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मांडू का किला | Mandu ka Kila Hindi

Mandu Fort Madhya Pradesh

Mandu Fort Madhya Pradesh

Mandu ka Kila Hindi | मांडू का किला : मांडू का किला मध्य प्रदेश के धार जिले में मांडवा क्षेत्र में स्थित है। मांडू का किला मध्य प्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षण है। पंवार राजाओं द्वारा स्थापित मांडू का किला अपने गौरवशाली इतिहास और रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी का प्रतीक है। समय समय पर मांडू पर अलग अलग राजाओं और रियासतों का अधिकार रहा है। इस आर्टिकल में आप मांडू किले के इतिहास और उससे जुडी प्रमुख ब।तें जान सकते हैं। 

Mandu Fort Madhya Pradesh

मांडू शहर का इतिहास | Mandu ka Kila Hindi : History Mandu City

Mandu ka Kila Hindi
Mandu ka Kila Hindi

मांडू एक ऐतिहासिक नगर रहा है। विन्धयाचल पहाड़ियों में बसा मांडू समुद्र तल से लगभग २००० फ़ीट के ऊँचाई पर है। परमार या पंवार वंश के राजाओं ने इस नगर को स्थापित किया। परमार वंश के राजाओं में राजा हर्ष , राजा मुंज और राजा भोज का नाम प्रसिद्द है। पंवार वंश के समय में मांडू को मंडपा दुर्ग के नाम से जाना जाता है। मांडू नाम महर्षि माण्डलजय के नाम पर पड़ा है। इतिहास में मांडू को माण्डव नाम से भी जाना जाता था। 

पंवार वंश के शासन के दौरान मांडू से लगभग ३५ किलोमीटर दूर स्थित धार नगर को राजधानी बनाया गया था।  उस समय बाहरी आक्रांताओं के आक्रमणों के चलते कई बार उन्होंने अपनी राजधानी को धार से मांडू परिवर्तित किया। मांडू शहर ऊँचाई पर होने का कारण यहाँ पानी के समस्या रहती थी और इसीलिए वह अपनी राजधानी मांडू से धार बदलते थे। राजा जयवर्मन ने मांडू को सबसे पहले अपनी राजधानी बनाया क्योंकि धार पर मालवा के आक्रमण होने लगे थे। उन्होंने अपनी राजधानी धार से मांडू में परिवर्तित कर दी थी तथा वह अपने समय ,सुरक्षा और  स्थिति के अनुसार राजधानी को बदल दिया करते थे।

13 वीं शताब्दी में यह क्षेत्र मुस्लिम शासकों के अधीन आ गया था। उस समय के शासक दिलावर खां ने मांडू का नाम बदल कर सादियाबाद कर दिया था। सादियाबाद का अर्थ होता है “खुशियों का शहर ” 

इसके बाद अनेकों सत्ताएँ  यहां पर बदलती रही। बाद में मुगलों ने भी यहां पर शासन किया। यह सफर  गुजरात के बहादुर शाह से लेकर बाज बहादुर शाह तक जारी रहा। मांडू शहर तुगलकओ से स्वतंत्र होकर मालवा के अधीन आ गया उसके बाद मोहम्मद शाह तथा बाद में मुगल और मुगलों के बाद मराठा शासकों ने वहां पर लंबे समय तक राज किया।

मांडू के किला का इतिहास | Mandu ka Kila Hindi : History

मांडू का किला अपनी सामरिक स्थिति तथा प्राकृतिक सुरक्षा के कारण एक महत्वपूर्ण सैन्य चौकी हुआ करती थी। एक तरफ विन्धयाचल की पहाड़ियां और दूसरी तरफ से नर्मदा नदी इसे प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करते थे। पहले राजा भोज ने अपनी राजधानी उज्जैन शहर और बाद में धार को बनाया था। राजा भोज ने मांडू को एक सुरक्षित स्थान मानकर एक किले के रूप में स्थापित किया। मांडू क्षेत्र अपने इस अद्भुत किले के लिए बहुत ही अधिक प्रसिद्ध है। इस किले  की सुंदरता तथा इसकी कलाकृतियां देखने लायक  हैं और बड़ी संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। 

