Champaner Kila in Hindi : चंपानेर किला या पावागढ़ किला या किला गुजरात के पावागढ़ में स्थित है। पावागढ़, यहां की पहाड़ियों पर खींची चौहान राजाओं के शासन काल के समय का एक प्रसिद्ध स्थान माना गया है। यह किला मौलीया पठार नाम की एक पहाड़ पर स्थित है।
चंपानेर, गुजरात में बड़ोदरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चम्पानेर गुजरात की मध्यकालीन राजधानी रह चुका है जिसका नाम चंपानगर या चंपानेर था लेकिन वर्तमान समय में यहां पावागढ़ नाम का शहर बसा हुआ है। पावागढ़ को हिंदू और जैन धर्मों के लिए एक विशिष्ट तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है।
चंपानेर का किला – इतिहास | History – Champaner Kila in Hindi
चावड़ा वंश | Chavda Dynasty – Champaner Kila in Hindi
चंपानेर का किला चावड़ा वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। पावागढ़ पर्वत के नीचे चंपानेर या पावा उनकी राजधानी थी। चंपानेर की स्थापना अन्हिलवाड पाटन के राजा वनराज चावड़ा के द्वारा की गयी थी । उस समय उन्होंने अपने राज्य की राजधानी पाटन से चंपानेर स्थानांतरित कर दी थी।
चंपानेर के बारे में प्रचलित है कि पाटन के राजा वनराज चावड़ा ने चंपानेर की स्थापना अपने एक सेनापति जिनका नाम चांपा था, के याद में की थी। लगभग 1000 साल पहले वनराज चावड़ा ने चंपानेर को बसाया था। चावड़ा वंश ने लगभग 500 सालों तक यहां पर शासन किया था लेकिन उस समय के कराए गए किसी भी निर्माण कार्य का अब यहां पर कोई भी प्रमाण देखने को नहीं मिलता है। इतिहासकारों का मानना है कि चावड़ा शासकों पर खीची चौहान शासकों ने आक्रमण किया और इस स्थान को अपने कब्जे में ले लिया।
खींची चौहान वंश | Chauhan Dynasty – Champaner Kila in Hindi
चावड़ा राजाओं के शासन काल के बाद यहां पर खींची चौहान वंश का राज रहा जो कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के वंशज माने जाते हैं। चौहान शासकों ने यहाँ पर लगभग 200 साल तक शासन किया था। उस समय चंपानेर के किले में अनेक इमारतें, किले ,तालाब, कुण्ड आदि का निर्माण कार्य जोर-शोर के साथ कराया गया था। चौहान राजवंश के समय चम्पानेर की ख्याति दूर-दूर थी। चौहान उस समय के अत्यंत शक्तिशाली शासक माने जाते हैं।
खींची चौहानों की युद्ध कला | War – Champaner Kila in Hindi
चौहान वंश के शासन कल के दौरान चंपानेर के एक तरफ मांडू था और दूसरी तरफ अहमदाबाद था। उस समय यह स्थान दो मुस्लिम शासकों के राज्यों के बीच स्थित था। उस समय अहमदाबाद पर महमूद बेगड़ा का अधिकार था। अहमदाबाद और मांडू के बीच स्थित होने महमूद बेगड़ा चंपानेर को अपने अधिकार में लेना चाहता था और इसके लिए उसने चंपानेर की घेराबंदी कर दी थी। इस युद्ध में महमूद बेगड़ा हार गया था।
चंपानेर का किला सुरक्षा की दृष्टि से बहुत सुरक्षित और मजबूत किला माना जाता था। उस समय चंपानेर के सेना ने पत्थरों की बड़ी-बड़ी गुलेल बनाकर और उनमे आग लगा कर दुश्मनों पर फेंक कर हमला किया था। कहा जाता है कि 20 महीने के इंतजार के बाद महमूद बेगड़ा ने ईरान से तोपें और गोला बारूद मंगाया था। इन हथियारों के सामने चंपानेर के सेना बहुत देर तक नहीं टिक पायी और युद्ध में उनकी हार हुई।
