Junagadh Kila in Hindi : ऊपरकोट किला या जूनागढ़ किला गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित है। लगभग 2,300 साल लगभग पुराना जूनागढ़ किला भारत के सबसे पुराने किलों में आता है। जूना का मतलब होता है पुराना और गढ़ का मतलब होता है किला, हजारों साल पुराना किला होने के कारण ही इस किले को जूनागढ़ का किला कहा जाता है । जूनागढ़ किला सौराष्ट्र की सबसे पुरानी जगह मानी जाती है। जूनागढ़ शहर भी इसी किले में बसा हुआ है ।
जूनागढ़ किला या उपरकोट किला अभी के जूनागढ़ शहर से लगभग 150 फीट की ऊंचाई पर स्थित है इसी वजह से इसे ऊपरकोट किला कहा जाता है। जूनागढ़ किला भारत के महान प्राचीन इतिहास की एक विशाल संरचना रही है। यह प्राचीन किला एक शानदार गौरवशाली इतिहास की कहानी बताता है । हालाँकि जूनागढ़ किला हजारों साल पुराना है लेकिन अभी भी यह किला एक शक्तिशाली विरासत के वाहक के रूप में अडिग खड़ा है।
Junagarh Fort | Uparkoat Fort Gujarat
जूनागढ़ किला – निर्माण | Construction – Junagarh Kila in Hindi
इतिहासकारों का मानना है कि जूनागढ़ किले का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के समय में हुआ था। इस किले का इतिहास लगभग 2300 साल पुराना है। जूनागढ़ किले का निर्माण 319 ईसा पूर्व में कराया गया था। मौर्य शासन काल के समय गिरनार पहाड़ी की तलहटी में जूनागढ़ किले का निर्माण किया गया था। मौर्य काल के बाद गुप्त काल में भी इस किले को एक प्रमुख किले के रूप में इस्तेमाल किया गया था। गिरनार पर्वत का जिक्र हमारे वेद और पुराणों में भी मिलता है। जूनागढ़ किले में अनेकों बौद्ध, हिंदू और इस्लामिक स्मारक स्थित हैं।
भगवान श्री कृष्ण – जूनागढ़ किला | Lord Krishna – Junagadh Kila in Hindi
कुछ लोगों का मानना है कि जूनागढ़ किले का सम्बन्ध भगवन कृष्ण से भी रहा है। इस बारे में अनेकों किम्वदंतियां हैं । एक प्रचलित कहानी के अनुसार यह माना जाता है कि यह विशाल किला भगवान श्री कृष्ण के नाना ने बनवाया था जो कि कृष्ण के मामा कंस के पिता थे। उस समय इसे रेवत नगर के नाम से जाना जाता था।
इतिहास – जूनागढ़ किला | History – Junagarh Kila in Hindi
2300 साल पुराना जूनागढ़ किला इस दौरान अनेकों राजवंशों के अधिकार में रहा है। जूनागढ़ किला गिरनार पर्वत और सोमरेख नदी के किनारे पर बसा हुआ है।
चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर सम्राट अशोक , रा नवघण आदि राजाओं का अधिकार रहा है। रा नवघण और रा खिनगार राजाओं के समय किले की विशालता और उसकी भव्यता देखने लायक होती थी। बाद में शक और गुप्त वंश के राजाओं के अधिकार में भी यह किला रहा है। मैत्रक वंश के शासन के दौरान राजधानी को जूनागढ़ से बदलकर वल्लभी स्थानांतरित कर दिया गया था और तभी से इस किले का राजनीतिक और सामरिक महत्व कम होता गया।
