Orchha ka Kila in Hindi : ओरछा का किला मध्य प्रदेश राज्य के निवाड़ी जिले में स्थित है। कभी बुंदेलखंड राज्य के राजधानी रह चुका ओरछा यह एक छोटा सा द्वीप है जो की बेतवा नदी और जामनी नदी के संगम पर बना हुआ है। ओरछा की निवाड़ी शहर से दूरी लगभग 27 किलोमीटर है और झांसी से ओरछा की दूरी केवल 15 किलोमीटर ही है। ओरछा का किला न सिर्फ बुंदेलखंडी राजाओं की राजधानी के लिए प्रसिद्ध था बल्कि यह बुंदेलखंडी राजाओं की शान और शौकत का अनुपम उदाहरण रहा है। ओरछा के किले को इसमें स्थापित मंदिरों के लिए भी जाना जाता है।
ओरछा का मतलब होता है छिपी हुई एक जगह !
ओरछा का किला एक विशाल किला है और इस किले के मुख्य आकर्षण हैं राज महल, शीश महल, फूलबाग, राय प्रवीण महल और जहांगीर महल। ओरछा के किले का एक भाग भगवान राम को समर्पित है। ओरछा किले के इस भाग में भगवान राम का मंदिर स्थापित है। यहाँ इस मंदिर में भगवन राम को राजा राम के रूप में पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम को अयोध्या के अलावा ओरछा में इस रूप में पूजा जाता है।
Orchha Fort Orchha Madhya Pradesh | Orcha Fort
ओरछा का किला – इतिहास | History – Orchha ka Kila in Hindi
बुंदेलखंडी राजाओं का इतिहास 1000 साल पुराना है। इसमें सबसे पहले राजा थे राजा हेम सिंह बुंदेला जिनको पंचम सिंह बुंदेला के नाम से भी जाना जाता है। १६ वें शताब्दी में ओरछा एक घना जंगल हुआ करता था। तब उस समय के राजा मलखान सिंह के बेटे रुद्र प्रताप सिंह ने यहां पर एक किले का निर्माण कराने का मन बनाया।
राजा रुद्र प्रताप सिंह से पहले बुंदेलखंडी राजाओं की राजधानी गढ़कुण्डार हुआ करती थी जो कि ओरछा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर था। राजा रुद्र प्रताप सिंह को शिकार का बहुत शौक हुआ करता था। एक दिन राजा रूद्र प्रताप सिंह शिकार के लिए जंगल में घूम रहे थे तब उन्हें यह स्थान बहुत पसंद आया।
यहाँ बहती बेतवा नदी , शिकार की प्रचुरता और पहाड़ों से घिरे होने के कारण राजा रूद्र प्रताप सिंह को यह जगह बहुत पसदं आयी। राजा को यह स्थान बहुत सुरक्षित लगा और उन्होंने यहाँ पर किला बनाने का निश्चय किया। राजा रूद्र प्रताप सिंह ने यहाँ किले का निर्माण कार्य शुरू करा दिया था। पहाड़ों और जंगलों से घिरे होने के कारण इस स्थान पर दिशा और समय के बारे में पता नहीं चल पाता था इसीलिए जंगल में जगह-जगह पर शिवलिंग और हनुमान की मूर्ति स्थापित की गयी थीं जिसको देखकर सुबह-शाम तथा दिशाओं का अंदाजा लगाया जा सकता था।
दुर्भाग्य से राजा रूद्र प्रताप सिंह की शिकार के समय एक गाय को बचाते हुए मृत्यु हो गई और किले का निर्माण कार्य पूरा न हो सका।
राजा रूद्र प्रताप सिंह ने ओरछा को अपनी राजधानी बनाया। 16 वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी तक ओरछा को राजधानी बनाया गया था। राजा रुद्र प्रताप सिंह ने 1501 से 1531 में ओरछा शहर में इस किले का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया था। उनके बाद राजा रूद्र प्रताप सिंह के पुत्र राजा भारती चंद ने 1531 से 1554 में किले का निर्माण कार्य कराया, लेकिन 1554 में राजा भारती चंद्र की मृत्यु हो गई और उनकी कोई संतान भी नहीं थी। राजा भारती चंद्र के बाद उनके छोटे भाई मधुकर शाह ने 1554 से लेकर 1592 तक के समय में ओरछा किले के निर्माण कार्य को पूरा कराया । मधुकर शाह के बेटे राजा वीर सिंह (1605 -1627 ) के समय पर यहां पर जहांगीर महल तथा सावन भादो महल का निर्माण भी कराया गया। कहा जाता है कि यहां पर 1783 तक इस किले में राजा रानी रहा करते थे तथा उसके बाद उन्होंने इस स्थान को छोड़ दिया था। इस किले में अलग-अलग राजाओं ने अपने अपने समय में विभिन्न प्रकार के मंदिरों तथा महलों का निर्माण कराया था।