महमूद बेगड़ा का अधिकार | Mahmood Begda – Champaner Kila in Hindi
इस प्रकार चम्पानेर पर महमूद बेगड़ा का अधिकार हो गया। युद्ध में जीत जाने के बाद महमूद बेगड़ा ने इस पूरे किले को विध्वंस कर डाला । बाद में उसने पावागढ़ पहाड़ के नीचे एक नया शहर बनवाया जो कि मोहम्मदाबाद के नाम से जाना गया।
हुमायूं का शासन | Humayun – Champaner Kila in Hindi
महमूद बेगड़ा का तीसरा वंशज बहादुर शाह था। बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था । उस समय चित्तौड़ की महारानी रानी कर्मावती थी। रानी कर्मावती ने राजपूत राजाओं को राखी भेज कर अपने राज्य के लिए युद्ध करने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन किसी ने भी यह स्वीकार नहीं किया। घुमते घुमते यह राखी हुमायूं के पास पहुंची और उसके लिए यह एक मौका था। बहादुर शाह और हुमायूँ एक दूसरे के दुश्मन थे और इस राखी के जरिये हुमायूँ को बहादुर शाह से लड़ने का मौका मिल गया। उस समय यह युद्ध मध्य प्रदेश के मसोर क्षेत्र में हुआ था। युद्ध में बहादुर शाह की हार हुई थी। चंपानेर पर हुमायूं ने विजय प्राप्त की और उसने चंपानेर की सभी इमारतों को पूरी तरह से ध्वस्त करा दिया।
कहा जाता है कि उस समय वहां के तालाबों में भी जहर मिला दिया था जिससे कि कोई भी इसका इस्तेमाल ना कर सके। हुमायूँ ने वहां केवल कुछ मस्जिदें छोड़ कर बाकि सभी कुछ ध्वस्त कर डाला था। चंपानेर पर लगभग 150 वर्षों तक मुग़लों का अधिकार रहा।
चंपानेर , गुजरात के पांच महल जिले में एक प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षण है।
चंपानेर किला – आर्किटेक्चर | Architecture – Champaner Kila in Hindi
चंपानेर किला लगभग 12 मील के घेरे में बना हुआ है। किले का निर्माण कार्य बलुआ पत्थर द्वारा कराया गया था जिसमें अनेकों खूबसूरत बालकनी भी इसमें शामिल है। यहाँ पावागढ़ पहाड़ी पर महाबली माता काली का मंदिर भी है। इस किले में अनेकों मस्जिदें भी है। पावागढ़ पहाड़ी पर बना माता काली का मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है ऐसा माना जाता है कि महर्षि विश्वामित्र ने इसकी स्थापना की थी जिससे इन ऋषि के नाम से इस पहाड़ी से निकलने वाली नदी को विश्वमित्री नदी कहा गया।
चंपानेर किले तक पहुंचने के लिए 7 दरवाजों को पार कर जाया जाता है। पांचवें द्वार से ही जैन मंदिर शुरू हो जाते हैं तथा छठे द्वार पर यहां एक दुधिया तालाब है। इस दूधिया तलाब के बाद से यहां हिंदू मंदिरों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
पावागढ़ महाकाली का मंदिर | Pavagadh Kalika Mandir – Champaner Kila in Hindi
यहां पर पूरे साल बड़ी मात्रा में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। महाकाली के मंदिर तक जाने के लिए लगभग 250 सीढ़ियां चढ़नी होती है। महाकाली माता मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है। पावागढ़ कलिका माता प्रसिद्द मंदिर के बारे में पूरी जानकारी आप यहाँ क्लिक कर के देख सकते हैं
पावागढ़ मंदिर के बारे में जानें | Pavagadh Mandir in Hindi !