मांडू का किला की परिधि लगभग 82 किलोमीटर है और इसके अंदर 40 स्मारक बनाए गए हैं। मांडू का किला भारत का सबसे बड़ा किला भी माना जाता है। मांडू किले के अधिकतर स्मारक 1401 से लेकर 1526 ईसवी में बनवाए गए थे। उस समय यहां पर नई नई इमारतों का निर्माण कराया गया था।  125 सालों को उस समय का स्वर्णिम काल कहा जाता है ,बाद में मुस्लिम सुल्तान दिलावर खान गौरी तथा उनके बेटे होशंग शाह ने यहां पर राज किया और अनेकों इमारतों का निर्माण भी कराया । 

इसके बाद अनेकों सत्ताएँ  यहां पर बदलती रही। बाद में मुगलों ने भी यहां पर शासन किया। यह सफर  गुजरात के बहादुर शाह से लेकर बाज बहादुर शाह तक जारी रहा। मांडू शहर तुगलकओ से स्वतंत्र होकर मालवा के अधीन आ गया उसके बाद मोहम्मद शाह और बाद में मुगल और मुगलों के बाद मराठा शासकों ने वहां पर लंबे समय तक राज किया।

मांडू का किला : मुख्य आकर्षण | Mandu ka Kila Hindi : Main Attractions

मांडू के किले  को तीन मुख्य समूह में समझा जा सकता है जिनमें से पहला है शाही समूह, दूसरा केंद्रीय समूह और तीसरा   रेवा कुंड। शाही समूह के अंतर्गत जहाज महल तथा हिंडोला महल आते हैं।  यह दोनों महल ही अपनी अनूठी शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है।

मांडू का किला : गेट | Gates : Mandu ka Kila Hindi

मांडू में प्रवेश करने के लिए कुल 12 दरवाजे हैं जिनमें से मुख्य दरवाजे आलमगीर दरवाजा, तारापुर दरवाजा ,कमानी दरवाजा और दिल्ली दरवाजा है।  इनके अलावा दूसरे दरवाजे  भी जैसे  रामगोपाल दरवाजा, भी प्रमुख है परन्तु इन सब में दिल्ली दरवाजा प्रमुख है।

मांडू का किला : जहाज महल | Jahaz Mahal : Mandu ka Kila Hindi

जहाज महल यहाँ का एक प्रसिद्ध आकर्षण है। इस महल का निर्माण खिलजी वंश के शासकों द्वारा किया गया था। यह महल दो तालाबों , कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच बना हुआ है जो पानी के जहाज के जैसा लगता है और इसीलिए इस महल को जहाज़ महल कहा जाता है। 

मांडू का किला : हिंडोला महल | Hindola Mahal : Mandu ka Kila Hindi

मांडू का प्रसिद्द हिंडोला महल तिरछी दीवारों जो 77 डिग्री पर झुकी हैं , से बना हुआ है। हिंडोला का अर्थ होता है झूला। तिरछी झुकी दीवारों के कारन यह महल एक झूले जैसा लगता है और इसीलिए इसे हिंडोला महल कहा जाता है। इस महल की छत भी नहीं है और रानियां यहां झूला झूला करती थी तब इस महल को अस्थायी रूप से ढक दिया जाता था।  यह महल होशंगशाह द्वारा बनवाया गया था और यह उस समय मुख्य दरबार के रूप में जाना जाता था। 

हिंडोला महल 4 किलोमीटर के परिसर में फैला हुआ हैजिसको घूमने में करीब 2 घंटे का समय चाहिए। हिंडोला महल मालवा शैली की वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।