ओरछा का किला – मुख्य द्वार | Orchha ka Kila in Hindi – Main Gate
ओरछा किला का मुख्य दरवाजा यह एक ऐसा गेट होता था जिसे युद्ध के समय में हाथियों द्वारा भी नहीं तोडा जा सकता था। । इस दरवाजे में लोहे के कांटे लगे होते थे जो कि हाथियों के आक्रमण से बचने के लिए थे। उस समय दुश्मन अपने हाथियों को नशा करा कर उनको आक्रमण के लिए तैयार कर देते तथा यह गेट उन्हें अंदर नहीं जाने देने में मददगार साबित होते थे, क्योंकि यह लोहे की कीलें उनको चुभ जाया करती थी तथा वह आक्रमण नहीं कर पाते थे। ओरछा किले के मुख्य द्वार से कभी भी सीधे अंदर का दृश्य दिखाई नहीं देता था। मुख्य द्वार के सामने दीवार होती और उसके साथ दरवाजे होते थे।
ओरछा का किला – राजा महल | Orchha ka Kila in Hindi – Raja Mahal
ओरछा के किले का मुख्य आकर्षण राजा का महल है। शाही महल के अंदर जालीदार खिड़कियां ,बालकनी और देवी देवताओं की पेंटिंग लगी हुई है। राजमहल की वास्तुकला प्राचीन वास्तु कला शैली पर आधारित है जिसमें देवी-देवताओं के साथ-साथ पशुओं के चित्रों को भी चित्रित किया गया है। महल तथा उसकी दीवारों पर और छतों पर शीशे का काम भी उसके सौंदर्य को बढ़ाने के लिए किया गया है।
राजा महल या शाही महल के चार अन्य आकर्षण हैं – दीवान ए आम, दीवान ए खास , पब्लिक आँगन और फॅमिली आँगन।
दीवान ए खास को मंत्रालय भी कहा जाता है। इस में एक बेसमेंट भी बनाया गया था जिसमें चारों तरफ से ठंडी हवा आने की वजह से यह गर्मी में भी शीतलता का एहसास कराता था। पब्लिक आंगन जिसमें लोहे के रिंग लगे हुए हैं जिन की सहायता से धूप से बचाने के लिए वहां पर तंबू या टेंट की व्यवस्था की जाती होगी। इनकी छतों पर राजपूती सेना के चित्र दिखाई देते हैं. जिसके अनुसार राजपूती सेना में पैदल सेना , हाथी सेना , घोड़ा सेना और अंत में ऊंट सेना हैं। फैमिली आंगन जहां पर महाराजा का महल बना हुआ है और उसके चारों तरफ आसपास में ही रानी के कमरे भी बने हुए हैं । हाथी की आकृति राजा महल का मुख्य आकर्षण कहा जा सकता है। यहां पर बहुत से गुप्त द्वार भी पाए गए हैं।
ओरछा का किला – कुंवर गणेशी कक्ष | Orchha ka Kila in Hindi – Kunwar Ganeshi Kaksh
राजा की मुख्य रानी कुंवर गणेशी के कक्ष के अंदर भगवान राम के 10 अवतारों के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं । भगवान विष्णु के 10 अवतार मत्स्य अवतार, कश्यप अवतार , नरसिंह अवतार, वान अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार, भगवान बुद्ध तथा घोड़ा / कल्कि अवतार । राज महल के अंदर एक हाथी की आकृति आकृति भी बनी हुई है जो कि महिलाओं की आकृति को मिलाकर बनाई गई है। रानी महल की दीवारें भी 2 मीटर तक चौड़ी हैं और वह आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं जिससे कि महल के अंदर तापमान को नियंत्रित किया जा सके।
ओरछा का किला – जहांगीर महल | Orchha ka Kila in Hindi – Jahangir Mahal
