Pithoria Kila Hindi : पिठौरिया किला झारखंड राज्य की राजधानी रांची के पास पिठौरिया गांव में स्थित है। पिठौरिया किला एक विचित्र कारण से खासा प्रसिद्ध है। राजा जगतपाल सिंह द्वारा बनवाया गया पिठौरिया किला जियोलॉजिस्ट और अन्य वैज्ञानिकों के लिए भी एक खास दिकचस्पी का विषय है।
यूँ तो भारत देश विविधताओं से भरा देश है और यही विविधता कभी विचित्र भी हो जाती है , पिठौरिया किला भी एक ऐसा ही विषय है। यहाँ के रहने वाले इस किले को शापित किला मानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि हर वर्ष इस किले पर बिजली गिरती है। ऐसा क्यों होता है ये एक आश्चर्य है !
पिठौरिया किला – इतिहास | History – Pithoria Kila Hindi
झारखण्ड की राजधानी रांची शहर से केवल 18 किलोमीटर दूर स्थित पिठौरिया किला एक 200 साल पुराना किला है। आदिवासी वर्चस्व वाला छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा और नागवंशी प्रभाव रहा है। यह क्षेत्र राजा मुंद्रा मुंडा और नागवंशीयों का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां पर राजा जय मंडल सिंह का शासन रहा और उनके बाद उनके बेटे राजा जगत सिंह ने शासन संभाला ।
राजा जय मंडल सिंह और राजा जगत सिंह के समय में यह स्थान संस्कृति और व्यापार की दृष्टि से एक जाना माना और समृद्ध क्षेत्र था। इस किले का निर्माण राजा जगत पाल सिंह के द्वारा कराया गया था। राजा जगत सिंह शैव ( शिव संप्रदाय के धार्मिक अनुयायी) थे और वे एक बड़े शिवभक्त भी थे।
राजा जगत सिंह – पिठौरिया किला | Raja Jagat Singh -Pithoria Kila Hindi
राजा जगतपाल सिंह के पास 84 गांव की जमीन दारी थी। राजा ने प्रजा की भलाई के लिए और उनके विकास के लिए काम किए थे। कहा जाता है कि वह एक लकड़हारे का काम करते थे और एक बार जंगल में उन्हें बहुत बड़ा खजाना प्राप्त हुआ, धीरे-धीरे उसके प्रभाव के कारण वह वहां के जमीदार बन चुके थे और अधिक धन और वैभव आने के कारण उनके अंदर घमंड हो गया था और उन्होंने बहुत से अनैतिक कामों को भी अंजाम देना शुरू कर दिया था।
पिठौरिया किला – शापित किला | Cursed – Pithoria Kila Hindi
पिठौरिया किले को शापित किला क्यों माना जाता है इसके पीछे के कहानी भारत की स्वतंत्रता के पहले आंदोलन से सम्बंधित है। कहा जाता है कि राजा जगत सिंह ने अपनी प्रजा के लिए अच्छे काम किये । सन 1831 के विद्रोह के समय सिंद राय और बिंद राय नाम के दो आदिवासियों के नेतृत्व में यहाँ क्रन्तिकारी आंदोलन प्रारंभ हुआ था। उन दिनों अंग्रेज यहां पर होने वाले विद्रोह को दबा नहीं पा रहे थे । वे पिठौरिया क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे। उस समय यहां की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार थी कि अंग्रेजों के लाख कोशिश करने के पश्चात भी अंग्रेज अपना अधिकार नहीं कर पा रहे थे । उस समय अंग्रेज अधिकारी विलकिंग्सन ने राजा जगत पाल सिंह के पास सहायता के लिए संदेश भिजवाया था और उन्हें सहायता का लालच भी दिया था जिसे जगतपाल सिंह ने स्वीकार कर लिया और उन्होंने अंग्रेजों की मदद करने का निश्चय कर लिया था। इस मदद के बदले में अंग्रेज अधिकारी जनरल विलियम बेंटिक ने उन्हें प्रतिमाह 313 रुपए की आजीवन पेंशन देने की बात कही थी।
राजा जगत सिंह ने यही 1857 की क्रांति के दौरान भी दोहराया । उस समय प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों को रोकने के लिए अंग्रेजों द्वारा पिठौरिया घाटी को घेरा बंद कर लिया गया था लेकिन फिर भी अंग्रेज वहां पर अपना अधिकार नहीं बना पा रहे थे। राजा जगत सिंह ने क्रांतिकारियों से संबंधित जानकारियों को अंग्रेजों को देना प्रारंभ कर दिया जिसके कारण वहां की प्रजा राजा से बहुत नाराज हो गई थी ।
पिठौरिया किला, Pithoria Kila Hindi….story continues !
