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चम्पावत – टूरिस्ट प्लेस | Champawat Tourist Places in Hindi

Champawat Tourist Places Hindi

Champawat Tourist Places Hindi

Champawat Tourist Places in Hindi : चम्पावत उत्तराखंड का एक जिला है। टूरिज्म के दृष्टिकोण से चम्पावत शहर और चम्पावत जिले में आने वाले अन्य शहर कुछ खास प्रसिद्द नहीं है। चम्पावत भीड़ भाड़ से दूर और टूरिस्ट्स के शोर से दूर एक शांत जगह है जहाँ का मौसम साल भर अच्छा रहता है। गर्मियां में यहाँ का मौसम सुहाना होता है और बारिशों में यहाँ के वादियां हरियाली से भरी होती हैं। दूर दूर तक नजर में सुन्दर नज़ारे दिखाई देते हैं। सर्दियों में यहाँ कभी कभी बर्फ़बारी भी देखने को मिलती है।   

चम्पावत जिले में मुख्य टूरिस्ट प्लेस | Champawat Tourist Places in Hindi

टनकपुर मुख्य टूरिस्ट प्लेस | Tanakpur, Champawat Tourist Places in Hindi

चम्पावत जिले का सबसे बड़ा शहर टनकपुर है। टनकपुर शहर उत्तरभारत के मैदानों से ट्रेन नेटवर्क से जुड़ा शहर है। यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त होटलों से भरा पूरा शहर है। टनकपुर शहर सारदा नदी के किनारे पर बसा हुआ है और भारत के पडोसी देश नेपाल की सीमा से लगा हुआ है। 

सन 1880 में बसा टनकपुर कत्यूरी राजाओं द्वारा बसाया गया था। टनकपुर को पहले तलकपुर नाम से जाना जाता था। टनकपुर के मुख्य टूरिस्ट प्लेस 

पूर्णागिरि मंदिर | Purnagiri Mandir – Tanakpur, Champawat Tourist Places in Hindi

टनकपुर शहर के सेण्टर से लगभग २० किलोमीटर दूर स्थित पूर्णागिरि मंदिर देवी शक्ति को समर्पित एक धार्मिक आस्था का केंद्र है जो 108 सिद्ध पीठ में से एक है। हिन्दू केलिन्डर के चैत्र महीने में पूर्णागिरि मंदिर में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। पूर्णागिरि मंदिर के बारे में पूरी जानकारी : पूर्णागिरि मंदिर टनकपुर | Purnagiri Mandir Hindi Tanakpur

श्री आद्द्या शक्तिपीठ | Shri Adya Shaktipeeth – Tanakpur, Champawat Tourist Places in Hindi

श्री आद्द्या शक्तिपीठ जिसे बूम टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है , सारदा नदी के किनारे पर बना एक मंदिर है। यहाँ पर कैंपिंग , रिवर राफ्टिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का मजा लेने के लिए भी टूरिस्ट्स आते हैं। 

नंधौर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी | Nandhaur Wildlife Sanctuary – Tanakpur, Champawat Tourist Places in Hindi

नंधौर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सन 2012 में स्थापित हुआ था। नंधौर सैंक्चुअरी में टूरिस्ट्स सफारी के लिए जा सकते हैं। यहाँ बर्ड्स के लगभग 250 प्रजातियां देखने को मिल सकती हैं। नंधौर सैंक्चुअरी के लिए टूरिस्ट्स ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। 

श्यामला ताल | Shyamal Tal – Tanakpur, Champawat Tourist Places in Hindi

श्यामला ताल लेक टनकपुर शहर से  लगभग 20 किलोमीटर के दूरी पर स्थित है। श्यामला ताल समुद्र तल से लगभग 1500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित लेक है। 1 . 5 किलोमीटर के एरिया में यह लेक फैली हुई है। श्यामला ताल के पास ही स्वामी विवेकानंद आश्रम स्थित है।  