जहांगीर महल की वास्तुकला में मुगल और राजपूतानी संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है।जहांगीर महल का निर्माण 1605 से 1627 के बीच कराया गया । यह हिंदू इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक अनोखा उदाहरण है। बुंदेलखंड के राजा वीर सिंह ने मुगल सम्राट जहांगीर के सम्मान में यह महल बनवाया था । कहा जाता है कि मुगल सम्राट जहांगीर यहां पर केवल एक रात्रि के लिए ही रुके थे ,उन्हीं के सम्मान में वीर सिंह ने इस महल का निर्माण कराया था। इस महल को रात्रि महल के नाम से भी जाना जाता है।
जहांगीर महल चार स्तंभ से बनाया गया है। यहां पर गेट पर तोरण बनी हुई है और पत्थरों पर नक्काशी की गयी है। इन पत्थरों पर हाथी की आकृतियों को उकेरा गया है।इसमें अंकित कलाकृतियों में पर्दा प्रथा के दृश्य प्रस्तुत किए गए हैं । जहांगीर महल दो मंजिली इमारत है जिसमें ऊपर जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। जहांगीर महल से बेतवा नदी और महल के मंदिरों को देखा जा सकता था। जहांगीर महल में आर्केयोलॉजिकल म्यूजियम भी उपस्थित है। जहांगीर महल के साथ साथ ही वीर सिंह ने सावन भादो महल का निर्माण भी कराया था।
ओरछा का किला – शीश महल | Orchha ka Kila in Hindi – Sheesh Mahal
ओरछा के किले में स्थित शीश महल एक विशाल कक्ष है जिसकी छत नक्काशीदार है। बुन्देलझंड राजा उद्दत सिंह ने इस शीश महल का निर्माण कराया था। शीश महल में बेसमेंट बना हुआ है जिस के झरो जिसमें झरोखे बने हुए हैं ताकि इस जगह को ठंडा रखा जा सके। अब इस महल को एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।
ओरछा का किला -फूल बाग | Orchha ka Kila in Hindi – Phool Bag
फूल बाग ओरछा किले का एक मुख्य आकर्षण है। फूल बाग में पानी के फव्वारे की एक पंक्ति है जो कि सीधा महल मंडप तक जाती है। जिसमें 8 खंभे भी स्थित है।
ओरछा का किला – राजा राम का मंदिर | Orchha ka Kila in Hindi – Raja Ram Mandir
ऐसा कहा जाता है कि राजा मधुकर शाह खुद एक कृष्ण भक्त थे और उनकी पत्नी गणेश कुमारी एक राम भक्त थी। राजा मधुकर शाह ने गणेश कुमारी को भगवान कृष्ण के मंदिर वृन्दावन जाने के लिए कहा तो उन्होंने बड़े ही शालीनता के साथ इंकार करते हुए भगवान राम के मंदिर जाने की इच्छा जताई। तब मधुकर शाह ने कहा कि अगर ऐसा है तो क्या भगवान राम को तुम यहां ला सकती हो। इस पर गणेश कुमारी खुद अयोध्या भगवान राम के मंदिर गई और 21 दिन तक वहां तप करती रही, लेकिन जब भगवान प्रकट नहीं हुए तब उन्होंने वहीँ सरयू नदी में जान देने की कोशिश की । जैसे ही गणेश कुमारी नदी के अंदर गई तभी वहां उनकी गोद में भगवान राम की एक मूर्ति आ गई। तब भगवान ने उनसे कहा मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूं लेकिन मेरी तीन शर्ते हैं।
उनकी पहली शर्त थी कि मैं यहां से जाकर जिस भी जगह पर बैठ जाऊंगा तो फिर वहां से नहीं उठूंगा। भगवान राम की दूसरी शर्त थी कि उनके बाद ओरछा में किसी दूसरे का राज नहीं हो सकेगा और तीसरी और अंतिम शर्त थी कि रानी भगवान राम को नंगे पैर एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु संतों के साथ ओरछा ले जाएं।
रानी गणेश कुमारी ने खुशी-खुशी यह शर्त स्वीकार करी तथा इसके बाद उन्होंने मधुकर शाह को ओरछा में भगवान राम को विराजमान करने की बात कही। तब मधुकर शाह ने ओरछा महल के साथ एक चतुर्भुज मंदिर का निर्माण कराया जहां पर भगवान राम की प्रतिमा को स्थापित करना था । रानी गणेश कुमारी जब मूर्ति को लेकर महल पहुंची तो उन्होंने भगवान राम की मूर्ति को रानी महल में रख दिया तथा जब चतुर्भुज महल में भगवान राम को स्थापित करने की तैयारी की गई तब वह मूर्ति किसी से भी वहां से उठाई नहीं गई। इसीलिए भगवान राम रानी महल में ही स्थापित हो गए।
