Bharat Mandir Rishikesh Hindi : भरत मंदिर ऋषिकेश शहर के बीच भगवन हृषिकेश को समर्पित एक मंदिर है। भगवन हृषिकेश जो कि भगवन विष्णु का ही एक स्वरुप हैं। यह मंदिर ऋषिकेश के सबसे पुराने मंदिरों में से से है। इस मंदिर में स्थित विष्णु के स्वरुप के नाम पर ही इस शहर का भी नाम ऋषिकेश पड़ा है।
ऋषिकेश भारत के ऐतिहासिक , धार्मिक और पुराने शहरों में से एक है। ऋषियों की धरती के रूप में भी ऋषिकेश प्रसिद्द है देश और विदेश से लोग अध्यात्म और योग सीखने के लिए आते हैं। ऐसे प्रतिष्ठित शहर में भरत मंदिर ऋषिकेश का मुख्य आकर्षण है। जगद्गुरु शंकराचार्य ने 8 वी सदी में भरत मंदिर में पीठासीन देवता की मूर्ती के स्थापना की थी।
बसंत पंचमी के शुभ दिन ही अदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर में मूर्ती के स्थापना की थी और इसीलिए हर साल बसंत पंचमी के दिन भारत मंदिर में एक बड़े उत्सव का आयोजन किया जाता है और एक विशाल जुलूस भी निकला जाता है।
भरत मंदिर ऋषिकेश या हृषिकेश मंदिर | Bharat Mandir Rishikesh Hindi
इस मंदिर के नाम के बारे में कहा जाता है कि पौराणिक समय में यहाँ पर रिभ्या ऋषि ने तपस्या की थी और अपनी सभी इन्द्रियों को जीत लिया था। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न भगवान् विष्णु ने दर्शन दिए। इन्द्रियों को हृषिक भी कहा जाता है। हिन्दू पुराणों में भगवन विष्णु को इन्द्रियों का ईश्वर कहा गया है। इसीलिए जिस जगह पर रिभ्या ऋषि ने तपस्या की थी और अपनी इन्द्रियों / हृषिक को अपने वश में किया था , उस जगह का नाम हृषिकेश पड़ा। इस मंदिर का प्राचीन नाम हृषिकेश मंदिर है।
इस मंदिर का जिक्र विभिन्न पुराणों में मिलता है। भगवन विष्णु के ही अनेक नामों में भारत भी एक नाम है और इस मंदिर को भरत मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का एक पौराणिक और आधुनिक इतिहास रहा है।
भरत मंदिर का इतिहास | History of Bharat Mandir Rishikesh Hindi
जिस जगह पर भगवन विष्णु ने ऋषि रिभ्या को दर्शन दिए उस जगह पर बने इस मंदिर को हृषिकेश मंदिर कहा गया। यह मंदिर हजारों साल पुराना है और इसका वर्णन हिन्दू पुराणों विष्णु पुराण , श्रीमद्भगवत, वामन पुराण और नरसिंह पुराण और महाभारत में भी मिलता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवन राम के छोटे भाई भरत ने कराया था और इसीलिए इसे भरत मंदिर कहा जाता है।
आदि गुरु शंकराचार्य ने 8 वी सदी में इस मंदिर में वर्तमान मूर्ती स्थापना की थी। 14 वे सदी में आक्रांता तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया और उस समय में हुए आक्रमणों के दौरान इस मंदिर को भी काफी नुकसान पहुंचा। बाद में नाभा के महाराजा यशवंत सिंह मालवेंद्र ने सन 1832 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
भरत मंदिर ऋषिकेश आर्किटेक्चर Bharat Mandir Rishikesh Hindi – Architecture
भरत मंदिर में स्थित हृषिकेश नारायण मूर्ती 5 फ़ीट ऊंचे काले शालिग्राम पत्थर से बनी हुई है। मंदिर की दीवारें 7 से 8 फ़ीट तक चौड़ी हैं।
भरत मंदिर ऋषिकेश उत्सव | Bharat Mandir Rishikesh Hindi – Festival
भरत मंदिर में हर साल बसंत पंचमी के दिन एक बड़े उत्सव का आयोजन होता है। इस उत्सव के दौरान मंदिर में स्थापित शालिग्राम को पवित्र मायाकुंड में स्नान के लिए ले जाया जाता है। स्नान करने के बाद मूर्ती को वापिस मंदिर में ला कर उसकी प्रतीकात्मक पुनर्स्थापना की जाती है। इस उत्सव के दौरान शहर के बीच से श्रद्धालुओं की भीड़ मूर्ती के साथ साथ चलती है।
अक्षय तृतीया का भी एक विशेष महत्व है और उस दिन यहाँ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रार्थना के लिए आते हैं।