चम्पावत मुख्य टूरिस्ट प्लेस | Champawat Tourist Places in Hindi

चम्पावत शहर चम्पावत जिले का दूसरा बड़ा शहर है। चम्पावत शहर कुमाऊँ के चाँद शासकों के राजधानी रहा है। यह शहर अपने ऐतिहासिक मंदिरों और किले के लिए प्रसिद्द है। टनकपुर की ही तरह यह शहर भी टूरिस्ट्स की भीड़ भाड़ से दूर एक शांत इलाका है। चम्पावत में रुकने के लिए काफी कम ही होटल आदि उपलब्ध हैं इसीलिए टूरिस्ट्स यहाँ  घूमने के लिए आते है और रुकने के लिए टनकपुर ज्यादा पसंद करते हैं। 

चम्पावत का सम्बन्ध हिंदी पौराणिक कहानियों से भी है। यहाँ के मंदिर प्राचीन और पौराणिक महत्त्व के हैं। यहाँ स्थित कुछ मुख्य टूरिस्ट प्लेस 

क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर | Kranteshwar Mahadev Mandir – Champawat Tourist Places in Hindi

चम्पावत शहर से लगभग 5 किलोमीटर के दूरी पर स्थित क्रान्तेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो भगवन शिव को समर्पित है।  यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 6000 मीटर की ऊँचाई पर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है। क्रान्तेश्वर मंदिर को कंदेव मंदिर या कूर्मपाद मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर | Kranteshwar Mahadev Mandir

एक  हथिया का नौला  | Ek Hathiya Naula – Champawat Tourist Places in Hindi

यह एक ऐतिहासिक नौला है जो अपने आर्किटेक्चर के साथ ही जिस आर्टिस्ट ने इसे बनाया उसके लिए भी जाना जाता है। एक हथिया का मतलब है एक हाथ से बना। कहा जाता है कि जिस आर्टिस्ट ने इस नौला को बने था उसका केवल एक ही हाथ था और उसने यह नौला केवल एक रत के समय में बना दिया था। इसीलिए हथिया का नौला काफी प्रसिद्द है और चम्पावत के मुख्य आकर्षण के रूप में जाना जाता है। 

बालेश्वर मंदिर | Baleshwar Mandir – Champawat Tourist Places in Hindi

Champawat Tourist Places in Hindi
Baleshwar Mandir

बालेश्वर मंदिर केवल एक मंदिर न होकर प्राचीन मंदिरों का एक समूह है। यह मंदिरों का समूह चंद  शासकों द्वारा बनवाया गया है और ऐसा माना  कि ये मंदिर 10 वें से 12 वें शताब्दी के बीच बनवाये गए हैं। बालेश्वर मंदिर समूह का मुख्य मंदिर भगवन शिव को समर्पित है। बालेश्वर मंदिर समूह चम्पावत शहर में ही स्थति है। ->Baleshwar Mandir Hindi Champawat | बालेश्वर मंदिर चम्पावत

नागनाथ मंदिर | Nagnath Mandir – Champawat Tourist Places in Hindi

नागनाथ मंदिर जैसा कि नाम से ही जान सकते हैं नागों के नाथ यानी भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 18 वें सदी में गुरु गोरखनाथ द्वारा बनवाया गया था। नागनाथ मंदिर ट्रेडिशनल कुमाऊंनी आर्किटेक्चर का एक नमूना है। 

गोल्ज्यू देवता मंदिर | Goljyu Devta Mandir – Champawat Tourist Places in Hindi

गोल्ज्यू देवता मंदिर जैसा की यहाँ के रहने वाले लोग इसे बुलाते हैं दरअसल अल्मोड़ा के गोलू देवता को समर्पित मंदिर है। पहाड़ी और विशेषकर कुमाऊंनी संस्कृति में गोलू देवता को विशेष रूप से न्याय  का देवता माना जाता है। यह मंदिर अल्मोड़ा के गोलू देवता मंदिर का ही एक छोटा रूप है। यहाँ आने वाले भक्त अपनी कामना के लिए एक चुनरी बांधते हैं और कामना पूरे होने पर मंदिर में घंटी बांधता हैं। 

बाणासुर का किला | Banasur ki Kila – Tanakpur, Champawat Tourist Places in Hindi

बाणासुर का किला लोहावती नदी के किनारे लोहाघाट नगर में स्थित है।  बाणासुर का किला एक प्राचीन सांस्कृतिक आकर्षण है और इस किले का पौराणिक महत्त्व भी माना जाता है। पौराणिक कहानी के अनुसार यहाँ रहने वाले बाणासुर राक्षस के कारण भगवान कृष्ण और भगवान शिव के बीच भी एक बार युद्ध हुआ था। बाणासुर किले को बनकोट या बाना कोट किले के नाम से भी जाना जाता है। बाणासुर किले के बारे में अधिक जानकारी आप यहाँ क्लिक करके प्राप्त कर सकते  हैं। 