ओरछा का किला – राजा मधुकर प्रताप सिंह | Orchha ka Kila in Hindi – Raja Madhukar Pratap Singh
मधुकर शाह के बारे में भी एक कहानी प्रचलित है । कहा जाता है कि जिस समय मधुकर शाह का ओरछा में राज्य था उस समय अकबर उनका समकालीन था और अकबर ने राजाओं के अपने दरबार में आने के लिए शर्त रखी थी कि कोई भी राजा पगड़ी पहनकर और माथे पर तिलक लगाकर नहीं आएगा। लेकिन मधुकर सिंह अकबर के दरबार में पगड़ी पहनकर तथा माथे पर तिलक सजाकर गए। उनकी हिम्मत को देखकर अकबर उनसे प्रभावित हुआ और तब उन्हें शाह की उपाधि प्रदान की। तभी से मधुकर प्रताप सिंह को मधुकर शाह कहा जाने लगा। इसी के चलते उनके तेवर को देखते हुए अकबर को अपना यह फरमान वापस लेना पड़ा था।
ओरछा का किला – लाइट और साउंड शो | Orchha ka Kila in Hindi – Light and Sound Show
आज ओरछा किला मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के अंतर्गत आता है और इसके आकर्षण को बरकरार रखने के लिए किले के अंदर लाइट और साउंड शो ऑर्गेनाइज किए जाते हैं। साउंड और लाइट शो को हिंदी तथा इंग्लिश दोनों भाषाओं में ऑर्गेनाइज किया जाता है, जिसका समय शाम 7:30 बजे से 8:30 बजे तक इंग्लिश भाषा में तथा 8:45 से 9:45 तक हिंदी भाषा में प्रदर्शित किया जाता है।
ओरछा का किला – आसपास के पर्यटक स्थल | Orchha ka Kila in Hindi – nearby Places
ओरछा का किला एक सुन्दर लोकेशन पर स्थित है और इसके आसपास अन्य पर्यटक स्थल उपस्थित है जो कि सहज ही टूरिस्ट्स का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं जिनमें से प्रमुख हैं चतुर्भुज मंदिर ,लक्ष्मी नारायण मंदिर, सुंदर महल ,विभिन्न प्रकार की छतरियां और बेतवा नदी आदि।
ओरछा का किला घूमने का सही समय
ओरछा का किला घूमने के लिए अक्टूबर से लेकर मार्च तक बहुत ही सुहावना मौसम रहता है । मानसून का समय भी किले का भ्रमण करने के लिए उपयुक्त माना जाता है लेकिन गर्मी के समय यहाँ मौसम बहुत ज्यादा गर्म होता है। उन दिनों यहाँ का तापमान लगभग 45 डिग्री तक हो जाता है।
ओरछा कैसे पहुंचा जाए ? How to reach Orchha
ओरछा जाने के लिए हवाई जहाज द्वारा ,रेलगाड़ी द्वारा तथा सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। ओरछा के सबसे नजदीक एयरपोर्ट खजुराहो एयरपोर्ट है जो ग्वालियर में स्थित है। ग्वालियर से ओरछा की दूरी लगभग 140 किलोमीटर है। खजुराहो एयरपोर्ट से गाड़ियां ,टैक्सिया ओरछा के लिए हर समय उपलब्ध रहती है। ट्रेन द्वारा ओरछा पहुंचना बड़ा ही सरल है यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन झांसी रेलवे स्टेशन है जिसकी ओरछा से दूरी मात्र 15 से 18 किलोमीटर पड़ती है। बस द्वारा, गाड़ी, टैक्सी द्वारा सड़क मार्ग से आसानी से ओरछा के किले तक पहुंचा जा सकता है और इस पर्यटक स्थल के दर्शन किए जा सकते हैं।
किले को देखने का समय तथा टिकट | Time and Ticket for Orchha ka Kila
ओरछा का किला देखने के लिए समय निर्धारित किया गया है जो कि सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक है । इस समय आप किले का भ्रमण कर सकते हैं। प्रवेश करने के लिए मात्र 10 रुपए का टिकट लिया जा सकता है परंतु विदेशी सैलानियों के लिए यह टिकट 250रुपए में उपलब्ध है।
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