सातवीं शताब्दी में जूनागढ़ शहर और किला दोनों ही लगभग महत्वहीन हो चुका था लेकिन चूड़ासम राजवंश के शासन के दौरान इस किले को अपना खोया हुआ महत्त्व वापिस मिला। चूड़ासम वंश ने लम्बे समय तक यहाँ पर राज किया और इतिहासकारों का मानना है कि यह शासन काल लगभग 700 साल का रहा । इनमें से रा नवघण तथा रा खिनगार बहुत प्रभावशाली और शक्तिशाली राजा रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि दसवीं शताब्दी में जूनागढ़ को फिर से जीवंत किया गया। एक प्रचलित कहानी के अनुसार एक लकड़हारा जंगल में अपना रास्ता खोज रहा था और उसी दौरान वह एक पत्थर की दीवार और उसके द्वार तक पहुंच गया था। लकड़हारे के पूछने पर वहां बैठे एक संत ने उस जगह का नाम जूना बताया । उस लकड़हारे ने इस प्राचीन जगह के बारे में उस समय के चूड़ासम वंश के राजा गृहरिपु को सूचित किया था। इस सूचना के बाद जंगलों को काट कर इस किले का पुनः निर्माण किया गया था । 15 वीं शताब्दी तक चूड़ा सम राजाओं ने इस क्षेत्र पर अपना शासन कार्य किया।
जूनागढ़ किले पर अधिकार करने वालो में चूड़ासम वंश के अंतिम शासक जोकि मंडल तृतीय थे, उन्हें गुजरात सल्तनत के महमूद बेगड़ा ने युद्ध में हरा दिया और इस क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया था। उस समय महमूद बेगड़ा ने जूनागढ़ का नाम बदलकर मुस्तफाबाद भी रख दिया था लेकिन बाद में इस जगह का नाम फिर से जूनागढ़ पड़ गया। जूनागढ़ किले पर शासन करने वाले मुस्लिम शासकों में बेगड़ा, तुगलक, मुगल और बॉवी साम्राज्य प्रमुख थे। जूनागढ़ रियासत पर सन 1818 तक ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना अधिकार कर लिया थाऔर बाद में इसे बॉवी शासकों को सौंप दिया था।
जूनागढ़ का भारत में विलय | Junagarh Kila in Hindi
बॉवी शासक महावत खान ने देश के आजाद होने तक इस पर राज किया था। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान महावत खान ने जूनागढ़ को पाकिस्तानमें विलय करने की कोशिश की लेकिन जूनागढ़ की जनता ने भारत में विलय होना स्वीकार किया। आजादी के एक साल बाद सन 1948 में जूनागढ़ रियासत का विलय भारत में हुआ और उसके बाद महावत खान खुद पाकिस्तान चले गए।
जूनागढ़ किला – आर्किटेक्चर | Architecture – Junagarh Kila in Hindi
जूनागढ़ किले के तीन प्रवेश द्वार हैं। इन प्रवेश द्वार में मेहराबों के साथ पत्थर की कलाकृतियां देखी जा सकती हैं जो की वास्तुकला के अनुसार हिंदू तोरण शैली का बेजोड़ उदाहरण हैं । जूनागढ़ किले की दीवार लगभग 35 फुट ऊंची बनाई गई थी। किले की रक्षा करने के लिए दीवारों के साथ ही लगभग 300 फुट गहरी खाई बनाई गई थी और ऐसा माना जाता है कि इस खाई में हमेशा पानी भरा रहता था और बड़े-बड़े मगरमच्छों को उसमें छोड़ दिया जाता था ताकि दुश्मनों से किले की रक्षा की जा सके।
जूनागढ़ किले में दो बावडी भी प्रमुख जिन्हें आड़ी कड़ी के नाम से जाना जाता है और यहां पर नवघन कुएं स्थित हैं। इन कुओं और बाव की टेढ़ी मेड़ी सीढ़ियों को देखकर ही इनके बारे में और जानने की दिलचस्पी होती है। दीवारों के साथ चट्टान की परतें हैं।
आड़ी कड़ी बावड़ी | Adi – Kadi Bav – Junagarh Kila in Hindi
आड़ी कड़ी बावड़ी के बारे में एक कहानी प्रचलित है। माना जाता है कि इन बाव का निर्माण १५वें सदी में किया गया है। इस बाव के निर्माण के दौरान जब यहाँ काफी खुदाई करने के बाद भी पानी नहीं निकला तो यहाँ पर मानव बलि दी गयी थी। जिनकी बलि दी गयी थी वे दो छोटी लड़कियां थीं जिनके नाम आड़ी और कड़ी थे। उन दिनों बलि एक स्वीकृत कृत्य था। उन्हीं दोनों बहनों के नाम पर इस बाव का नाम आड़ी कड़ी बाव हुआ।