Know more बाणासुर का किला | Banasur ki Kila

लोहाघाट हिल स्टेशन | Lohaghat Hill Station – Champawat Tourist Places in Hindi

चम्पावत शहर से लगभग १२ किलोमीटर के दूरी पर स्थित लोहाघाट एक छोटा सा हिल स्टेशन है। पहाड़ो से घिरा हुआ लोहाघाट एक नदी के किनारे पर स्थति है। इस नदी को लोहावती नाम् से जाना जाता है। लोहावती नदी के किनारे बेस होने के कारण ही इसे लोहाघाट नगर कहा जाता है। लोहाघाट नगर अपने सीनिक व्यू और सुहाने मौसम के लिए देखने और अनुभव करने की जगह है। 

घटोत्कच मंदिर | Ghatotkach Mandir – Champawat Tourist Places in Hindi

घटोत्कच या घाटकू मंदिर नामों से जाना जाने वाला यह मंदिर महाभारत काल के प्रसिद्द महारथी भीम और पत्नी हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच को समर्पित है। यह मंदिर चम्पावत शहर से कुछ ही दूरी  पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में कर्ण के हाथों मारे जाने पर घटोत्कच का सर कट कर इस जगह पर गिरा था। 

राजबुंगा किला | Raja Bunga Kila Champawat Tourist Places in Hindi

राजबुंगा किला जिसे राजा की गढ़ी और राज बुड्डा किला नाम से भी जाना जाता है, चम्पावत में एअक ऐतिहासिक धरोहर है। राजबुंगा किले का निर्माण चंद वंश की स्थापना के बाद चंद वंश के प्रसिद्द राजा सोमचंद ने कराया था। राजबुंगा किले का निर्माण आज से लगभग 1300 वर्षों पहले कराया गया था। यह किला अपने विशेष आर्किटेक्चर के  लिए प्रसिद्द है साथ ही इस किले को जिन्न का किला भी कहते हैं। इस किले से जुड़े इतिहास और विशेष बातों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें !

बाराकोट | Barakot – Champawat Tourist Places in Hindi

चम्पावत जिले का एक और हिल स्टेशन बाराकोट है जो टूरिस्ट्स के भीड़ भाड़ से दूर शांत प्राकृतिक जगह है। यमुना और टोंस नदी के किनारे पर बसा बाराकोट पहाड़ों के बीच बसा एक गांव है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए शन्ति और रहत भरा व्यू दे सकता है।   

चम्पावत जाने का सबसे अच्छा मौसम | Best time to visit Champawat

चम्पावत जाने के लिए यूँ तो साल में कभी भी जाया जा सकता है लेकिन फिर भी फरवरी से अप्रैल तक और सितम्बर से नवंबर तक का मौसम सुहाना है। अगर आप सर्दियों में यहाँ  आना चाहते हैं तो हो सकता है कि आप बर्फ गिरने का अनुभव भी ले पाएं। 

चम्पावत कैसे पहुचें | How to reach Champawat

चम्पावत पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे अच्छा है। रोड नेटवर्क से चम्पावत अच्छी तरह कनेक्टेड है और रोड भी सही चौड़ाई वाले हैं। ये रोड कार और बाइक से भी तय किये जा सकते हैं। चम्पावत के लिए अगर आप फ्लाइट से ट्रेवल कर रहे हैं तो उत्तराखंड का पंत नगर एयरपोर्ट सबसे नजदीक पड़ता है। पंत नगर से चम्पावत तक की दूरी सड़क मार्ग से तय की जा सकती है। 

अगर आप ट्रेन से ट्रेवल कर रहे हैं तो टनकपुर रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं और वहां से चम्पावत के बाकि टूरिस्ट्स प्लेस लोकल ट्रांसपोर्ट से तय कर सकते हैं। 

Champawat Tourist Places, Beatific Uttarakhand !

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