केंद्रीय समूह के अंदर होशंगशाह का मकबरा, जामी  मस्जिद, तथा अशर्फी महल आते हैं।

मांडू का किला : होशंगशाह का मकबरा | Hoshangshah Maqbara : Mandu ka Kila Hindi

होशंगशाह मालवा के गोरी शासक दिलावर खां का बेटा था। यह मार्वल का बना मकबरा शाहजहां के लिए ताजमहल की प्रेरणा बना। ऐसा कहा जाता है कि ताज महल के निर्माण से पहले शाहजहां ने अपनी शिल्पकारों की अलग अलग जगह जा कर अलग अलग इमारतों के निर्माण की बारीकियों को जानने के लिए भेजा था। उस दौरान वे शिल्पकार मांडू भी आये थे और यहाँ होशंगशाह के मकबरे का अध्ययन भी किया था।  

मांडू का किला : जामी मस्जिद | Jami Masjid : Mandu ka Kila Hindi

मांडू के किले में स्थित जामी मस्जिद की विशालता को  देखकर अचंभा होता है। यह एक ऐसी मस्जिद है जिसमें हिंदू वास्तुकला के प्रमाण मिलते हैं। मस्जिद के अंदर एक बड़ा सा आंगन है, अनेकों खंभे हैं और विशाल प्रवेश द्वार बने हुए हैं।  इस स्मारक की सुंदरता यहां रुक जाने के लिए पर्यटकों को प्रेरित करती है। जामी  मस्जिद के आसपास के परिसर में हिंदू कलाकृति को चित्रित  किया गया है। यहां पर  खंभों की कलाकृति में  हाथियों के चित्र दिखाए गए हैं । जामी  मस्जिद के पास ही लोगों के लिए रुकने की व्यवस्था भी है जिसके लिए वहां पर एक धर्मशाला भी बनाई गई है। 

मांडू का किला : अशर्फी महल  | Asharfi Mahal : Mandu ka Kila Hindi

Mandu Ka Kila
Mandu ka Kila Hindi

अशर्फी महल मांडू स्थित एक मदरसा रहा है जहाँ बच्चे पढ़ने के लिए आया करते थे। इस महल के नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी बताई जाती है। कहा जाता है कि खिलजी वंश के ग़यासुद्दीन खिलजी ने अपनी रानियों को अपनी सेहत ठीक रखने के लिए इस महल के सीधे चढ़ने की सलाह दी और वादा किया कि हर एक सीढ़ी चढ़ने के लिए वह उन्हें एक अशर्फी देगा। शायद इसीलिए इस महल को अशर्फी महल कहा गया। 

   रेवा कुंड मुख्य समूह से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर बाज बहादुर शाह तथा रानी रूपमती के प्रेम की गवाही देता है।

मांडू का किला : रानी रूपमती का महल | Rani Roopmati Mahal : Mandu ka Kila Hindi

मालवा के शासक बाज बहादुर ने अपनी रानी रूपमती के लिए इस खूबसूरत महल का निर्माण कराया था। रानी रूपमती एक हिन्दू लड़की थी जो रोज सुबह नर्मदा नदी के दर्शन करने के बाद ही अपना भोजन लेती थी। बाज बहादुर ने रानी रूपमती की इसी आदत के चलते ऊँचाई पर इस महल का निर्माण कराया जिससे कि वह यहाँ से रोज नर्मदा नदी के दर्शन कर सके। 

बाज बहादुर और रानी रूपमती की कहानी यहाँ खासी प्रसिद्द है। रानी रूपमती ,अपने नाम के अनुसार ही उसके अंदर गुण भी अत्यधिक थे। वह बेहद रूपवती स्त्री थी।  खूबसूरत होने के साथ-साथ रूपमती गायन कला में भी निपुण थी। रानी रूपमती अपनी सहेलियों के साथ गांव झूमते गाते जा रही थी तभी वहां से बाज  बहादुर शाह शिकार के लिए निकले तथा उसने रूपमती का मधुर गाना सुना। बाज बहादुर शाह को संगीत का शोक था। उसने  रूपमती को देखा और उससे प्रभावित हो कर शादी का प्रस्ताव रखा और मांडू चलने के लिए आग्रह किया। उस समय रूपमती ने यह शर्त रखी कि वह अपना धर्म कभी नहीं बदलेगी।  इस बात पर बाज बहादुर शाह सहमत हुआ और दोनों का विवाह हिंदू और मुस्लिम दोनों रीतियों  से संपन्न हुआ। 

