कोलार गोल्ड फील्ड को इलेक्ट्रिसिटी भेजी जाती है।
Hogenakkal Watefall | होगेनक्कल वॉटरफॉल
तमिलनाडु राज्य के धर्मपुरी जिले और कर्नाटक के चामराजनगर जिले की सीमा पर स्थित यह तमिलनाडु का प्रसिद्ध वॉटरफॉल है। यहां कावेरी नदी एक सुंदर वॉटरफॉल बनाती है जिसे भारत का नायग्रा फॉल कहते हैं। इसकी ऊंचाई 20 मीटर है। इसके आकर्षण औषधीय स्नान और मूंगे की सवारी हैं।
Chunchunkatte Waterfall | चुनचानकात्ते वॉटरफॉल
यह कावेरी नदी पर मैसूर जिले में चुनचुनकट्टे गांव के पास स्थित है। यह वॉटरफॉल लगभग 20 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यहां कावेरी नदी दो छोटे झरनों के रूप में गिरती है और फिर से एक होकर बहने लगती है। कृष्णराजासागर से इस की दूरी 15 किलोमीटर है।
Jog Fall | जोग वॉटरफॉल
उत्तरी कन्नड़ और शिमोगा जिलों की सीमा पर जोग वॉटरफॉल स्थित है। स्थानीय तौर पर इस वॉटरफॉल को जोगड़ा गुंडी और गेरसोप्पा झरना कहते हैं। यहां झरनों का तब निर्माण होता है जब शेरावती नदी 253 मीटर की ऊंचाई से 4 धाराओं में गिरती है , इन्हें राजा, रानी, रॉकेट और रोरएर (roarer ) कहा जाता है। इन्हें ये नाम तीव्र गति और भयंकर दहाड़ वाले शोर के कारण दिया गया है।
Abbey Falls | एबी फाल्स
कर्नाटक का कुर्ग जिला भौगोलिक संरचना के कारण झरनों का घर कहा जाता है। इब्बे सुगंधित मसालों के बागानों और निजी कॉफ़ी बागानों के बीच में स्थित है। इस वॉटरफॉल का जल 22 मीटर की ऊंचाई से कई धाराओं में बँट कर जमीन पर गिरता है।
Irappu Waterfall | इरुप्पू वॉटरफॉल
इरुप्पू वॉटरफॉल कर्नाटक राज्य के कोडागु जिले में ब्रह्मगिरि पहाड़ियों में लक्ष्मण तीर्थ नदी पर शानदार झरनों में से एक है। इसे लक्ष्मणतीर्थ वॉटरफॉल भी कहते हैं। यह वॉटरफॉल सघन जंगलों के बीच 52 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यहां भगवान आशुतोष (भगवान शिव ) को समर्पित एक रामेश्वर मंदिर भी है।
Vishweshraiya Waterfall | विश्वेश्वरैया वॉटरफॉल
इस वॉटरफॉल का नाम राज्य के प्रसिद्ध तत्कालीन इंजीनियर और राजनेता सर एम. विश्वेश्वरैया के नाम पर रखा गया है। यह अपनी आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के कारण लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है।
Temples and Tourist Places – Kaveri RIver in Hindi | मंदिर और पर्यटन स्थल
Talkaveri | तलकावेरी
ब्रह्मगिरि पहाड़ियों की सुंदरता के बीच सदानीरा कावेरी नदी का उद्गम कुर्ग के तलकावेरी से होता है। यह देखना आश्चर्य में डाल देता ही कि इस स्थान पर एक छोटे से झरने से एक बड़ी नदी कैसे निकलती है। यह स्थान कर्नाटक के लोकप्रिय तीर्थों और पर्यटन स्थलमें में से एक है।
Kaveri Nisarghdhama | कावेरी निसर्गधामा
कावेरी नदी के तट पर एक हरा भरा उद्यान निसर्गधामा एक प्राकृतिक स्थान है। यहां पर नदी किनारे बने लकड़ी के कॉटेज में रहना टूरिस्ट्स को बहुत पसंद आता है।
Shrirangpattnam | श्रीरंगपट्ट्नम
श्रीरंगपट्ट्नम कावेरी नदी में प्राकृतिक रूप से बने तीन द्वीपों में से एक है। श्रीरंगपट्ट्नम कर्नाटक का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहां श्री रंगनाथस्वामी को समर्पित एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
Mekedatu | मेकेदातु
मेकेदातु वह स्थान है जहां और अर्कावती नदी का मिलन कावेरी नदी से होता है। इस संगम को मेकेदातु नाम एक घटना से सम्बंधित माना जाता है जहां एक बकरी नदी के पार दूसरे छोर की चट्टान पर छलांग लगाती है। मेकेदातु का शाब्दिक अर्थ है बकरी की छलांग।
Abbey Falls | एबी फाल्स
