जुगाड़ शब्द का चलन भारत से शुरू हुआ। भारत के उत्तरी प्रदेशों में इस शब्द का इस्तेमाल बहुत पहले से किया जा रहा है। जुगाड़ का मतलब होता है ऐसे कोई भी काम या ऐसा कोई भी टेम्पररी इंतजाम या इनोवेशन जो प्रोसेस से हटकर आस पास जो चीजें या सुविधाएं उपलब्ध हैं उनसे पूरा कर दिया जाये।
जुगाड़ एक वाहन
जुगाड़ शब्द तब ज्याद प्रचलित हुआ जब उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, हरियाणा , पंजाब और बिहार में एक जुगाड़ लगा कर बने हुआ वाहन सड़क पर दौड़ता दिखाई देने लगा। या कहें की जुगाड़ का आविष्कार होने का बाद जब ये सवारी वाहन या सामान लाने ले जाने के लिए उपयोग किया जाने लगा। ऑटोमोबाइल स्क्रैप से बना ये वाहन ख़ास कर गांवो में काफी इस्तेमाल होने लगा। धीरे धीरे कुछ ही सालों में ये कस्बों और शहरों में भी सड़कों पर दौड़ता दिखाई देने लगा। इसका एक सबसे बड़ा कारण था इसका सस्ते में बन जाना।
अब जुगाड़ का अविष्कारक कौन है ये तो कोई नहीं कह सकता , हाँ , लेकिन ये जरूर है की जैसे जैसे लोगों के जरूरत पड़ती, वैसे वैसे इसे मॉडिफाई कर लिया गया और रोज इसमें थोड़ा थोड़ा सुधार होता चला गया। इसे उन लोगों ने बहुत इस्तेमाल किया जो पैसेंजर व्हीकल को अपना बिज़नेस बना तो चाहते थे लेकिन मंहगा होने की वजह से खरीद नहीं पा रहे थे। ऐसे लोगों ने इसे बहुत पसंद किया और ग्रामीण इलाकों में इसका इस्तेमाल भी किया। इसका ज्यादातर इस्तेमाल मुख्य सड़क से गांव तक सवारी लाने ले जाने के लिए किया जाने लगा या फिर ऐसे इलाकों में जहाँ बस की सवारी की ज्यादा उपलब्धता नहीं थी। ऐसे में ये एक काम की सवारी बन कर उभरा।
ज्यादातर तो इसका इस्तेमाल पेसेंजर व्हीकल के रूप में और माल ढोनेके लिए हुआ। जुगाड़ की छोटे व्यवसाइयों में इतनी लोकप्रियता का एक कारण ये भी था की इसके लिए वो आर टी ओ से कमर्शियल व्हीकल का अप्रूवल नहीं लेते थे जिस से ये काफी सस्ता पड़ता था। ग्रामीण इलाकों में तो आज भी जुगाड़ काफी इस्तेमाल हो रहा है। इसकी कीमत लगभग १५०,००० से शुरू होती है और इसे खरीदना आर्थिक रूप से आसान होता है।
इंजन और माइलेज
जुगाड़ में ३०० सीसी से १००० सीसी तक के इंजन का इस्तेमाल होता है। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला इंजन डीजल से चलता है। माइलेज के बारे में बात करें तो इससे २० किलोमीटर / लीटर का माइलेज मिल जाता है। लोगों के लिए ये किफायती भी पड़ता है। इसको बनाने के लिए सारे पार्ट्स आसानी से मिल जाते हैं। अभी इसे बनाने के लिए लोग इसमें नया इंजन लगाने लगे हैं। शुरुआत में जब जुगाड़ आया था , तब इसमें खेतों में पानी लगाने वाले मोटर इंजन का इस्तेमाल किया जाता था।
छकड़ा : ३ पहियों वाला
जुगाड़ की ही तरह गुजरात के ग्रामीण इलाकों में छकड़ा का इस्तेमाल होता है। जहाँ जुगाड़ में ४ व्हील होते हैं वही छकड़ा ३ व्हीलर होता है। छकड़े के आगे का हिस्सा किसी हैवी ड्यूटी मोटरसाइकिल जैसा होता है और पीछे इसमें पैसेंजर बिठाने के लिए प्लेटफार्म या फिर सामान ढोने के लिए एक ट्राली लगा दी जाती है। छकड़े में भी डीजल इंजन ही इस्तेमाल होता है। अगर आप गुजरात में छकड़ा देखोगे तो आपको सबसे पहले उत्तर भारत के जुगाड़ की ही याद आएगी। छकड़ा भी एक ३ व्हीलर जुगाड़ ही है। हालाँकि छकड़ा में ड्राइव करने वाला काफी ऊँचाई पर बैठा होता है तो ऐसे लगता है की इसमें बैलेंस बहुत अच्छा नहीं होगा । गुजरात में छकड़ा एक आम बात है।
मोटरसाइकिल या स्कूटर से बना
३ व्हीलर जुगाड़ : अगर घर में पड़ी कोई पुरानी मोटर साइकिल या स्कूटर को खेती के काम में इस्तेमाल करना चाहते है तो ये जुगाड़ किया जाता है। मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी ये आप को देखने को मिल जायेगा या फिर शायद आपने देखा भी हो। स्कूटर या मोटर साइकिल को बीच से काट कर और उसके इंजन को सही से नीचे की तरफ बिठा कर ये ३ व्हीलर जुगाड़ बनाया जाता है। आम तौर पर इसका इस्तेमाल थोड़ा बहुत सामान ढोने के लिए या फिर कभी पैसेंजर बिठाने के लिए भी करा जाता है। ग्रामीण इलाकों में इसका इस्तेमाल ज्यादातर खेती सम्बंधित काम में होता है। व्हीकल के पिछले हिस्से में ट्राली या कल्टीवेटर लगाकर इसका इस्तेमाल खेती में किया जाता है। ये ३ व्हीलर जुगाड़ भी काफी ग्रामीण इलाकों में काफी पॉपुलर है।
रूल्स और रेगुलेशंस
यहाँ ये बताना जरूरी है की भले ही लोगों ने इसके सस्ता होने की वजह से पसदं किया हो और गांवो में लोग भी आज भी इसे इस्तेमाल कर रहे हों , लेकिन सड़क परिवहन मंत्रालय की तरफ से इस पर बैन है। इस बैन के कई कारण हैं। सबसे पहले तो इन्हे असुरक्षित माना गया है। इन वाहनों की कोई प्रॉपर टेस्टिंग नहीं होती है और ज्यादातर ऑटो स्क्रैप से इन्हे अनऑथोरीज़ेड रूप से बना लिया जाता है , इनमे ब्रेक फेल होने का डर बाकि वाहनों से ज्यादा होता है। जिन इलाकों में इन वाहनों का इस्तेमाल होता है वह इनसे काफी प्रदुषण भी पैदा होता है।
तो देखने सुनने में जुगाड़ काफी useful और सस्ता alternate लगता है लेकिन है तो “जुगाड़”। इसमें कोई सेफ्टी फीचर नहीं है और सड़क पर दौड़ता जुगाड़ उसमे बैठे लोगों के लिए और सड़क पर बाकि लोगों के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है। ये कई बार एक्सीडेंट का कारण बने है और इसी सब को देखते हुए सरकार ने इन पर प्रतिबन्ध लगाया ह। ये प्रतिबन्ध शहरो मैं तो सफल है लेकिन ग्रामीण इलाकों में जुगाड़ अभी भी इस्तेमाल हो रहे हैं और इसकी एक बड़ी वजह है इसका सस्ता होना और परिवहन की सुविधाओं का पर्याप्त न होना।
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