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महेश्वर किला | अहिल्याबाई होल्कर फोर्ट | Maheshwar Fort Hindi

Maheshwar Kila

Maheshwar Fort Hindi : महेश्वर किला मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित एक प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस है जिसको अनेकों नामों से भी जाना जाता है जैसे कि अहिल्याबाई होलकर फोर्ट, होल्कर किला, अहिल्या बाई किला आदि है। महेश्वर किले का निर्माण रानी अहिल्या बाई होल्कर ने और उनके बाद उनकी पुत्रवधू कृष्णा होल्कर ने करवाया  था। इस किले का निर्माण 18 वीं सदी में कराया गया था। महेश्वर किला महेश्वर में स्थित है। महेश्वर किला भौगोलिक और सामरिक दृष्टि से और राजनीतिक दूदर्शिता के चलते यहाँ पर बनवाया गया था। यह किला एक तरफ सतपुड़ा की पहाड़ियों तो दूसरी और विंध्याचल के पहाड़ियों से घिरा हुआ है। 

Maheshwar Fort Madhya Pradesh

महेश्वर नगर – महत्त्व | Maheshwar Nagar – Importance – Maheshwar Fort Hindi

Maheshwar Fort Hindi
Maheshwar Fort Hindi

महेश्वर का अर्थ होता है महा ईश्वर ! अर्थात सबसे महान ईश्वर। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवन शिव को महा ईश्वर नाम  जाता है और इसीलिए महेश्वर शहर को भगवन शिव की नगरी भी कहा जाता है। महेश्वर शहर का प्राचीन काल में अपना एक ऐतिहासिक महत्व रहा है। महेश्वर नगर को प्राचीन काल में महिष्मति नाम से जाना जाता था। रामायण काल में सहस्त्रबाहु और रावण का सामना यहाँ महिष्मति में ही माना जाता है। पौराणिक कहानी के अनुसार एक बार राजा सहस्त्रबाहु अपनी पत्नियों के साथ नर्मदा नदी के किनारे समय बिताने के लिए  आये और वहां अपनी पत्नियों के लिए उन्होंने नर्मदा नदी के बहाव को अपनी हजार भुजाओं से कुछ समय के लिए रोक दिया।  उसी समय वहां से गुजरते हुए रावण ने शिवलिंग बनाया और वह प्रार्थना के लिए बैठ गया। सहस्त्रबाहु में जब नदी के बहाव को छोड़ा तो उससे आगे के तरफ बैठे हुए रावण के तपस्या भंग हो गयी और वह सहस्त्रबाहु से लड़ने के लिए आ गया। सहस्त्रबाहु ने रावण को कुछ समय के लिए अपना बंदी बना कर रखा। 

महिष्मति नगर अपने स्वतंत्र सामाजिक नियमों के लिए भी प्राचीन काल से ही प्रसिद्द रहा है। पौराणिक कहानियों के अनुसार यहाँ की सामाजिक सरंचना में महिलाओं को बाकी राज्यों के मुकाबले ज्यादा अधिकार थे।

महारानी अहिल्याबाई | Maharani Ahilyabai Holkar Hindi

अहिल्या बाई का जन्म महाराष्ट्र के चौड़ी गांव में मालू जी शिंदे के यहां पर हुआ था। उनका जन्म 31 मई 1725 में हुआ था । महारानी अहिल्याबाई भगवान शिव की एक परम भक्त थी। कहा जाता है एक बार इंदौर के राजा मल्हार राव होल्कर ने अहिल्याबाई को मंदिर के बाहर गरीबों को बिठा कर खाना खिलाते हुए देखा और उनकी इस प्रकृति से खुश होकर उन्होंने अहिल्या को अपनी पुत्रवधू बनाने का निश्चय किया। 

अहिल्या बाई का विवाह मल्हार राव होल्कर के पुत्र खंडेराव होल्कर की पत्नी बनकर इंदौर आ गई । उस समय अहिल्या बाई की उम्र  केवल 13 वर्ष थी। अहिल्याबाई  युद्ध कौशल और व्यवस्था में बहुत कुशल थी। अहिल्याबाई के पति खंडेराव होल्कर एक युद्ध में मारे गए थे। उसके कुछ समय बाद ही उनके ससुर मल्हार राव होल्कर भी नहीं रहे। 

उस समय अहिल्याबाई की दो संताने थी एक पुत्र मालेराव और उनकी पुत्री मुक्ताबाई। उनके पुत्र मालेराव किसी शारीरिक बीमारी से ग्रस्त थे। ऐसे में रानी अहिल्याबाई ने राजकाज अपने हाथों में लिया और उन्होंने लगभग 29 वर्षों तक राज काज संभाला । 

