करेंसी क्या होती है | Currency
करेंसी यानी मुद्रा या फिर रुपया , डॉलर, पौंड , येन , रूबल और ऐसे बहुत सारे शब्दों से हमारा परिचय है। हम सभी जानते है कि भारत में रुपया , अमेरिका में डॉलर , यूरोप में यूरो , रूस में रूबल और इसी तरह लगभग हर देश में एक अलग मुद्रा का प्रचलन है। लेकिन असल में करेंसी या मुद्रा होती क्या है और इसकी जरुरत क्या है ? क्यों हमें एक मुद्रा की जरूरत पड़ती है और क्या मुद्रा के बिना भी व्यापार हो सकता है , इस आर्टिकल में हम इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानेंगे।
करेंसी क्या होती है ? | What is Currency
यह एक माध्यम है जिसको चीजें खरीदने या फिर एक्सचेंज करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। करेंसी किसी भी रूप में बनायीं जा सकती है। एक उदहारण के तौर पर अगर कहें :
example / उदाहरण
अगर किसी देश की सरकार ये निश्चित करती है की यहाँ हम एक पेंसिल की करेंसी या मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करेंगे , इसका मतलब होगा कि हर चीज की कीमत उस पेंसिल की संख्या से मापी जाएगी। जैसे कि अगर आप को एक जूतों की जोड़ी लेनी है तो उसके लिए आपको १०० पेंसिल देनी होंगी। अब इस जूतों की जोड़ी की कीमत १०० पेंसिल होगी। इसी तरह से एक ब्रेड का पैकेट लेने के लिए आपको ५ पेंसिल देनी होंगी , तो उस ब्रेड पैकेट की कीमत ५ पेंसिल हो जाएगी। तो मुद्रा एक स्टैण्डर्ड वैल्यू है जिससे हर एक चीज की कीमत आंकी जा सकती है। जरूरी नहीं कि सिर्फ रुपया या पैसा ही करेंसी या मुद्रा हो सकती है , इसके लिए कोई भी चीज मुद्रा घोषित की जा सकती है।
करेंसी या मुद्रा का इतिहास | History of Currency
बार्टर्ड या एक्सचेंज सिस्टम | Bartered or Exchange System:
अगर आप अपने दादा दादी से बात करोगे तो चलेगा की उन्हें हर चीज दुकान से लेने के लिए पैसे नहीं देने पड़ते थे, बल्कि चीजों को अदल – बदल कर भी जरूरत की चीजें ली जाती थीं। इसे बार्टर्ड या फिर एक्सचेंज सिस्टम कहा जाता था। लेकिन इसमें कोई स्टैण्डर्ड मानक नहीं था। ये काफी कुछ निर्भर करता था की किसी की ज़रूरत कितनी ज्यादा है और इसी आधार पर चीजों की कीमत काम या ज्यादा आंक ली जाती थी। इस बार्टर्ड या एक्सचेंज सिस्टम में अक्सर लोगों को उनकी चीजों की सही कीमत नहीं मिलती थी।
और पीछे इतिहास में जाए तो मुद्रा / करेंसी का चलन हजारों सालों से होता आ रहा है। मॉडर्न हिस्ट्री से भी पहले , जब लोग nomad की तरह से रहते थे , तब भी मुद्रा का चलन था , हाँ , उसका रूप कुछ और था। उस समय पेपर के नोट या सिक्के इस्तेमाल नहीं होते थे बल्कि वस्तुओं / चीजों को ही इस रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
बार्टर्ड सिस्टम | Bartered System : example / उदाहरण
उदहारण के तौर पर लें तो आज से हज़ारों साल पहले ऐसा कुछ होता होगा। एक व्यक्ति को कुछ फलों की जरूरत है लेकिन किसी वजह से वो पेड़ पर चढ़ कर फल नहीं तोड़ सकता। ऐसे में वो एक दुसरे व्यक्ति के पास जाता है जो पेड़ पर चढ़ कर फल तोड़ सकता है। ऐसे में दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति से कह सकता है कि मैं तुम्हें पेड़ से फल लाकर दूंगा लेकिन बदले में तुम्हे मुझको अपना बर्तन देना होगा। अब यहाँ पर चीजों को अदल बदल कर ये व्यापार कर लिया गया। यहाँ पर मिटटी का एक बर्तन उन सभी फलों के बराबर होगा। लेकिन किसी दुसरे व्यक्ति के लिए ये कुछ और वस्तु या कुछ और हो सकता है। इसी तरह से मुद्रा या करेंसी चलन में आयी होगी।
