नयी उमंग - हिंदी, टूरिस्ट

असीरगढ़ किला बुरहानपुर | Asirgarh Kila in Hindi

Asirgarh Kila Hindi

Asirgarh Kila Hindi

Asirgarh Kila in Hindi – असीरगढ़ किला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है जो अपने वैभवशाली अतीत का गुणगान करता हुआ आज भी खड़ा हुआ है। असीरगढ़ किला सतपुड़ा के पहाड़ियों में समुद्र तल से लगभग 250 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है। 

असीरगढ़ किला – भौगोलिक महत्त्व 

असीरगढ़ का किला नर्मदा और ताप्ती नदी के संगम पर स्थित है। इस किले को कलोद ए दक्खन अर्थात दक्षिण की कुंजी के नाम से भी जाना जाता है। इस किले की भौगालिक महत्ता इसी बात से पता चल जाता है कि असीरगढ़ किले के बारे में कहा जाता था कि इस किले पर अधिकार होने के बाद दक्षिण भारत के विजय के सभी मार्ग खुल जाते  और संपूर्ण खानदेश पर अधिकार हो जाता था। 

Asirgarh Fort, Burhanpur

असीरगढ़ किला – इतिहास | History – Asirgarh Kila in Hindi

असीरगढ़ किले का इतिहास काफी अस्पष्ट है लेकिन यह माना जाता है कि यह किला अश्वथामा के पूजा स्थली है।   यहाँ रहने वाले लोगों का ऐसा मानना है कि यहाँ अजर अमर अश्वथामा आज भी पूजा करने के लिए आते हैं।  

इतिहासकारों के अनुसार यह पहले चौहान वंश राज्य का हिस्सा था। माना जाता है कि 4 वी  सदी में असा अहीर नाम के एक शासक ने इस किले का निर्माण कराया था। असीरगढ़ किले के बनाये जाने के पीछे के कहानी भी बड़ी रोचक है। इस कहानी के अनुसार असा अहीर के पास हजारों की संख्या में पशु थे जिनको जंगल में कभी जंगली जानवर मर दिया करते थे तो कभी जानवर शिकारियों के शिकार बन जाया करते थे। इस कारण से असा अहीर ने अपने पशुओं  की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित स्थान की खोज प्रारंभ की थी।  यहाँ आकर जब असा अहीर ने एक सूफी संत से अपने जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए इस स्थान पर रहने की अनुमति मांगी तो उस सूफी संत ने असा अहीर को यह अनुमति प्रदान की। उसके बाद असा अहीर ने वहां पर ईट , मिट्टी ,चूना पत्थरों की सहायता से इस किले का निर्माण कराया और तभी से यह किला असीरगढ़  किले के नाम से प्रसिद्ध हो गया। असा अहीर को मिलने वाले फ़क़ीर को हजरत शाह नोमान नाम से जाना जाता है ।

Asirgarh Kila in Hindi
Asirgarh Kila in Hindi

धीरे-धीरे किले की प्रसिद्धि इतनी हो गई कि फिरोजशाह तुगलक के सिपाही मलिक खां फारूकी के बेटे नसीर खां फारूकी ने असा अहीर से इस किले को देने का निवेदन किया। नासिर खां ने असा अहीर को यकीन दिलाया कि उसके  भाई उसकी जान के दुश्मन बने हुए हैं और वह एक सुरक्षित स्थान पर रहना चाहता है। असा अहीर ने इस बात पर विश्वास कर नासिर खां को किले में रहने की अनुमति दे दी। तब नसीर खां ने अपने परिवार की महिलाओं और बच्चों को कुछ सैनिकों के साथ हथियार सहित असीरगढ़ किले के अंदर प्रवेश कराया। कहा जाता है कि ननसीर खां ने अपने सैनिकों के साथ मिल कर असा अहीर और उनके परिवार के हत्या कर किले पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया और इस तरह से नसीर खां ने धोखे से असीरगढ़ के किले पर अपना अधिकार बना लिया।

कुछ समय बाद असीरगढ़ किले की प्रसिद्धि बहुत बढ़ जाने पर अकबर ने उस पर अपना अधिकार बनाने की योजना बनाई। उस समय नसीर खां का वंशज बहादुर खां यहां पर राज करता था। उसने अकबर की शर्तों को मानने से इनकार किया और खुद को स्वतंत्रत घोषित कर दिया। इस बात से नाराज़ अकबर ने बुरहानपुर पर आक्रमण करने की योजना बनाई लेकिन  किले की सुरक्षा व्यवस्था इतनी दुरुस्त  थी कि वह असीरगढ़ के किले पर आक्रमण नहीं कर सका । बहादुर खां ने किले  के अंदर बहुत से राशन पानी के साथ सारी सुविधाएं वहां पर उपलब्ध करा दी और किले के दोनों दरवाजो को भी बंद करा दिया। 