एक और प्रचलित कहानी के अनुसार १५वें सदी में दो दासियाँ जिनके नाम आड़ी कड़ी थे , वे यहाँ से पानी भरा करती थीं। इन्हीं दोनों के नाम पर इसका नाम रखा गया। यह बावड़ी देश के सबसे पुरानी बावड़ी और कुआं में गिने जाते हैं।
नीलम तथा मानिक तोपें
किले में दो बड़ी-बड़ी तोपें रखी गई हैं जिनके नाम नीलम और मानिक हैं। इन तोपों को ईरान से मंगाया गया था । इन्हीं तोपों की मदद से महमूद बेगड़ा ने 2 किलो पर फतह की थी जो कि पावागढ़ और जूनागढ़ थे। यह तोपें बड़ी और छोटी तोपों के नाम से जानी जाती है। माना जाता है कि नीलम तोप 5 किलोमीटर दूर तक गोला फेंक सकती थी और छोटी मानिक तोप 2 किलोमीटर की दूरी तक आसानी से गोला फेंक सकती थी।
जामा मस्जिद
किले में स्थित रानी का महल मुगलों के अधिकार के बाद जामा मस्जिद में बदल दिया गया था। महमूद बेगड़ा ने इसे मस्जिद में बदल दिया था । जूनागढ़ किले में स्थित मकबरा अपनी लिए खासा प्रसिद्द है ।
किले में बौद्ध गुफाएं, खपरा कोडिया गुफाएं शामिल है। ऐसा माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण तीसरी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व सम्राट अशोक द्वारा कराया गया था। इन गुफाओं को ऊपरकोट गुफाओं के नाम से जाना जाता है। खपरा कोडिया गुफा और बाबा प्यारे गुफा ऊपरकोट के किले के बाहर स्थित है। .
राणक देवी | About Ranak Devi – Junagarh Kila in Hindi
ऐसा कहा जाता है कि चुडासम राजवंश के राजा रा खंगार की पत्नी रानी राणक देवी बहुत ही खूबसूरत थी और इसीलिए उनको पाने की अभिलाषा में गुजरात पाटन के राजा सिद्धराज जयसिंह ने किले के अंदर जाने के लिए 12 साल तक प्रयास किए। 12 साल तक किले की घेराबंदी करने के बाद भी असफल रहने के बाद उसने राजा रा खंगार के दो भांजों को लालच दिया और उन्होंने लालच में आकर किले के दरवाजे खोल दिए । किले के दरवाजे खुलते ही सिद्धराज जयसिंह सेना के साथ किले में घुस गया और उसने रा खंगार की हत्या कर दी। रा खंगार के मरने के बाद रानी राणक देवी सती हो गई थी।
घूमने का सही समय | Best time to visit Junagarh Kila
जूनागढ़ का किला देखने आने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा है। यहां जनवरी से लेकर अप्रैल तक और अक्टूबर से लेकर दिसंबर के महीने में बड़े आराम से घूमा जा सकता है। किला खुलने का समय सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक रहता है।
टिकट – जूनागढ़ का किला | Ticket – Junagarh Kila
किले को देखने के लिए मात्र 2 रूपए प्रति व्यक्ति शुल्क निर्धारित किया गया है।
जूनागढ़ किला कैसे पहुंचा जाए? | How to reach Junagarh Kila
यह किला जूनागढ़ के मुल्लावाड़ा क्षेत्र में स्थित है किले तक पहुंचने के लिए बस स्टैंड तथा रेलवे स्टेशन से टैक्सी व्यवस्था उपलब्ध है।
जूनागढ़ फ्लाइट से पहुंचने के लिए राजकोट स्थित एयरपोर्ट यहाँ सबसे नजदीक का एयरपोर्ट है। राजकोट से जूनागढ़ की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से जूनागढ़ तक रेंट कार, टैक्सी या स्टेट ट्रांसपोर्ट बस द्वारा आया जा सकता है।
अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो देश के किसी भी हिस्से से डायरेक्ट या कनेक्टेड ट्रेन के जरिये जूनागढ़ स्टेशन पहुंच सकते हैं। जूनागढ़ स्टेशन से किले की दूरी केवल 2 किलोमीटर है।
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