मेसोपोटामिया , मिस्र और करेंसी का इतिहास | Mesopotamia and Egypt
सबसे पहले इतिहास में एक स्टैण्डर्ड करेंसी / मुद्रा का चलन मेसोपोटामिया सभ्यता के सुमेर में मिलता है। उसी समय पर मिस्र में भी करेंसी का चलन शुरू हो गया था।
स्टैण्डर्ड करेंसी के रूप में सबसे पहले धातु के टुकड़ों जिनको सिक्के कह सकते हैं , का इस्तेमाल होना शुरू हुआ। मेसोपोटामिया सभ्यता के फर्टाइल क्रेसेंट में लगभग १५०० सालों पहले मुद्रा का इस्तेमाल होता था।
कौड़ी का इस्तेमाल | Shells as Currency
इसी तरह से कुछ सभ्यताओं में कौड़ी का इस्तेमाल करेंसी के रूप में हो रहा था। कौड़ी को काफी लम्बे टाइम तक इस्तेमाल किया जाता रहा है इसके एक जैसे आकार और वजन की वजह से। मुख्य रूप से उस समय भारत में और नेटिव अमरीकन कौड़ी का इस्तेमाल किया करते थे।
जैसे जैसे व्यापरिक रिश्ते देशों के बीच स्थापित हुए, उसके साथ ही करेंसी भी बदलता रहा। युरोपियन देशों ने जब पूर्व में व्यापार करना शुरू किया तो वहां भी कौड़ी का इस्तेमाल होने लगा था। इस तरह से मुद्रा एक जगह से दूसरी जगह पहुँचती रही।
सिक्कों के रूप में करेंसी / मुद्रा | Coin Currency
पत्थरों को चिन्हित करके भी उनका इस्तेमाल करेंसी / मुद्रा के रूप में किया जाता था। करेंसी के रूप में तांबा , चांदी और फिर सोने के सिक्कों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा। हालाँकि ये सारे सिक्के साइज और वेट में अलग अलग होते थे। आजकल जो सिक्के इस्तेमाल होते है वो मिक्स धातु से बने होते हैऔर एक कीमत के सिक्कों का वेट और साइज एक ही होता है।
पेपर मनी | paper Money
आजकल जो पेपर मनी हम इस्तेमाल करते हैं उसका इस्तेमाल सबसे पहले चीन में तैंग शासनकाल में हुआ। ऐसा मर्चेंट / व्यापारियों की सुविधा के लिए किया गया क्योंकि सिक्कों का वेट काफी ज्यादा होता था और रास्ते में लूटमार का भी डर होता था। तांबा , चांदी या फिर सोने के सिक्कों को अपने साथ ले जाना काफी मुश्किल होता था। इन सभी परेशानियों को देखते हुए धीरे धीरे धातु के सिक्कों का कोई विकल्प ढूंढा जाने आगा था
१३वीं सदी तक आते आते पेपर मनी चीन में इस्तेमाल होने लगा था और काफी पॉपुलर हो चुका था।
आधुनिक रूप में पेपर मनी १६६१ में स्वीडन में आया। पेपर मनी को लाना, ले जाना मेटल के सिक्कों के मुक़ाबले काफी आसान था। इसके नुक्सान भी थे क्योंकि उस वक़्त सरकारें अपनी मर्ज़ी से नोट बना लिया करती थी। इसकी वजह से काफी मंहगाई भी होती थी। यहाँ से सन १९०० आते आते काफी स्थिरता आने लगी और पेपर मनी अपने वर्तमान रूप में आ गया था।
डिजिटल करेंसी क्या होती है | Digital Currency :
डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा , जैसे कि क्रिप्टो करेंसी, इंटरनेट के साथ साथ डिजिटल करेंसी का भी प्रचलन बढ़ गया है। ये एक इलेक्ट्रॉनिक करेंसी है जिसका रूपये या पैसे की तरह कोई फिजिकल रूप नहीं होता। अभी डिजिटल करेंसी बहुत से देशों की सरकारों द्वारा मान्य नहीं है। भारत में क्रिप्टो करेंसी को लीगल कर दिया गया है। इंटरनेट पर इसका इस्तेमाल हो रहा है और लोग इसमें काफी इन्वेस्ट भी कर रहे है ।
सबसे पहले क्रिप्टो करेंसी को मान्यता देने वाला देश अल साल्वाडोर है।
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