Pavagadh Mandir Hindi : पावागढ़ मंदिर गुजरात के पंचमहल जिले में आने वाला एक पवित्र स्थान है जो की विंध्यांचल पर्वत माला में आता है। ये एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरी जगह है । पर्यटन और धार्मिक रूप से पावागढ़ मंदिर का विशेष महत्त्व है। पावागढ़ मंदिर एक चट्टान पर घने जंगल के बीच स्थित है। पावागढ़ मंदिर परिसर चंपानेर-पावागढ़ आर्केओलॉजिकल पार्क का हिस्सा है। पावागढ़ मंदिर का निर्माण 10वीं या 11वीं शताब्दी के समय का है।
पावागढ़ मंदिर भारत की पुरानी समृद्धि का प्रतीक होने के साथ साथ एक ऐतिहासिक धरोहर भी है। पावागढ़ मंदिर के आर्किटेक्चर बेहद सुन्दर हैं। इतिहास के साक्षी रहे ये मंदिर सदियों से यूं ही खड़े है ।
पावागढ़ मंदिर संरचना | About Pavagadh Mandir Hindi
पावागढ़ मंदिर श्रद्धालओं के लिए काफी ख़ास है। मंदिर में कालिक माता की दक्षिणमुखी मूर्ती है। मंदिर में देवी की तीन मूर्तियां स्थापित हैं, बीच में कालिका माता, जिसके दाईं ओर काली और बाईं ओर बहुचरमाता हैं। मंदिर परिसर पहले दो भागों में था। मंदिर के निचले भाग में कालिका माँ की मूर्तियां और ऊपरी भाग में एक दरगाह हुआ करती थी। अभी 2022 में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है जिसमें मंदिर के ऊपर वाली दरगाह को मंदिर के पास ही दूसरी जगह पर किया गया है और मंदिर का एक शिखर बनाया गया है।
मंदिर का यह शिखर 500 साल पहले आक्रांताओं द्वारा तोड़ दिया था और तब से मंदिर पर ध्वजा नहीं फहराई गयी थी। साल 2022 में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान पावागढ़ मंदिर का शिखर बनने पर अब ध्वजा फहराई गयी है। पावागढ़ मंदिर गुजरात का सबसे पुराना मंदिर है और यह 51 शक्तिपीठों में से एक है।
कालिका माता के इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी मिलता है। भारत में स्थित लगभग 51 शक्तिपीठ में पावागढ़ की एक खास जगह है। मंदिर के प्रांगण में एक दिन में लगभग एक हजार लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
पावागढ़ मंदिर पहाड़ी | Pavagadh Hill – Pavagadh Mandir Hindi
पावागढ़ मंदिर पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित है। भू विज्ञान की दृष्टी से देखे तो यह पर्वत एक ज्वालामुखी क्रिया से बना है जो की 500 मिलियन साल पुराना हो सकता है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 800 मीटर है। पावागढ़ पहाड़ी तक पहुँचने के बाद, यहाँ से आगे का रास्ता पैदल , सीढ़ियों से या फिर रोपवे से तय कर सकते हैं। मानसून और सर्दी के समय में बादल चारों तरफ से पर्वत को घेर लेते है और उस समय यहाँ का नजारा बहुत सुन्दर होता है।
पावागढ़ मंदिर : पावागढ़ का अर्थ | Pavagadh Meaning – Pavagadh Mandir Hindi
पावागढ़ , पाव यानी पवन , बोलचाल की हिंदी में इसे हवा कहते हैं और गढ़ का मतलब होता है क़िला। शाब्दिक अर्थ देखें तो पावागढ़ यानी हवा का क़िला या हवा का गढ़ !
इस पर्वत के चारों तरफ गहरी खाई होने की वजह से यहाँ बहुत तेज़ हवा हर समय चलती रहती है। इसी वजह से पहले इस पहाड़ पर चढ़ाई करना काफी मुश्किल होता था।
ऐसा भी कहा जाता है कि यहाँ पर माता सती का पांव गिरने के कारण पावागढ़ कहा जाता है।
पावागढ़ की पहाड़ी झील हैं जो की ऊपर से देखने पर बहुत सुंदर दिखाई देती है। यहाँ जाने का सही समय मानसून का मौसम या सर्दी का मौसम है। वड़ोदरा जैसे बड़े और व्यस्त शहर के पास प्राकृतिक सौंदर्य से भरा एक धार्मिक स्थल , जहाँ आप घूमने के लिए और धार्मिक वजह के साथ जा सकते है।
पावागढ़ मंदिर का इतिहास | History – Pavagadh Mandir Hindi
पावागढ़ मंदिर की संरचना 10 – 11 वी सदी की है। 15 वी शताब्दी में गुजरात के एक मुस्लिम शासक जिसका नाम ” महमूद बेगडा ” था, उसने चंपानेर् पर हमला किया और उस हमले के दौरान पावागढ़ मंदिर को भी तोड़ दिया। तब से अभी तक इस मंदिर के जीर्णोद्धार पर ज्यादा कुछ काम नही किया गया था। अभी पिछले कुछ वर्षों में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है।
यूनेस्को ने पावागढ के कालिका माता मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स कि लिस्ट में शामिल किया है ।
पावागढ़ मंदिर तक जाने का रास्ता | How to reach – Pavagadh Mandir Hindi