मड़ीकेरी में एबी फाल्स प्रकृति प्रेमियों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। यहाँ नदी की कई छोटी-छोटी जल धाराएं एक साथ आकर 20 मीटर की ऊंचाई से गिरती है। एबी फाल्स के सामने एक हैंगिंग ब्रिज भी स्थित है।
Dubare | दुबारे
कोडागु जिले में कावेरी नदी के तट पर दुबारे एक वन क्षेत्र है। यह हाथी शिविरों के लिए प्रसिद्ध है। यहीं पर हाथियों को प्रशिक्षित किया जाता है।
Krishna Raj Sagar | कृष्ण राज सागर
कृष्ण राज जलाशय कावेरी नदी पर बना बांध और उससे निर्मित झील है। इस बांध का नाम मैसूर के तत्कालीन महाराजा कृष्ण राज वाडियार चतुर्थ के नाम पर रखा गया था। इस बांध की ऊंचाई लगभग 42 मीटर है और इसका निर्माण कार्य सन 1931 में पूरा हुआ था।
Dam and Hydro Power Plants – Kaveri River in Hindi | कावेरी नदी के प्रमुख बांध व परियोजनाएं
कावेरी नदी पर बने 100 बांधों में से 13 बांधों का निर्माण सन 1892 से सन 1934 के बीच हुआ था इनमें से 11 बांध कर्नाटक राज्य में और दो बांध तमिलनाडु राज्य में हैं। कावेरी नदी एक व्यापक सिंचाई प्रणाली और हाइड्रो पावर का स्रोत है। इस नदी पर बने बांध और जलाशयों को दो भागों में रख सकते हैं
एक योजना काल से पूर्व स्थापित बांध और जलाशय। इस श्रेणी में कर्नाटक राज्य का कृष्ण राजा सागर जलाशय तमिलनाडु राज्य का मत्तूर बांध और कावेरी डेल्टा सिस्टम और दूसरे योजना काल के बाद स्थापित लोअर भवानी , हेमावती, हरंगी और काबिनी बांध और जलाशय प्रमुख हैं।
Krishna Raj Sagar Dam | कृष्णराज सागर बांध
इस बांध को K . R . S . के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बांध और झील है। कृष्ण राजा सागर बांध कावेरी नदी के आर-पार सन 1932 में बनाया गया था। मैसूर के कृष्णराजा वाडयार चतुर्थ ने गंभीर वित्तीय स्थिति के बावजूद अकाल के दौरान इस बांध का निर्माण कराया था। यह मैसूर और निकटवर्ती जिलों के लिए पानी का मुख्य स्रोत है। इस बांध के जल का प्रयोग मैसूर और मांड्या में इस से निकली नहरों द्वारा लगभग 92000 एकड़ भूमि की सिंचाई और मैसूर, मांड्या और बेंगलुरु शहर को पीने के पानी का मुख्य स्रोत है। इस बांध से कावेरी, हेमावती और लक्ष्मणतीर्थ नदियां आपस में मिलती हैं। इस बांध की लंबाई 2621 मीटर और ऊंचाई 40 मीटर है। इसी बांध से जुड़ा वृंदावन गार्डन एक प्रसिद्द टूरिस्ट स्पॉट है। यहां से छोड़ा गया पानी तमिलनाडु राज्य में मत्तूर बांध में संग्रहित किया जाता है।
Mattoor Dam | मत्तूर बांध
तमिलनाडु राज्य के सलेम जिले में कावेरी नदी पर सन 1925 से सन 1934 के बीच यह बांध बनाया गया था। इस बांध का शुरुआती नाम स्टेनली रिजर्वॉयर रखा गया था। यह एक विशाल बांध है। मत्तूर बांध उस स्थान पर बनाया गया है जहां पर कावेरी नदी एक गॉर्ज से निकलकर मैदानी इलाके में प्रवेश करती है। इस बांध की अधिकतम ऊंचाई 65.2 मीटर और चौड़ाई 52.1 मीटर है, लंबाई 1615 मीटर और जल भंडारण ऊंचाई 36.5 मीटर है। मत्तूर बांध को स्वयं के जल संग्रहण हेतु जल की प्राप्ति काबिनी बांध और कर्नाटक के कृष्णराजासागर बांधों से प्रवाह स्वरुप होती है। इस बांध से तमिलनाडु राज्य के 12 से अधिक जिलों के लिए सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति होती है।
इनके अतिरिक्त हरंगी नदी पर सन 1982 में (जो कावेरी नदी की सहायक नदी है) हाइड्रो पावर प्रोडक्शन और सिंचाई के लिए 53 मीटर ऊंचा हारंगी बांध बनाया गया था। कावेरी नदी की सहायक काबिनी नदी पर भी सन 1974 में 59.4 मीटर ऊंचा हाइड्रो पावर प्रोडक्शन और और सिंचाई के लिए काबिनी बांध बनाया गया था। अलालूर बांध (सन 1983) ऊँचाई लगभग 17 . 4 मीटर सिंचाई के लिए , गोपीनाथ बांध ( सन 1989 ) में सिंचाई के लिए, अर्कावती नदी पर पीने के पानी की आपूर्ति के लिए हैसरघट्टा बांध , शिम्सा घाटी में सिंचाई के लिए सन 1906 में बना कड़बा बांध प्रमुख हैं।