रानी अहिल्याबाई एक शक्तिशाली शासक थी तथा अपने साम्राज्य की सुरक्षा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहती थी। रानी अहिल्याबाई ने महेश्वर में अनेको धर्मशालाएं , मंदिर और घाटों का निर्माण कराया। उन्होंने महेश्वर का पुनर्निर्माण कराया। वहां पर वह स्वयं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान , पूजा पाठ करती तथा ध्यान से निवृत्त होकर जन सेवा के कार्यों में लग जाया करती थी।

राजधानी इंदौर से महेश्वर | Capital from Indore to Maheshwar

रानी अहिल्याबाई ने  सबसे पहले अपनी राजधानी इंदौर से महेश्वर स्थानांतरित की। इसे उनकी दूरदर्शिता ही कहाजायेगा। इंदौर पर आये दिन होने वाले शत्रुओं के आक्रमण से अपने राज्य को सुरक्षित रखने के लिए रानी अहिल्याबाई  ने महेश्वर को एक सुरक्षित स्थान मानकर अपनी राजधानी बनाया। 

महेश्वर किला | Maheshwar Fort Hindi

Maheshwar-Fort
Maheshwar Fort Hindi

महेश्वर किला बलुआ पत्थर का बना हुआ है और इस किले में बहुत ही सुंदर नक्काशी भी की गई है। किले में बहुत सारे खिड़कियां, दरवाजे, झरोखे दिखाई देते हैं।  महादेव की पुत्री नर्मदा नदी के पवित्र तट पर बसे हुए महेश्वर को उसकी विलक्षणता के कारण ही  गुप्तकाशी के नाम से भी जाना जाता है। किले की दीवारों पर की कारीगरी राजपूत , मराठा और मुग़ल कलाओं का समागम है। किले की दीवारों पर की गई चित्रकारी में मढ़ा शैली दिखाई देती है।  

महेश्वर किले का प्रवेश द्वार बहुत ही मजबूत  तरीके से बनाया हुआ है। इस प्रवेश द्वार के दोनों तरफ मूर्तियां है।  इन मूर्तियों में एक तरफ मूर्ति पहरेदार की दिखाई देती है ,एक मूर्ति किसी नारी की दिखाई देती है तथा एक मूर्ति में एक व्यक्ति धनुष लिए हुए खड़ा दिखाई देता है।  किले की पूरी दीवारों में मूर्तियां ही देखने को मिलती हैं इन मूर्तियों में बहुत सारी मूर्तियां ऐसी हैं जिनमे संगीत यंत्रो को बजाते हुए दिखाया गया है।  इन मूर्तियों में गणेश जी की मूर्ति और अनेकों मानव आकृति की मूर्तियां भी दिखाई देती हैं।  

अहिल्या वाड़ा – महेश्वर किला | Ahilya Vada – Maheshwar Fort Hindi

महेश्वर किला बहुत ही साधारण रूप में दिखाई देता है। बाहर से देखने पर यह एक बड़ा किला नजर आता है लेकिन अंदर जाने पर यह एक साधारण जन मानस का आवास सा लगता है। किला परिसर में ही महारानी अहिल्या बाई होल्कर का निवास स्थान है जो साधारण लकड़ी और खपरैल का बना हुआ एक घर है। इस घर को अहिल्या वाड़ा कहा जाता है। अहिल्या बाई सादगी पसंद महिला थीं और इसी सादगी के साथ उन्होंने अपना जीवन बिताया। 

Maheshwar Fort Hindi

इसी घर के बाहर के चबूतरे पर वह अपना दरबार लगाया करती और उनके दरबारी और फरियादी सभी इसी दरबार में होते थे। अहिल्या बाई को एक न्याय प्रिय शासक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। वह जब भी दरबार में बैठ कर फरियादियों का न्याय करती थे तो उनके हाथ में हमेशा एक शिवलिंग हुआ करता था। महेश्वर किले के अधिकांश हिस्से अहिल्या बाई होल्कर ने बनवाये थे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पुत्रवधु कृष्णा होल्कर ने अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि देने के लिए किला परिसर में एक मंदिर का निर्माण कराया। यहां पर एक पालकी भी है जिससे रानी अहिल्याबाई शहर के भ्रमण के लिए निकला करती थी। 