नवरात्र में गरबा | Garba Dance – Champaner Kila in Hindi
कालिका माता मंदिर के प्रांगण में नवरात्रों के मौके पर गरबा नृत्य का आयोजजन होता है। इस बारे में एक कहानी बहुत प्रचलित है। लोगों का मानना है कि नवरात्रो में गरबा के समय एक स्त्री यहाँ नृत्य किया करती थीं । खिची चौहान वंश के अंतिम (9 वे राजा ) राजा रावल पताई जयसिंह ने उस महिला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। राजा के न मानने पर वह क्रोधित हो गयी और उस स्त्री ने श्राप दिया कि जल्द ही तेरे राज्य का नाश हो जाएगा और ऐसा जल्दी ही हो भी गया था। लोगों का मानना है कि वह एक साधारण स्त्री न हो कर स्वयं कालिका माता थीं।
विश्व विरासत स्थल | World Heritage Site – Champaner Kila in Hindi
पावागढ़ को 2004 में विश्व विरासत स्थल की सूची में भी शामिल किया गया था। पावागढ़ पुरातत्व उद्यान के अंदर 11 अलग-अलग इमारतें बनी हुई है जिनमें अनेकों मस्जिद, मंदिर, आंगन, दीवार, बरामदे तथा खाद्यान्न के भंडार है।
चंपानेर के प्राचीन स्थलों में यहां की एक मीनार की मस्जिद, कबूतर खाना, कमानी मस्जिद, जामी मस्जिद, केवड़ा मस्जिद, लीला गुंबाई की मस्जिद और पावा घाटी प्रमुख हैं । इस स्थान को चंपानेर घाटी के नाम से भी जाना जाता है।
केवड़ा मस्जिद चंपानेर की मस्जिदों में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस मस्जिद को अपने विशेष आर्किटेक्चर के लिए जाना जाता है। इसके अलावा जामी मस्जिद भी चंपानेर की प्राचीन मस्जिदों में महत्वपूर्ण है। इस मस्जिद के खंभों पर बड़ी ही नक्काशदार कलाकृति की गयी है जो इसे यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स के लिए विशेष आकर्षण बनाती है।
चंपानेर की प्राचीन मस्जिदों में एक मीनार मस्जिद को भी गुजरात की सबसे प्राचीन मस्जिद में से एक माना जाता है। इस मस्जिद के अंदर एक ही मीनार का निर्माण कराया गया था जिसके कारण इसे एक मीनार मस्जिद कहा जाता है।
नागर शैली | Mandir Architecture Style
यहां के सभी मंदिरों का निर्माण कार्य नागर शैली में कराया गया था जिनके अंदर प्रवेश द्वार, मंडप तथा गर्भ ग्रह भी शामिल है। अनेकों हिन्दू और मुस्लिम शासकों के अधिकार में रहा चंपानेर का किला हिन्दू मुस्लिम वास्तुकला का उदहारण है।
चंपानेर घूमने का सही समय | Best time to visit Champaner
चंपानेर प्राचीन नगर की यात्रा करने के लिए सर्दियों का समय सबसे अच्छा माना जाता है । गर्मी के समय में यहां पर तापमान अधिक होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसीलिए सर्दी के मौसम में यहाँ आना ज्यादा अच्छा है।
चंपानेर कैसे पहुंचे | How to reach Champaner
चंपानेर का निकटतम रेलवे स्टेशन चंपानेर स्टेशन है जो कि भारत के बड़े-बड़े शहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां से गोधरा और बड़ोदरा रेलवे जंक्शन की दूरी लगभग 37 किलोमीटर है।
चंपानेर का सबसे नजदीक का एयरपोर्ट वडोदरा एयरपोर्ट है। वडोदरा से चंपानेर तक के दूरी 42 किलोमीटर है जो रेंट कार , टैक्सी , स्टेट ट्रांसपोर्ट बस , प्राइवेट बस या ट्रेन से तय की जा सकती है।
अगर आप सड़क के रास्ते यहां पहुंचना चाहते हैं तो चंपानेर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। यहाँ खुद ड्राइव कर के या फिर स्टेट ट्रांसपोर्ट या प्राइवेट टूरिस्ट ऑपरेटर के बस के जरिये यहाँ पहुंच सकते हैं।
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