River Basin – Kaveri River in Hindi | कावेरी नदी बेसिन
कावेरी नदी बेसिन विस्तार कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में लगभग 81155 वर्ग किलोमीटर में है। यह देश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का करीब 2.7% है। संपूर्ण बेसिन में मुख्यतः आग्नेय और रूपांतरित चट्टानें ही है, केवल पूर्वी घाट क्षेत्र में तलछटी चट्टानें हैं। पूर्वी डेल्टा क्षेत्र में जहां जलोढ़ मिट्टी है, सबसे उपजाऊ क्षेत्र है। कावेरी नदी बेसिन में मुख्यतः लाल मिट्टी, काली मिटटी, लेटराइट, जलोढ़, वन और मिश्रित प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। यहाँ औसतन जनसंख्या लगभग 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। अधिकांश जनसँख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। प्रमुख फसलें धान, गन्ना, ज्वार, प्याज, कपास, चना और रागी हैं। इसके अतिरिक्त कहवा, काली मिर्च, केला, पान की बागाती कृषि भी होती है।
Delta- Kaveri River in Hindi | डेल्टा – कावेरी नदी
कावेरी डेल्टा सघन आबादी वाला क्षेत्र है जो अधिकतर बंगाल की खाड़ी में बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से प्रभावित रहता है। कावेरी नदी के डेल्टा शीर्ष तंजावुर से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में है। यहां से कावेरी नदी उत्तरी और दक्षिणी दो मुख्य धाराओं में बँट जाती है। इन दोनों मुख्य धाराओं के मध्य अनेक लघु धाराओं में विभक्त होकर एक उपजाऊ विस्तृत डेल्टा का निर्माण होता है जिसको दक्षिण भारत का उद्यान कहा जाता है।
Wild Life Sanctuaries – Kaveri River in Hindi | कावेरी वन्य जीव अभ्यारण
कर्नाटक राज्य में पांच टाइगर रिजर्व, 30 वन्य जीव अभयारण्य और 15 संरक्षण रिज़र्व हैं। 5 राष्ट्रीय उद्यान और 9 पक्षी अभयारण्य भी हैं। कर्नाटक के मांड्या, चामराजनगर और रामनगर जिलों में 1 वन्य अभ्यारण्य 14 जनवरी 1987 में 510.52 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित किया गया था जिसका क्षेत्रफल सन 2013 में बढ़ा कर 1027 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया है।
कर्नाटक में पांच सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय उद्यान है
- बनरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान
- बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान
- नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान
- कुदरेमुख राष्ट्रीय उद्यान
- अंशी राष्ट्रीय उद्यान
इनमें बनरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान के आकर्षण शेर और बाघ सफारी लगभग 25000 एकड़ में है। बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान 1974 में एक टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
पक्षी अभ्यारण
- रंगनाथ पक्षी अभयारण्य
- बाकरपुर मोर अभ्यारण
- रामनगर गिद्ध अभ्यारण
- बोनाल पक्षी अभयारण्य
- गोण्डवी पक्षी अभयारण्य
- घटप्रभा पक्षी अभयारण्य
- कग्गालडू पक्षी अभयारण्य
- मांडगुडे पक्षी अभ्यारण्य
- आदिचुनचु गिरी पक्षी अभयारण्य
- एंटीवेरी पक्षी अभयारण्य
- मगदी पक्षी अभयारण्य
तमिलनाडु राज्य में 5 राष्ट्रीय उद्यान, 4 टाइगर रिजर्व, 15 वन्य जीव अभ्यारण्य, 2 संरक्षण रिज़र्व और 15 पक्षी अभयारण्य हैं। कावेरी नदी के उत्तर और दक्षिण में दोनों ओर दो मुख्य वन्यजीव अभयारण्य स्थित हैं।
कावेरी उत्तरी वन्यजीव अभयारण्य