क्रांतिकारी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जो उस समय के झारखंड के प्रमुख क्रांतिकारी राजा भी थे, के विषय में जानकारी भी जगत सिंह ने अंग्रेजों को दी थी। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव और उनके साथी सुरेंदर नाथ शाहदेव अंग्रेजों की हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहते थे जिसके कारण ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव राजा जगत सिंह को सबक सिखाने के लिए पिठौरिया पहुंचे थे और उन पर आक्रमण किया था।
जगत सिंह की गवाही के कारण ही सन 1858 में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को पकड़ लिया गया और रांची के स्कूल के सामने कदंब के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया गया था। राजा जगत सिंह की गवाही के कारण ही अन्य क्रांतिकारियों को भी उस समय फांसी की सजा दे दी गई थी जिसकी वजह से विश्वनाथ ने राजा जगत सिंह को यह श्राप दिया था कि अंग्रेजों का साथ देने के कारण और अपने देश के साथ गद्दारी करने के कारण आने वाले समय में जगत सिंह का पूरा वंश समाप्त समाप्त हो जाएगा और उनका कोई नाम लेने वाला भी इस धरती पर नहीं होगा और हर वर्ष इस किले पर वज्रपात होता रहेगा। लोगों का विशवास है कि तभी से हर वर्ष पिठौरिया स्थित इस किले पर वज्रपात होता रहता है जिसके कारण यह किला बर्बाद हो चुका है ।
पिठौरिया किला – वैज्ञानिक कारण | Science – Pithoria Kila Hindi
विज्ञान की माने तो वैज्ञानिक इसका कारण कुछ और ही बताते हैं। उनके अनुसार इस स्थान पर काफी ऊंचे ऊंचे पेड़ है और इस पहाड़ी पर लोह अयस्क की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है। इसलिए बरसात के समय में यहां का वातावरण आसमानी बिजली को अपनी और आकर्षित करने का एक बहुत ही आसान सा माध्यम बन जाता है जिसके कारण बारिश के दिनों में यहां पर अधिकतर यह वज्रपात होता रहता है।
पिठौरिया किला – आर्किटेक्चर | Architecture – Pithoria Kila Hindi
राजा जगत सिंह जी द्वारा बनाया गया पिठौरिया किला लगभग 30 एकड़ में फैला हुआ था । इस किले में दो मंजिलों का महल बनवाया गया था। पिठौरिया किले की नक्काशी बहुत प्रसिद्ध थी।
पिठौरिया किला – मुगलकालीन वास्तुकला | Mughal Architecture – Pithoria Kila Hindi
पिठौरिया किले का निर्माण कार्य मुगलकालीन वास्तुकला के अनुसार किया गया था। इस किले के अंदर अनेकों मेहराब और तालाबों आदि का निर्माण कराया गया था। उस समय यह किला एक भव्य किले के रूप में जाना जाता था। पिठौरिया किले का शाही सरोवर बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ काफी प्रसिद्ध रहा है।
100 कमरे – पिठौरिया किला | 100 Rooms – Pithoria Kila Hindi
किले का निर्माण में लाल रंग की ईटों तथा पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। पिठौरिया किले में लगभग 100 से भी अधिक कमरे थे। इस महल में तालाब के बीचों-बीच शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था। किले के पीछे की तरफ एक नदी भी थी जो कि आज पूरी तरह से सूख कर समाप्त हो चुकी है। महल के पास बने हुए शिव मंदिर में लोग आज भी पूजा करने आते हैं।
जगत सिंह के महल को बनाने के लिए और किले की दीवारों और मेहराबों पर कलाकारी और नक्काशी करवाने के लिए कारीगर जोधपुर और आगरा से बुलवाये गए थे। यहां पर की गई कलाकारी में नदियों, जंगली जानवरों, पक्षियों आदि के चित्रों को देखा जाता था। महल के परिसर में ही कुएं को भी बनाया गया था। इस कुएं की गहराई कितनी है इस बारे में कोई भी अनुमान नहीं लग पाया
है।
पिठौरिया किले में रानियों के लिए महल तथा उनके नहाने के लिए विशाल तालाब बनवाए गए थे। साथ ही वहां पर पूजा करने के लिए शिव मंदिर भी बनवाया गया। कहा जाता है कि यह तालाब आज भी सही सलामत है लेकिन मंदिर खंडहर बन चुका है।
पिठौरिया किला – वर्तमान | Present – Pithoria Kila Hindi
वर्तमान में पिठौरिया किला मात्र कुछ खंडहर के रूप में रह गया है।
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