 रूपमती को प्रतिदिन नर्मदा नदी के दर्शन करने थे और उनकी पूजा-अर्चना करनी होती थी। इसीलिए एक ऊंची पहाड़ी पर रानी रूपमती के महल का निर्माण कराया गया था ताकि सुबह रानी रूपमती वहां से नर्मदा नदी की प्रार्थना और उनके दर्शन कर सकती थी।  धीरे-धीरे रानी रूपमती के सौंदर्य और उनकी कला के चर्चे चारों तरफ फैलने लगे थे।  उधर अकबर धीरे-धीरे अपना साम्राज्य बढ़ा  रहा था।  तभी उसने 1761 में मांडू पर हमला कर दिया।  इस युद्ध में बाज बहादुर की सेना हार गयी और हमले में बाज बहादुर शाह की मृत्यु हो गई। अब रानी रूपमती ने अकबर की दास्तान स्वीकार करने के बजाय अपनी जीवन लीला को समाप्त करने का निश्चय किया तथा उन्होंने जहर  खाकर अपनी जान दे दी।  इस तरह से रानी रूपमती और बाज बाज बहादुर शाह की प्रेम कहानी का दुखद अंत हो गया था लेकिन आज भी माडू  में खड़े इस ऐतिहासिक महल में इनकी  प्रेम कहानी की गवाही दी जा रही है।

मांडू किले के मुख्य अन्य आकर्षण जो  पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं उनमें किले के दरवाजे जो 45 किलोमीटर के दायरे में आते हैं, यहां मांडू किले के अंदर अनेक महलों ,सजावटी नहरों तथा स्नान मंडलों के खंडहर आज भी मिलते हैं। 

श्री मांडवगढ़ तीर्थ | Shri Mandavgarh Teerth

श्री मांडवगढ़ तीर्थ एक जैन मंदिर है जो  अनुयायियों के लिए धार्मिक महत्त्व का स्थान है। श्री मांडवगढ़ तीर्थ भगवान सुपार्श्वनाथ को समर्पित मंदिर है जो जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर हुए। अपने जीवन काल में जैन धर्म की शिक्षा का प्रसार करने के बाद सम्मेद शिखर जी पर उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया था। 

मांडू को एक ही दिन में पूरा देख पाना संभव नहीं है वहां पर चलते-चलते पैर दुख जाते हैं लेकिन व्यक्ति के अंदर महल को देखने की इच्छा खत्म ही नहीं होती है।  इस किले के अंदर एक पूरी की पूरी दुनिया रची बसी हुई है।  

मांडू घूमने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Mandu

मांडू का किला देखने जाने के लिए अक्टूबर से मार्च  तक का समय  सबसे अच्छा है। गर्मियों के मौसम में यहाँ काफी तेज़ धूप होने के कारण किले को पूरी तरह से देख पाना संभव नहीं है।  

मांडू का किला कैसे पहुँचे | How to reach Mandu ka Kila

मांडू पहुंचने के लिए अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो इंदौर स्थित अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट सबसे नजदीक है। इंदौर से मांडू तक के दूरी लगभग ९० किलोमीटर है जो सड़क के रास्ते बस या टैक्सी द्वारा तय की जा सकती है।  

मांडू का किला पहुंचने के लिए अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो धार रेलवे स्टेशन से मांडू तक का सफर बस या टैक्सी से या फिर कार रेंट पर ले कर तय कर सकते हैं। 

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