भरत मंदिर में पवित्र पेड़ | Sacred Tree – Bharat Mandir Rishikesh Hindi
भरत मंदिर सदियों पुराने उलझे हुए पेड़ों के लिए भी जाना जाता है जिनका हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व है। ये पेड़ हैं वट वृक्ष, पीपल और बेल के पेड़। इन पेड़ों के जड़ें और टहनियां इस तरह से उलझी हुई हैं कि देखने पर ये तीन नहीं बल्कि एक ही पेड़ लगता है। श्रद्धालु इन पेड़ों को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक मानते हैं ।
भरत मंदिर संग्रहालय | Bharat Mandir Rishikesh Hindi – Museum
मंदिर परिसर में ही स्थित भरत मंदिर संग्रहालय / म्यूजियम आर्केओलॉजिकल रिसर्च का आकर्षण है। इस म्यूजियम में खुदाई के दौरान मिली दूसरी सदी की मूर्तियां भी देखि जा सकती हैं। तैमूर के आक्रमण के समय के खंडित मूर्तियां भी यहाँ म्यूजियम में रखी गयी हैं। इस म्यूजियम में खुदाई में मिली ईंटें और मिट्टी के बर्तन भी देखे जा सकते हैं।
मंदिर देखने का सबसे अच्छा समय Best time to Visit – Bharat Mandir Rishikesh Hindi
भरत मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूरे साल खुला रहता है इसलिए आप जब चाहें दर्शन कर सकते हैं। ऋषिकेश के बीच स्थित यह मंदिर एक प्रसिद्द मंदिर है और यहाँ श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। ५ बजे से १२ बजे तक और और शाम को ४ से ९ बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
अगर आप यहाँ होने वाले उत्सव आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं तो बसंत पंचमी के दिन यहाँ दर्शन कर उस उत्सव के साक्षी बन सकते हैं। अक्षय तृतीया पर भी यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर कैसे पहुचें | How to reach – Bharat Mandir Rishikesh Hindi
फ्लाइट से | By Flight
भरत मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास देहरादून का एयरपोर्ट है। देहरादून के ऋषिकेश से दूरी केवल ३५ किलोमीटर है। देहरादून पहुंचने के बाद ऋषिकेश तक सड़क के रास्ते टैक्सी या बस से आ सकते हैं। हृषिकेश नारायण / भरत मंदिर ऋषिकेश शहर के बीच में है जहाँ ऑटो या रिक्शा से आसानी से पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से | By Train
भरत मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो भारत के रेल नेटवर्क से अच्छी तरह से कनेक्टेड है।
सड़क से | By Road
ऋषिकेश तक सड़क के रास्ते बस या फिर अपनी कार से पहुंच सकते हैं।
ऋषिकेश अन्य आकर्षण और एडवेंचर एक्टिविटी
ऋषिकेश उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्द टूरिस्ट जगहों में से एक है। धार्मिक और आध्यात्मिक टूरिज्म के साथ ही ऋषिकेश में एडवेंचर टूरिज्म भी काफी विकसित हुआ है। यहाँ आने वाले टूरिस्ट अक्सर मंदिर दर्शन के साथ यहाँ होने वाले एडवेंचर एक्टिविटी का भी हिस्सा बनते हैं। साल भर टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र रहने वाला ऋषिकेश यहाँ आने वाले टूरिस्ट्स को एक नयी ऊर्जा से भर देता है। ऋषिकेश के आश्रम में देश विदेश से आये टूरिस्ट अध्यात्म लाभ के लिए महीनों यहाँ रुकना पसंद करते हैं।
ऋषिकेश आने पर यहाँ ३ से ४ दिन तो यूँ ही निकल जाते हैं। इस दौरान आप यहाँ के मुख्य आकर्षण देख सकते हैं। ऋषिकेश से कुछ ही दूरी पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भी साल भर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
यहाँ मंदिरों के दर्शन करने के अलावा टूरिस्ट्स ट्रेकिंग , कैंपिंग, रिवर रैफ्टिन और भी कई एडवेंचर एक्टिविटी का मजा ले सकते हैं। ऋषिकेश में होटल्स और रेस्टोरेंट्स में केवल वेज खाना ही सर्व किया जाता है।
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