यह वन्यजीव क्षेत्र तमिलनाडु के धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिले में कावेरी नदी के उत्तर में है। यह सुरक्षित क्षेत्र मेला गिरी पहाड़ी श्रृंखला के अंतर्गत आता है जो पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के संगम पर महत्वपूर्ण वन्य जीव गलियारा है जहां यह एमएम हिल्स, बी आर हिल्स , सत्यमंगलम वन्यजीव अभयारण्य और नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व के लिए महत्वपूर्ण लिंक बनाता है।
कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य
कृष्णागिरी और धर्मपुरी जिलों में आरक्षित वनों के क्षेत्र को कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य के रूप में राज्य सरकार ने अधिसूचित किया है। यह 686 वर्ग किलोमीटर एरिया अनेकों प्रजातियों का घर है। यह लीथ के नरम खोल वाले कछुए, ऊदबिलाव, दलदली मगरमच्छ और चार सींग वाले मृगों का क्षेत्र है। यह मलाई महदेश्वर वन्यजीव अभ्यारण्य, कर्नाटक के बिलिगिरि रंगास्वामी मंदिर, टाइगर रिज़र्व और तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व और इरोड वन प्रभाग के माध्यम से नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में निरंतरता बनाता है। यह हाथियों का एक जाना माना निवास स्थान है।
इसके अतिरिक्त विरलिमलाई पक्षी अभ्यारण में प्रसिद्ध मुरूगन मंदिर के चारों ओर जंगली मोरों का घर है। मयूर थोट्टम केवल मोर उद्यान है। वल्लानाडु वन्यजीव अभयारण्य काले मृग के लिए संरक्षित है। मृदुमलई वन्यजीव अभयारण्य में हाथी, बंगाल टाइगर, गौर , तेंदुओं का घर है। मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, अन्नामलई टाइगर रिजर्व और मगरमच्छ पार्क हेतु संरक्षित वन्य जीव अभ्यारण है।
Dispute – Kaveri River in Hindi | कावेरी नदी जल विवाद
तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य सरकारों के मध्य कावेरी नदी जल विवाद जगजाहिर है क्योंकि दोनों ही राज्यों के लिए कावेरी नदी जीवन रेखा है। दोनों ही राज्य सिंचाई और नागरिक आवश्यकता पूर्ति के लिए कावेरी नदी पर निर्भर हैं। बीसवीं शताब्दी से विशेषकर सन 1990 के दशक में कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के बीच कावेरी नदी के जल बंटवारे से संबंधित विवाद के कारण मत्तूर बांध ने सबका ध्यान आकर्षित किया था।
कर्नाटक राज्य में कृष्णराज सागर बांध में संग्रहित जल का प्रयोग कई जिलों में सिंचाई और बेंगलुरु शहर की जरूरतों को पूरा करने में किया जाता है। ठीक इसी प्रकार तमिलनाडु राज्य में मत्तूर बांध में संग्रहित जल का उपयोग डेल्टा क्षेत्र में फसल की सिंचाई और पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए होता है। विवाद का मुख्य कारण यह है कि कृष्णराज सागर बांध और मत्तूर बांध एक ही नदी पर बने हैं। कृष्णराज सागर बांध के बाद कर्नाटक में कावेरी और उसकी सहायक नदियों पर बने बांधों के कारण तमिलनाडु राज्य के मत्तूर बांध को ज्यादा पानी नहीं मिल पाता है और इसी के परिणाम स्वरूप वर्ष में कुछ निश्चित अवधि में मत्तूर बांध लगभग सूख जाता है। इसी समय में तमिलनाडु के किसानों और आम नागरिकों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है। दक्षिण पश्चिम मानसून की अवधि में वर्षा की अपर्याप्त मात्रा भी इसका एक कारण बन जाता है।इसी कारण से दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच भी विवाद और तनाव पैदा हो गया है। तमिलनाडु का मत्तूर बांध केवल तभी भर सकता है जब कर्नाटक राज्य के कृष्णराज सागर बांध से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाए।
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