अहिल्याबाई के समय में मराठा मालवा शासन  ने बहुत अधिक तरक्की की थी। कहा जाता है कि अहिल्याबाई के पास उस समय 14 करोड़ रुपए  थे जिसको उन्होंने मंदिर और घाटों को बनवाने और मुगलों द्वारा नष्ट किए गए पुरानी इमारतों और मंदिरों को पुनर्निर्माण कराने में लगाया। 

स्कूल और मंदिर – महेश्वर किला | School and Mandir – Maheshwar Fort Hindi

Maheshwar Fort Hindi

किला परिसर में घुसते ही एक स्कूल है जहाँ आस पास के इलाकों से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।  महेश्वर किला नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित होने के कारण अनेकों घाट यहाँ बने हुए हैं। इन घाटों पर छोटे बड़े कई मंदिर बने हुए हैं। अक्सर यहाँ फिल्मों की शूटिंग होती है।  कुछ फिल्में जैसे यमला पगला दीवाना तथा मणिकर्णिका फिल्म की शूटिंग इन्हीं घाट पर की गई थी।

किला परिसर में भगवान शिव के अनेकों अवतारों को समर्पित मंदिरों को देखा जा सकता है।  किले के अंदर जाने पर राजराजेश्वर मंदिर है। यह राज राजेश्वर मंदिर एक विशेष मंदिर हैं जहाँ पर 11 अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती हैं। 

दशहरा उत्सव | Dashahra Festival – Maheshwar Kila Hindi

महेश्वर में दशहरे के उत्सव का आयोजन किया जाता है । यह उत्सव आज भी उसी सांस्कृतिक और पारम्परिक ढंग से आयोजित किया जाता है जैसे कि होल्कर शासन के दिनों में किया जाता था। 

 महेश्वर किले को देखने का समय | Best time to visit Maheshwar Mandir

किले के खुलने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का है। यहाँ आने के लिए किसी भी प्रकार के किसी भी टिकट की कोई आवश्यकता नहीं होती है। शाम के समय महेश्वर किले में रंग बिरंगी लाइट जलाई जाती हैं  उस समय घाट की सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है।  शाम के समय यहां पर नर्मदा नदी से आने वाली ठंडी ठंडी हवा के कारण किले के आसपास का माहौल बेहद मनभावन हो जाता है।  

महेश्वर साड़ियां | Maheshwar Saree

मालवा की रानी अहिल्याबाई होल्कर  को कला संरक्षक के रूप में भी पहचान प्राप्त है। आज की महेश्वर साड़ियां उन्हीं की देन है जो कि सूरत के कारीगरों द्वारा बनवाई गई थी । रानी अहिल्याबाई ने अपनी राजधानी महेश्वर को औद्योगिक रूप से समृद्ध बनाने के उद्देश्य से यहां पर लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया और उनमें वस्त्र निर्माण कार्य को प्रारंभ कराया। उस समय उन्होंने गुजरात के  सूरत से कारीगरों को यहां पर बुलवाया और उन्हें यहां पर बसाकर बुनकर का पुश्तैनी कार्य आरंभ कराने का आग्रह किया।  अहिल्यादेवी के अथक प्रयास से ही उन बुनकरों ने यहां पर आकर कपड़ा बुनने का कार्य किया और उनके हाथों से बनाई गई महेश्वर साड़ी  प्रसिद्ध हो गई।  उन बुनकरों  द्वारा निर्मित वस्त्रो  को स्वयं अहिल्यादेवी  ही खरीद लिया करती थी जिसके कारण रोजगार मिलता रहता था। बुनकरों द्वारा निर्मित वस्त्रो  को अपने  रिश्तेदारों को और मेल जोल वालो को भेंट के  रूप में दिया करती  थी जिसके कारण चारों तरफ इस प्रकार महेश्वर साड़ी  प्रसिद्ध हो गई।   

महेश्वर किला | अहिल्याबाई फोर्ट कैसे पहुंचे
| How to reach Maheshwar Fort

सड़क मार्ग द्वारा  खंडवा, इंदौर आदि से महेश्वर के लिए बस सेवाएं उपलब्ध है जिससे आसानी से बस द्वारा महेश्वर या अहिल्याबाई फोर्ट पहुंच सकते हैं। महेश्वर का निकटतम रेलवे स्टेशन  बड़वाह है जो कि यहां से लगभग 39 किलोमीटर की दूरी पर है। 

फ्लाइट से  महेश्वर  के सबसे नजदीक इंदौर अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट है जिसकी महेश्वर से दूरी लगभग  91 किलोमीटर है। अन्य एयरपोर्ट मुंबई, भोपाल, दिल्ली और ग्वालियर से स्टेट ट्रांसपोर्ट और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट की सीधी सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है।

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