पावागढ़ पर्वत की चढ़ाई पर बसे आखिरी गाव का नाम माच्छी है। ये गांव 400 मीटर की ऊँचाई पर है। यहाँ तक आप अपने व्हीकल से आ सकते है। इससे आगे पावागढ़ मंदिर जाने के लिए या तो आप पैदल जा सकते हैं या फिर सीढ़ियों से जा सकते हैं। इसके अलावा रोपवे या ट्राली का रास्ता भी लिया जा सकता है। यहाँ का रोपवे भारत के कुछ सबसे ऊँचे रोपवे में से है। ट्राली से उतरने के बाद भी मंदिर तक जाने के लिए 250 सीढ़ियां चढनी होती है। दोनों ही रास्तो से जाने का अपना ही आनंद है क्योंकि दोनों से प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिलते है।
पावागढ़ मंदिर सीढ़ियों से जाते समय रास्ते में बहुत से छोटे छोटे छोटे मंदिर बने हुए हैं।
पावागढ़ मंदिर का मेला | Festivals – Pavagadh Mandir Hindi
पावागढ़ मंदिर से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार कालिका माता मेला है जो बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। कालिका माता मेला नवरात्रि उत्सव के दौरान लगता है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित नौ रातों का त्योहार है। नवरात्रि आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीने में आती है। इस त्योहार के दौरान, मंदिर और पूरे पावागढ़ क्षेत्र में भक्तों और पर्यटकों की भीड़ बढ़ जाती है।
गुजरात और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न हिस्सों से लोग नवरात्री के दौरान विशेष रूप से कालिका माता मंदिर में आते हैं। अक्सर श्रद्धालु मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ चढ़ते हैं जिसे श्रद्धा का एक रूप माना जाता है। इस दौरान पारंपरिक हेंडीक्राफ्ट की खरीदारी करते हैं। कलिका माता मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है।
पावागढ़ मंदिर से जुडी पौराणिक व्याख्या | Story – Pavagadh Mandir Hindi
हिंदू सभ्यता में पावागढ़ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ स्थित कालिका माता मंदिर एक बहुत ही प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। भारत में स्थित लगभग 51 शक्तिपीठ में पावागढ़ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसको लेकर एक मान्यता है।
भगवान शिव की पत्नी माता सती के पिता का नाम राजा दक्ष था जो ब्रह्मा के पुत्र थे। राजा दक्ष भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे और इसीलिए उन्होंने जब विशाल यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें अपनी पुत्री सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। निमंत्रण न होने के बावजूद सती अपने पिता के पास अकेले पहुंच गयीं और वहां उन्हें बहुत अपमानित किया गया। पिता से ऐसा अपमान देख कर सती ने वहां हो रहे यज्ञ के कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।
यह देख कर भगवान शिव बहुत क्रोधित और दुखी हुए और वह वहां से सती का शव ले कर घूमने लगे। उन्हें इस तरह से दुःख में देख कर भगवांन विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव टुकड़े कर दिए। सती के शव के ये टुकड़े अलग अलग जगहों पर जा कर गिरे। ऐसा माना जाता है कि पावागढ़ में सती का दाहिना पैर गिरा था। जहाँ जहाँ सती के शव के दुकड़े गिरे थे वहां पर शक्तिपीठ के स्थापना की गयी और तभी से ये शक्तिपीठ धार्मिक दृष्टी से बहुत पवित्र माना गया।
पावागढ़ मंदिर कैसे पहुंच सकते है | How to reach – Pavagadh Mandir Hindi
अगर आप हवाई यात्रा कर रहे ही तो सबसे पास सबसे करीब का डोमेस्टिक एयरपोर्ट वड़ोदरा है। वडोदरा देश के बाकि एयरपोर्ट्स से भी कनेक्टेड है। मुंबई , दिल्ली और अहमदाबाद से वडोदरा के लिए फ्लाइट से आ सकते हैं। वडोदरा से पावागढ़ की दूरी 41 किलोमीटर है और यहाँ के लिए आप टैक्सी या बस ले सकते हैं। इससे आगे पावागढ़ कालिका माता मंदिर जाने के लिए सीढ़ियां या रोप वे से जा सकते हैं।
रेलमार्ग से आने के लिए भी यहाँ कई option आप को मिल जायेंगे। जैसे वड़ोदरा रेलवे स्टेशन – 51 किलोमीटर, गोधरा रेलवे स्टेशन – 68 किलोमीटर, चंपानेर् रेलवे स्टेशन – 11 किलोमीटर और बकोल रेलवे स्टेशन- 11 किलोमीटर है।
बस मार्ग से आने वाले लोगो के लिए यहाँ बस स्टैंड भी है और आप माच्छि गाव तक , जो की पर्वत पर 400 मीटर की ऊँचाई पर है वहाँ तक सड़क मार्ग से जा सकते है।
पावागढ़ में खाना और रहना | Staying/ Food – Pavagadh Mandir Hindi
जब भी आप पावागढ़ कालिका माता मंदिर की यात्रा प्लान करें तो ये ध्यान में रखना जरूरी है की या जगह अभी एक प्रसिद्द टूरिस्ट प्लेस नहीं है और इसीलिए जैसे का टूरिस्ट प्लेस में खाने और रहने की सुविधाएं होती है, वो यहाँ पर इतनी नहीं है। पावागढ़ के रास्ते में खाने और रहने के लिए आप को चंपानेर् , वड़ोदरा में कई होटल और रेस्टोरेंट मिल जायेंगे।
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