अकबर को 6 महीने तक इंतजार करना पड़ा और वह असीरगढ़ के किले पर अधिकार  नहीं कर सका।  तब बहादुर खान से संधि करने के लिए संदेश भिजवाया जिसको बहादुर खां ने मान लिया और अकबर से मिलने के लिए आया।  अकबर ने बहादुर खां  फारुकी को घायल कर उसे बंदी बना लिया और असीरगढ़ किले पर अपना अधिकार घोषित कर दिया।  

इसके बाद बुरहानपुर पर मुगलों का शासन हो गया। अकबर के बाद सन 1760 से 1819 ईसवी तक मराठों का शासन असीरगढ़ किले पर रहा और उसके बाद ब्रिटिश राज में यहां पर अंग्रेजों ने शासन किया।  

 असीरगढ़ किले – आर्किटेक्चर | Architecture – Asirgarh Kila in Hindi

असीरगढ़ का किला कई भागों में बंटा हुआ है। किले का पहला भाग असीरगढ़, दूसरा भाग कमर गढ़ और तीसरे भाग को मलयगढ़ कहा जाता है। इस किले में पहुंचने के दो रास्ते हैं, एक रास्ता जो कि पूर्व दिशा में है वह एक सीढ़ीदार रास्ता है और दूसरा रास्ता जो उत्तर दिशा में है वह एक मुश्किल रास्ता है। युद्ध के समय या  शत्रुओं के आक्रमण के समय इसके गेट को बंद कर दिया जाता था और किले की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने के कारण इस किले को जीत पाना असंभव था। इसी कारण से इस किले को दुर्भेद्य किला या अजेय किला कहा जाता था,  एक ऐसा किला जिसे कोई भी बिना छल के जीत नहीं पाया।  

किले  की  वास्तुशैली | Architecture

Asirgarh-Kila
Asirgarh Kila in Hindi

60 एकड़ में फैला हुआ असीरगढ़ किला भारतीय, तुर्की, इस्लामी और फारसी स्थापत्य शैली का एक आदर्श मिश्रण प्रस्तुत करता है। देखने पर यह किला बड़े किले की तरह दिखाई देता है जो कि वास्तव में तीन विशाल किलों का एक संग्रह है जिन्हें असीरगढ़, कमरगढ़ तथा मलय गढ़ कहा जाता है। यह किला ईट पत्थर चूना पत्थर से बड़ी खूबसूरती के साथ निर्मित किया गया है।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर | Gupteshwar Mahadev Mandir

असीरगढ़ किले में स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ प्रचलित कुछ कहानियों के अनुसार माना जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था।

Asirgarh Kila in Hindi

मंदिर में गंगा तथा जमुना नाम के दो कुंड भी हैं। कहा जाता है कि यह हमेशा पानी से लबालब भरे रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अश्वत्थामा महादेव मंदिर में पूजा करने से पहले कुंड में स्नान करते हैं। द्रोण पुत्र अश्वत्थामा आज भी महादेव मंदिर में यहां पूजा करने आते है।

आज भी एक रहस्य है  किले में दो मीनारों वाली एक मस्जिद भी है। किले के अंदर कुछ खंडहर भी उपस्थित है। किले में कई गुप्त मार्ग भी है जिनसे होकर घुड़सवार किले की सुरंग से बुरहानपुर तक निकल सकते थे।    

असीरगढ़ किला देखने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Asirgarh Kila

असीरगढ़ किला देखने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च के बीच तक का है । इस समय यहां का मौसम अच्छा रहता है और बाहरी गतिविधियों के लिए यह उपयुक्त माना जाता है।  

असीरगढ़ किला कैसे पहुचें | How to reach Asirgarh Kila

असीरगढ़ किला पहुंचने के लिए सबसे नजदीक का एयरपोर्ट अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्टहै जो इंदौर में स्थित है। इंदौर से यहाँ के दूरी लगभग 159 किलोमीटर है। इंदौर से असीरगढ़ तक के दूरी प्राइवेट ट्रांसपोर्ट या स्टेट ट्रांसपोर्ट से तय की जा सकती है।  

सड़क मार्ग द्वारा बुरहानपुर शहर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से पक्की सड़कों द्वारा जुड़ा हुआ है जिससे बस कार और टैक्सी के द्वारा आसानी से वहां पर पहुंचा जा सकता है।

Beatific Uttarakhand !

Leave a Reply